शुक्रवार, 21 जून 2013

गांधी जी की सेक्स लाइफ पर किताब

ब्रिटेन के इतिहासकार जैड एड्मस शेड्स ने महात्मा गांधी के सेक्स जीवन पर लिखी किताब जारी की. किताब का नाम है, गांधी: नेकेड एंबिशन (Gandhi: Naked Ambition). लेखक के मुताबिक गांधीजी की सेक्स लाइफ कठोर प्रयोगों से भरी रही.
किताब में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के यौन जीवन के बारे में काफ़ी कुछ लिखा गया है. इसमें ऐसी बातें भी है जिन पर विवाद हो सकता है. जैड एडम्स शेड्स का दावा है कि उन्होंने बापू के सैकड़ों ख़तों की छानबीन के बाद इस किताब को लिखा है.
किताब में कहा गया है कि बुढ़ापे के दिनों में बापू कई जवान महिलाओं के साथ नहाते थे, निर्वस्त्र होकर मालिश करवाते थे. लेखक का यह भी दावा है कि वह अपनी शिष्यायों के साथ सोते थे. कहा गया है कि ऐसे सबूत नहीं मिले है, जिनके आधार पर यह कहा जाए कि उन महिलाओं के साथ गांधीजी के यौन संबंध थे.
लेखक का कहना है कि बापू सिर्फ लोगों को यह संदेश देना चाहते थे कि तमाम मुश्किलों के बावजूद सहनशक्ति और दृढ़इच्छा के बल पर कैसे जीया जा सकता है. शेड्स का कहना है, ''मेरा मानना है कि वह चाहते थे कि महिलाएं उन्हें उत्तेजित करें. ताकि, वह लोगों को अपनी सहनशक्ति दिखा सकें.'' लेखक का दावा है कि, ''गांधी जी के इस व्यवहार को जवाहरलाल नेहरू असामान्य मानते थे और उन से दूरी बना ली.''
बापू के शुरूआती दिनों का ज़िक्र करते हुए कहा गया है, ''जीवन के पहले चरण में उनकी सेक्स लाइफ एक आम व्यक्ति की तरह सामान्य थी. लेकिन रोचक बात यह है कि क़रीब सन 1900 के आस पास उन्होंने सादगी का दृढ़ फ़ैसला किया. छह साल बाद उन्होंने प्रतिज्ञा की और उस पर चलना शुरू किया.''
यही वजह थी कि बापू के आश्रम में पुरुषों और महिलाओं के बीच यौन संबंधों पर पाबंदी थी. जवान युवक युवतियों के लिए भी कठोर नियम बनाए गए थे. एक अन्य किताब में भी इस बात का ज़िक्र किया गया है. दिनकर जोशी की किताब "महात्मा वर्सेस गांधी" में लिखा गया है कि एक बार दक्षिण अफ्रीका के आश्रम में बापू का एक बेटा एक युवती की ओर आकर्षित हो गया. इस बात का पता चलने पर बापू ने दोनों को कड़ी सज़ा दी.
1931 में लंदन में बापू
लेखक का दावा है कि गांधी जी को अपने सेक्स जीवन को लेकर एक बात का अफसोस रहा. 1885 में जब गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा (बा) के पिता की मृत्यु हुई तब उन्होंने ने बा से शारीरिक संबंध बनाए. इसके बाद बापू को ख़ुद से घृणा होने लगी. वैसे इस किताब के कुछ अंशों पर भले ही विवाद हो, लेकिन कुछ प्रसंग बापू की महानता को और बढ़ा देते हैं. 1885 की घटना को ध्यान में रखकर सोचा जाए तो कहा जा सकता है कि हमेशा सच की वकालत करने वाले गांधी जी ने अपने आप को कभी नहीं छुपाया. बापू अंदर और बाहर एक जैसे थे, शीशे की तरह एकदम साफ. वह चाहते तो इन बातों को नहीं लिखते और दुनिया कभी यहां तक पहुंच भी नहीं पाती.
नेहरू के अलावा ब्रिटेन के इतिहास पर भी कई किताबें लिख चुके शेड्स का भी कहना है, ''वह दृढ़ इच्छाशक्ति पर यक़ीन रखते थे और देखना चाहते थे कि क्या सेक्स पर काबू पाया जा सकता है.'' शेड्स के अनुसार गांधी जी की इस धारणा पर हिंदू धर्म में प्रचलित इस मान्यता की झलक मिलती है कि कामवासना पर वशीकरण से ऩयी शक्तियां मिलती हैं. उन्होंने अपने प्रयोगों के बारे में स्वयं ही बहुत खुल कर लिखा है.
रिपोर्ट: एएफ़पी/ओ सिंह
संपादन: राम यादव

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