बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

चीनी रखैलें और भ्रष्टाचार

चीनी रखैलें और भ्रष्टाचार

चीनी रखैलें और भ्रष्टाचार

चीन में बहुत से अमीर लोग रखैल रखने की प्राचीन चीनी परम्परा की ओर वापिस लौट रहे हैं। चीन में रखैल रखना हमेशा से ही सामाजिक स्तर पर सफलता का प्रतीक माना जाता रहा है। आज चीन में बहुत से सरकारी अधिकारियों, राजनीतिज्ञों और चीनी व्यावसायिकों ने रखैले रखी हुई हैं। पिछले दिनों में चीनी अदालतों में आने वाले मुक़दमे इस बात का सबूत हैं।

चीन की सामाजिक विज्ञान अकादमी के एक विद्वान ली इनिखे का कहना है कि उच्चस्तरीय सामाजिक प्रतिष्ठा रखने वाले ज़्यादातर चीनी पुरुषों ने रखैलें और प्रेमिकाएँ रखी हुई हैं और आज यह जीवन का एक सामान्य नियम बन चुका है। ली इनिखे ने कहा -- मुझे लगता है कि बहुत से चीनी पुरुषों को यह लगता है कि वे राजा हैं। और राजा होने का मतलब है कि उनके पास बहुत-सी रखैलें होनी चाहिए। अपनी इन रखैलों पर वे गर्व करते हैं। इन औरतों को वे अपनी सफलता का सबूत समझते हैं।

समाजशास्त्रियों का कहना है कि आज चीन में रखैल रखना एक फ़ैशन हो गया है और यह फ़ैशन हर पुरुष के लिए ज़रूरी हो गया है। निश्चय ही सैक्स सम्बन्धी स्कैण्डल हर देश में होते हैं। लेकिन चीन की ख़ासियत यह है कि सरकारी अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के लिए अपनी प्रेमिकाओं की देखभाल करने के लिए सरकारी पैसे का दुरुपयोग करना बेहद आसान है। इसलिए रखैलें और प्रेमिकाएँ चीन में भ्रष्टाचार का एक प्रतीक भी बन गई हैं।

लन्दन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'अयेओन' में हाल ही में छपी एक अकादमिक रिपोर्ट में 'चीन में रखैलों' के विषय में व्यापक अध्ययन किया गया है और यह बताया गया है कि पिछले साल भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाए गए और दण्डित किए गए 95 प्रतिशत राजनीतिज्ञों और अधिकारियों ने रखैलें रखी हुई थीं। किसी-किसी आदमी के पास तो दस-दस रखैलें भी थीं। गुआनदून सूबे में भूमि और प्राकृतिक संसाधन विभाग के एक अधिकारी के पास तो 47 रखैलें थीं। इस साल के शुरू में चीन में पूर्व रेलवे मन्त्री ल्यू जी ज्यून पर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा चलाया गया था। जैसाकि बताया जाता है, उनकी 18 रखैलें थीं। चीन की राजकीय विकास और सुधार समिति के पूर्व उपप्रमुख ल्यू तेनान को इसी साल मई में तब पद से हटा दिया गया, जब उनकी एक पूर्व प्रेमिका ने पत्रकारों को यह बता दिया कि वह कैसे-कसे वित्तीय घोटाले किया करते थे।

चीन के राजकीय अभिलेखागार प्रशासन के उपनिदेशक फ़ान यूए को तब पकड़ा गया, जब उनकी 26 वर्षीया पूर्व प्रेमिका जी इन्नान को यह पता लगा कि उनसे प्रेम की पींगें बढ़ाने वाला आदमी पहले से ही शादी-शुदा है और उसके एक बेटा भी है। लेकिन इस तथ्य का चीनी समाज पर कोई असर नहीं पड़ा। असर तो उस दूसरे तथ्य का पड़ा जो फ़ान यूए की प्रेमिका ने बताया था। जी इन्नान के अनुसार फ़ान यूए उन्हें रखैल बनाए रखने के लिए एक हज़ार डॉलर प्रतिदिन दिया करता था। चीन में तब जनता के बीच यह सवाल उठा कि फ़ान यूए अपनी कम तनख्वाह के बावजूद इतनी बड़ी रक़म हर महीने कहाँ से लाता था?

चीन में रखैलें रखने का रिवाज़ इतना आम हो गया है कि अब इन रखैलों को भी कई वर्गों में बाँट दिया गया है। इन में से मुख्य तौर पर दो तरह की रखैलें पाई जाती हैं। इन्हें ' एरनाय' और 'स्योसान' कहकर पुकारा जाता है। 'एरनाय' उस रखैल को कहते हैं, जो ग्रामीण इलाकों से शहर में आती हैं और मसाज-सैलूनों व इसी तरह के दूसरे सैलूनों में अपनी जीवन-यात्रा शुरू करती हैं, जहाँ पर सैक्स-सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। ये स्त्रियाँ बेहद व्यावहारिक होती हैं, इसलिए ये हमेशा किसी ऐसे पुरुष की तलाश में रहती हैं जो इन्हें रखैल बना ले और उनका खर्च उठाने के लिए तैयार हो जाए।

आम तौर पर इन रखैलों को रहने के लिए फ़्लैट और जीवन-खर्च के लिए स्थाई तौर पर कोई निश्चित धनराशि दी जाती है। पेइचिंग में ऐसी स्त्रियों को हर महीने 20 हज़ार युआन देने पड़ते हैं तथा चीन के दूसरे नगरों और क़स्बों में 5 से 10 हज़ार युआन देने पड़ते हैं। इसके अलावा ये जिस आदमी की रखैल बनती हैं, वह उन्हें समय-समय पर उपहार देता रहता है या कभी-कभी उनके गाँव में उन्हें मकान ख़रीद देता है। दिल खोल कर दी जाने वाली इस सहायता से 'एरनाय' जल्दी ही काफ़ी पैसा इकट्ठा कर लेती हैं और बाद में उस व्यक्ति से रिश्ता तोड़ कर अपना कोई व्यवसाय या धन्धा शुरू कर लेती हैं। 'एरनाय' अपनी जगह अच्छी तरह से समझती है और कभी भी यह कोशिश नहीं करती कि उसका प्रेमी अपना परिवार छोड़कर हमेशा के लिए उसका बन जाए।

और 'स्योसान' परम्परागत रूप से पश्चिमी प्रेमिका की तरह होती है, जिसका उद्देश्य जल्दी से जल्दी चुने गए प्रेमी से विवाह करना होता है। चीन की ज़्यादातर 'स्योसान' कोई न कोई स्थाई नौकरी करती हैं और उनका रहन-सहन भी उच्चस्तरीय होता है। 'एरनाय' के मुकाबले वे कहीं अधिक पढ़ी-लिखी होती हैं। आम तौर पर ये लड़कियाँ शहर में ही पली-बढ़ी होती हैं और भावना में बहकर ही प्रेम करती हैं, इसलिए वे अपने प्रेमी से धन की इच्छा नहीं करतीं। ऐसी ही एक स्त्री ने 'अयेओन' पत्रिका के सम्पादक से कहा -- पैसा तो मेरे पास भी बहुत है। मेरा परिवार

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