शासक वर्ग की गलत नीतियों से लोग भूखों मरने पर मजबूर!
देश की सरकार हर साल बारह-तेरह रूपये प्रति किलो के भाव से गेहूँ खरीद कर भंडारण के अभाव में सड़ा देती है। फिर वहीं गेहूँ शराब कंपनियों को पांच-छह रूपये प्रति किलोग्राम और कर्इ बार तो इससे भी कम दाम में बेच देती है। यह अजीब विडंबना है कि जिस अनाज से भूखों का पेट भरा जाना चाहिए था, उससे शराब कंपनियां मालामाल होती है। सरकार अन्न का भंडारण और गरीबों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना तो चला रही है। लेकिन यह सब भी सरकार की अन्न योजनाओं की तरह ही कुप्रबंधन की शिकार है। कपड़े और घर के अभाव में तो आदमी कुछ सालाें तक जिंद रह सकता है। लेकिन पेट की भूख शांत न होने पर वह बहुत दिनों तक जिंदा नहीं रह सकता है। देश में अन्न उत्पादन सरप्लस हो गया है, लेकिन भुखमरी के शिकार लोगाें के लिए सरकारी स्तर पर कोर्इ ऐसी योजना नहीं है जो कारगर हो। हमारे देश में अन्न भंडारण एक हद तक मानसून पर निर्भर है। यह मानसून एक साथ तबाही और हरियाली दोनों लाता है। अन्न भंडारण भी भ्रष्टाचार की शिकार है। सरकारी स्तर पर खरीदे गए गेहूँ को गरीबाें को देने के बजाय सड़ाना अधिक फायदेमंद समझा जाता है, क्याेंकि सड़ने पर गेहूँ में हुए भ्रष्टाचार को पकड़ा नहीं जा सकता है। और शराब कंपनियाें को गेहूँ बेचने में कमीशनखोरी भी होती है। हर साल देश में गेहूँ सड़ने से करीब 450 करोड़ रूपये का नुकसान होता है। यह तो बीते सालों के आकड़े कहते हैं, जबकि इस साल तो अनाज सड़ने के इतने बड़े आकड़े सामने आए है कि दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर करते है। हाल ही में इतना अनाज सड़ चुका है कि उससे साल भी करोड़ो भूखों का पेट भर सकता था। बीते 10 साल में 10 लाख टन अनाज बेकार हो गया है। जबकि इस अनाज से छह लाख लोगों को दस साल तक भोजन मिल सकता था। दुनिया भर में 80 करोड़ लोग ऐसे जिन्हें दो जून की रोटी नसीब नहीं होती जिनमें 40 करोड़ लोग भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के है। विश्वभर में रोजना 24 हजार लोग भूख से मरते है। इस संख्या का एक तिहार्इ हिस्सा भारत में मरते है। और भूखों मरने वालें में सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की होती है। आज भारत की हालात इतनी खराब होती जा रही है जिसका मूलकारण इस देश का शासक वर्ग है जो गलत नीतियों का इस्तेमाल करके इस देश में जो मूलनिवासी लोग है उनको भूखों मरने के लिए मजबूर कर रहा है। इसलिए भारत मुकित मोर्चा ने शासक वर्ग की नीतियों से लड़ने के लिए मूलनिवासियों में जागृति लाने का काम कर रहा है। अत: सभी मूलनिवासियों से विनम्र निवेदन है कि अभी समय है भारत मुकित मोर्चा में शामिल होकर शासक वर्ग की गलत नीतियों के विरोध में चल रहे आन्दोलन में सहभागी बने।
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