गुरुवार, 21 जून 2012

मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी कही जानेवाली मुंबई पर आतंकवादियों ने कई बार योजनाबद्ध रूप से हमले किए हैं। पेश है उन हमलों का लेखा-जोखा :
* मुंबई पर आतंकवादी हमलों की शुरूआत 12 मार्च 1993 से हुई, जब मुंबई ने पहली बार शृंखलाबद्ध बम धमाकों का खौफनाक मंजर देखा और भुगता। इस दिन एक के बाद ग्यारह बम धमाकों ने मुंबई को दहलाकर रख दिया। आतंकवादियों ने योजना बनाकर शहर के 11 विभिन्न स्थानों को निशाना बनाया और खून का विभत्स खेल खेला। उन 11 स्थानों के नाम निम्नलिखित हैं : बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, नरसी नाथा स्ट्रीट (कत्था बाजार), सेना भवन के पास लकी पेट्रोल पम्प, झवेरी बाजार, सेंचुरी बाजार (वर्ली), एयर इंडिया बिल्डिंग, सेंटॉर होटल, (सांताक्रूज), सेंटॉर होटल (जुहू), नायगांव क्रॉस रोड, सी रॉक होटल और प्लाजा सिनेमा। इसके अलावा इस दिन माहिम के मच्छीमार नगर और हवाईअड्डे पर ग्रेनेड भी फेंके गए थे। इन बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई और 713 लोग जख्मी हुए।
* सन 1998 में 23 जनवरी को कांजुरमार्ग स्टेशन पर, 24 जनवरी को गोरेगांव और मालाड तथा 27 जनवरी को विरार, सांताक्रूज और कांदीवली स्टेशन पर छह बम धमाके हुए, जिनमें चार लोगों की मौत हुई और 30 लोग घायल हुए।
* 2 दिसंबर 2002 को घाटकोपर में एक बस को निशाना बनाया गया, जिसमें दो लोगों की मौत हुई और 48 घायल हुए।
* 6 दिसम्बर 2002 को मुंबई सेंट्रल के एक फास्टफूड स्टॉल में जोरदार धमाका हुआ, जिसमें किसी की मौत तो नहीं हुई, लेकिन 25 लोग घायल हो गए।
* 27 जनवरी 2003 को विलेपार्ले स्टेशन के पास एक धमाका हुआ, जिसमें अमोनियम नाइट्रेट बम का इस्तेमाल हुआ था। इस धमाके में एक की मौत हुई थी और 20 घायल हुए थे।
* 13 मार्च 2003 को मुलुंड में बम धमाका हुआ। यह धमाका मुलुंड स्टेशन पर कर्जत जानेवाली ट्रेन में हुआ, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई और 70 लोग घायल हुए।
* 25 अगस्त 2003 में झवेरी बाजार और गेटवे ऑफ इंडिया पर टैक्सियों में फिर बम धमाके हुए। इस बार मुंबई ने फिर एक बार शृंखलाबद्ध बम धमाकों का दृश्य देखा। इन दोनों धमाकों में कुल 52 लोगों की मौत हो गई और 100 लोग घायल हुए। इन धमाकों में सन 1993 के धमाकों के बाद दूसरी बार आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया।
* 28 जुलाई 2003 को घाटकोपर में दूसरी बार बम धमाका हुआ। यह बम धमाका बेस्ट की एक बस में हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और 32 लोग घायल हुए।
* फिर आया 11 जुलाई 2006 का दिन, जिसने फिर एक बार मुंबई को शृंखलाबद्ध बम धमाकों से दहला कर रख दिया। इस दिन सात लोकल ट्रेनों में खौफनाक बम धमाके हुए। ये धमाके खार, बांद्रा, जोगेश्वरी, माहिम, बोरीवली, माटुंगा और मीरा भाईंदर में हुए, जो केवल सात मिनट के अंतराल में ही हो गए। इन बमों में भी आरडीएक्स और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले में कुल 188 लोग मौत के मुंह में समा के गए, तो 817 लोग घायल भी हुए। इनमें से कई घायल ऐसे हैं, जो आज भी उसका दंश झेल रहे हैं।
* और आखिर में मुंबई को वह दिन भी देखना था, जिसे केवल बम धमाके कहकर नहीं छोड़ा जा सकता था। इसलिए इसे आतंकवादी हमले का नाम देना पड़ा, क्योंकि यह हमला देश के सबसे बड़े शहर के सीने पर खुलेआम किया गया था, पूरी साजिश के साथ, आतंकवादियों की पूरी एक टुकड़ी के साथ। मुंबई के इतिहास के इस बदनुमा दाग ने पूरे चार दिनों तक मुंबई को परेशान कर रखा। पुलिस के बाद कमांडोज को आतंकवादियों से भिड़ना पड़ा और तब कहीं जाकर 10 खूंख्वार आतंकवादियों में से नौ को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया गया और एक अजमल कसाब को पकड़ लिया गया, जो आज भी मुंबई की जेल में कैद है।
इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था। इस हमले में मुंबई को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस हमले में 166 मासूमों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें पुलिस और सेना के जवान भी शामिल थे। इस हमले में 300 लोग घायल भी हुए।
* और अब 13 जुलाई 2011 को मुंबई शहर ने अपने सीने पर फिर तीन बमों के निशान झेले। झवेरी बाजार, ओपेरा हाउस और दादर में हुए इन बम धमाकों में 17 लोगों की मौत हुई और 131 लोग घायल हुए।

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