बाबरी मस्जिद विध्वंस की आपराधिक साजिश में लिप्त थे मुलायम
BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ
: मुलायम सिंह का यह कहना कि उन्हें मालूम था कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस
कारसेवकों द्वारा 6 दिसंबर 1992 को किया जायेगा और उनके द्वारा तत्कालीन
राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से मुलाकात करके बाबरी मस्जिद के विध्वंस को
रोकने का अनुरोध भी किया था, लेकिन इसकी जगह पर उन्हे केवल चुप रहने की
सलाह दी गयी थी, यह साबित करता है कि मुलायम सिंह बाबरी मस्जिद के मुद्दे
को उठाकर उनसे दूर जा चुके मुसलमानों को फिर से भावनात्मक रूप से अपने साथ
जोड़ने की असफल कोशिश कर रहे हैं.
मुलायम
के इस बयान ने साफ कर दिया है कि वो बाबरी मस्जिद विध्वंस की आपराधिक
साजिश में लिप्त थे तो ऐसे में मुसलमानों से जुड़ी इस ऐतिहासिक धार्मिक
धरोहर के खिलाफ हुयी साजिश को छुपाने के लिए उन पर षडयंत्र का आपराधिक
मुक़दमा चले.
उपरोक्त
बातें रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने मौलाना खालिद की हत्या में
फंसे पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करेन के लिए विधानसभा पर चल रहे
अनिश्चितकालीन धरने के 77 वें दिन धरने में उपस्थित लोगों को संबोधित करते
हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि आज सपा
सरकार अपने ही बुने हुए जाल में फंस रही है. उन्होंने सवाल किया कि आज
मुसलमानों के ज्वलंत समस्याओं पर बात करने से मुलायम सिंह क्यों भाग रहे
हैं. खालिद को इंसाफ देने से वे पीछे क्यों हट रहे हैं?
रिहाई
मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि रिहाई मंच दलित चितंक कंवल भारती
की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है. फेसबुक पर कमेंट करने की वजह से जिस
तरह से उन्हें गिरफ्तार किया गया, वह यह साबित करता है कि सपा सरकार
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने पर उतारू है. ऐसी सरकार एक
लोकतांत्रिक सरकार नहीं हो सकती.
यह
कितना शर्मनाक है कि सरकार अब आलोचना बिल्कुल भी सुनना नहीं चाहती, ठीक
इसी तरह उसने विधानसभा के सामने आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई
की मांग को लेकर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चित धरने का टेंट 59 वें दिन
उखाड़ फेंकवाया था. पर अवाम की ताक़त पर आज 77 वें दिन भी रिहाई मंच का
संघर्ष जारी है.
दरअसल सपा सरकार
मनुवादी विकृत मानसिकता की वाहक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी
लखनऊ में सड़कों को रघुराज प्रताप सिंह जैसे सामंती गुंडों ने सपाई रंग में
रंग कर मुस्लिम समाज को आतंकित किए हुए हैं और दूसरी तरफ कंवल भारती जैसे
दलित चिंतकों पर मुक़दमें दर्ज किए जा रहे हैं. रिहाई मंच मांग करता है कि
कंवल भारती के ऊपर दर्ज मुक़दमें को वापस लेते हुए उनके फर्जी तरीके से
आरोपित करने वालों पर कार्यवाई करते हुए दलित चितंक से मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव माफी मांगे.
धरने को संबोधित करते
हुए सामाजिक कार्यकर्ता हरे राम मिश्र और भारतीय एकता पार्टी (एम) सैय्यद
मोईद ने कहा कि इस प्रदेश की जेलों में आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह
लोगों को किस तरह से प्रताडि़त किया जाता है इसका एक नमूना डा. इरफान का वह
खत है जिसे उन्होंने नैनी सेन्ट्रेल जेल की अंडा सेल से लिखा है. डा0
इरफान और उनके साथियों को पिछली मुलायम की सपा सरकार में फर्जी आरोप लगाकर
गिरफ्तार किया गया था.
उन्होंने लिखा
है कि अवैध हिरासत के दौरान एसटीएफ के लोग उनके साथ दुष्कर्म करते थे.
त्यागी नाम का एक सिपाही था जो उनके मुंह पर थूकता था. गला दबाकर जीभ निकाल
लेता था और उस पर बोतल में भरी पेशाब गिराता था. नंगा करके लिंग पर जलती
हुई मोमबत्ती का की मोम गिराता था. असहनीय यातनाएं दी जाती थी.
उन्होंने
कहा कि पुलिस द्वारा यह कृत्य गैर संवैधानिक और अक्षम्य अपराध की श्रेणी
में आता है. यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है कि पुलिस आज न्यायालय की भूमिका
में आ गयी है और इससे लोकतंत्र के सामने एक गंभीर संकट पैदा हो गया है.
नेताओं
ने कहा कि 15 अगस्त को रिहाई मंच इन सवालों को लेकर एक बड़ी जनसुनवाई कर
रहा है, ऐसे में प्रदेश में आतंकवाद के नाम पर पीडि़त और दंगा पीडि़त लोग
इस कार्यक्रम में ज़रुर शिरकत करें.
धरने
को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के नेता मोहम्मद फहीम सिद्दीकी ने
कहा कि मैलाना खालिद के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पिछले 77
दिनों से चल रहा यह धरना अपना एक गहरा सियासी वजूद रखता है.
उन्होंने
कहा कि जम्हूरियत में जुल्म करने वालों के दिन लंबे नहीं होते. अखिलेश के
दिन भी पूरी तरह से लद चुके हैं. चाहे इंदिरा गांधी की हुकूमत रही हो या
फिर कोई और जनता सबको सबक सिखा देती है. उन्होंने रोजेदारों से अपील की कि
वे ईद के दिन बांह पर काली पट्टी बांध कर नमाज़ पढ़ने जाये और नमाज़ के बाद
विधानसभा धरना स्थल, लखनऊ पर आकर इंसानियत और न्याय तथा जम्हूरियत को
बचाने के लिए लड़ रहे लोगों की हौसला आफजाई करें.
धरने
को संबोधित करते हुए उन्नाव से आए सामाजिक कार्यकर्ता आलोक अग्निहोत्री ने
कहा कि रिहाई मंच का यह धरना उनकी 1992 की याददास्त को वापस ले आया है.
मुलायम ने जो साक्षात्कार दिया है उससे यह प्रश्न उठता है कि उस वक्त इस
बात को लेकर वे जनता के बीच क्यों नहीं गये? इस घटना के बाद मुसलमान उन्हें
भी बाबरी मस्जिद के विध्वंस का गुनाहगार मानता है और अब वह भ्रम में आने
वाला नहीं है.
उन्होंने कहा कि दुर्गा
नागपाल के मामले में राम गोपाल यादव के बयान पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हैं.
उन्होंने कहा कि जब एलआईयू की रिपोर्ट में यह बात साफ हो चुकी है कि
मस्जिद की दीवार गिराने के वक्त नागपाल मौजूद ही नहीं थी तो फिर वह दीवार
गिराने में दोषी कैसे हो गयीं? राम गोपाल का यह कहना कि केन्द्र अपने सारे
आईएएस अधिकारी वापस बुला ले हम प्रदेश के अधिकारियों के बूते ही प्रदेश चला
लेगें यह साबित करता है कि सपा सरकार इस प्रदेश में भ्रष्टाचार और निरंकुश
नौकरशाही को बेलगाम करना चाहती है.
मुस्लिम
मजलिस के नेता जैद अहमद फारूकी ने धरने का संबोधित करते हुए कहा कि
स्वास्थ्य विभाग में लगभग 40 हजार लोगों को नौकरी दी गई, जिसमें केवल 500
मुसलमानों की भर्ती की गई जो डेढ़ फीसदी से भी कम है. विकलांग विभाग में
200 विकलांगों को नौकरी दी गई जिसमें केवल 3 मुस्लिम हैं. कृषि विभाग में
भी यही हाल है. प्रदेश सरकार मुसलमानों से ताल्लुक रखने वाले पदों को पिछले
डेढ़ साल से जानबूझकर खाली रखे हुए है. इस बात से साबित हो जाता है कि
सरकार कितनी मुस्लिम हितैषी है.
पिछड़ा
समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक और शिव नारायण कुशवाहा ने कहा कि यह बात
एकदम तय है कि अखिलेश यादव जिस दिन विधानसभा का सत्र बुलाएंगे उसी दिन
जबरजस्त हंगामा होगा. प्रदेश की असहाय कानून व्यवस्था, मौलाना खालिद
मुजाहिद की मौत, प्रदेश में लगातार हो रहे सांप्रदायिक दंगे और फसाद इस
सरकार को चैन से नहीं रहने देंगे. सपा सरकार बेहद डरी हुई है और इसीलिए वह
विधानसभा सत्र बुलाने में हीलाहवाली कर रही है. लेकिन हमने ठान लिया है कि
हम खालिद के खून का इंसाफ इस सरकार से लेकर रहेंगे.
रिहाई
मंच के अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में डाक्टर अम्बेडकर स्टूडेंट फ्रंट
ऑफ इंडिया भी उतर आयी है. फ्रंट के प्रतिनिधियों ने रिहाई मंच के अध्यक्ष
मोहम्मद शुऐब से मिलकर समर्थन का पत्र सौंपते हुए कहा कि फ्रंट इस न्याय की
लड़ाई में रिहाई मंच के जज्बे और हौसले को सलाम करता है तथा उनकी उपस्थिति
भी इस धरने में लगातार बनी रहेगी. अंबेडकर स्टूडेन्ट फ्रंट के सुरजीत
प्रताप और छबिलाल ने कहा कि इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं.
धरने
का संचालन हरेराम मिश्र ने किया. धरने को अंबेडकर स्टूडेन्ट फ्रंट के
सुरजीत प्रताप, छबिलाल, इलाबाद से आए मुन्ना मजदूर, बब्लू यादव, मौलाना कमर
सीतापुरी, आज़मगढ़ के नईम अख्तर आज़मी, डा0 जमील अहमद अंसारी, इंडियन
नेशनल लीग के उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, जैद अहमद फारुकी, मोहम्मद
शुऐब, आलोक अग्निहोत्री तथा राजीव यादव ने संबोधित किया.
http://beyondheadlines.in/2013/08/indefinite-dharna-to-bring-khalid-mujahid-killers-to-justice-completes-77-days/
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें