सिक्खों के इतिहास को कंलकित कर रहे ब्राह्राणवादी!
यादे गुरूनानक के बाद में हुए सन्तो ने सिक्ख पंथ न चलाया होते तो आज पंजाब हरियाणा, हिमाचल व पशिचमी उŸार प्रदेश भारत का हिस्सा न होता ब्राह्राण तो देश को विदेशीयों के हाथ बेचने व विभाजन के लिये जिम्मेदार रहे है। देश के प्रति इनकी गíारी आम्भी राणा सांगा, जयचन्द्र व मीर जाफर के कारनामाें को कौन नहीं जानता है। भारत के जब आजाद होने की बात आयी तो, मुसलमानों, शोषितों व बौद्धों को तीन जगह तितर-बितर करने के इरादे से गांधी और नेहरू ने भारत का विभाजन करवाया, भारत के तीन टुकड़े करने के विरोध में क्या ब्राह्राण राष्ट्रवादियों ने कोर्इ आवाज उठार्इ?
सिक्खाें के मना करने पर भी उनको खालिस्तान प्लेट में रखकर परोसते रहे और अब कश्मीर देने की तैयारी है। उनके लिए भारत एक प्रदेश के बराबर क्याें न रह जाय, लेकिन उनका शुद्ध रूप से ब्राह्राण राष्ट्र होना चािहए। पूवोत्तर राज्याें को अब तक इसी कदर उपेक्षित रखा गया है मानाें वे भारत के अंग न हो तत्तकालीन प्रधानमंत्री, विदेशी मंत्री व मुख्य सेनाध्यक्ष की नीति की वजह से भारत की 19000 वर्ग मील जमीन पर चीन ने कब्जा किया और वर्तमान में और भी करने के मूड़ में है। क्योंकि भारत में नीति जो पहले थी वहीं आज भी है। वैसा ही प्रधानमंत्री है, वैसा ही विदेशी मंत्री व मुख्य सेनाध्यक्ष है कहीं कोर्इ अन्तर नहीं है। उनकी योग्यता भी उसी तरह की है। जो पूर्व में थी। नेहरू ने विश्व चौधरी का जो ख्वाब देखा था आज वहीं ख्याब आज राहुल गांधी, मनमोहन सिंह के साथ देख रहा है। इसी तरह का ख्याब अटल बिहारी ने भी देखा था। जिस बौद्ध धार्मिक नेता दलार्इ लामा को नेहरू ने हिमाचल प्रदेश में राजनैतिक शरण देकर अपनी चाल चली उसी दलार्इ लामा को पुजते हुए मनमोहन सिंह भी नेहरू के मिशन को आगे बढ़ा रहे है। जिसको चीन समझता है। इसी कारण चीन के ऊपर विश्वास नहीं है। हमारे देश की जो विदेशी नीति है उसमें सूक्ष्म अल्प संख्यक वैदिक ब्राह्राण शासन के अधीन गोरे नक्सलवादी, साम्राज्यवादी, पाश्चात्य देशों की मिली भगत से भारत के मूलनिवासी बहुजन समाज को दबाकर रख रहे है उनका शोषण कर उन्हें मारा जा रहा है, अंग्रेजी शासन काल में जिन 200 भारतीयों को फांसी दी गर्इ थी उनमें 190 सिक्ख थे जालियाँ वाला बाग हत्या कांड में रमदसिया (चमार) सिक्ख मारे गये थे जिसका बदला उधम सिंह नाम रमदसिया सिक्ख ने लन्दन में जाकर जनरल डायर को मार कर लिया था। जबकि गांधी वादी ब्राह्राण और राष्ट्रवादी ब्राह्राण अंग्रेजो का प्रशंसा गान कर रहे थे। रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने उसी समय अंग्रेज अधिकारी के स्वागत में जन-गण-मन अधिकनायक जय हे, जय हे, जय हे, गीत लिखा था जिसको बाद में ब्राह्राण जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रगान घोषित करवा दिया यह उस समय की मिशाल है ब्राह्राणवादी गांधी ने सरदार भगत सिंह को फांसी से बचाने के लिए कोर्इ प्रयास नहीं किया बलिक इसी देश के प्रधानमंत्री रह चुके उनके पिता जो उस समय अंग्रेजो के शासन में पुलिस के रूप में सेवा दे रहे थे उन्हाेंने भगत सिंह के खिलाफ गवाही देकर फांसी दिलवायी थी। गांधी यह जनता था कि अगर भगत सिंह जिन्दा रहेगे तो हमारा नाटक पूरा नहीं होगा। ब्राह्राणों का भारत कभी नहीं बनेगा क्याेंकि सिक्खों के हीरो भगत सिंह थे गांधी नहीं, सिक्ख लाइट इन्फेन्टरी, सिक्ख रेजीमेन्ट व महार रेजीमेन्ट हमेशा खतरनाक सरहदी मोर्चो पर लगार्इ जाती है। जहां सिर और जंघा से पैदा हानेे वालों का पेखाना ढीला हो जाता है। मोटी रकम लेकर सैन्य गोपनीय दस्तावेजों को दुश्मन के हाथ बेचने में वैदिक ब्राह्राणवादी गíार ही पकड़े गये है सिक्खों के लिए यह प्रशासित गीत नहीं हैं बलिक इनकी हककीत है।
सिक्खों की जनसंख्या दो प्रतिशत है जबकि सेना में यह 11 प्रतिशत है। अपनी नीतियों को पूरा करने के लिए ब्राह्राणाें ने सिक्ख धर्म में घुसपैठ कर सिक्खों के इतिहास को कंलकित कर रहे है। वैदिक ब्राह्राणवादी जिसकी उदाहरण खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सेना प्रमुख है। वह सिक्ख में घुसपैठ किये है। इसलिए भारत में बसे यूरेशियन ब्राह्राणाें की नीति को वह अंजाम दे रहे है।
गरम हिन्दुत्व व नरम हिन्दुत्व दोनाें का उíेश्य हिन्दू राष्ट्र (ब्राह्राणराष्ट्र) की स्थापना करना है, हिन्दू एकता वह हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उíेश्य से सिक्खाें के कालेजों कलेजे तख्त को ध्वस्त और सिक्खाें का नरसंहार किया गया। इसी उíेश्य से मुरादाबाद, मालियाना, भागलपुर, भिवन्उी, बबरी मसिजद व गुजरात के नरसंहार को अंजाम दिया गया। गरम हिन्दुत्व व नरम हिन्दुत्व दोनाें का उíेश्य स्वदेशी आतंकवाद के जरिये हिन्दू राष्ट्र बनाना है। ब्राह्राणों का राष्ट्र देश नहीं इसका अर्थ जनेऊ है चुटैया वाद की भकित है। जिनके कारण देश तबहा है। अब इनके नारे को बन्द करना होगा जो यह कहते है हिन्दू, मुसिलम, सिक्ख, र्इसार्इ आप में सब भार्इ-भार्इ अब इसके यह करना होगा शोषित, मुसिलम, सिक्ख, र्इसार्इ लूटे-पिटे सब भार्इ-भार्इ!
यादे गुरूनानक के बाद में हुए सन्तो ने सिक्ख पंथ न चलाया होते तो आज पंजाब हरियाणा, हिमाचल व पशिचमी उŸार प्रदेश भारत का हिस्सा न होता ब्राह्राण तो देश को विदेशीयों के हाथ बेचने व विभाजन के लिये जिम्मेदार रहे है। देश के प्रति इनकी गíारी आम्भी राणा सांगा, जयचन्द्र व मीर जाफर के कारनामाें को कौन नहीं जानता है। भारत के जब आजाद होने की बात आयी तो, मुसलमानों, शोषितों व बौद्धों को तीन जगह तितर-बितर करने के इरादे से गांधी और नेहरू ने भारत का विभाजन करवाया, भारत के तीन टुकड़े करने के विरोध में क्या ब्राह्राण राष्ट्रवादियों ने कोर्इ आवाज उठार्इ?
सिक्खाें के मना करने पर भी उनको खालिस्तान प्लेट में रखकर परोसते रहे और अब कश्मीर देने की तैयारी है। उनके लिए भारत एक प्रदेश के बराबर क्याें न रह जाय, लेकिन उनका शुद्ध रूप से ब्राह्राण राष्ट्र होना चािहए। पूवोत्तर राज्याें को अब तक इसी कदर उपेक्षित रखा गया है मानाें वे भारत के अंग न हो तत्तकालीन प्रधानमंत्री, विदेशी मंत्री व मुख्य सेनाध्यक्ष की नीति की वजह से भारत की 19000 वर्ग मील जमीन पर चीन ने कब्जा किया और वर्तमान में और भी करने के मूड़ में है। क्योंकि भारत में नीति जो पहले थी वहीं आज भी है। वैसा ही प्रधानमंत्री है, वैसा ही विदेशी मंत्री व मुख्य सेनाध्यक्ष है कहीं कोर्इ अन्तर नहीं है। उनकी योग्यता भी उसी तरह की है। जो पूर्व में थी। नेहरू ने विश्व चौधरी का जो ख्वाब देखा था आज वहीं ख्याब आज राहुल गांधी, मनमोहन सिंह के साथ देख रहा है। इसी तरह का ख्याब अटल बिहारी ने भी देखा था। जिस बौद्ध धार्मिक नेता दलार्इ लामा को नेहरू ने हिमाचल प्रदेश में राजनैतिक शरण देकर अपनी चाल चली उसी दलार्इ लामा को पुजते हुए मनमोहन सिंह भी नेहरू के मिशन को आगे बढ़ा रहे है। जिसको चीन समझता है। इसी कारण चीन के ऊपर विश्वास नहीं है। हमारे देश की जो विदेशी नीति है उसमें सूक्ष्म अल्प संख्यक वैदिक ब्राह्राण शासन के अधीन गोरे नक्सलवादी, साम्राज्यवादी, पाश्चात्य देशों की मिली भगत से भारत के मूलनिवासी बहुजन समाज को दबाकर रख रहे है उनका शोषण कर उन्हें मारा जा रहा है, अंग्रेजी शासन काल में जिन 200 भारतीयों को फांसी दी गर्इ थी उनमें 190 सिक्ख थे जालियाँ वाला बाग हत्या कांड में रमदसिया (चमार) सिक्ख मारे गये थे जिसका बदला उधम सिंह नाम रमदसिया सिक्ख ने लन्दन में जाकर जनरल डायर को मार कर लिया था। जबकि गांधी वादी ब्राह्राण और राष्ट्रवादी ब्राह्राण अंग्रेजो का प्रशंसा गान कर रहे थे। रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने उसी समय अंग्रेज अधिकारी के स्वागत में जन-गण-मन अधिकनायक जय हे, जय हे, जय हे, गीत लिखा था जिसको बाद में ब्राह्राण जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रगान घोषित करवा दिया यह उस समय की मिशाल है ब्राह्राणवादी गांधी ने सरदार भगत सिंह को फांसी से बचाने के लिए कोर्इ प्रयास नहीं किया बलिक इसी देश के प्रधानमंत्री रह चुके उनके पिता जो उस समय अंग्रेजो के शासन में पुलिस के रूप में सेवा दे रहे थे उन्हाेंने भगत सिंह के खिलाफ गवाही देकर फांसी दिलवायी थी। गांधी यह जनता था कि अगर भगत सिंह जिन्दा रहेगे तो हमारा नाटक पूरा नहीं होगा। ब्राह्राणों का भारत कभी नहीं बनेगा क्याेंकि सिक्खों के हीरो भगत सिंह थे गांधी नहीं, सिक्ख लाइट इन्फेन्टरी, सिक्ख रेजीमेन्ट व महार रेजीमेन्ट हमेशा खतरनाक सरहदी मोर्चो पर लगार्इ जाती है। जहां सिर और जंघा से पैदा हानेे वालों का पेखाना ढीला हो जाता है। मोटी रकम लेकर सैन्य गोपनीय दस्तावेजों को दुश्मन के हाथ बेचने में वैदिक ब्राह्राणवादी गíार ही पकड़े गये है सिक्खों के लिए यह प्रशासित गीत नहीं हैं बलिक इनकी हककीत है।
सिक्खों की जनसंख्या दो प्रतिशत है जबकि सेना में यह 11 प्रतिशत है। अपनी नीतियों को पूरा करने के लिए ब्राह्राणाें ने सिक्ख धर्म में घुसपैठ कर सिक्खों के इतिहास को कंलकित कर रहे है। वैदिक ब्राह्राणवादी जिसकी उदाहरण खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सेना प्रमुख है। वह सिक्ख में घुसपैठ किये है। इसलिए भारत में बसे यूरेशियन ब्राह्राणाें की नीति को वह अंजाम दे रहे है।
गरम हिन्दुत्व व नरम हिन्दुत्व दोनाें का उíेश्य हिन्दू राष्ट्र (ब्राह्राणराष्ट्र) की स्थापना करना है, हिन्दू एकता वह हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उíेश्य से सिक्खाें के कालेजों कलेजे तख्त को ध्वस्त और सिक्खाें का नरसंहार किया गया। इसी उíेश्य से मुरादाबाद, मालियाना, भागलपुर, भिवन्उी, बबरी मसिजद व गुजरात के नरसंहार को अंजाम दिया गया। गरम हिन्दुत्व व नरम हिन्दुत्व दोनाें का उíेश्य स्वदेशी आतंकवाद के जरिये हिन्दू राष्ट्र बनाना है। ब्राह्राणों का राष्ट्र देश नहीं इसका अर्थ जनेऊ है चुटैया वाद की भकित है। जिनके कारण देश तबहा है। अब इनके नारे को बन्द करना होगा जो यह कहते है हिन्दू, मुसिलम, सिक्ख, र्इसार्इ आप में सब भार्इ-भार्इ अब इसके यह करना होगा शोषित, मुसिलम, सिक्ख, र्इसार्इ लूटे-पिटे सब भार्इ-भार्इ!
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