गुरुवार, 27 जून 2013

हिन्दुस्तान मे हमेशा मंदिर विध्वंश और लुट के लिये और हिन्दुओ

[इतिहास ये भी है लेकिन इसे लोग पढ़ते नहीं हैं .पढ़ लेते हैं तो याद नहीं रखते हैं .याद रखते हैं तो शातिराना ढंग से चुप रहते हैं .बस साम्प्रदायिक विष वमन के लिए इतिहास को तोडा मरोड़ा जाता है. लेकिन इससे इतिहास के तथ्य नहीं बदलते, सत्य लुप्त नहीं हो जाता है .]

Manoj Gautam
हिन्दुस्तान मे हमेशा मंदिर विध्वंश और लुट के लिये और हिन्दुओ के दयनीय हालत के लिये मुस्लिम शासको को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. मुस्लिम शासको के जुल्म को इस तरह बताया जाता है के इस से बड़ा जुल्म दुनिया मे कही नही हुआ है. हम सभी जानते है के जनता के बिना सहयोग से कोई हुकूमत कर ही नही सकता. अगर मुस्लिम शासक इतने क्रूर और जालिम होते तो 1000 साल तक हुकूमत नही करते.

मे इस लेख मे ए बताना चाहता हु के मंदिरो को सिर्फ मुसलमानो ने ही नही बल्के हिन्दू राजाओ ने भी बहुत से मंदिर लुटे व तोड़े. 642 मे पल्लव राजा नरसिंह वेर्मन ने चालुक्यो की राजधानी वातापि मे गणेश की मंदिर को लुटा और उस के बाद तोड दिया. आठवी सदी मे बंगाली सैनिको ने विष्णु मंदिर को तोडा. 9 वी सदी मे पॅंडियीयन राजा सरीमारा सरीवल्लभ ने लंका पर आकार्मण कर वहा सभी मंदिरो को नष्ट कर दिया. 11 वी सदी मे चोला राजा ने अपने पड़ोसी चालुक्या, कालिंग,और पाला राजाओ से मूर्तिया छीन कर ला के अपने राजधानी मे स्तपित किया. 11 वी सदी के मध्य मे राजाधिराजा ने चालुक्या को हराया और शाही मंदिरो को लुट कर विनाश कर दिया. 10 वी शताब्दीं मे राष्ट्रकूट राजा इंद्रा-3 ने जमुना नदी के पस कल्पा मे कलाप्रिया का मंदिर को नष्ट कर दिया.

कश्मीर के लोहारा राजवंश का आखिरी राजा हर्षा ( 1089-1101) काल मे उस ने कश्मीर के सभी मंदिरो को नष्ट करने और लुट लेने का हुक्म दिया था. बतया जाता है के उस समय सभी मंदिरो को लुट कर मंदिरो के मूर्ति जो गोल्ड के थे उसे पिघला कर पूरी दौलत उस ने अपने पस रख लि थी. मारेटो ने जब टीपू सुल्तान पे हमला किया तो श्रिगॅपॅटनम के मंदिर को भी तोड दिया. पुष्पमित्र जो शुंग शासक और वैदिक धर्म का शंस्थापक था. गद्दी पे बैठते ही उस ने सभी बौध मंदिरो को तोड़ने का आदेश दे दिया. उस ने ए भी एलान कर दिया के जो भी एक बौध बिक्षू का सिर् काट कर लाये गेया उसे एक सोने का सिक्का दिया जाये गा. लाखो बौध बिक्षूवो का को मार दिया गया.पुष्पमित्र ने उस पेड़ को भी काट दिया जिस के नीचे महात्मा बौध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. बौध बिक्षू अपना जान बचा कर मुल्क से प्लयन करने लगे और वी जापान,थाइलॅंड,सिंगापुर की तरफ भागे. इतिहासकारो का कहना है के लगभग बौधो का खात्मा ही हो गया था....
 
हुजन बौद्धों का हत्यारा केरलनाथ (केदारनाथ) आदि शंकराचार्य का जन्म दक्षिण भारत के केरल में अवस्थित निम्बूदरीपाद के 'कालडी़ ग्राम' में 788 ई. में हुआ था। और यह कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं था और ना ही यह हिन्दू धर्म का प्रचारक था, शंकराचार्य ही शंकर "शंकर-महादेव-शिव-पशुपशिनाथ" है..इन्होंने लगभग पूरे भारत की यात्रा की और इनके जीवन का अधिकांश भाग उत्तर भारत में बीता इनका मुख्य उद्येश बुद्ध के शिक्षा के केन्द्रों को ब्राम्हणधर्म में तोडमरोड़कर रूपांतरित करके तहस-नहस करना रहा है। इसका ह्रदय बहोत ही कुर अपराधी किस्म के हत्यारे व्यक्ति के जैसा था। इसने कई बौद्ध भिक्षुओ को जिन्दा जलाया, शंकराचार्य का कृत्य सिधान्तिक नहीं था किन्तु इसका एक ही उद्दयेश बुद्ध के शिक्षा के नितिमुल्लयो की सभ्य संस्कृति को तहस-नहस करके ब्राम्हण इस जातिका प्रभुत्व को स्थापित करना था। इसके पीछे ब्राम्हणवादी राजाओं की आग और तलवार का बल था। शंकराचार्य के आदेश और निगरानी में ब्राम्हणवादी राजा सुधन्वा, ने नागार्जुन कोंडा बौद्ध विश्वविद्यालय (Aandra Pradesh) नष्ट किया था, इस सन्दर्भ में स्वामी विवेकानंद का कथन है,( Ref. Complete work of Swami Vivekanand, Vol-7 pp. 117) इस्से यह स्पष्ट होता है की बौद्ध विश्व विद्यालयों और संस्कृति को तहस-नहस करने वाले मुस्लिम आक्रमंकारियो से जादा ब्राम्हण और इनका नेता आदि शंकराचार्य है। शंकराचार्य ने चारों दिशाओं के बौद्ध विहारों को ब्राम्हणधर्म में बदलकर चार धाम की प्रतिष्ठित करने का श्रेय दिया जाता है। इनके अनुयायी हिन्दू सनातन धर्म कहते है और मानते है। शंकराचार्य का "माया' (काल्पनिक अवततारवाद) शक्ति के सहयोग से इस सृष्टि का निर्माण हुई है ऐसी इनकी काल्पनिक धारणा है। (Ref. वेदांत परिभाषा)
 
1) ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, 788-820 Century AD का कार्यकाल है। इसने 820 AD में केदारनाथ में अपने प्राणत्यागे थे। और ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, की समाधि केदारनाथ में बनाई गई, इसके गुनाहों को छुपाने के लिए ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य को देवभूमि का महादेव के नाम से प्रचलित किया गया। जहा प्राकृतिक विपदा से भारी संख्या में जानमाल की हानि हुई है।

2) केरलनाथ आदि शंकराचार्य, यह व्यक्ति विश्वजगत का सबसे बड़ा खतरनाक षडयंत्रकारी और कुर जघन्य हत्त्यो का अपराधी है। केरलनाथ आदि शंकराचार्य, शास्त्रार्थ के बहाने बौद्धो से शास्त्रार्थ करके ब्राम्हण राजा सुन्घवा के सहयोग से बौद्धों की हत्त्याये करता था। इसके ठोस प्रमाण शंकर दिग्वीजय में मिलते है। और श्री लालमणि जोशी ने इसे प्रमाणि करते हुए कहा है की केरलनाथ आदि शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट और ब्राम्हण राजा सुन्घवा को "बौद्ध भिक्षु और उपासक" को जलते देख इनको बहोत मजा आता था। (Discerning the Buddha pp. 216 by L.M.Joshi Published by Munshiraam Manoharlal, New Delhi)

3) 727 AD to 820 AD इस काल में बौद्ध भिक्षु और बौद्ध शिक्षा प्रणाली पर ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, ब्राम्हण कुमारिल भट्ट, ब्राम्हण वाचस्पति मिश्र और ब्राम्हण राजा सुन्घवा द्वारा बौद्धों पर किये गए हमले और जघन्य हत्त्याये मुस्लिम आक्रमणकारियों से माहाघातक, जादा खतरनाक और केदारनाथ की प्राकृति आपदा से भी खतरनाक थे।

4) अगर भारत के धरती से बुद्ध के नैतिक आचार संहिता के शिक्षा को किसी ने तहसनहस किया है वह मात्र ब्राम्हण केरलनाथ आदि शंकराचार्य, और इसके जघन्य अपराधी ब्राम्हण कुमारिल भट्ट, ब्राम्हण वाचस्पति मिश्र और ब्राम्हण राजा सुन्घवा है अन्य कोई नहीं है.....
 
33 करोड़ देवी-देवता भारत में पैदा हुए। भारत में पैदा होने के बावजूद भारत की ही अखंडता को ही नहीं बनाये रख सके और 33 करोड़ देवी-देवताओ और उनके चमत्कारों के लिए विख्यात देश के लगातार टुकड़े होते चले गए :-
अफ़गानिस्तान.......... 1876 मे भारत से अलग किया गया
नेपाल..................... 1904 मे भारत से अलग किया गया
तिब्बत.................... 1914 मे भारत से अलग किया गया
श्रीलंका.................... 1935 मे भारत से अलग किया गया
म्यामार.................... 1937 मे भारत से अलग किया गया
पाकिस्तान/बांग्लादेश.... 1947 मे भारत से अलग किया गया
मालदीव.................... 1947 मे भारत से अलग किया गया.......
काफी सालो तक देश लगातार बाहरी आक्रमणकारियों का गुलाम भी रहा। मैं तो कहता हु की इन देवी-देवताओ की पोस्ट्स पर बिलकुल नालायक और निठल्ले लोगो को भर्ती कर रखा है, इतने साल से करोडो लीटर दूध पी गए, घी, फल और मिठाई खा गए और सर्विस के टाइम पर आलसी बन जाते है। देश का भला इन्हें बाहर खदेड़ने में ही है, वरना पता नहीं कितने और टुकड़े कराये
 

कोई टिप्पणी नहीं:

 रानी फाॅल / रानी जलप्रपात यह झारखण्ड राज्य के प्रमुख मनमोहन जलप्रपात में से एक है यहाँ पर आप अपनी फैमली के साथ आ सकते है आपको यहां पर हर प्...