साथियों प्रधानमंत्री की समावेशी विकस की घोषण केवल हल्दी दिखाने का मामला है। हमारे समाज का चुनाव में इस्तेामल का तरीका है। आजादी के 65 सालाें के बाद प्रधानमंत्री किसका विकास करना चाहते है? आज तक देश की जो सबसे अधिक आबादी है, वह ओबीसी की है और उसकी आज तक गिनती तक नहीं हुर्इ, ओबीसी का कोर्इ प्रतिनिधित्व भी नहीं कर रहा हैं प्रधानमंत्री इस देश के जो किसान और मजदूर लोग हैं, क्या उनका विकास कर रहा है? क्या इनकी तरफ ध्यान दे रहा है? प्रधानमंत्री ने खाद सबिसडी हटा लिया, जिससे आज किसानाें की हालत खराब है। खाद के मूल्य में वृद्धि हो गया किसान परेशान है। क्या किसाना का समावेशी विकास हो रहा है? नहीं हो रहा है। मैं इस देश के नवजवानों से पूछना चाहता हूँ थ्या सरकार आपके लिए चिंतित है? सरकार आपके विकास का काम कर रही है? इस देश में लाखों-करोड़ो नवजवान बेरोजगार पड़े हुए है। किसी तरीके से अपनी जिन्दगी काट रहे है और किसी तरीके से अपना भरण-पोषण कर रहे है। यह जो परिसिथति बनी हुर्इ है, यह प्रधानमंत्री को भी पता है। प्रधानमंत्री हमारा विकास करने वाला नहीं है।
प्रधानमेंत्री को विश्व बैंक से पेंशन मिलती है। वह वल्र्ड बैंक का दलाल है। वह भारत के मूलनिवासियों का विकास करने वाला नहीं है। हमें इसा भ्रम में नहीं चाहिए कि वह हमारा विकास करेगा। हम लोगों ने भारत की शिक्षा नीति देखी है। आज प्राथमिक स्कूलाें में दोहरी शिक्षा नीति लागू है। एक तरफ ब्राह्राणों के बच्चे कान्वेंट में पढ़ते है, तो दूसरी तरफ हमार बच्चे सरकारी स्कूलाें में पढ़ते है। सरकारी स्कूलों में सब कुछ मिलता है, लेकिन शिक्षा नहीं मिलती। हमारे बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। तो क्या प्रधानमंत्री हमारा समावेशी विकास करना चाहता है।? नहीं करना चाहता है वह हम लोगों का विकास नहीं करना चाहता है। आज हमारे सामने समावेशी विकास का केवल एक ही रास्ता है। वह रास्ता है। और राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन निर्माण करना। इसके अलावा कोर्इ दूसरा रास्ता नहीं हैं। प्रधानमंत्री समावेशी विकास की घोषणा करके आपको गुमराह करना चाहता है। आपको वोट लेकर के वह केवल चुनाव जीतना चाहता है। समावेशी विकास की घोषणा करने के पीछे इसके अलावा कोर्इ मकसद नहीं है।
इस देश का किसान जब अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन और प्रदर्शन करता है तो उसके ऊपर लाठीचार्ज किया जाता है। उसके ऊपर गोलियाँ चलार्इ जाती है। इस देश का नौजवान अपने रोजगार, अपने अधिकार के लिए जब धरना-प्रर्दशन करता है। तो उसके साथ भी यहीं बर्ताव किया जाता है। इस देश में जो मुसलमान लोग हैं, क्या प्रधानमंत्री उनका विकास कर रहा है? सच्चर कमीशन का रिपोर्ट कहता है कि मुसलमानों की सिथति एससी, एसटी से भी बदतर हो गयी है। तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? आजादी के बाद 50 सालों तक कांगेे्रस शासन किया है। सबसे अधिक समय तक शासन कांग्रेस का रहा है। इसके बावजूद भी मुसलमानों का क्या विकास हुआ है? क्या यहीं मायने में प्रधानमंत्री मुसलानों का विकास करना चाहता है? क्या प्रधानमंत्री इस देश में निजी क्षेत्र विकसित करके समावेशी विकास करना चाहता है? क्या प्रधानमंत्री एफडीआर्इ लागू करके समावेशी विकास करना चाहता है? प्रधानमंत्री हमारा विकास नहीं करना चाहता बलिक प्रधानमंत्री हमारा सत्यानाश ही करना चाहता है। प्रधानमंत्री हमारा विकास नहीं करेगा, क्यों नहीुं करेगा? वह जानता है कि उसकी नस्ल अलग है। वह जानता है। इस देश के मूलनिवासियों को यदि अवसर मिला और इनका विकास हुआ तो ब्राह्राणों का जो कब्जा है, वह रहनेवाला नहीं है, यह खतरा ब्राह्राणाें को पता है, इसलिए ब्राह्राण हमारा विकास नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री हमारा क्या विकास करेगा, प्रधानमंत्री स्वयं ही वल्र्ड बैंक और सोनिया गांधी का दलाल है। वह हमारा विकास क्या करेगा? वह हम मूलनिवासियों का विकास नहीं कर सकता, वह केवल हम लोगों को हल्दी दिखाकर पीला करता है और पीला करके वोट लेन चाहता है।
कांग्रेस के लोग प्रचार करते है कि हमने मनरेगा कानून बनाया, हमने इस देश के बेरोजगार लोगों को रोजगार दिया। लेकिन बेरोजगार लोगाें को रोजगार नहीं मिला, बेरोजगार लोग आज भी दर-दर की ठोकरे खा रहे है। किसानोें को उनका अधिकार नहीं दिये, किसान घाटे में गया। मजदूरों को 150 रूपये देना मंहगा पड़ गया। इससे किसान और मजदूर में झगड़ा पैदा हुआ। कांग्रेस ने केवल झगड़ा लगाने का काम किया। झगड़ा लगाने के अलावा कांग्रेस ने दूसरा को काम नहीं किया। कांग्रेेस ने नरेगा और मनरेगा के माध्यम से किसानों और मजदूराें को मारने का काम किया। आज जो षडयंत्र इस देश में चल रहा है, वह मूलनिवासियों का नरसंहार करने का षडयंत्र है।
सेनगुप्ता कमेटी की रिपोर्ट आया उसमें कहा गया कि 83 करोड़ लोगों की आमदनी 6 से 20 रूपये के बीच में है। क्या यहीं समावेशी विकास है? जिस देश में नक्सलवाद चल रहा है, जिस देश में आतंकवाद चल रहा है, जिस देश में इतने बड़े-बड़े अपराध हो रहे है, बहुसंख्यक लोगों के ऊपर अन्याय-अत्याचार हो रहा है। इसकी खबर ना मीडिया ले रहा है ना ही शासन-प्रशासन इसकी खबर ले रहा है। क्या यहीं समावेशी विकास है? यह समावेशी विकास नहीं है।
इस देश में जो ब्राह्राण शासक वर्ग है, उसने षडयंत्र करके भारत पर कब्जा किया है। यह ब्राह्राण शासक वर्ग मूलनिवासियों का नरसंहार करके उनकी संख्या को कम करना चाहता है। हमें गुलाम बनाये रखना चाहता है ताकि वह दीर्घकाल तक भारत का शासक बना रहे और भारत को बेचता रहे। ब्राह्राणों पर जब भी संकट आता है। तो ब्राह्राण अपने विदेशी भार्इयों का सहयोग लेता है। भारत में मुगलाें को ब्राह्राणों ने बुलाया था। आज ब्राह्राणों को लग रहा है कि भारत मुकित मोर्चा का जो आन्दोलन चल रहा है। उससे ब्राह्राणों पर संकट आया है। इसलिए मनमोहन सिंह जो वल्र्ड बैंक का दलाल है, वह अपने विदेशी भार्इयों को ब्राह्राणों के मदद के लिए एफडीआर्इ के माध्यम से भारत में बुला रहा है। एफडीआर्इ के माध्यम से आने वाले विदेशी ब्राह्राण, मूलनिवासियों की गुलामी को कायम रखना चाहते हैं यह एक षडयंत्र है।
अब तो साथियों एक ही रास्ता है राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन। हमें भारत मुकित मोर्चा के राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन को जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलकर ज्यादा से ज्यादा गति से सफल बनाना होगा। तभी हमारे समस्याओं का समाधान हो सकता है। हम आजाद हो सकते हैं। तभी हमारा और हमारे देश का विकास कर सकते हैं।-जय मूलनिवासी
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