गुरुवार, 7 जून 2012

मौत को भी मात देने वाले हॉकिंग

 रविवार, 8 जनवरी, 2012 को 16:32 IST तक के समाचार

एक व्यक्ति जिसकी स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए कहा जाता था कि वो शायद ही अधेड़ उम्र तक पहुँच पाए...वो शख़्स न सिर्फ़ आज अपना 70वां जन्मदिन मना रहा है बल्कि अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों और दृढ़ शक्ति के बूते पर आज पूरी दुनिया उन्हें सलाम करती है.
इस हस्ती का नाम है प्रोफ़ेसर स्टीफ़न हॉकिंग जो दुनिया के सबसे मशहूर वैज्ञानिकों में से एक हैं. उनका जन्म इंग्लैंड में आठ जनवरी 1942 को हुआ था.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ केम्ब्रिज में गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के प्रेफ़ेसर रहे स्टीफ़न हॉकिंग की गिनती आईंस्टीन के बाद सबसे बढ़िया भौतकशास्त्रियों में होती है.
प्रोफ़ेसर स्टीफ़न हॉकिंग को चिकित्सा की दृष्टि से पहेली माना जाता है. जब वे कोई 20-22 साल के थे तो पता चला कि स्टीफ़न हॉकिंग को मोटर न्यूरॉन (एमएनडी) नाम की बीमारी है और वे कुछ महीने ही ज़िंदा रह पाएँगे. इसमें शरीर की नसों पर लगातार हमला होता है.
इसी बीमारी का एक रूप होता है एएलएस जिससे प्रोफ़ेसर हॉकिंग भी ग्रसित हैं. इस बीमारी का पता चलने के बाद केवल पाँच फ़ीसदी ही लोग ऐसे होते हैं जो एक दशक से ज़्यादा ज़िंदा रह पाते है.
डॉक्टरों को पता नहीं है कि आख़िर ये बीमारी क्यों होती है. लेकिन प्रोफ़ेसर हॉकिंग ने सबको ग़लत साबित किया. उन्होंने बाद में कई प्रतिष्ठित किताबें लिखी और ब्रह्मांड पर काफ़ी गहन शोध किया.
हार न मानी
ये सब प्रोफ़ेसर हॉकिंग के लिए इतना आसान नहीं था. बीमारी के शुरुआती दिनों में तो वे ख़ुद खाना खा सकते थे, बिस्तर से भी स्वयं उठ-बैठ सकते थे.
लेकिन समय के साथ उनकी हालत बिगड़ने लगी और ये स्पष्ट हो गया कि उन्हें व्हीलचेयर में ही जीवन बिताना पड़ेगा. निमोनिया के बाद उनके फ़ेफ़डे भी कमज़ोर हो गए.
उनकी विंडपाइप में गर्दन के ज़रिए ट्यूब डाली गई ताकि उन्हें साँस लेने में दिक्कत न हो. ये उपचार सफल रहा लेकिन इस वजह से उनकी आवाज़ हमेशा के लिए ग़ुम हो गई.
उन्हें अपनी बात कहने में बड़ी दिक्कत होने लगी. कैलिफ़ॉर्निया के एक कम्प्यूटर विशेषज्ञ को जब स्टीफ़न हॉकिंग की स्थिति के बारे में पता चला तो उन्होंने एक विशेष कम्प्यूटर प्रोग्राम भेजा.
इस कम्प्यूटर प्रोग्राम की मदद से प्रोफ़ेसर हॉकिंग स्क्रीन पर मेनू से शब्द चुनते. इसे वे हाथ में रखे स्विच से नियंत्रित करते थे.
इसके अलावा एक स्पीच सिंथेसाइज़र भी जोड़ा गया.....इससे निकलने वाली ध्वनि स्टीफ़न हॉकिंग की आवाज़ बन गई.
इस बीच 26 साल से उनकी पत्नी जेन से भी प्रोफ़सर स्टीफ़न का तलाक हो गया.लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद उनकी अकादमिक उपलब्धियाँ कम नहीं रहीं. ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में उन्होंने अहम योगदान दिया है. उनके पास 12 मानद डिग्रियाँ हैं और अमरीका का सबसे उच्च नागरिक सम्मान उन्हें दिया गया है.
लेकिन तीन बच्चों के दादा स्टीफ़न हॉकिंग आज भी नई चुनौतियों की तलाश में रहते हैं.

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