मंगलवार, 31 जुलाई 2012

चिंतित करती तस्वीर

Updated on: Sun, 29 Jul 2012 06:19 AM (IST)
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से राज्यवार कराई गई समीक्षा के इस निष्कर्ष पर उत्तर प्रदेश सरकार को चिंतित होना चाहिए कि राज्य में शिशु लिंगानुपात तेजी से घट रहा है। समीक्षा के बाद जो आंकड़े सामने आए वे यह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की स्थिति किस तरह देश के उन चंद राज्यों की तरह है जहां घटते शिशु लिंगानुपात की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। राज्य सरकार को इस समीक्षा के निष्कर्षो पर तत्काल प्रभाव से चेतना चाहिए, अन्यथा यह समस्या कुछ वैसा ही गंभीर रूप ले सकती है जैसी पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों में ले चुकी है। यदि उत्तर प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है तो इसका यह मतलब नहीं कि यहां सब कुछ ठीक है। इस समस्या के संदर्भ में राज्य सरकार को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि कन्या भ्रूण हत्या की समस्या अल्ट्रा साउंड क्लीनिकों में अवैध रूप से लिंग परीक्षण के कारण बढ़ रही है, बल्कि उसे उन सामाजिक-आर्थिक कारणों की तह में जाना होगा जिनके चलते समाज में कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है। न केवल इन कारणों की पहचान करना आवश्यक है, बल्कि हर स्तर पर उनका निवारण भी किया जाना चाहिए। दरअसल इस संदर्भ में समाज की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। ऐसा तब होगा जब राजनीतिक दल इस समस्या को अपने एजेंडे पर लेंगे। यह निराशाजनक है कि इस तरह के मुद्दे राजनीतिक दलों के एजेंडे पर कभी नहीं आ पाते। यह स्थिति बदलनी चाहिए। राजनीतिक दलों को सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए आगे आना होगा और इसके लिए समाज में जागरूकता लाने की ठोस पहल करनी होगी। ऐसा करके ही राजनीतिक दल समाज सेवा के अपने दावे पर खरे उतर सकते हैं। यह निराशाजनक है कि अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों में लिंग परीक्षण पर रोक लगाने के लिए बने कानून का उत्तर प्रदेश में सही तरह क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। देखना यह है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती बरतने का जो निर्देश दिया है वह कितना प्रभावी सिद्ध होता है?

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