राहुल गांधी के धूप में खडे़ होने का, असली राज क्या है?
महाराष्ट्र के औरंगावाद जिले के देहात में राहुल गांधी ने लोगों के बीच जाकर दोपहर में सूरज की कड़ी धूप में खड़े रह कर भाषण किया, और यहाँ के लोग छाँव में बैठे थे, ऐसा नजारा यहाँ देखने को मिला और राहुल गांधी ने यहाँ कांग्रेस के लोगों को कहा की, ''आम आदामी छाँव में और कांग्रेस के नेतागण धूप में ऐसा चित्र मैं देखना चाहता हूँ मगर बात ऐसी है,
की राहुल गांधी के धूप में खड़े होने का असली राज क्या है?
इसके पिछे एक दाँव-पेच है, केंन्द्र की सŸाा हाथिया कर सिर्फ दिखावा करना कांग्रेस का पिछले अनेक साल का फंडा है, कांग्रेस के मोहनदास करमचंन्द्र गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी का यह फंडा कांग्रेस के लोग आज भी बड़ी सहानुभुति से चला रहे है। सहानुभुति मो. मोहनदास करमचंन्द्र गांधी की देन है, सहानुभूती जताओं और उस आम आदमी (जो लोग भोले-भाले हैं इनका) का जनमत अपने पास लेकर केंन्द्र की सŸाा लेकर बड़ी शांती से पाँच साल तक बड़े आराम से आम आदमी के विरोध में काम करता हैं, यह बहुत ही क्रूरतापूर्ण किस्म का फंडा है। जो गांधी जी ने दिया जो पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने भी दिया, और आज तक उस फंडे से अनेक साल तक विदेशी यूरेशियन ब्राह्राणों की प्रिंट मीडिया के माध्यम से बड़ी शांती से राजनीति का खेल बड़ी सहजता से खेला जा रहा है।
वह रे राजनीति! वह रे सहानुभुति !
इस कार्यक्रम में राजनीति का खेल सहानुुभूती के माध्यम से चला रहे है, कैसे? भ्रूण हत्या, महिला शोषण, जिस्म फरोशी, अवैध व्यापार, बच्चों का शोषण, बच्चो का अपहरण, और हत्या भारत की भखमरी-गरीबी दूर करने के लिए अहम कदम उठाने के प्रयास यह राहुल गांधी और उसकी कांग्रेस क्यों नहीं करती? सिर्फ धूप में खड़े होकर पाँच-दस मिनट बोलने से कुछ भी होने वाला नहीं है,
मगर सच बात तो यह है, बनिया गांधी ने भारत के मूलनिवासी सामान्य जन के बलबुते पर ब्राह्राण-बनिया की आजादी का आन्दोलन अंग्रेजो के विरोध में चलाया, भारत के तथाकथित आजादी के बाद सामान्य जन शासक जाति में एकाद ही दिखार्इ देते है, मगर भारत का वास्तविक शासक ब्राह्राण ही है, भारत की सŸाा में केन्द्र पर विदेशी युरेशियन ब्राह्राण का अनियंत्रित कब्जा है, राज्य में ओबीसी के हमारे कुछ भार्इयों के पास शासन सौंपा हैं, मगर भारत का वास्तविक शासक विदेशी युरेशियन ब्राह्राण ही है, और देश केा मूलनिवासी शासक नहीं बलिक शोषित है।
''आम आदमी के नाम पर पिछला चुनाव कांग्रेस ने लड़ा,
और जीत भी लिया, चुनाव खत्म होने तक ''आम आदमी आम आदमी ऐसा गला फाड़-फाड़ कर घोषणा की और भाषणों में कहा, की हम आदमी के साथ है। आम आदमी को लगा कि केर्ंन्द्र की सŸाा पर बैठी कांग्रेस आम आदमी के साथ है, तो हमें केंन्द्र की सŸाा की पर बैठी कांग्रेस के साथ होना चाहिए, तो यैसा विचार कर आम आदमी ने कांग्रेस का साथ दिया, दूर दूर तक कातर में खड़े रह कर, आँख लगाकर, बहुमत देकर आम आदमी ने कांग्रेस को अपना जनमत देकर फिर केंन्द्र की सŸाा पर विराजमान किया,
मगर आम आदमी को इस कांग्रेस ने क्या दिया, आम आदमी को कांग्रेस नेे मंहगार्इ का तोहफा दिया, पंट्रोल के दाम बढ़ाकर और एक बेहतरीन तोहफा दिया, भूखमरी के कगार पर रखा, तो यह कांग्रेस की षड़यंत्रकारी राजनीति आम आदमी के समझ में नहीं आमी, क्या करे भोेले-भाले लोंगों का राजनीति समझ नहीं आती है,
राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन के प्रधान, भारत मुक्ती मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. वामन मेश्राम साहब कहते है, कि राजनीति आम आदमी के समझ में आये, तो वही शासक बन सकता है। जिसके समझ में राजनीति आती है, वही राज करता है, राजनीति समझना हर किसी के भी बस की बात नहीं हैं।
आम आदमी यानि देश का 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज,
आम आदमी तो आम लोग है, भोले-भाले लोग यानि आम आदमी, रामायण में राम और हनुमान समकालिन है, मगर हनुमान को पुँछ लगार्इ, बाद में हनुमान का अपने राज के लिए लढ़ार्इ के लिए उपयोग किया, यानि पहले नाम देते है, बाद में उसका उपयोग करते है, यानि हमारे 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज को पहले आम आदमी यह नाम दिया बाद में आम आदमी के इस्तेमाल करने की योजना बनार्इ यह योजना आजतक चालू है, यह योजना का ही राहुल गांधी के धुप में खड़े होने का असली राज है, यह हमें समझना होगा, अब एक और ब्राह्राण आम आदमी लेकर खड़ा हुआ है।
यही शासक जाती के लोगों का षड़यंत्र होता है, नीति होती है। हमारे लोगों को पहले आम आदमी कहा बाद में सिर्फ नाम के माध्यम से आम आदमी के बलबूते पर शासक बनी कांग्रेस ने आम आदमी को चुनाव जितने के बाद ही ठेगा दिखा दिया, आम आदमी को चुना लगाया, कांग्रेस ब्राह्राणों की वास्तविक पार्टी है, पिछले 65 साल में से सबसे ज्यादा शासन काल कांग्रेस का ही अमल रहा है। मगर क्या कांग्रेस ने मूलभूत विकास का काम किया है? इस सवाल का जबाब है। नहीं भारत में शिक्षा का मूलभूम अधिकार का विधेयक संसद में सन 2009 में पारित किया और पास हो गया, मगर भारत में 2 लाख देहात में मूलनिवासी बच्चे शिक्षा न ले, ऐसी सिथति कांग्रेस ने आजतक बना दी है। कुछ गांवो में स्कूल की इमारत नहीं है। उन गांव में स्कूल पेड़ के नीचे, मंदिरों में है। और जहाँ भी है, वहाँ बच्चे पढ़ार्इ करते है। कुछ गांव में एक ही स्कूल है, वहाँ एक ही मास्टर होता है,और वही 1 से 4 कक्षा तक सब बच्चों को पढ़ाता है, अगर वो किसी काम की वजह से बाहर जाता है, या अपने कुछ काम के लिए अगर छुटटी लेता है, तो उस मास्टर की बजह से स्कूल बंद होगा ऐसी सिथती है, यानि शिक्षा का मूलभूत अधिकार सन 2009 में बनाया, मगर वह मूलभूत अधिकार अंमल में लाने का वातावरण हो यैसी सिथति नहीं बनार्इ, बलिक उसके विरोध में वातावरण हो ऐसी सिथति बनाने का काम कांग्रेस के शासक लोग कर रहे है। राहुल गांधी के धुप में खड़े होने से कुछ होने वाला नहीं है।
जल मूलभूत स्त्रोत है। बारिश के बाद वह पानी बहकर सागर में मिलता है, नदी पर बाँध या जलस्त्रोत बनाने के हर तरह के प्रयास पिछले 65 साल में कांग्रेस के शासक लोगों ने करने के बारे में क्या किया है? यह सवाल अगर खड़ा करे। तो इसका जवाब भरोसमंद काम किया है, यह बताना मुशिकल ही नहीं नामुकिन है। यानि कि देश का आम आदमी अपने पेयजल, या जलस्रोत के पीछे दिनभर भागे, उसका जैविक विकास ना हो, वह गरीबी के नीचे दबे, ऐसी नीति कांग्रेस ने बना दी है। यानि कृषि क्षेत्र खोखला बने। ऐसी रणनीति इसके पीछे है। कांग्रेस ने ऐसा क्यूँ किया। खेती उजाड़कर सेज भारत में विकसित करना ही कांग्रेस का इसके पीछे दांवपेच है। भारत में लगभग 5 हजार सेज कंपनी विकसित कर इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करके विदेशी कंपनियों को भारत में लाकर फिर एक बार देश विदेशी कंपनी के गुलामी में तबदील कर शासक जाति का और एक षडयंत्र इसके पीछे है। सेज में संविधान का अमल पूरा खत्म होने वाला है। सेज का कानून अगर हमें पढ़े तो सेज में इंडियन पिनल कोड और भारतीय संविधान लागू नहीं है। बलिक सेज जिस कंपनी का है, उस कंपनी का राज उस पूरी जगह पर रहेगा, यह नीति कांग्रेस की है। वाह रे कांग्रेस नीति जिस आम आदमी के बलबूतेपर राज कर रहा है, उसे ही खत्म करना कांग्रेस षडयंत्र है।
प्रतिनिधिक सांसदीय लोकशाही जल्द ही समाप्त करने का षडयंत्र विदेशी यूरेशियन ब्राह्राण का है। भारत में लोकशाही नहीं बलिक ब्राह्राणशाही है। भारत में मूलनिवासी बहुजनाें का जीना दुश्वार बनाकर उन्हें अर्धभुखमरी और भुखमरी के कगार पर लागर खड़ा कर दिया। यानि भारत में मूलनिवासी बहुजनाें का सामूहिक नरसंहार करने की नीति इसके पीछे है।
हमारे मूनिवासी बहुजनाें के और धर्मपरिवर्तित मूलनिवासी (सिख, लिंगायत, इस्लाम, जैन, बौद्ध) इनको प्रतिनिधित्व देनेवाली प्रतिनिधिक सांसदीय लोकशाही विदेशी यूरेशियन ब्राह्राण समाप्त करके हमारी समस्या और भी उग्र बनें, ऐसी रणनीति बनार्इ है। मगर इसके विरोध में हमें तीव्र वैचारिक संघर्ष करना पड़ेगा और वैचारिक प्रतिकारकों सज्जा रहना पड़ेगा। हमारे हक्क और अधिकार के लिए हमारे सामने आनेवाली अनेक समस्याआें से जूझना पड़ेगा।
इसके लिए एक मात्र विकल्प, वह है राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन
हमारे भारत में जागृति का स्तर बढ़ता रहे तो यह ब्राह्राणशाही समाप्त होगी मगर इसके लिए एक मात्र विकल्प है वह है भारत मुकित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन के प्रधान प्रवर्तक मा.वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व में भारत मुकित मोर्चा के माध्यम से राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन खड़ा करना होगा। यहीं राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन हमें विदेशी यूरेशियन ब्राह्राणाें के इस गुलामी से आजादी दिलायेगा। इसी राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन से हमें मुकित मिलेगी हम आजाद हो जायेगें।
महाराष्ट्र के औरंगावाद जिले के देहात में राहुल गांधी ने लोगों के बीच जाकर दोपहर में सूरज की कड़ी धूप में खड़े रह कर भाषण किया, और यहाँ के लोग छाँव में बैठे थे, ऐसा नजारा यहाँ देखने को मिला और राहुल गांधी ने यहाँ कांग्रेस के लोगों को कहा की, ''आम आदामी छाँव में और कांग्रेस के नेतागण धूप में ऐसा चित्र मैं देखना चाहता हूँ मगर बात ऐसी है,
की राहुल गांधी के धूप में खड़े होने का असली राज क्या है?
इसके पिछे एक दाँव-पेच है, केंन्द्र की सŸाा हाथिया कर सिर्फ दिखावा करना कांग्रेस का पिछले अनेक साल का फंडा है, कांग्रेस के मोहनदास करमचंन्द्र गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी का यह फंडा कांग्रेस के लोग आज भी बड़ी सहानुभुति से चला रहे है। सहानुभुति मो. मोहनदास करमचंन्द्र गांधी की देन है, सहानुभूती जताओं और उस आम आदमी (जो लोग भोले-भाले हैं इनका) का जनमत अपने पास लेकर केंन्द्र की सŸाा लेकर बड़ी शांती से पाँच साल तक बड़े आराम से आम आदमी के विरोध में काम करता हैं, यह बहुत ही क्रूरतापूर्ण किस्म का फंडा है। जो गांधी जी ने दिया जो पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने भी दिया, और आज तक उस फंडे से अनेक साल तक विदेशी यूरेशियन ब्राह्राणों की प्रिंट मीडिया के माध्यम से बड़ी शांती से राजनीति का खेल बड़ी सहजता से खेला जा रहा है।
वह रे राजनीति! वह रे सहानुभुति !
इस कार्यक्रम में राजनीति का खेल सहानुुभूती के माध्यम से चला रहे है, कैसे? भ्रूण हत्या, महिला शोषण, जिस्म फरोशी, अवैध व्यापार, बच्चों का शोषण, बच्चो का अपहरण, और हत्या भारत की भखमरी-गरीबी दूर करने के लिए अहम कदम उठाने के प्रयास यह राहुल गांधी और उसकी कांग्रेस क्यों नहीं करती? सिर्फ धूप में खड़े होकर पाँच-दस मिनट बोलने से कुछ भी होने वाला नहीं है,
मगर सच बात तो यह है, बनिया गांधी ने भारत के मूलनिवासी सामान्य जन के बलबुते पर ब्राह्राण-बनिया की आजादी का आन्दोलन अंग्रेजो के विरोध में चलाया, भारत के तथाकथित आजादी के बाद सामान्य जन शासक जाति में एकाद ही दिखार्इ देते है, मगर भारत का वास्तविक शासक ब्राह्राण ही है, भारत की सŸाा में केन्द्र पर विदेशी युरेशियन ब्राह्राण का अनियंत्रित कब्जा है, राज्य में ओबीसी के हमारे कुछ भार्इयों के पास शासन सौंपा हैं, मगर भारत का वास्तविक शासक विदेशी युरेशियन ब्राह्राण ही है, और देश केा मूलनिवासी शासक नहीं बलिक शोषित है।
''आम आदमी के नाम पर पिछला चुनाव कांग्रेस ने लड़ा,
और जीत भी लिया, चुनाव खत्म होने तक ''आम आदमी आम आदमी ऐसा गला फाड़-फाड़ कर घोषणा की और भाषणों में कहा, की हम आदमी के साथ है। आम आदमी को लगा कि केर्ंन्द्र की सŸाा पर बैठी कांग्रेस आम आदमी के साथ है, तो हमें केंन्द्र की सŸाा की पर बैठी कांग्रेस के साथ होना चाहिए, तो यैसा विचार कर आम आदमी ने कांग्रेस का साथ दिया, दूर दूर तक कातर में खड़े रह कर, आँख लगाकर, बहुमत देकर आम आदमी ने कांग्रेस को अपना जनमत देकर फिर केंन्द्र की सŸाा पर विराजमान किया,
मगर आम आदमी को इस कांग्रेस ने क्या दिया, आम आदमी को कांग्रेस नेे मंहगार्इ का तोहफा दिया, पंट्रोल के दाम बढ़ाकर और एक बेहतरीन तोहफा दिया, भूखमरी के कगार पर रखा, तो यह कांग्रेस की षड़यंत्रकारी राजनीति आम आदमी के समझ में नहीं आमी, क्या करे भोेले-भाले लोंगों का राजनीति समझ नहीं आती है,
राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन के प्रधान, भारत मुक्ती मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. वामन मेश्राम साहब कहते है, कि राजनीति आम आदमी के समझ में आये, तो वही शासक बन सकता है। जिसके समझ में राजनीति आती है, वही राज करता है, राजनीति समझना हर किसी के भी बस की बात नहीं हैं।
आम आदमी यानि देश का 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज,
आम आदमी तो आम लोग है, भोले-भाले लोग यानि आम आदमी, रामायण में राम और हनुमान समकालिन है, मगर हनुमान को पुँछ लगार्इ, बाद में हनुमान का अपने राज के लिए लढ़ार्इ के लिए उपयोग किया, यानि पहले नाम देते है, बाद में उसका उपयोग करते है, यानि हमारे 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज को पहले आम आदमी यह नाम दिया बाद में आम आदमी के इस्तेमाल करने की योजना बनार्इ यह योजना आजतक चालू है, यह योजना का ही राहुल गांधी के धुप में खड़े होने का असली राज है, यह हमें समझना होगा, अब एक और ब्राह्राण आम आदमी लेकर खड़ा हुआ है।
यही शासक जाती के लोगों का षड़यंत्र होता है, नीति होती है। हमारे लोगों को पहले आम आदमी कहा बाद में सिर्फ नाम के माध्यम से आम आदमी के बलबूते पर शासक बनी कांग्रेस ने आम आदमी को चुनाव जितने के बाद ही ठेगा दिखा दिया, आम आदमी को चुना लगाया, कांग्रेस ब्राह्राणों की वास्तविक पार्टी है, पिछले 65 साल में से सबसे ज्यादा शासन काल कांग्रेस का ही अमल रहा है। मगर क्या कांग्रेस ने मूलभूत विकास का काम किया है? इस सवाल का जबाब है। नहीं भारत में शिक्षा का मूलभूम अधिकार का विधेयक संसद में सन 2009 में पारित किया और पास हो गया, मगर भारत में 2 लाख देहात में मूलनिवासी बच्चे शिक्षा न ले, ऐसी सिथति कांग्रेस ने आजतक बना दी है। कुछ गांवो में स्कूल की इमारत नहीं है। उन गांव में स्कूल पेड़ के नीचे, मंदिरों में है। और जहाँ भी है, वहाँ बच्चे पढ़ार्इ करते है। कुछ गांव में एक ही स्कूल है, वहाँ एक ही मास्टर होता है,और वही 1 से 4 कक्षा तक सब बच्चों को पढ़ाता है, अगर वो किसी काम की वजह से बाहर जाता है, या अपने कुछ काम के लिए अगर छुटटी लेता है, तो उस मास्टर की बजह से स्कूल बंद होगा ऐसी सिथती है, यानि शिक्षा का मूलभूत अधिकार सन 2009 में बनाया, मगर वह मूलभूत अधिकार अंमल में लाने का वातावरण हो यैसी सिथति नहीं बनार्इ, बलिक उसके विरोध में वातावरण हो ऐसी सिथति बनाने का काम कांग्रेस के शासक लोग कर रहे है। राहुल गांधी के धुप में खड़े होने से कुछ होने वाला नहीं है।
जल मूलभूत स्त्रोत है। बारिश के बाद वह पानी बहकर सागर में मिलता है, नदी पर बाँध या जलस्त्रोत बनाने के हर तरह के प्रयास पिछले 65 साल में कांग्रेस के शासक लोगों ने करने के बारे में क्या किया है? यह सवाल अगर खड़ा करे। तो इसका जवाब भरोसमंद काम किया है, यह बताना मुशिकल ही नहीं नामुकिन है। यानि कि देश का आम आदमी अपने पेयजल, या जलस्रोत के पीछे दिनभर भागे, उसका जैविक विकास ना हो, वह गरीबी के नीचे दबे, ऐसी नीति कांग्रेस ने बना दी है। यानि कृषि क्षेत्र खोखला बने। ऐसी रणनीति इसके पीछे है। कांग्रेस ने ऐसा क्यूँ किया। खेती उजाड़कर सेज भारत में विकसित करना ही कांग्रेस का इसके पीछे दांवपेच है। भारत में लगभग 5 हजार सेज कंपनी विकसित कर इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करके विदेशी कंपनियों को भारत में लाकर फिर एक बार देश विदेशी कंपनी के गुलामी में तबदील कर शासक जाति का और एक षडयंत्र इसके पीछे है। सेज में संविधान का अमल पूरा खत्म होने वाला है। सेज का कानून अगर हमें पढ़े तो सेज में इंडियन पिनल कोड और भारतीय संविधान लागू नहीं है। बलिक सेज जिस कंपनी का है, उस कंपनी का राज उस पूरी जगह पर रहेगा, यह नीति कांग्रेस की है। वाह रे कांग्रेस नीति जिस आम आदमी के बलबूतेपर राज कर रहा है, उसे ही खत्म करना कांग्रेस षडयंत्र है।
प्रतिनिधिक सांसदीय लोकशाही जल्द ही समाप्त करने का षडयंत्र विदेशी यूरेशियन ब्राह्राण का है। भारत में लोकशाही नहीं बलिक ब्राह्राणशाही है। भारत में मूलनिवासी बहुजनाें का जीना दुश्वार बनाकर उन्हें अर्धभुखमरी और भुखमरी के कगार पर लागर खड़ा कर दिया। यानि भारत में मूलनिवासी बहुजनाें का सामूहिक नरसंहार करने की नीति इसके पीछे है।
हमारे मूनिवासी बहुजनाें के और धर्मपरिवर्तित मूलनिवासी (सिख, लिंगायत, इस्लाम, जैन, बौद्ध) इनको प्रतिनिधित्व देनेवाली प्रतिनिधिक सांसदीय लोकशाही विदेशी यूरेशियन ब्राह्राण समाप्त करके हमारी समस्या और भी उग्र बनें, ऐसी रणनीति बनार्इ है। मगर इसके विरोध में हमें तीव्र वैचारिक संघर्ष करना पड़ेगा और वैचारिक प्रतिकारकों सज्जा रहना पड़ेगा। हमारे हक्क और अधिकार के लिए हमारे सामने आनेवाली अनेक समस्याआें से जूझना पड़ेगा।
इसके लिए एक मात्र विकल्प, वह है राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन
हमारे भारत में जागृति का स्तर बढ़ता रहे तो यह ब्राह्राणशाही समाप्त होगी मगर इसके लिए एक मात्र विकल्प है वह है भारत मुकित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन के प्रधान प्रवर्तक मा.वामन मेश्राम साहब के नेतृत्व में भारत मुकित मोर्चा के माध्यम से राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन खड़ा करना होगा। यहीं राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन हमें विदेशी यूरेशियन ब्राह्राणाें के इस गुलामी से आजादी दिलायेगा। इसी राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन से हमें मुकित मिलेगी हम आजाद हो जायेगें।
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