हम तुझे जीने नहीं देंगे और सलीम तुम्हें मरने नहीं देगा'
शुक्रवार, 3 मई, 2013 को 07:14 IST तक के समाचार
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100 साल पूरे कर रहा है. इस मौके पर बीबीसी अपने पाठकों के लिए
लेकर आया है हिंदी फिल्मों के 100 यादगार डायलॉग. बीबीसी के लिए ये संवाद
चुने वरिष्ठ फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे ने. पेश है इन 100 डायलॉग का
पहला हिस्सा.
1. फ़िल्म रोटी (1941)नायक- रोटी माँगने से नहीं मिले तो छीनकर ले लो....मार कर ले लो.
2. रोटी (1941)
एक मुसलमान (शेख मुख़्तार) रेलवे स्टेशन पर खड़ा है और एक व्यक्ति चाय बेच रहा है- हिंदू चाय एक आना... शेख मुख़्तार चाय पीता है. उधर से दूसरा आदमी- मुस्लिम चाय एक आना करके चाय बेचता है.
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शेख मुख़्तार उससे भी चाय ख़रीदता है पर उसकी गर्दन पकड़ लेता है.
शेख मुख़्तार- एक ही चाय दो नाम से क्यों बेच रहे हो ?
3.सिकंदर (1942)
जहाँ पोरस की सेना सिकंदर से हार जाती है.
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सिकंदर ( पृथ्वीराज कपूर)- तुम्हारे साथ क्या सुलूक किया जाए?
पोरस ( सोहराब मोदी) – जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है.
4. दहेज (1949)
लालची ससुराल वाले हीरोइन से दहेज की माँग करते रहते हैं
"राज कपूर: मैं अपने आपको गिरा हुआ, नीच और कमीना समझता था परंतु आप तो मेरे भी बाप निकले."
आवारा (1951)
पुत्री- पिताजी आप एक चीज़ लाना भूल गए.
पिता-क्या
पुत्री- कफन
(और वह मर जाती है क्योंकि लोभी ससुराल की न रुकने वाली माँगों के कारण वो ज़हर खा चुकी थी)
5. आवारा (1951)
नायक पर मुकदमा चल रहा है.
नायक- जज साहब, मै जन्म से अपराधी नहीं हूं. मेरी माँ चाहती थी कि मैं पढ़ लिखकर वकील बनूँ, जज बनूँ परंतु हमारी बस्ती से एक गंदा नाला गुज़रता है जिसमें अपराध के कीड़े बहते हैं. मेरी फिक्र छोड़िए, मुझे सज़ा दीजिए परंतु इन मासूम बच्चों को बचा लीजिए ( अदालत की ऊपरी गैलरी में बच्चे भी बैठे हैं)
6. आवारा (1951)
नायक राजकपूर आवारा हैं. नायिका के संरक्षक उसे पैसे देकर नायिका के जीवन से दूर जाने को कहते हैं. दर्शक जानते हैं कि फिल्म में वे पिता-पुत्र हैं.
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नायक- मैं अपने आपको गिरा हुआ, नीच और कमीना समझता था परंतु आप तो मेरे भी बाप निकले.
7. आवारा (1951)
नायक बचपन में ही अपनी बीमार और भूखी माँ के लिए रोटी चुराते हुए पकड़ा गया है. जेल में नायक को रोटी दी गई है.
"दिलीप कुमार: कौन कम्बख़्त कहता है कि मैं शराब पीता हूँ. मैं पीता हूँ कि सांस चलती रहे."
देवदास
(इसी संवाद से प्रेरित मनमोहन देसाई ने राजेश खन्ना के साथ रोटी फ़िल्म बनाई)
8. आवारा (1951)
जज रघुनाथ के संरक्षण में पली नरगिस भी वकील है. वो आवारा राजू से प्यार करती है जिस पर क़त्ल का आरोप है
नरगिस- मेरा दिल कहता है कि राजू बेगुनाह है
जज- दिल की बात अदालत नहीं मानती
नरगिस- मेरे दिल की अदालत पर क़ानून नहीं चलता
क्लामेक्स में नायक सज़ा सुनने के बाद
राजू- जज रघुनाथ मेरा असली मुकदमा तो आपके दिल की अदालत में चल रहा है. मुझे फैसले का इंतज़ार है.
9. हमलोग (1952)
ग़रीब लोगों की बस्ती है और थोड़े से तेल वाला दिया जल रहा है.
बलराज साहनी का साथी- जिस दिए में तेल कम है वो कब तक चलेगा.
बलराज साहनी- जब तेल ख़त्म होगा तो सुबह हो जाएगी
10. श्री 420 (1954)
ईमानदार नायक की प्रेमिका का नाम विद्या है और उसे बेइमानी के रास्ते पर ले जाने वाली नादिरा का नाम माया है.
सेठ सोनाचंद- राज अब तुम्हें विद्या की ज़रूरत नहीं माया की ज़रूरत है
11. जागते रहो (1956)
गाँव का सीधा-साधा आदमी प्यासा भटक रहा है और आधी रात को एक इमारत में पानी पीने जाता है. चोर समझ कर उसका पीछा किया जाता है.
पूरी फ़िल्म में नायक खामोश है. अंत में वो पानी की टंकी पर चढ़कर एक संवाद बोलता है.
राज- मैं गाँव का सीधा आदमी काम की तलाश में आपके शहर आया और आपने मुझे क्या सिखाया कि दूसरों की छाती पर पैर रखकर चल सको तो चलो.
12. देवदास (1956)
नदी किनारे देवदास और पारो मिल रहे हैं. पारो ग़रीब है लेकिन उसका आत्मसम्मान बड़ा है
दिलीप कुमार (देवदास)- इतना अंहकार...जानती हो चांद के चेहरे पर भी दाग है. मैं तुम्हारे माथे पर दाग बना देता हूँ ( वो मारता है)
13. देवदास (1956)
दिलीप कुमार- कौन कम्बख़्त कहता है कि मैं शराब पीता हूँ. मैं पीता हूँ कि सांस चलती रहे.
14. देवदास (1956)
चुन्नीबाबू (मोतीलाल)- थोड़ा सा ख़ुश रहने के लिए अपने आपको धोखा देना पड़ता है
15. नया दौर (1957)
एक कस्बे के तांगेवाले नई बस से पहले पहुंचने के लिए सड़क बनाते हैं. अमीर लोग उन्हें रोकना चाहते हैं.
दिलीप कुमार- यह अमीर और ग़रीब का झगड़ा नहीं है बाबू. ये तो मशीन और हाथ का झगड़ा है.
16. दो बीघा ज़मीन (1953)
महाजन किसान की ज़मीन ख़रीदना चाहता है
"बलराज साहनी: ज़मीन तो किसान की माँ है हुज़ूर. भला कोई अपनी माँ को बेचता है."
दो बीघा ज़मीन (1953)
17. अनाड़ी (1959)
अमीर आदमी (मोतीलाल) का पर्स नीचे गिर जाता है और इससे बेख़बर वो वहाँ से चला जाता है.
बेरोज़गार नायक (राजकपूर) पर्स उठाता है लेकिन कुछ गुंडे उससे पर्स छीनना चाहते हैं. वह पिट जाता है पर पर्स नहीं देता. वो होटल में जाकर मोतीलाल का पर्स लौटाता है जहाँ अमीर लोग खा पी रहे हैं.
राज कपूर- ये लोग कौन हैं?
मोतीलाल- ये वो लोग हैं जिन्हें तुम्हारी तरह पैसों से भरे पर्स मिले और इन्होंने लौटाए नहीं.
18. मुग़ले आज़म (1960)
शिल्पकार ने मधुबाला को सफ़ेद पेंट लगाकर खड़ा किया है. बादशाह अक़बर बेटे सलीम के साथ आए हैं और तीर मारकर बुत का पर्दा हटाना है. तीर बुत को लग भी सकता है. सलीम तीर चलाता है, पर्दा हटता है. बुत की ख़ूबसूरती से सब हैरान हैं कि अनारकली जिल्लेइलाही को सलाम कहती है.
अकबर- तुम्हें तीर लग सकता था, क्यों तुम्हें ख़ौफ नहीं हुआ.
अनारकली- जिल्लेइलाही मैं अफ़साने को हक़ीकत में बदलते देखना चाहती थी इसलिए पलक भी नहीं झपकाई.
19. मुग़ले आज़म (1960)
"अकबर(पृथ्वीराज कपूर)- एक बांदी हिंदुस्तान की मल्लिका नहीं बन सकती, हिंदुस्तान तुम्हारा दिल नहीं है. सलीम (दिलीप कुमार) - मेरा दिल भी हिन्दुस्तान नहीं है जिस पर आपके हुक्म चले."
मुग़ल-ए-आज़म (1960)
सलीम (दिलीप कुमार) - मेरा दिल भी हिन्दुस्तान नहीं है जिस पर आपके हुक्म चले.
20. मुगल़े आज़म
अनारकली क़ैद में है, सलीम फ़रार है
अकबर- अनारकली हम तुझे जीने नहीं देंगे और सलीम तुम्हें मरने नहीं देगा
21. मुगल़े आज़म
अकबर हथियारों से लैस जंग पर जाने वाले हैं जहाँ बाग़ी सलीम ने हमला किया है. हर जंग पर जाने से पहले महारानी जोधाबाई अकबर को टीका लगाती है.
अकबर- आज विजय तिलक लगाते समय माँ जोधा के हाथ काँप रहे हैं. महारानी जोधाबाई के हाथ कभी नहीं काँपते थे. ( वे पूजा की थाली फेंक देते हैं)
22. जिस देश में गंगा बहती है (1961)
बच्चा एक परिंदे को घायल कर देता है. राजू परिंदे की सेवा करता है. इसके बाद लड़का आकर परिंदा माँगता है
राजू- तुम इसे जान दे नहीं सकते तो तुम्हें जान लेने का हक़ भी नहीं है
बच्चा- मैं इसे खाता हूँ, इसलिए इसे मारता हूँ
23. गंगा जमना (1962)
"देव आनंद: तुम अहंकार हो, तुम्हें मरना होगा, मैं आत्मा हूं, मैं अमर हूं. "
गाइड (1965)
वैजयंतीमाला- देवरजी अपनी भौजाई के लिए कंगन तो नहीं लाए पर भैया के लिए हथकड़ी लेकर आए हो.
24. संगम (1964)
राजेंद्र कुमार से प्यार करने वाली राधा (वैजयंतीमाला) की शादी राजकपूर से राजेंद्र कुमार ने ही कराई है. स्विट्ज़रलैंड में वैजयंतीमाला और राजेंद्र कुमार की मुलाकात होती है.
वैजयंतीमाला- जो ख़ुद नहीं कर सकते दूसरों की पूजा बिगाड़ने का उन्हें अधिकार नहीं. ( उसी समय झरने पर इंद्रधनुष का शॉट आता है)
25. गाइड
देव आनंद की मृत्यु का क्षण है. वे अपनी छवि से बात कर रहे हैं
देव आनंद- तुम अहंकार हो, तुम्हें मरना होगा, मैं आत्मा हूं, मैं अमर हूं.
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