मंगलवार, 25 जून 2013

बरेली






समस्याओं को खत्म करने के लिए बरेली में बदलाव की जरूरत-मा.वामन मेश्राम
बरेलीदै.मू.समाचार
भारत मुकित मोर्चा के बैनर तले चल रहे मण्डल स्तरीय महासम्मेलन के अन्तगर्त दिनांक 22 जून 2013 को स्थान संजय कम्युनिटी हाल, सिविल लार्इन, बरेली में महासम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न रहा इस महासम्मेलन में उदघाटक मा.अशोक प्रधान (वरिष्ठ सामाजिक, कार्यकर्ता) बदायूँ, मुख्य अथिति एड.जे.एस.कश्यप (कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, बहुजन मुकित पार्टी) विशेषि अथिति मा.सुरेन्द्र प्रजापति (प्रधान संपादक प्रजापति सम्मान पत्रिका) बरेली, मा.बृजेश कुमार शाक्य (सामाजिक कार्यकर्ता) बदायूँ, वक्तागण एड.अजीजूल रहमान अन्सारी, डा.जी.पी.प्रेमी, एड. मुन्ना लाल, मा.राज प्रकाश, एड.र्इश्वर दयाल पासवान, मा.रंजित सिंह कोठारी, मा.राम कुमार कोली, मा.बृज भूषण सिंह आदि ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत की राजनीति में बरेली ने पिछले 66 सालों से कुरबानी की है गांधी परिवार को इज्जत दी है बदले में बरेली को बेेकारी, लाचारी और महंगार्इ जैसी राष्ट्रीय समस्याआें को जन्म दिया गया हैं इसलिए इस बार बदलाव के लिए लोगों को कमर कसनी होगी जिन्हें जागृत करने और अपने सही गलत का फैसला लेकर बरेली को कांग्रेस से रिहा करवाना होगा कांग्रेस की छत्रछाया में फायदा की बजाय गुलाम बनकर कैद हो गर्इ बरेली जनता जिसका जीता जागता उदाहरण यहा की व्यवस्था बंया कर रही है गरीबों की सुनने वाला कोर्इ नहीं है मंहगार्इ और अव्यवस्था ने यहाँं के गांव देहातों में सिर्फ महिलयें मिलेगी क्याेंकि पुरूष लोग अपना आजीविका कमाने के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन कर गये है तो वर्तमान व्यवस्था को बदले बिना समस्याओं का समाधान नहीं होने वाला क्याेंकि यहां की जनता के बदलाव के 65 साल निकाल दिये है अब जब 2014 में चुनाव नजदीक है तो कुछ करने के नाटक भी दिखार्इ दिये बयानबाजी, घोषणाएं हो रही है जो सिर्फ वोट बैंक के लिए हो रहा है।
वर्तमान में जहां केन्द्र सरकार में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सर्वोपरि है वहीं यह उनके परिवार की पैतृक सांसदीय क्षेत्र है फिर भी सुविधाएं न के बराबर हे तो भारत की दुर्गति क्या होगी इसी का परिचय भारत मुकित मोर्चा का विषय दे रहे है जो शासक वर्ग है ब्राह्राणाें ने आजाद भारत में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, भुखमरी व नक्सलवाद जैसी राष्ट्रीय समस्यायें पैदा की अथावा भारतीय लोकतंत्र लार्जेस्ट डेमोक्रेसी है या लार्जेस्ट नौटंकी तंत्र एक बहस के तहत रखा गया विषय भारत की व्यवस्था बया कर रहा है जहां तक वक्ताआें ने बताया कि भारत मुकित मोर्चा के द्वारा इतना बड़े पैमाने पर प्रचार हो रहा है पिछले 11 जून से लगातार इसी विषय पर परिचर्चा हो रही है लोगों का हर जगह हुजूम उमड़ रहा है मगर किसी भी ब्राह्राण-बनिया के राष्ट्रीय अखबार एवं मीडिया में देखने को नहीं मिला इसका मतलब राष्ट्रीय समस्या जो भारत मुकित मोर्चा ने उठार्इ है वह सत्य है जिसे शासक वर्ग का वर्चस्व में प्रचार न कर समस्याएं बढ़ा रहा है ऐसी व्यवस्था को बदलना होगा जिसके लिए सभी को भारत मुकित मोर्चा के राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन का समर्थन किया और बरेलीवासियों को बरेली में नया सबेरा लाने के लिए गांधी परिवार को आराम देने के लिए बदलाव की वकालत की।
अन्त में अध्यक्षता करते हुए वामन मेश्राम (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारत मुकित मोर्चा) ने कहा की जिस प्रकार लोगों की मांग इस मंच से उठी है कि बरेली बदलाव चाहती है समस्याओं की मुख्य जड़ को पानी यहीं से मिल रहा है इसलिए मेरा भी मानना है कि समस्याओं को खत्म करने के लिए बरेली से बदलाव जरूरत है। क्योंकि तथाकथित आजादी से आज तक कांग्रेस बरेली, अमेठी गढ रहा है और ज्यादतर राज भी कांग्रेस ने किया जिससे एक बात स्पष्ट हो जाती है कि जहां कांग्रेस के मुखिया अपने सांसदीय क्षेत्र का विकास करने के नाम पर वोट हथियाए जाते रहे है यहां बहुजनाें का बहुलता है मगर सŸाा व्यवस्था पर ब्राह्राणों का कब्जा है और कब्जा को बनाये रखने के लिए हमेशा षडयंत्र चलते आये है। जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बहुजनों पर पड़ा है इसलिए आज षडयंत्रों ने विकराल रूप धारण कर लिया है जो आजाद भारत में ब्राह्राणों ने आतंकवाद, भ्रष्टाचार, महंगार्इ से भुखमरी व नक्सलवाद जैसी समस्याओं को बढ़ावा दिया है लोकतंत्र के चारों स्तम्भों पर कब्जा कर रखा है इसलिए देश की प्रगति की बजाय दुगर्ति हो रही है मगर बहुजनों में जागृति के अभाव में समस्याएं आज नासूर बन गर्इ है। फिर भी शासक वर्ग समाधान करने के बजाय बढ़ावा दे रहा है इसका इतिहास लम्बा है मगर हमारे से छुपा नहीं है पूरे तत्थयों के साथ है इसलिए अब उन्हें सबक सिखाने एवं आजाद होने के लिए एक ही रास्ता है वह है व्यवस्था परिवर्तन जो राष्ट्रव्यापी जन-आन्दोलन से ही सम्भव है जिसके लिए बदलाव की बात आप स्वयं स्वीकार रहे है क्याेंकि समस्याएं हमारी तो समाधान भी हमें ही ढूढ़ना होगा आपकी समस्या राजमाता और राजकुमार-राजकुमारी समाप्त करने वाले नहीं है वो समस्याआें के नाम पर वोट मांगने के लिए आ सकती है जो आपने सिर्फ वोट के लिए पिछले 66 सालाें से नाता जो जोड़ रखा है अब नाता से ज्यादा वास्ता रखोगे तो बदलाव जरूर होगा और बदलाव होगा तो समस्याएं समाप्त होना स्वाभाविक होगा।



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