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सोनिया गांधी की यात्रा का खर्च 1850 करोड़
इतना खर्चा तो प्रधानमंत्री का भी नहीं है :
पिछले तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत, सोनिया गाँधी के उपर
सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर की है
उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले
तीन साल में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया के
विदेश दौरे के उपर खर्च किये है ..कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो
अधिकारियो का तबादला कर दिया गया .
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है :
- सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है ?
- क्या ये यात्राये सरकारी थी ?
- अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ?
- भारत के संबिधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्रअध्यछ का दर्जा कैसे मिला है ?
-
सोनिया गाँधी आठ बार अपनी बीमार माँ को देखने न्यूयॉर्क के एक अस्पताल
में गयी जो की उनकी एक निजी यात्रा थी फिर हर बार हिल्टन होटल में चार महगे
सुइट भारतीय दूतावास ने क्यों सरकारी पैसे से बुक करवाए ?
- इस
देश के प्रोटोकॉल के अनुसार सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही विशेष
विमान से अपने लाव लश्कर के साथ विदेश यात्रा कर सकते है तो फिर एक सांसद
को विशेष सरकारी विमान लेकर विदेश यात्रा की अनुमति क्यों दी गयी ?
- सोनिया गाँधी ने पिछले तीन साल में कितनी बार इटली और वेटिकेन की यात्राये की है ?
मित्रों कई बार कोशिश करने के बावजूद भी जब सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं मिला तो थक हारकर केंद्रीय सुचना आयोग में अपील करनी पड़ी.
केन्द्रीय
सूचना आयोग प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय के गलत रवैये से हैरान हो गया
.और उसने प्रधानमंत्री के उपर बहुत ही सख्त टिप्पडी की
- केन्द्रीय
सूचना आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी दौरों पर उस पर
खर्च हुए पैसे को सार्वजनिक करने को कहा है। सीआईसी ने प्रधानमंत्री
कार्यालय को इसके निर्देश भी दिए हैं। हिसार के एक आरटीआई कार्यकर्ता रमेश
वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सोनिया गांधी के विदेशी दौरों, उन पर
खर्च, विदेशी दौरों के मकसद और दौरों से हुए फायदे के बारे में जानकारी
मांगी है।
- 26
फरवरी 2010 को प्रधानमंत्री कार्यालय को वर्मा की याचिका मिली, जिसे
पीएमओ ने 16 मार्च 2010 को विदेश मंत्रालय को भेज दिया। 26 मार्च 2010 को
विदेश मंत्रालय ने याचिका को संसदीय कार्य मंत्रालय के पास भेज दिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय के इस ढ़ीले रवैए पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सूचना
आयुक्त सत्येन्द्र मिश्रा ने निर्देश दिया कि भविष्य में याचिका की
संबंधित मंत्रालय ही भेजा जाए। वर्मा ने पीएमओ के सीपीआईओ को याचिका दी
थी। सीपीआईओ को यह याचिका संबंधित मंत्रालय को भेजनी चाहिए थी।
आखिर सोनिया की विदेश यात्राओ में वो कौन सा राज छुपा है जो इस देश के " संत " प्रधानमंत्री इस देश की जनता को बताना नहीं चाहते ? !
जब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे स्वामी रामदेव जी पर बरस रहे थे डंडे
तब सोनिया अपने रिश्तेदारों और बेबी के साथ स्विट्जरलेंड और इटली गई थी ....... क्यों ?
- सोनिया गांधी
- राउल गांधी (रौल विंची)
- सुमन दुबे (राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी की दाहिना हाथ)
- रॉबर्ट वाढ़्रा (सोनिया का घपलेबाज दामाद)
- विन्सेंट जॉर्ज (सोनिया का निजी सचिव - Personal secretary)
-
और 12 अन्य लोग जिनहोने अपने आपको व्यापारिक सलाहकार बताया (12 other
people who wrote their profession as financial consultant)
- सोनिया
गाँधी और राहुल गाँधी अपने लाव लश्कर के साथ 8 जून से 15 जून तक
स्विट्जरलैंड में थे .. फिर 19 जून को स्विस सरकार का बयान आता है की अब
भारत को हम सारे खातेदारों की सूची और रकम का ब्यौरा देने को तैयार है ...
क्या सोनिया की स्विस यात्रा और उसके ३ दिन के बाद स्विस सरकार की इस घोषणा में कोई राज है ??
इसके पहले स्विस सरकार ने क्यों इंकार किया ? ? ? ? ? ? जवाब ढूँढने के लिए मोमबत्ती जलाने की जरूरत नहीं है
सोनिया गांधी का 84 हजार करोड़ काला धन स्विस बैंक में
एक स्विस पत्रिका की एक पुरानी रिपोर्ट ( http://www.schweizer-illustrierte.ch/zeitschrift/500-millionen-der-schweiz-imeldas-faule-tricks#)
को आधार माने तो यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के अरबों रुपये स्विस बैंक
के खाते में जमा है. इस खाते को राजीव गांधी ने खुलवाया था. इस पत्रिका ने
तीसरी दुनिया के चौदह ऐसे नेताओं के बारे में जानकारी दी थी, जिनके खाते स्विस बैंकों में थे और उनमें करोड़ों का काला धन जमा था.
रुसी खुफिया एजेंसी ने भी अपने दस्तावेजों में लिखा है कि रुस के साथ
हुए सौदा में राजीव गांधी को अच्छी खासी रकम मिली थी, जिसे उन्होंने
स्विस बैंके अपने खातों में जमा करा दिया था. पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं
वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी भी सोनिया गांधी और उनके परिवार के पास
अरबों का काला धन होने का आरोप लगा चुके हैं.
तो क्या केंद्र सरकार इसलिए भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे को
इसलिए गंभीरता से नहीं ले रही है कि सोनिया गांधी का काला धन स्विस बैंक
जमा है? क्या केंद्र सरकार अन्ना हजार और रामदेव के साथ यह रवैया यूपीए
अध्यक्ष के इशारे पर अपनाया गया था? क्या केन्द्र सरकार देश को लूटने
वालों के नाम इसलिए ही सार्वजनिक नहीं करना चाहती है? क्या इसलिए काले धन
को देश की सम्पत्ति घोषित करने की बजाय सरकार इस पर टैक्स वसूलकर इसे
जमा करने वालों के पास ही रहने देने की योजना बना रही है? ऐसे कई सवाल हैं
जो इन दिनों लोगों के जेहन में उठ रहे हैं.
काला धन देश में वापस लाने के मुद्दे पर बाबा रामदेव के आंदोलन से पहले
सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार की खिंचाई कर चुकी है. विदेशी बैंकों में
काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम सार्वजनिक किए जाने के मामले में
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 19 जनवरी को सरकार की जमकर खिंचाई की थी. सुप्रीम
कोर्ट ने यहां तक पूछ लिया था कि आखिर देश को लूटने वालों का नाम सरकार
क्यों नहीं बताना चाहती है? इसके पहले 14 जनवरी को भी सुप्रीम कोर्ट ने
इसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था. पर सरकार कोई तार्किक जवाब देने की
बजाय टालमटोल वाला रवैया अपनाकर बच निकली.
केंद्र सरकार के इस ठुलमुल रवैये एवं काले धन संचयकों के नाम न बताने
की अनिच्छा के पीछे गांधी परिवार का स्विस खाता हैं. इस खाता को राजीव
गांधी ने खुलवाया था. इसमें इतनी रकम जमा है कि कई सालों तक मनरेगा का
संचालन किया जा सकता है. यह बात कही थी एक स्विस पत्रिका ने. 'Schweizer
Illustrierte' (http://www.schweizer-illustrierte.ch/
) नामक इस पत्रिका ने अपने एक पुराने अंक में प्रकाशित एक खोजपरक रिपोर्ट
में राजीव गांधी का नाम भी शामिल किया था. पत्रिका ने लिखा था कि तीसरी
दुनिया के तेरह नेताओं के साथ राजीव गांधी का खाता भी स्विस बैंक में हैं.
यह कोई मामूली पत्रिका नहीं है. बल्कि यह स्विट्जरलैंड की प्रतिष्ठित तथा
मशहूर पत्रिका है. इस पत्रिका की 2 लाख 15 हजार से ज्यादा प्रतियां छपती
हैं तथा इसके पाठकों की खंख्या 9 लाख 25 हजार के आसपास है. इसके पहले
राजीव गांधी पर बोफोर्स में दलाली खाने का आरोप लग चुका है. डा. येवजेनिया
एलबर्टस भी अपनी पुस्तक 'The state within a state - The KGB hold on
Russia in past and future' में इस बात का खुलाया किया है कि राजीव गांधी
और उनके परिवार को रुस के व्यवसायिक सौदों के बदले में लाभ मिले हैं. इस
लाभ का एक बड़ा भाग स्विस बैंक में जमा किया गया है. रुस की जासूसी संस्था
केजीबी के दस्तावेजों में भी राजीव गांधी के स्विस खाते होने की बात है.
जिस वक्त केजीबी दस्तावेजों के अनुसार राजीव गांधी की विधवा सोनिया
गांधी अपने अवयस्क लड़के (जिस वक्त खुलासा किया गया था, उस वक्त राहुल
गांधी वयस्क नहीं थे) के बदले संचालित करती हैं. इस खाते में 2.5 बिलियन
स्विस फ्रैंक है, जो करीब 2.2 बिलियन डॉलर के बराबर है. यह 2.2 बिलियन
डॉलर का खाता तब भी सक्रिय था, जब राहुल गांधी जून 1998 में वयस्क हो गए
थे. अगर इस धन का मूल्यांकन भारतीय रुपयों में किया जाए तो उसकी कीमत
लगभग 10, 000 करोड़ रुपये होती है. इस रिपोर्ट को आए काफी समय हो चुका है,
फिर भी गांधी परिवार ने कभी इस रिपोर्ट का औपचारिक रूप से खंडन नहीं किया
और ना ही इसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की बात कही. आपको जानकारी दे दें कि
स्विस बैंक अपने यहां जमा धनराशि का निवेश करता है, जिससे जमाकर्ता की
राशि बढ़ती रहती है. अगर केजीबी के दस्तावेजों के आधार पर गांधी परिवार
के पास मौजूद धन को अमेरिकी शेयर बाजार में लगाया गया होगा तो यह रकम लगभग
12,71 बिलियन डॉलर यानी लगभग 48, 365 करोड़ रुपये हो चुका होगा. यदि इसे
लंबी अवधि के शेयरों में निवेश किया गया होगा तो यह राशि लगभग 11. 21
बिलियन डॉलर होगी जो वर्तमान में लगभग 50, 355 करोड़ रुपये हो चुकी होगी.
साल 2008 में आए वैश्विक आर्थिक मंदी के पहले यह राशि लगभग 18.66 बिलियन
डॉलर यानी 83 हजार 700 करोड़ के आसपास हो चुकी होगी. वर्तमान स्थिति में
गांधी परिवार के पास हर हाल में यह काला धन 45,000 करोड़ से लेकर 84, 000
करोड़ के बीच होगा. चर्चा है कि सकरार के पास ऐसे पचास लोगों की सूची आ
चुकी है, जिनके पास टैक्स हैवेन देशों में बैंक एकाउंट हैं. पर सरकार ने
अब तक मात्र 26 लोगों के नाम ही अदालत को सौंपे हैं. एक गैर सरकारी अनुमान
के अनुसार 1948 से 2008 तक भारत अवैध वित्तीय प्रवाह (गैरकानूनी पूंजी
पलायन) के चलते कुल 213 मिलियन डालर की राशि गंवा चुका है. भारत की
वर्तमान कुल अवैध वित्तीय प्रवाह की वर्तमान कीमत कम से कम 462 बिलियन
डालर के आसपास आंकी गई है, जो लगभग 20 लाख करोड़ के बराबर है, यानी भारत
का इतना काला धन दूसरे देशों में जमा है.
यही कारण बताया जा रहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से बराबर लताड़ खाने
के बाद भी देश को लूटने वाले का नाम उजागर नहीं कर रही है. कहा जा रहा है
कि इसी कारण बाबा रामदेव का आंदोलन एक रात में खतम करवा दिया गया तथा इसके
पहले उन्हें इस मुद्दे पर मनाने के लिए चार-चार मंत्री हवाई अड्डे पर
अगवानी करने गए. सरकार इसके चलते ही इस मामले की जांच जेपीसी से नहीं
करवानी चाहती. इसके चलते ही भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी थॉमस को
सीवीसी यानी मुख्य सतर्कता आयुक्त बनाया गया, ताकि मामले को सामने आने से
रोका जा सके
कॉंग्रेस का बाबा के खिलाफ रणनीति, का खुलासा :
- बाबा रामदेव ने जबसे चार जून को आंदोलन का ऐलान किया था तब
से ही सरकार ने अपनी घिनौनी रणनीति बनानी शुरु कर दी थी.रही बात माँगो की
तो मांगे तो कांग्रेस कभी भी किसी भी हालत मे नही मान सकती थी. क्योकि...... क्या कोई चोर और उसके साथी कभी भी ये मान सकते है कि वो अपनी चोरी का खुलासा करे ?
- सुप्रीम कोर्ट कह कह के थक गया कि कालेधन जमा करने वालो की सूची जारी करे. इस भ्रष्ट सरकार ने आज तक सूची तक नही जारी की.
- काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना और उसको वापस लाना तो बहुत दूर की बात है. क्योकि ये बात 100 % सही है की खुद इस गांधी फैमिली का अकूत धन स्विस बैँक मे जमा है. इस बारे मे सनसनी खेज खुलासे बाबा रामदेव की 27 फरवरी की रामलीला मैदान की विशाल रैली मे भी हुये थे.जिसमे विशाल जनसमूह उमड़ा था और इस बिके मीडिया ने उस रैली को प्रसारित नही किया था.
- जब आस्था चैनल ने उस रैली को दिखाया तो तुरंत इस सरकार ने आस्था चैनल पर इस रैली को दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया. उसके बाद से कांग्रेस का केवल एक ही उददेश्य था कि कुछ ऐसा किया जाये जिससे बाबा रामदेव पे लोगो का विश्वास उठ जाये.
- क्योकि
कांग्रेस जानती थी की उसको किसी भी विपक्षी पार्टी से इतना खतरा नही है
जितना बाबा रामदेव से है. क्यो कि उनके साथ विशाल जन समर्थन है.
- इसलिये कांग्रेस ने एक ऐसी घिनौनी साजिश रची . कि जिससे लोगो का विश्वास रामदेव से उठ जाये.
एक जून को जब चार मंत्री एयरपोर्ट पर बाबा को लेने गये तो आम जनता या मीडिया को तो छोड़ो .
स्वयं बाबा रामदेव भी नही समझ पाये. कि ये उल्टी गंगा कैसे बही ?
जब कि कांग्रेस के इस पैतरे का केवल एक ही उद्देश्य था. कि किसी तरह बाबा को प्रभावित करके एक चिटठी लिखवा ली जाये. ताकि बाद मे ये साबित किया जा सके. कि अनशन फिक्स था और लोगो का विश्वास बाबा से उठ जाये. लेकिन बाबा ने कोई पत्र नही लिखा.
कांग्रेस
ने हार नही मानी दुबारा मीटिँग की फिर भी असफल रही. और फिर उसने तीसरी
मीटीँग होटल मे की . वहाँ उन नेताओ के पास बाबा की गिरफ्तारी का आदेश भी
था. और होटल के बाहर काफी फोर्स भी पहुच गयी थी. नेताओ ने बाबा पर बहुत
दबाब बनाया. और ये कहा कि आप की सारी मांगे मान ली जायेँगी लेकिन आप एक
पत्र लिखे कि आप अपना अनशन खत्म कर देँगे. आपको ये पत्र लिखना बहुत जरुरी
है. क्यो कि ये पत्र प्रधानमंत्री को दिखाना है.और ये एक आवश्यक प्रक्रिया
है. बिना पत्र लिखे वो बाबा को छोड़ ही नही रहे थे. इसीलिये उस मीटीँग मे 6
घंटे का समय लग गया. उस समय बाबा रामदेव ये समझ गये थे कि कुछ षडयंत्र
बुना जा रहा है. तब उन्होने संयम से काम लेते हुये पत्र लिखवाने पर तो मान
गये लेकिन खुद साइन नही किया बल्कि आचार्य बालक्रष्ण से करवाया. हालाकि
कांग्रेस बाबा से खुद साइन करने का दबाब डालते रहे लेकिन बाबा ने समझदारी
से काम लेते हुये खुद साइन नही किया. तब जाकर बाबा उस होटल से बाहर निकल
पाये. उन्होने रामलीला मैदान पहुचते ही ये बता दिया कि उनके खिलाफ षडयंत्र
रचा जा रहा है और वक्त आने पर खुलासा करेँगे.
- उसके
बाद चार तारीख को नेताओ ने बाबा को फोन करके झूठ बोल दिया. कि आपकी
अध्यादेश लाने की मांगे मान ली गयी है और आप अनशन खत्म करने की घोषणा कर
दे.
- कांग्रेस
इस बात का इंतजार कर रही थी कि एक बार बाबा अनशन खत्म की घोषणा कर दे तो
उसके बाद वो पत्र मीडिया मे जारी कर दिया जाये जिससे ये साबित हो जाये की
अनशन फिक्स था और लोगो की नजर मे बाबा नीचे गिर जाये.
- बाबा ने फिर घोषणा भी कर दी की सरकार ने हमारी माँगे मान ली है और वो जैसे ही हमे लिखित मे दे देगी .हम अनशन खत्म कर देँगे.
- सरकार
फिर फस गयी क्यो कि उसने बाबा से झूठ बोला था कि वो अध्यादेश लाने की बात
लिख कर देगी .जब कि वास्तव मे उसने कमेटी बनाने की बात लिखी थी. और बाबा
जब तक अध्यादेश लाने की बात लिखित रुप से नही देखेँगे. तब तक वो आंदोलन
नही खत्म करेँगे.
- तब
कांग्रेस के चालाक और महा धूर्त वकील मंत्री सिब्बल ने तुरंत मीडिया को
पत्र दिखाया और ये जताया कि ये अनशन पहले से फिक्स था. क्यो कि सिब्बल
जानता था कि मीडिया बिना कुछ सोचे समझे बाबा की धज्जियाँ उड़ाने मे लग
जायेगा.
- और यही हुआ भी .मीडिया ने बिना कुछ समझे भौकना शुरु कर दिया की बाबा ने धोखा किया लोगो की भावनाओ से खेला आदि.
- जब बाबा को पता चला कि सिब्बल ने एक कुटिल चाल खेली है । तब उन्होने बड़ी वीरता से उस धज्जियाँ उड़ाने को आतुर मीडिया को सारे सवालो के जबाब दिये और स्थिति को संभाल लिया.
कांग्रेस अपनी इतनी बड़ी चाल को फेल होते हुये देख बौखला गयी.
और उस मूर्ख कांग्रेस ने मैदान मे रावणलीला मचा कर अपनी कब्र खोदने की शुरुआत कर दी.
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- तीन
जून की मीटिंग जहा प्रस्तावित थी, स्वामी रामदेव वहां न जाकर बाराखंबा
रोड पर आर्यसमाज के ओर्फनेज में पहुंच गया और वहीं उन्होंने सुबोध कांत
सहाय और सिब्बल को बुलाया। लेकिन सिब्बल ने स्वामी रामदेव को निर्धारित
जगह पर आने की जिद की जहां रामदेव के लिये तैयारियां पूरीं थीं।
- अंत में दोनो पक्ष यह मीटिंग पब्लिक प्लेस पर खुली जगह क्लैरिज होटल में करने के लिये तैयार हो गये।
- कपिल
सिब्बल ने उसी समय अपने नाम से व्यक्तिगत हैसियत से क्लैरिज होटल में एक
सुइट बुक कराया। यह मीटिंग खुली जगह के बजाय सुइट में हुई। वहां वही हुआ
जो ऊपर वाले अनामी ने लिखा है। क्लैरिज होटल में आनन फानन में कितनी पुलिस
की गाडियां आई, यह वहां मौजूद सभी लोग जानते हैं।
- 4 जून की दोपहर को एक रिपोर्ट दर्ज की गई कि स्वामी रामदेव व एक अन्य व्यक्ति की जान को खतरा है ।
- यह प्लान किया गया कि अनशन के लिये इकट्ठे हुये लोगों में आपस में हुई लड़ाई की बात बताकर रात को पुलिस को घुसाया जाय ।
- यही
बताकर पुलिस वहां घुसी। मीडिया के कैमरे उस समय नहीं चल रहे थे। बाहर
खड़ी मीडिया ने जब पुलिस के आला अधिकारी से पूछा तो उसने यही बताया था कि
स्वामी रामदेव के साथ के लोगों में आपस में झड़प हुई है। पुलिस चुपचाप
वहां निशब्द घुसी।
- सारे
लोग सो रहे थे। रामदेव के पास सादी वर्दी में पुलिस पहले से ही मौजूद थी।
योजना रामदेव को चुपचाप उठाकर आपस की लड़ाई में मार डाला दिखाने की थी।
रामदेव की हत्या की सूचना होने की खबर वे पहले ही दे चुके थे। रामदेव
की हत्या का आरोप RSS पर लगाने की पूरी योजना तैयार थी कि RSS ने भाजपा
का वोट बैंक बिखर जाने के डर से और फायदा उठाने के लिये रामदेव की हत्या
कर दी। इसके बाद क्या होना था वह सभी कल्पना कर सकते हैं ।
- लेकिन
रामदेव को इस योजना की भनक लग चुकी थी। वह तब तक अपने आपको बचाता रहा जब
तक कि मीडिया के कैमरे खुल नहीं गये। पुलिस ने मीडिया के कैमरे बंद कराने
की कितनी कोशिश की वह आप उस समय की वीडियो देखकर जान सकते हैं। अपनी जान
बचाने के लिये ही स्वामी रामदेव महिला के वेश में भागने पर मजबूर हुआ।
- राजनीति की गंदी साजिश भरे गटर में स्वामी रामदेव एक बहुत छोटा व्यक्तित्व थे। किस्मत अच्छी थी कि वह मसले जाने से बच गया।
- प्रतीक्षा कीजिये कि इस घिनौनी पटकथा के असफल अंत का खामियाजा कौन भुगतता है।
आखिर क्यूँ है ये स्वामी रामदेव के खिलाफ ? :
चार
जून की रात दिल्ली के रामलीला मैदान में की गई पुलिस ज्यादतियों का विरोध
करने वाले तमाम धर्माचार्य, योगाचार्य, संन्यासी और स्वयंसेवी संगठन अगर
आने वाले समय में एक मंच पर एकत्र होकर अन्ना हजारे और बाबा रामदेव की
मांगों का समर्थन करने का तय कर लें और गांव-गांव और शहरों में फैले अपने
करोड़ों समर्थकों से सरकार का विरोध करने का आह्वान कर दें तो कैसी
परिस्थितियां बनेंगी?
देश मे धर्मांतरण और बढ़ रहा है जोरों पर और संरक्षक है सोनिया माइनो
-
सोनिया जी ने विसेंट जार्ज को अपना निजी सचिव बनाया है जो ईसाई है
..विसेंट जार्ज के पास 1500 करोड़ कि संपत्ति है 2001 में सीबीआई ने उनके
खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला दर्ज किया उस वक्त सीबीआई ने
विसेंट के 14 बैंक खातो को सील करते हुए कड़ी करवाई करने के संकेत दिए थे
फिर सोनिया के इशारे पर मामले को दबा दिया गया .. हमने सीबीआई को विसेंट
जार्ज के मामले में 4 मेल किया था जिसमे सिर्फ एक का जबाब आया कि जार्ज के
पास अमेरिका और दुसरे देशो से ए पैसे के स्रोत का पता लगाने के लिए अनुरोध
पत्र भेज दिया गया है .. वह रे सीबीआई १० साल तक सिर्फ अनुरोध पत्र टाइप
करने में लगा दिए !!!
- सोनिया ने अहमद पटेल को अपना राजनैतिक सचिव बनाया है जो मुस्लमान है और कट्टर सोच वाले मुस्लमान है ..
-
सोनिया ने मनमोहन सिंह कि मर्जी के खिलाफ पीजे थोमस को cvc बनाया जो
ईसाई है ..और सिर्फ सोनिया की पसंद से cvc बने .जिसके लिए भारतीय इतिहास
में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को माफ़ी मागनी पड़ी ..
- सोनिया जी ने अपनी एकमात्र पुत्री प्रियंका गाँधी की शादी एक ईसाई राबर्ट बढेरा से की ..
-
अजित जोगी को छातिसगड़ का मुख्यमंत्री सिर्फ उनके ईसाई होने के कारण
बनाया गया जबकि उस वक़्त कई कांग्रेसी नेता दबी जबान से इसका विरोध कर रहे
थे .. अजित जोगी इतने काबिल मुख्यमंत्री साबित हुए की छातिसगड़ में
कांग्रेस का नामोनिशान मिटा दिया ..
- अजित जोगी पर दिसम्बर 2003
से बिधायको को खरीदने का केस सीबीआई ने केस दर्ज किया है . सीबीआई ने
पैसे के स्रोत को भी ढूड लिया तथा टेलीफोन पर अजित जोगी की आवाज की
फोरेंसिक लैब ने प्रमडित किया इतने सुबूतो के बावजूद सीबीआई ने आजतक
सोनिया के इशारे पर चार्जशीट फाइल नहीं किया ..
- जस्टिस .......
[मै नाम नहीं लिखूंगा क्योकि ये शायद न्यायपालिका का अपमान होगा ] को 3
जजों की बरिस्टता को दरकिनार करके सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया
जो की एक परिवर्तित ईसाई थे ...
- राजशेखर रेड्डी को आँध्रप्रदेश
का मुख्यमंत्री बनने में उनका ईसाई होना और आँध्रप्रदेश में ईसाइयत को
फ़ैलाने में उनका योगदान ही काम आया मैडम सोनिया ने उनको भी तमाम नेताओ को
दरकिनार करने मुख्यमंत्री बना दिया ..
- मधु कोड़ा भी निर्दल होते हुए अपने ईसाई होने के कारण कांग्रेस के समर्थन से झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने ...
- अभी केरल विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस ने 92 % टिकट ईसाई और मुस्लिमो को दिया है
-
जिस कांग्रेस में सोनिया की मर्जी के बिना कोई पे .......ब तक नहीं कर
सकता वही दिग्विजय सिंह किसके इशारे पर 10 सालो से हिन्दू बिरोधी बयानबाजी
करते है ये हम सब अछि तरह जानते है ...
- हिन्दुओ की आवाज़ बन रही बैबसाइटो को बलाकॅ कर दिया जाता है !
- यदि हमारा देश धर्मं निरपेच्छ है तो पोप जान पॉल के निधन पर तीन दिन का राष्ट्रीय शोक क्यों और किसके इशारे पर घोषित किया गया ?
सिर्फ यह बताने और संदेश देने के लिए की भारत मे सब आपके (वेटिकन) इशारे पर ही हो रहा है जल्दी भारत ईसाई देश होगा !
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आप सबको याद होगा श्रीमति प्रतिभा पाटिल जी राष्ट्रपति कैसे चुनी गईं
लेकिन एंटोनियो [सोनिया गाँधी ] को उन पर भी भरोसा नहीं इसलिए उनका निजी
सचिव भी ईसाई बनवाया। समझने वालों को संदेश बिल्कुल साफ है कि या तो ईसाई
बनो या गुलाम नहीं तो कांग्रेस के कोर ग्रुप या सरकार के मालदार पदों को
भूल जाओ ।
- हिमाचल कांग्रेस में ताकतवर हिन्दूनेता राजा वीरभद्र
सिंह जी की जगह ईसाई विद्या सटोक्स को विपक्ष का नेता बनाया गया ..
क्योंकि राजा वीरभद्र सिंह जी छल कपट व आर्थिक लालच से करवाए जा रहे
धर्मांतरण के विरूद्ध थे । ऊपर से हिन्दुओं के वापिस अपने हिन्दू धर्म में
लौटने के घर वापसी अभियान की सफलता से धर्मांतरण के दलाल देशी विदेशी
ईसाई मिशनरी छटपटाए हुए थे।
- छतीसगढ और आंध्रप्रदेश में हिन्दुओं की संख्या 90% से अधिक होने के बावजूद एंटोनिया नेईसाई मुख्यमन्त्री बनवाए ।
- आंध्रप्रदेश में यह ईसाई मुख्यमन्त्री मुसलमानों को संविधान के विरूद्ध जाकर आरक्षण देता है ।
- प्रणवमुखर्जी को रक्षामन्त्री के पद से हटवाकर ईसाई एन्टनी को रक्षामन्त्री बनवाया ।
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जो मीडिया मे सच्चाई ढूंढते है वे यह पढे जो प्रश्न दिघ्भ्रमित और उसके मिडियाई दलालो ने पूछे है उनके उत्तर
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जैसा की सभी को पता है की सरकार ने 1750 करोड़ की हड्डी मीडिया को डाली
है सो मीडिया बाबा और के पीछे पड़ी है और असली भ्रष्टाचार का विषय भुलाने
मे लगी है और हमेशा की तरह लोग मीडिया को सच भी मान रहे है
नग्नता परोसने वाले और बॉलीवुड के तलवे चाटने वाले नवभारत टाइम्स, देनिक
भास्कर जैसे सांस्कृतिक भ्रष्ट अराष्ट्रवादी समाचार पत्र कभी संघ और
विशुद्ध राष्ट् रवाद
से प्रेरित लोगो के लेख नहीं छापते क्यूँ की उनके तार एनडीटीवी,
अग्निवेश, अरुणा रॉय, शबाना, अख्तर, इलाइया गेंग जैसे गद्दारो से है
जुड़े
यहाँ देखें (http://alturl.com/qor9q)
ऐसा ही एक लेख एक हाल ही मे बिके हुए समाचार पत्र नवभारत ने लिखा था सो उसके लेख के जवाब मे एक पाठक ने उत्तर दिया है !
माननीय संपादक महोदय,नव भारत, नागपुर.
विषय : बाबा की साख पर बट्टा?
१४ जून को सामने के पृष्ठ पर बाबा की खिलाफ अनर्गल प्रचार रूपी लेख को पढकर अत्यंत दुख हुआ.
मै अपनी स्वयं की ओर से इस अनर्गल प्रचार का बिन्दुवार निवारण करना चाहता हूँ. आशा है आप इसे छापने का कष्ट करेंगे:
- डील की चिट्ठी:
बाबा ने कईबार कहा है की वो चिट्ठी बालकृष्ण से कपिल सिब्बल ने जोर देकर
लिखवाई थी कि प्रधान मंत्रीजी को दिखाना पड़ेगा, नहीं तो कोई बात नहीं
बनेगी. बाबा का उद्येश्य तो यही था कि सरकार उनकी मांगो को मान जाये. उनके
कहे अनुसार चिट्ठी न देकर बात को बिगाडना ही होता. बाबा को क्या पता था कि
उनके साथ बिश्वासघात होगा.
- साध्वी
ऋतंभरा और संघ शामिल है : एक अनाथालय चलाने वाली साध्वी या एक कर्मठ संघ
का स्वामी रामदेव का साथ देना सौभाग्य की बात है देश मे होने वाली अधिकतर
प्राकृतिक आपदाओं मे सर्व प्रथम संघ के कार्यकर्ता आते है उसके बाद फौज
या पुलिस आती है और यदि वे देश के लिए भ्रष्टाचार के
विरुद्ध सक्रिय होते है तो क्या यह गुनाह है?. बाबा किसी से भेद भाव नहीं
करते. जो भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ना चाहे सभी का स्वागत है. संसद पर
हमला करनेवाले और फांसी सजायाफ्ता अफजल की आवभगत करनेवाले ओर दुर्दांत
आतंकवादी सरगना ओसामा को आदरपूर्वक ”जी” कहनेवालो को देश पर साशन ओर
भ्रष्टाचार करने का अधिकार ओर भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानेवाले का
बहिष्कार, कहाँ का न्याय है?
संघ का स्वामीजी का साथ देना सौभाग्य की बात है दुर्भाग्य की नहीं दुर्भाग्य तो यह है की एक अग्निवेश जो आतंकियों को गले लगाता है
और अण्णा के साथ मिलकर सरकार के बीच बिचौलिया और अजेंट का कार्य करता है
यह सामाजिक कार्यकर्ता है सिर्फ जहां कॉंग्रेस की सरकार नहीं है वहीं इसे
भ्रष्टाचार दिखाई देता है
- नेतृत्व की कमी. अंटोनियों के
हांथो ब्यर्थ प्राण गवाना क्या मूर्खता नहीं है ? क्या सुभास चंद्र बोस
भारत से छुप कर ओर भेष बदल कर नहीं भागे थे? क्या राणा प्रताप भागकर जंगल
में नहीं छुपे थे? भगवन कृष्ण भी रण छोड़ कर भागे थे ओर इसीलिए रणछोड
कहलाये. क्या देश की रक्षा के लिए प्राणों की सुरक्षा आवश्यक नहीं है? हाँ,
बाबा रामदेव का जिन्दा बच जाना भ्रस्टाचारीयो को रास नहीं आ रहा है क्यों
की उनको शायद जान से मारने की मुराद पूरी नहीं हुई.
- महिला भेष में भागना : कोई
भी भेष हो जिससे देश सेवा के लिए प्राणों की रक्षा हो सके किसी भी तर्क
से अनुचित नहीं है. मुख्य मुद्दा है देश की रक्षा ओर प्राणों की सुरक्षा
ओर इस उद्येष्य की पूर्ति के लिए सभी भेष तर्कसंगत है. सुभास चंद्र बोस भी
कई भेष बदल बदल कर भारत से भागे थे. अर्जुन तो ६ माहतक स्त्री का रूप
धारण किये रहे. भगवा कपडा त्याग का केवल द्य्योतक है. प्राणों की रक्षा के
लिए कुछ समय के लिए उसका त्याग तर्क ओर न्याय संगत है. असली त्याग तो मन
से होता है.
- सशत्र सेना का गठन: सरकार (कॉंग्रेस) की पुलिस का कार्य है जनता की रक्षा करना अगर वह ही भक्षक बन जाये तो क्या करेंगे जनता ? मार खाना है ? सिर्फ ?
बाबा ने साफ़ कर दिया है की इस दल का गठन किसी को मारने की लिए नहीं होगा
वरंच स्वयं की रक्षा की लिए होगा ओर स्वयं की रक्षा कोई अपराध नहीं है.
अपना ओर अपने लोगो की सुरक्षा ओर रक्षा सभी का नैतिक अधिकार है
एक
ब्यक्ति जो अपना सब कुछ दांव पर लगा कर देश की सुरक्षा हेतु भ्रष्टाचार
के विरुद्ध अभियान चला रहा हो उसके प्रति इस प्रकार की घिनौनी बाते करना
निंदनीय है. सभी देश प्रेमियों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लड़ाई में
उनका साथ देना चाहिए. दुनिया के सभी लोगो को ज्ञात है कि स्विस बैंक में
सबसे ज्यादा गैर क़ानूनी पैसा भारत वासियों का ही है जो की देश को बेरहमी
से लूट लूट कर वहां भरा गया है. क्या ऐसे भ्रस्ट लोगो के खिलाफ बोलना
गुनाह है? (संदर्भ: यहाँ देखें )
सोनिया गांधी का दामाद रॉबर्ट वढेरा की देश के किसी भी विमान पट्टल पर तलाशी नहीं ली जाती है उसके साथ मे जाने
वाले चार आदमियो की भी नहीं, मतलब सोनिया ने बक्से भर भर के माल इटली मे भेजने की अनुमति उसे दे रक्खी है ? सवाल है हमारी
मीडिया को इनके स्टिंग ऑपरेशन नहीं दिखते है ?
6500 किसानो ने की है आत्महत्या हुई पर महाराष्ट्र सरकार ने सिर्फ 1500 किसान परिवारों को ही मुआवजे के लायक समझा है या फिर
मुआवजे की रकम भी खा गई होगी इसके कोई शक नहीं शायद रेपोर्टिंग
करने वाले भी बिक गए इसलिए यह खबर आई नहीं अन्न दाताओं ने अन्न उत्पादन
करने के बदले सिर्फ मौत पाई
आखिर यह मीडिया देश विरोधी और बॉलीवुड के तलवे क्यूँ चाटती है
यह
बात साबित हो चुकी है कि मीडिया का एक खास वर्ग हिन्दुत्व का विरोधी है,
इस वर्ग के लिये भाजपा-संघ के बारे में नकारात्मक प्रचार करना, हिन्दू
धर्म, हिन्दू देवताओं, हिन्दू रीति-रिवाजों, हिन्दू साधु-सन्तों सभी की
आलोचना करना एक “धर्म" के समान है। इसका कारण हैं,
कम्युनिस्ट-चर्चपरस्त-मुस्लिमपरस्त-तथ...ाकथित सेकुलरिज़्म परस्त लोगों की
आपसी रिश्तेदारी, सत्ता और मीडिया पर पकड़ और उनके द्वारा एक “गैंग" बना
लिया जाना। यदि कोई समूह या व्यक्ति इस गैंग के सदस्य बन जायें, प्रिय
पात्र बन जायें तब उनके और उनकी बिरादरी के खिलाफ़ कोई खबर आसानी से नहीं
छपती। जबकि हिन्दुत्व पर ये सब लोग मिलजुलकर हमला बोलते हैं। ठीक वैसे ही
जैसे जब किसी गली का कोई एक कुत्ता भोकने लगता है >इन रिश्तेदारियों
पर एक नज़र डालिये। आप खुद ही समझ जायेंगे कि कैसे और क्यों “मीडिया का
अधिकांश हिस्सा हिन्दुओं और हिन्दुत्व का विरोधी है। किस तरह इन लोगों ने
एक 'नापाक गठजोड़' तैयार कर लिया है। किस तरह ये सब लोग मिलकर सत्ता
संस्थान के शिखर के करीब रहते हैं। किस तरह से इन प्रभावशाली (?) लोगों का
सरकारी नीतियों में दखल होता है। यहाँ देखिए इनके रिश्ते :
वर्तमान
परिस्थितों को देखते यह साफ समझा जा सकता है की कौन बेईमान है और कौन
इमानदार ? देश के चौथे स्तम्भ की वेश्यावृति अब प्रत्यक्ष रूप से सामने आ
गयी है, स्टार न्यूज का दीपक चौरसिया
, बाबा के बॉडी लौन्गेवज समझने लगा है ( जो आज तक अपनी लैंग्वेज नहीं
सुधार पाया), कल का छोकरा राहुल कंवल को आरएसएस का साथ होना, बेईमानी लगती
है ( इस लड़के की निष्पक्ष पत्रकारिता देखिये ) . पहले इन चैनलों के खाते
चेक होने चाहिए की , कांग्रेस का बिस्तर गर्म करने के लिए इनके मालिकों
ने कितना पैसा लिया.
मीडिया
के रुख को पहले दिन से देखें तो मामला साफ हो जाता है. जैसे ही यह बात
आती है की बाबा अनशन करेंगे, मीडिया उनके बैंक खाते , उनके चार्टर्ड प्लेन
और उनके व्यक्तिगत धन का ब्यौरा दे कर जनता के मन में उनके खिलाफ ज़हर
भरने लगती है. उनके देशहित के मुद्दे को राजनितिक खेल कहा जाता है. आइये
उसके द्वारा उठाये गए सवालों की बत्ती बनाएं . आप कह रहे हो की बाबा के
पास करोडो हैं , और फिर पूछते हो की खर्च कहाँ से हुआ. क्या कांग्रेस ने
इतना दिया की दिमाग ख़राब हो गया?
- बाबा के पास अकूत धन है, कई अचल संपतियां है और कई करोड़ रुपये है. ( जैसा की स्टार न्यूज , आज तक जैसी कई नामी वेश्याओं ने कहा )
देश के संविधान में सम्पति रखने की छुट है. बाबा क्या तेरा बाप भी
अपने औकात से सम्पति कमा के रखा है , और चैनल वाले भी सम्पति रखने के लिए
कार्यक्रम चला रहे है. यह सवाल पूछे वाला यह पहले खुद से पूछे की उसने
सम्पति कमाने में क्या कसर छोड़ी? बाबा ने सम्पति जमा की , तो अपने
पुरुषार्थ से की, अपने दम पर की. उनके संपति पर नज़र डालने वाले को उनके
खिलाफ व्यक्तिगत दुश्मनी रखने वाला माना जाये. बाबा अपनी सम्पति का क्या
करते हैं, किसे देते हैं ..यह उनका फैसला है .. वह किसी भडवे पत्रकार से
पूछ कर नहीं करेंगे. और अब अगर सरकार को यह लगता है की बाबा ने सम्पति गलत
तरीके से अर्जित की है, और वह जांच की मांग करती है , तो यह निहायत हीं
पांचवे क्लास के बच्चे द्वारा किये हाय हरकत जैसा है ,
जब राहुल गाँधी, कानून के प्रतिब्द्न्ध के वाबजूद भट्टा परसौल जाता है, किसानो
के सामने घडियाली आंसू रोता है, तो यहीं दोगली मीडिया इसे राहुल की
कामयाबी के रूप में पेश करता है. क्या वह भट्टा-परसौल के वाकये का राजनीतक
फायदा उठाना नहीं है. क्या राहुल जैसे अन्य टुच्चे कान्ग्रेसिओं ने एक के
बाद वहां फिराफ्तरी देकर .. ड्रामा नहीं किया.तो ड्रामा कौन नहीं करता .
परन्तु बाबा के सच्चे ड्रामे में लाखों लोगों की आस्था है. और जब
ड्रामा १ लाख लोग करेंगे, तो ड्रामा कहने वाले बुर्का दत्त जैसे पतित
पत्रकारों को अपना मुंह बंद कर, पत्रकारिता छोड़ पान की दुकान खोलनी चाहिए.
क्योंकि ऐसी बिना सर पैर के बातों की उम्मीद पान की दुकान पर सुनने कहने
के लिए हैं. मीडिया की आवाज बन कर देश के लोगो को बरगलाने के लिए नहीं.
- राहुल करे तो रासलीला , बाबा करें तो करेक्टर ढीला .. | ड्रामा
तो राहुल करता है, कभी दलित के घर रोटी खा कर , तो कभी राष्ट्र-उत्थान के
लिए किसानो की प्रगति को अपरिहार्य बता कर. क्या उसे पता नहीं , की
मनमोहन किसके इशारे पर काम करता है. ड्रामा तो मनमोहन करता है , उसके पहले दसवीं पास होने के सर्टिफिकेट,
वेरीफाई होने चाहियें. कहाँ तो सबसे बड़ा अर्थशाष्त्री हो कर देश का
अर्थशाश्त्र सुधारने बैठा था..घर का अर्थ शास्त्र भी नहीं सुधार पाया!
- बाबा के पंडाल इत्यादि पर करोडो का खर्च हुआ , वह पैसा कहा से आया ? बाबा को आरएसएस का साथ है !
करोड़ों क्या , अरबों का खर्च होगा. बाबा ने धन रिजर्व बैंक से
नहीं लिया , राज्य के खजाने से नहीं लिया तो परेशानी क्या है. एक तरफ तो
यहीं मीडिया बाबा के पास अकूत धन होने की बात पर मुहर लगता है फिर उनके
खर्चे पर सवाल उठता है. यह तो मानसिक दिवालियापन है.
- आर एस एस का साथ है ?
हाँ है ! यह बहुत सौभाग्य की बात है
- पोलिटिकल एजेंडा है ?
हाँ हैं ..तो इसमें बुरा क्या है. पॉलिटिकल क्या सिर्फ लालू,
मुलायम, करुणानिधि, पिग्विजय, मायावती जैसे लोगो के लिए ही है क्या ?
राजनीति श्रीकृष्ण से शुरू हुई अब बॉलीवुड के भांड राजनीति नहीं
करते तो क्या हम उनके पीछे चले ? ये भांड ही है बॉलीवुड के जो अब तक देश
के सबसे पवित्र व्यक्ति है मीडिया को इन लोगो मे कोई गंदगी नहीं दिखाई
देती भले ही कितने अनेतिक आचरण और भ्रष्टाचार यही से आते हो !
आरएसएस शुरू से ही देशहित के लिए समर्पित संस्था रही है.
राष्ट्रहित के लिए आर एस एस का साथ लिया तो क्या बुरा किया. बाबा के पंडाल
के बाहर यह तो नहीं लिखा न , की कांग्रेस और कुते नहीं आ सकते. या राहुल
कँवल नहीं जा सकता , या चौरसिया नहीं घुस सकता. तो बाबा के साथ जो है ..वह
है. सवाल यह नहीं की कौन साथ है ? सवाल यह है की क्यूँ साथ है.? अब कौन
कौन साथ है ..बोलकर क्यूँ साथ है को ढकने की कोशिश की जा रही है.
- अभी बाबा यह सब पौलिटिक्स में आने के लिए कर रहे : विनोद दलाल
तो इसमें भी क्या बुराई है. सभी को पोलिटिक्स में जाने का हक़ है
.. बाबा भी अगर जाना चाहें तो उन्हें रोक लोगे ? कम से कम जनता का समर्थन
लेकर जा रहे हैं. मनमोहन तो ऐसा ही बैठ गया , सोनिया के तलवे चाट कर. इन
भ्रष्ट चैनलों की मानें , तो रामावतार होने की प्रतीक्षा की जाये. ताकि
स्वयं भगवान् आकर अनशन करें और उनपे कोई सवाल नहीं हो.यह हर आम आदमी जनता
है , कि आज के समय में दूध का धुला कोई नहीं. लाग -लपेट , लोचा करना पड़ता
है. हम सभी एक घर सँभालने में दस लोचे करते हैं , तो भला इतने बड़े
उद्देश्य के लिए, लोचे को एक्सेप्ट क्यूँ है करते. मैंने यह बात पहले भी
लिखी और आज फिर दुहरा रहा हूँ. राम चौदह कलाओं से परिपूर्ण थे, कृष्ण सोलह
से (जिसमे छल , कूटनीति जुड़े ) और आज किसी रामदेव को अट्ठारह कलाओं से
युक्त होकर ही कार्य करना होगा. और वह कला होगी राजनीती और कूटनीति. इसलिए
बड़े बदलाव की अपेक्षा रखने वालों , यह बात गौर से अपने जेहन में बैठा लो
, कीचड़ साफ़ करने लिए कीचड़ में घुसना होगा. और बाबा ने अगर कोई गुप्त
डील की है , तो वह स्वीकार्य है ..क्योंकि हमें लक्ष्य की चिंता है
..टूल्स की नहीं. बाबा को अपने टूल्स इस्तेमाल करने की आजादी है. अब कल तक
के सरे सवाल की बत्ती बन गयी है. अब इन भडवे चैनोलों की आज की करतूत
देखें. बाबा ने धोखा दिया.. बाबा ने पहले ही डील कर ली.
- बाबा ने जनता को गुमराह किया. बाबा ड्रामा कर रहे हैं: आईबीएन 7
यह सारा जमाना जानता है , कि ड्रामे करने की आदत किसे है. चिरकुट
कौन हैं. यह हर शाम को हम देखते हैं . बाबा वह सख्स है जिसने एक छोटे से
गाँव से निकल , भारत की सांस्कृतिक खोज और विज्ञानं , योग को आज अपने गौरव
को वापस दिलवाया. वैज्ञानिक स्थापना दी. और वह इतना रखता है .कि ऐसे दो
कौड़ी के भड़वों को खड़े खड़े खरीद ले ( इसलिए कि इन्हें बिकने की आदत
है). जनता बाबा के साथ नहीं, जनता अन्ना के साथ नहीं ..जनता मुद्दे के साथ
है , चाहे वह जो भी उठाये.
इस
कांग्रेस सरकार को शर्म आनी चाहिए कि देश के करदाताओं का पैसा चुरा कर
विदेशी बैंकों में भर दिया. घोटालों की बाढ़ आ गयी . आम आदमी को जिन्दा
रहने के लिए दिन भर काम करना पड़ता है, तब भी महीने का बजट नहीं निकल पा
रहा. अफजल और कसाब को पालने में करोड़ों खर्च कर चुकी यह दोगली सरकार को हम
पर साशन करने का कोई अधिकार नहीं. देश के देशद्रोही .. कश्मीर के नेता
खुलेआम दिल्ली में देशके मुंह पर थूक कर चले जाते हैं , और कांग्रेस उसे
चाट कर कुल्फी खाने का अनुभव देश को बताते हुए कहती है .. कि उनकी
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है.
यह दिग्विजय सिंह, देखो तो शुरू से ही सठियाया बलगता है. ये
आरएसएस का विरोधी इसलिए है क्योंकि मध्य प्रदेश मे इसे करारी हार मिली ऐसी
की कॉंग्रेस अब मात्र 10% तक सीमित रह गई है उस उमा भारती से जो मध्य
प्रदेश की मुख्य मंत्री थी जो आरएसएस से है !
मुस्लिम कट्टरपंथीओं के साथ इस दिग्भ्रमित के सम्बन्ध जग -जाहिर हो
चुके हैं. इसे बोलने की तमीज है, नहीं .कभी को कभी तो इतना बौरा जाता है
कि कांग्रेस के लिए मुस्किल बन जाता. इसबार तो लगता है पुरे भेजे का
सर्किट हिल गया है.
हमें शर्म आती है ऐसे देश का नागरिक कहलाते हुए, इस देश की धत बना
दी इस कांग्रेस ने. पूर्वजों ने सही कहा कि वर्णशंकर हमेशा विनाश का कारन
ही बनता है. इस गाँधी नाम के वर्णशंकारों को देश से लात मार कर बहार कर
देने से, देश को चैन मिलेगा. और तब जाकर भारत निर्माण होगा . बाबा , जो है
जिस तरह से भी यह कर रहे .. हम सभी को सिर्फ यहीं चाहिए .. कि मांगे पूरी
हों ..और यथाशीघ्र कानून बने. यह चर्चा बाद में करेंगे कि बाबा ने यह सब
कैसे किया और किसके मदद से किया ?
( पाठकों से अपेक्षा की जाती है , कि इस लेख में प्रयुक्त शब्दों
की तीक्ष्णता और भाषा की कटुता को नजर अंदाज़ करेंगे . कई बार हमें अपनी
बात रखने के लिए ऐसे शब्द ही जायज लगते हैं . और न्यू मीडिया को यह
स्वतंत्रता जन्मजात मिली है, वैसे भी जिस देश में , भारत माँ को गली देने
पर, तिरंगा जला देने पर , संसद पर हमला करने पर सरकार को कोई असर नहीं
होता .,.. वहां मुझे नहीं लगता कि हम जैसे छोटे लोगों की गाली इन्हें बुरी
लगेगी
- बाबा रामदेव 'ब्रांड' बन गए हैं.
आश्चर्य है, हमें हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड, प्रोक्टर एंड गेम्बुल
आदि के हज़ारों ब्रांड तो चाहिए लेकिन स्वदेशी एक नहीं. हम सैकड़ों साल तक
ईस्ट इंडिया कम्पनी को झेल सकते हैं लेकिन अपने यहां की कम्पनी को नहीं.
पुराने ज़माने में भी जब सम्पन्नता का मानक गायें हुआ करती थी तब भी
मुनियों की हैसियत इससे भी आंकी जाती थी कि उनके पास कितने हज़ार गायें है
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