शुक्रवार, 3 मई 2013

'आदमखोर थे अमरीका में बसने वाले ब्रितानी'

 गुरुवार, 2 मई, 2013 को 23:55 IST तक के समाचार

आदमखोर
शोधकर्ताओं ने किशोरी के चित्र की मदद से उसका एक थ्री डी प्रतिरुप बनाया है.
अमरीकी शोधकर्ताओं का कहना है कि हाल में पाई गई हड्डियों से इस बात के सबूत मिले हैं कि उत्तरी अमरीका जाकर बसनेवाले शुरूआती दौर के ब्रितानी आदमख़ोर हो गए थे.
शोधकर्ताओं को जो प्रमाण मिले हैं उनसे लगता है कि ये लोग साल 1609-10 के भयानक जाड़ों में आदमख़ोर हो गए थे.
सड़े गले कचरे से निकली इंसान की हड्डियों पर वैज्ञानिकों को इस तरह की हड्डियां मिली हैं जिनपर उस तरह से काटे जाने के निशान हैं जैसे उनका वध किया गया हो.
अभी पिछले साल ही वर्जीनिया के जेम्सफोर्ट में कूड़े के ढ़ेर से एक किशोरी की चार दशक पुरानी खोपड़ी और पिंडलियों की हड्डियां मिली.
जेम्स फोर्ट की स्थापना 1607 में की गई थी. यह जेम्स टाउन के प्रारंभिक इलाकों में से है.

भुखमरी

"जेम्सफोर्ड के बाशिंदे भयंकरतम अभाव में थे. मांस के एक टुकड़े के लिए वे कुछ भी कर सकते थे."
डॉ.डग ऑस्लीः वाशिंगटन डीसी में फोरेंसिक न्यूरोलॉजिस्ट
हालांकि पहले से ही इस बात के लिखित सबूत मौजूद हैं कि इलाके के हताश बाशिंदे 1609-10 की कठोर सर्दियों में अपनी जान बचाने के लिए आदमखोर बन गए थे.
मगर अब जब 14 साल की बच्ची की हड्डियां मिली हैं तो इस तथ्य को पुख्ता वैज्ञानिक आधार मिल गया है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि इतिहासकारों के बीच 'भूखमरी का दौर' के नाम से जाने जाने वाले उस अवधि में एक मृत बच्ची उन लोगों का भोजन बन गई जो उस समय की कड़ी सर्दियों में जीवन बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे.
डॉक्टर डग ओसलो ने बताया, “हड्डियों पर चोट और कटने के कई निशान मौजूद हैं. माथे पर चोट, खोपड़ी के पिछले हिस्से पर चोट. यही नहीं, सिर के बाईं ओर एक सूराख भी मौजूद है.”
डग ऑस्ली वाशिंगटन डीसी में स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम में नेचुरल हिस्ट्री विभाग में फोरेंसिक मानव विज्ञानी हैं.
डॉक्टर डग ने आगे बताया, “यह सब शायद दिमाग के हिस्से को निकालने के लिए किया गया था. ”
ये निशान इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि शरीर से जीभ और चेहरे के हिस्से का मांस निकाल लिया गया था.
आदमखोर
भुखमरी के कारण केवल 60 लोग बचे. हालांकि मूल कॉलोनी बच गई.
डॉक्टर ओसलो के अनुसार, “उनका एक ही मकसद था, चेहरे और दिमाग के ऊतकों को खाने के लिए निकाला जाए.”
वे आगे बताते हैं, “ये लोग भयंकर अभाव में थे. वे मांस के एक टुकड़े के लिए वे कुछ भी कर सकते थे.”
लड़की की हड्डियों पर पाए गए निशान यह भी बताते हैं कि जिसने भी देह को काटने का काम किया है वह कोई पेशेवर कसाई या कातिल नहीं था.
यह भी संभव है कि यह काम किसी औरत ने किया हो, क्योंकि वहां के बाशिंदों में औरतों की संख्या ज्यादा थी.
वैसे उस लड़की की मौत कैसे हुई इसका कारण अब तक पता नहीं चल पाया है. मगर उसके शरीर पर मौत के तुरंत बाद किसी धारदार हथियार से वार जरूर किया गया है.
डॉक्टर ओस्लो के अनुसार, “जब कोई दिमाग के हिस्से को कोई निकालना चाहता है तो इसके लिए जरूरी है कि वह यह काम उस इंसान के मौत के फौरन बाद करे. क्योंकि दिमाग ज्यादा देर तक संरक्षित नहीं रखा जा सकता है.”

जानलेवा संकट

"हड्डियों पर चोट और कटने के कई निशान मौजूद हैं. माथे पर चोट, खोपड़ी के पिछले हिस्से पर चोट. यही नहीं, सिर के बाईं ओर एक सूराख भी मौजूद है."
डग ऑस्ली, मानव विज्ञानी
उस लड़की की पहचान अब तक अधूरी है. उसकी उम्र के अलावा बस यही पता चला है कि वह मूलतः एक अंग्रेज थी. उसके मूल की पुष्टि कैम्ब्रिज में हड्डियों पर चल रहे अध्ययन के जरिए किया गया.
भूखमरी का वह दौर औपनिवेशिक इतिहास का सबसे बुरा दौर रहा है. उस वक्त जेम्स फोर्ट के निवासी वहां के मूल निवासियों की घनी संख्या के कारण मुश्किल में थे.
उनके लिए कड़कड़ाती सर्दियों को काट पाना मुश्किल साबित हो रहा था.
पहले तो उन्होंने घोड़े खाए, फिर कुत्ते, बिल्लियां, चूहे और सांप तक खा गए. कुछ ने तो अपनी भूख शांत करने के लिए अपने जूतों तक को खाया.

दिन महीनों में, महीने साल में जैसे जैसे तब्दील होते चले गए उनके पास अपनी भूख को शांत करने के लिए कुछ भी नहीं बचा. मरे हुए लोगों में से कितने आदमखोरों का शिकार हुए इसकी कोई जानकारी नहीं है.
मगर यह तकरीबन तय है कि यह लड़की उन नरभक्षियों का एकमात्र शिकार नहीं थी.

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