मंगलवार, 12 जून 2012

आधुनिक भारत के चाणक्य लौह पुरुष सरदार पटेल



डॉ विवेक आर्य
आज लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 136 वीँ जयन्ती है.इस अवसर पर भारत को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कछ से लेकर कोहिमा तक भारतवर्ष को ५२९ छोटी बड़ी देसी रियासतों से एक महान राष्ट्र का स्वरुप देने वाले भारत माँ के सच्चे सपूत सरदार पटेल की १३६ वीं जयंती पर हम उनका नमन करते हैं. अगर सरदार पटेल को लोह पुरुष के साथ साथ आधुनिक भारत का चाणक्य कहाँ जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. जिस प्रकार महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने एक समय भारत देश पर हुए सिकंदर रुपी विदेशी आक्रमण को न केवल रोका अपितु अनेक खण्डों में बटें देश को चन्द्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में एकछत्र राज्य में परिवर्तित कर दिया था उसी प्रकार सरदार पटेल ने भारत देश से न केवल अँगरेज़ रुपी विदेशी आक्रमणकारियों को भगाया बल्कि उसे एक सूत्र में पिरो कर विश्व के एक मजबूत राष्ट्र में परिवर्तित किया. जिस प्रकार आचार्य चाणक्य की अर्थ शुचिता प्रसिद्द थी उसी प्रकार सरदार पटेल की अर्थ शुचिता से आज के नेताओं को भी सिख लेने की जरुरत हैं.आचार्य चाणक्य से एक बार एक विदेशी मिलने आये. उन्होंने आचार्य चाणक्य का नाम तो बहुत सुना था पर उनसे मिलना पहली बार हुआ था. उन्होंने देखा की आचार्य ने कुछ कार्य करने के बाद एक दीपक को बुझा दिया और दुसरे दीपक को जला दिया. उन्होंने आचार्य चाणक्य से पुछा दीपक बुझाने का कारण पुछा. आचार्य बोले की मैं पहले राजकार्य  कर रहा था अब मैं स्वयं का कार्य कर रहा हूँ. पहले वाले दीपक में राज्य द्वारा दिया गया तेल जल रहा था जबकि अब वाले दीपक में मेरे स्वयं के पैसों से ख़रीदा हुआ तेल जल रहा हैं. वह व्यक्ति चक्रवर्ती सम्राट बनाने वाले आचार्य की अर्थ शुचिता और ईमानदारी से प्रभावित होकर बिना कोई शब्द कहे वह से चला गया उसे उसका उत्तर मिल गया था की आचार्य चाणक्य क्यूँ महान हैं. सरदार पटेल की लड़की का नाम मणिबेन था. एक बार एक पुराने क्रन्तिकारी सरदार पटेल से मिलने गए .तब सरदार पटेल केंद्र में गृह मंत्री थे तो उन्होंने देखा की मणिबेन चरखे पर सूत काट रही थी और उन्होंने जो साड़ी पहनी थी उसमे कई स्थानों पर टांके लगे हुए थे. उन्होंने इसका कारण पूछा. मणिबेन ने कहाँ की जब पिताजी की धोती पुरानी हो जाती हैं अथवा फट जाती हैं तब में उसमे टांके लगाकर उसे साड़ी के रूप में इस्तेमाल कर लेती हूँ. वे क्रांतिकारी मन ही मन आधुनिक भारत देश को चक्रवर्ती राज्य बनाने वाले सरदार पटेल की सादगी और ईमानदारी से प्रभावित होकर धन्य कहकर चला गए. आज के राजनेताओं को बड़े से बड़े घोटालों को करने की बजाय सरदार पटेल की अर्थ शुचिता से प्रेरणा लेकर देश को लूटने की बजाय उसकी तरक्की करने की प्रेरणा लेनी चाहिए.


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