देश में तेजी से बढ़ रही है अमीर-गरीब के बीच की खाई
सुबोध वर्मा
नई दिल्ली।। नेता जहां गरीब को 1, 5 और 12 रुपये में भरपेट खाना मिलने की बात कर रहे हैं, वहीं पिछले 12 सालों में अमीर और गरीब के बीच की खाई कितनी बढ़ी है, इसके आकंड़े आपको हैरान कर देंगे। पिछले 12 सालों में अमीर और गरीब के बीच की खाई बेइंतहा बढ़ी है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं आज शहर में अमीर तबके की खर्च करने की क्षमता गरीब के मुकाबले 15 गुना ज्यादा है। यहां गौर करने वाली बात यह पिछले 12 सालों में महंगाई कहां से कहां तक पहुंची है, यह आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।
कंज़ंप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे के नए आंकड़े बताते हैं कि गरीब और अमीर के बीच खाई हर साल चौड़ी हो रही है। 2000 से 2012 के बीच अमीर तबके के खर्च करने की क्षमता 5 से 60 पर्सेंट बढ़ी है, वहीं गरीब की इन 12 सालों में खर्च करने की ताकत 5 से 30 पर्सेंट तक ही बढ़ पाई है। शहरी इलाके में अमीर तबके की खर्च करने की क्षमता 63 पर्सेंट बढ़ी, जबकि गरीबों में 33 पर्सेंट का ही इजाफा हुआ।
देश में अमीर और गरीब के अंतर का हैरान कर देने वाले आंकड़े का दूसरा पहलू भी है। 2000 में अमीर तबके की औसत आय गरीब की तुलना में 12 गुना ज्यादा थी। 2012 में यह 15 गुना ज्यादा हो गई। ग्रामीण इलाके में यह अंतर 7 से 9 गुना तक पहुंच गया है। यह आंकड़े 1999-2000 और 2011-12 के नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के लोगों के मासिक खर्च के हैं।
2012 के आंकडों के मुताबिक ग्रामीण इलाके में गरीब शख्स महीने में 521 रुपये खर्च पा रहा था। इस तरह 4 सदस्यों के परिवार का कुल मासिक खर्च 2,084 रुपये बैठता है। जबकि अमीर तबके के खर्च में जबर्दस्त अंतर है। अमीर तबके में एक आदमी का मासिक खर्च 4,481 रुपये है, जबकि चार सदस्यों के हिसाब से यह 17,925 रुपये बैठता है।
इसी तरह शहरी गरीब महीने में 700 रुपये और इस हिसाब से उसका 4 सदस्यों का परिवार 2,802 रुपये खर्च कर पाता है, तो वहीं अमीर तबके की आय और खर्च का आंकड़ा बताता है कि खाई कितनी चौड़ी है। अमीर तबके का मासिक खर्च 10,282 रुपये और 4 परिवारों के हिसाब से 41,128 बैठता है।
नई दिल्ली।। नेता जहां गरीब को 1, 5 और 12 रुपये में भरपेट खाना मिलने की बात कर रहे हैं, वहीं पिछले 12 सालों में अमीर और गरीब के बीच की खाई कितनी बढ़ी है, इसके आकंड़े आपको हैरान कर देंगे। पिछले 12 सालों में अमीर और गरीब के बीच की खाई बेइंतहा बढ़ी है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं आज शहर में अमीर तबके की खर्च करने की क्षमता गरीब के मुकाबले 15 गुना ज्यादा है। यहां गौर करने वाली बात यह पिछले 12 सालों में महंगाई कहां से कहां तक पहुंची है, यह आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।
कंज़ंप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे के नए आंकड़े बताते हैं कि गरीब और अमीर के बीच खाई हर साल चौड़ी हो रही है। 2000 से 2012 के बीच अमीर तबके के खर्च करने की क्षमता 5 से 60 पर्सेंट बढ़ी है, वहीं गरीब की इन 12 सालों में खर्च करने की ताकत 5 से 30 पर्सेंट तक ही बढ़ पाई है। शहरी इलाके में अमीर तबके की खर्च करने की क्षमता 63 पर्सेंट बढ़ी, जबकि गरीबों में 33 पर्सेंट का ही इजाफा हुआ।
देश में अमीर और गरीब के अंतर का हैरान कर देने वाले आंकड़े का दूसरा पहलू भी है। 2000 में अमीर तबके की औसत आय गरीब की तुलना में 12 गुना ज्यादा थी। 2012 में यह 15 गुना ज्यादा हो गई। ग्रामीण इलाके में यह अंतर 7 से 9 गुना तक पहुंच गया है। यह आंकड़े 1999-2000 और 2011-12 के नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के लोगों के मासिक खर्च के हैं।
2012 के आंकडों के मुताबिक ग्रामीण इलाके में गरीब शख्स महीने में 521 रुपये खर्च पा रहा था। इस तरह 4 सदस्यों के परिवार का कुल मासिक खर्च 2,084 रुपये बैठता है। जबकि अमीर तबके के खर्च में जबर्दस्त अंतर है। अमीर तबके में एक आदमी का मासिक खर्च 4,481 रुपये है, जबकि चार सदस्यों के हिसाब से यह 17,925 रुपये बैठता है।
इसी तरह शहरी गरीब महीने में 700 रुपये और इस हिसाब से उसका 4 सदस्यों का परिवार 2,802 रुपये खर्च कर पाता है, तो वहीं अमीर तबके की आय और खर्च का आंकड़ा बताता है कि खाई कितनी चौड़ी है। अमीर तबके का मासिक खर्च 10,282 रुपये और 4 परिवारों के हिसाब से 41,128 बैठता है।
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