Bhrat Ma kuch nahi chorna chat hi manuvadi
खनन माफियाओं के जरिए रेत और बजरी की लूट
Saturday, 23 June 2012 21:21
फरीदाबाद:
नदियों अपने साथ जिस रेत को बहाकर लाती हैं उसे रेत माफियाओं के लालच ने
खूनी रेत बना दिया है. किसी दूर गांव की बात नहीं देश की राजधानी दिल्ली से
कुछ किलोमीटर दूर और एनसीआर का हिस्सा है फरीदाबाद. यहां रेत माफ़िया खुला
खेल खेलते हैं. पिछले दो हफ्ते में रेत माफ़िया दो लोगों को कुचल कर मार
चुका है जिसमें एक पुलिसवाला शामिल है.
फ़रीदाबाद
में 10 जून को रेत माफ़िया ने ट्रक से कुचलकर एक सिपाही की हत्या कर दी.
फ़रीदाबाद के पल्ला चौक पर सिपाही ने डंपर को रोकने की कोशिश की जिसके बाद
अवैध रेत से भरे डंपर के ड्राइवर ने सिपाही को कुचलकर मार डाला. जिस सिपाही
की हत्या हुई उसका नाम महावीर कुमार है. हादसे के समय सिपाही ड्यूटी पर
तैनात था.
डंपर के मालिक राजपाल चौहान है ने आदेश दे रखा था कि जो भी डंपर के सामने आए उसे कुचल दिया जाए.
फ़रीदाबाद में रेत माफिया का हौसला इतना बुलंद है कि कुछ दिन पहले एक छात्र भी उनकी बलि चढ़ गया.
वल्लभगढ़
इलाके के उस छात्र का कसूर सिर्फ था कि वो उस गली में चला आया था जिसमे
चोरी से रेत भरकर ला रहा ट्रैक्टर बेलगाम दौड़ रहा था. मृतक का नाम राकेश था
जो नौवीं क्लास में पढ़ता था. राकेश के घरवालों का आरोप है की सामने से आ
रहे ट्रैक्टर वाले ने जानबूझ कर ट्रक राकेश पर चढ़ा दिया.
फ़रीदाबाद
पुलिस का कहना है कि पिछले कुछ दिनों इन्होंने खनन माफियाओं के खिलाफ
ज़बरदस्त अभियान चला रखा है जिसके चलते आरोपी पुलिस से बचने के लिए शहर की
तंग गलियों से निकल कर रेत की सप्लाई करने जा रहे थे.
दिल्ली
से सटे फ़रीदाबाद में रेत माफ़िया का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. इस
पूरे इलाके में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है. पुलिस की लाख कोशिश के
बावजूद यहां पर रेत मारिया पर काबू नहीं पाया जा सका है.
हरिद्वार: माफिया के सामने नतमस्तक अफसर
उत्तराखंड में गंगा नदी भी अवैध खनन और खनन से हो रही लूट का शिकार हो रही
है. हरिद्वार में तमाम दावों के बाद भी अवैध खनन का खेल जारी है. बड़ी
कार्रवाई और उसके बाद छोटे मोटे जुर्मानों से खनन माफ़िया के इरादों पर कोई
फर्क नहीं पड़ रहा.हरिद्वार में माफिया के सामने अफसर बेबस
जरा कानूनी खनन की मिसाल देखिए, ट्रक और ट्रैक्टर पूरी तरह भरे है. ट्रक
में लोड सामग्री के लिए रॉयल्टी तो ली जा रही है लेकिन बस अंदाजे से
क्योंकि निगम के घाटों पर कहीं भी खनन सामग्री को तोलने के लिए कांटे नहीं
है.
ये गोरखधंधा कितने बड़े पैमाने पर चल रहा है इसका अंदाजा हुआ हरिद्वार के
नये आये जिलाधिकारी सचिन कुर्वे के छापों के बाद. खनन और अवैध स्टोन
क्रेशरों पर मारे छापे में 22 क्रेशर और दर्जनों वाहन जब्त किए गए.
दिक्कत ये है कि किसी कार्रवाई के बाद भी खनन माफ़िया के हौसलों पर कोई
फर्क नहीं पड़ता क्योंकि छोटे से जुर्माने के बाद गाड़ियाँ भी छूट जाती हैं
और अवैध खनन करने वाले ठेकेदार भी.
जम्मू में भी प्रशासन की रोक के बावजूद नदी-नालों से रेत और बजरी के अवैध
खनन का काम जारी है. रेत माफ़िया खुले और धड़ल्ले से इसे अंजाम दे रहा है.
राजस्थान में खनन माफ़िया ने ली चार की जान
देश के दूसरे राज्यों की तरह राजस्थान में भी रेत का अवैध
खनन धड़ल्ले से चल रहा है. राजस्थान में दौसा, टोंक और धौलपुर कुछ ऐसे जिले
है जहां पर बजरी माफ़िया प्रशासन की नाक के नीचे अवैध रूप से काम कर रहे
है लेकिन प्रशासन उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा.पिछले दिनों दौसा में रेत माफिया ने तीन लोगों की हत्या की जबकि धौलपुर में पुलिसवाले को मार डाला.
टोंक में बनास नदी में अवैध रूप से बजरी का खनन चल रहा है. बड़ी-बड़ी मशीनों से हो रहे अवैध खनन से कानून की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 3 मीटर तक खनन की इजाज़त दे रखी है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. इस अवैध खनन को लेकर बनास नदी में खूनी संघर्ष तक हो चुका है.
टोंक को पानी देने वाले 90 कुओं पर भी बजरी के खनन की वजह से असर पड़ा है. हालत ये हो गई है कि अब लोगों टोंक की जगह बीसलपुर बांध के पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है. बजरी खनन के खिलाफ स्थानीय लोगों के एकजुट होने के बाद अब जाकर राजस्थान सरकार कि नींद खुली है और जांच के आदेश दिए गए हैं.
टोंक की तरह दौसा के बांदीकुई में भी अवैध रूप से बजरी का खनन हो रहा है. बांदीकुई की सावा नदी में रोज बजरी का लाखों रुपयों का अवैध कारोबार चलता है जिसका प्रशासन को पता होते हुए भी कार्रवाई नहीं होती.
हाल ही में यहां बजरी निकलते समय तीन मज़दूरों की मौत तक हो चुकी है.
राजस्थान में खनन माफ़िया का आतंक इस कदर है कि चंबल इलाके के धौलपुर में एक कांस्टेबल की ट्रक से कुचल कर हत्या कर दी गई. उसका कसूर सिर्फ इतना था की उसने बजरी के ट्रकों को रोकने की कोशिश की थी. ये घटना 29 मई की है.
ऊपरी तौर पर तो पुलिस प्रशासन ने बजरी माफियाओं पर लगाम लगा रखी है लेकिन अभी भी मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई ऐसे बीहड़ है जहां से बजरी माफ़िया अपना काम कर रहा है.
यूपी में खनन माफिया के सामने नतमस्तक अफसर
उत्तर प्रदेश में भी खनन माफ़िया के हौसले बढे हुए है. यहां खुले आम नदियों में जेसीबी मशीनों के जरिए खनन का अवैध कारोबार चल रहा है. रामपुर के पास कोसी नदी में चल रहे खनन के गोरखधंधे को एबीपी न्यूज़ के कैमरों ने कैद किया.
एबीपी न्यूज़ ने जब दौरा किया तो कोसी नदी में सिर्फ सौ मीटर के अंदर करीब बीस ट्रक ख़डे नजर आए. उत्तर प्रदेश में चल रहे अवैध खनन के काले धंधे का ये सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है जो एबीपी न्यूज़ के कैमरे में कैद हुआ है.
वीडियो: अखिलेश राज में खनन माफिया हुआ बेलगाम
अवैध खनन के इस धंधे में सैकड़ों लोग दिन रात काम कर रहे है और हर रोज़ लाखों करोडो रूपये का बालू , बजर्फुट और पथरी नदी से निकाली जा रही है.
सिर्फ रामपुर और मुरादाबाद की ही बात करें तो कोसी नदी से सैकड़ों ट्रक रोज मिट्टी और बजरी ले जाते हैं. ट्रक, डम्पर और ट्रैक्टर सब नदी से अवैध खनन करने में लगे हुए हैं और ये कारोबार दिन के चौबीसों घंटे चलता है.
खनन माफ़िया कितना बेखौफ है इसे बताते हैं सैंकड़ों ट्रक, जेसीबी मशीनें और स्टोन क्रशर. अकेले रामपुर जिले में कोसी नदी के आस पास लगभग दस स्टोन क्रेशर बने हुए है.
नदी में हो रहे अवैध खदान से नदी के किनारे वाले किसानों में नाराज़गी है क्योंकि नदी कि गहराई बढ़ जाने से उनकी फसल वाली ज़मीन नदी के कटाव में बह जाती है.
उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अवैध खनन पर सख्ती के साथ पाबन्दी लगाने का एलान किया था लेकिन ये सख्ती सिर्फ कुछ ही दिन नजर आई. अब पूरे उत्तर प्रदेश में खनन माफ़िया सक्रिय हो गए है और धड़ल्ले से नदियों में अवैध खनन हो रहा है.
मुरादाबाद और रामपुर का इलाका उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का बार्डर है जिस कि वजह से यहाँ खनन माफिया ज्यादा सक्रिय रहते है. इस मामले में जब हमने अधिकारियों से बात करनी चाही तो वब बहाने गिनाने लगे.
जिस अवैध खनन को गांव के किसान देख सकते हैं, हमारा कैमरा देख सकता है वो अवैध खनन अधिकारियों को दिखाई भी नहीं देता. आरोप लगाए जाते हैं कि खनन के इस अवैध धंधे को बड़े-बड़े बाहुबलियों का संरक्षण प्राप्त है इसलिए सरकारी तंत्र पूरी तरह से खनन माफ़िया के आगे नतमस्तक हो चुका है और खुले आम कानून कि धज्जियाँ उड़ाई जा रही है.
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