सोमवार, 11 मार्च 2013

हर साल लाखों मासूमों की तस्करी

नयी दिल्ली, मासूम बच्चों के व्यापार की समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप लेती जा रही है। हर साल लाखों मासूम बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। केंद्र सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011-12 में बाल तस्करी के 1.26 लाख मामले दर्ज किये गये जबकि पिछले साल इस तरह के 95 हजार 289 मामले सामने आये थे। वर्ष 2008-09 में सर्वाधिक 4 लाख 52 हजार 679 मामले दर्ज किये थे जबकि 2009-10 में यह संख्या घटकर एक लाख 33 हजार 266 तक पहुंच गयी थी। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने लोकसभा के समक्ष लिखित में यह जवाब दिया है। मंत्रालय के मुताबिक, बच्चों के अवैध व्यापार में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर है, जहां 2011-12 में इस तरह के 29 हजार 947 केस दर्ज हुए। दूसरे नंबर बिहार है, जहां 19 हजार 673 मामले सामने आये हैं। राजधानी दिल्ली में 605 केस दर्ज किये गये। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खरगे ने देश में बाल श्रम की स्थिति की जानकारी देते हुए कहा, 2001 की जनगणना के अनुसार देश में 5 से 14 आयु वर्ग के बाल श्रमिकों की कुल संख्या एक करोड़ 26 लाख बतायी गयी थी। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के सर्वे के मुताबिक 2004-05 में यह संख्या 90 लाख 75 हजार तक पहुंच गयी थी, जो कि 2009-10 में घटकर 49.84 लाख ही रह गयी है। सदन में यह भी जानकारी दी गयी कि अब तक 3 लाख 54 हजार 877 बाल मजदूरों को छुड़ाकर राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) के माध्यम से पुनर्वासित किया जा चुका है। खरगे ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया, पिछले तीन सालों में बाल मजदूरी करवाने वाले 25,006 मालिकों के खिलाफ मुकदमे चलाये गये हैं और 3,394 मालिकों को जेल भी भेजा गया है। बाल मजदूरों के लिये सरकार द्वारा चलायी जाने वाली योजनाओं के बारे में खरगे ने कहा, बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एनसीएलपी और ग्रांट-इन-एड स्कीम चला रहा है। एनसीएलपी के तहत 7,311 बाल मजदूरों के लिये 266 जिलों में विशेष स्कूल चलाए जा रहे हैं।

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