क्या हिन्दू कायर थे?
सारे धर्म के अधिकतर लोगो का मानना है की हिन्दू कायर थे , हिन्दुओं ने आसानी से विदेशियों आक्रमणकारीओं के आगे हथियार डाल दीये। ये भ्रम स्वयं हिन्दू को भी कही न कहीं है, इस लिए कई बार उसे हीन भावना का शिकार होना पड़ता है| तो चलिए...देखते हैं कितना सच है की हिन्दू कायर था.
ईशा ७१२ में मुहम्मद्बिन कासिम ने भारत के पश्चिमी सरहद पर हमला किया उस समय सिंध के राजा दाहिर थे |सिंध उस समय अशांत था वहाँ के मंत्रियों ने राजा दाहिर के खिलाफ जासूसी की | मुहम्मद बिन कासिम और राजा दाहिर में युद्ध हुआ परन्तु मंत्रियों के धोखा के कारण राजा की पराजय हुई और दाहिर को मौत के घाट उतर दिया गया ,पर राजा दाहिर की पुत्रियों ने इसका बदला मुहम्मद् बिन कासिम और खलीफा की हत्या करके ले लिया(चचनमा से )| क्या मुहम्मद बिन जैसे आक्रमणकरी से बदला लेने वाली स्त्रियाँ कायर समाज से हो सकती थीं ?
कुछ समय पश्चात् ही अपने धर्म के प्रभुत्व को कायम करने और हिंदुस्तान को लूटने के इरादे से महमूद गजनवी रेगिस्थान को पार करता हुआ गुजरात पर आक्रमण किया | सोमनाथ मंदिर को विध्वंस किया, मंदिर तो लुटा -टुटा लेकिन महमूद गजनवी वापस अपने देश नहीं जा सका रास्ते में उसे गुरिल्ला युद्ध झेलना पड़ा और गुजरात और भारतीय सीमा के रखवालो ने उसे पराजित ही नहीं अपितु अपना बदला भी ले लिया और उसकी मृत्यु इसी धरती पर हुई |
बहुत दिन बीता नहीं था कि मुहम्मद गोरी का हमला महाराजा पृथ्बीराज चौहान के ऊपर हुआ १६ बार मुहम्मद गोरी को हराया उसे गलती मानने व क्षमा मागने पर छोड़ दिया करते यही राजा की सबसे बड़ी भूल थी [सद्गुण बिकृति ] एक समय आया कि कन्नौज के राजा( तोमर) ने अपनी ब्यक्ति गत शत्रुता को आगे कर देश को पीछे छोड़ मुहम्मद गोरी से मिलकर दिल्ली पर हमला करवाया उस युद्ध में पृथ्बीराज चौहान की पराजय हुई, गोरी ने उन्हें छोड़ा नहीं अपनी राजधानी ले जाकर उनकी आँख निकलवा लिया तमाम हिन्दुओ को मुसलमान बनाया गया, दिल्ली पर अभूतपूर्व अत्याचार किया गया, उनके मित्र कबि और प्रधानमंत्री चंद्रबर दाई की योजना से मुहम्मद गोरी की हत्या हुई पृथ्बीराज चौहान शब्द बेधी बाण चलाना जानते थे| उनके इशारो में कही गयी बात आज भी वीर गाथाओं में गाई जाती है (चार बास चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण , ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान)।
श्रृखला बद्ध भारत मुस्लिम अक्रान्ताओ के हमले की धरती बनी रही मंगोल का रहने वाला बाबर ने भारत पर हमला किया जिसका मुकाबला महाराणा सांगा से हुआ [७५ घाव लगे थे तन पे फिर भी ब्यथा नहीं थी मन में ] अद्भुत मुकाबला हुआ, परन्तु अपनों की गद्दारी के कारण बाबर की जीत हुई|
सालार गाजी जिसको हिंदुस्तान में गाजी मियां के नाम से भी जाना जाता है जिसको गाजी की उपाधि "काफिरों " यानि गैर मुस्लिमों को क़त्ल करने पर मिली थी| गाज़ी मियां के मामा मुहम्मद गजनी ने ही भारत पर आक्रमण कर प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का विध्वंश किया था|
गजनी के कहने पर सालार गाजी ने भारत पर हमला किया, हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करते हुए, हजारो हिन्दुओ का क़त्ल अथवा धर्म परिवर्तन करते हुए , नारी जाती पर कहर बरपाते हुए गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारो तरफ अपनी फौजे भेजी|
कौन कहता हैं की हिन्दू राजा कभी मिलकर नहीं रहे, मानिकपुर, बहरैच आदि के २४ हिन्दू राजाओ ने राजा सोहेल देव पासी( एक दलित शासक ) के नेतृत्व में जून की भरी गर्मी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और इस्लामिक सेना का संहार कर दिया|राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खिंच कर एक तीर मारा जिससे वह परलोक पहुँच गया| उसकी लाश को उठाकर एक तालाब में फ़ेंक दिया गया| हिन्दुओ ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था बल्कि अगले २०० सालों तक किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी का भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं हुआ|
इतिहास की पुस्तकों कें गौरी - गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओ की सदा पराजय हुई थी ऐसी मानसिकता को बनाना नहीं हैं। वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, जैसे शूर वीरो को कौन नहीं जनता जिन्होंने मुगलों की ताक़त को अपनी तलवारों से तौला था|
हिन्दू कभी कायर नहीं था |हिंदू को जूठा इतिहास पढ़ा कर कायर बनाया जाता है .. और इसको हराया जातिवाद नाम के सर्प के दंश ,इसको हराया क्षेत्र वाद के दंश ने| पर दुर्भाग्य... आज भी हिन्दू समाज इस दंश से नहीं उभर पाया .....इतना होने के बाद भी हिन्दू आज भी इस जहर को अपने अन्दर व्याप्त किये हुए है |..... एक विद्रोही
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