मंगलवार, 20 अगस्त 2013

जानिए खाद्य सुरक्षा बिल की 10 सबसे अहम बातें

नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान
First Published:20-08-13 10:35 AM
Last Updated:20-08-13 11:45 AM
जानिए खाद्य सुरक्षा बिल की 10 सबसे अहम बातें
यूपीए सरकार आज लोकसभा में खाद्य सुरक्षा बिल को पास कराने की कोशिश करेगी। खाद्य सुरक्षा विधेयक पर ज्यादा से ज्यादा समर्थन हासिल करने के लिए सरकार अब खुद कई संशोधन पेश करने की तैयारी में है।
प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक में सोमवार को ये फैसला लिया गया। सदन में पेश करने के लिए संशोधन विधेयक मंत्रालय भेज दिए गए हैं, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार उसे भरोसे में लिये बगैर ही आगे बढ़ रही है। उधर दिल्ली में आज सोनिया गांधी खाद्य सुरक्षा योजना का उद्घाटन करेंगी।
खाद्य सुरक्षा विधेयक को राजीव गांधी के जन्मदिन के मौके पर लोकसभा में पारित कराने की कोशिश की अटकलों के बीच सरकार ने कल कहा कि वह इस विधेयक को लेकर ‘स्वीकार करने योग्य’ संशोधनों को मान लेगी।
विपक्ष की ओर से विधेयक में बडी संख्या में पेश संशोधनों के बीच संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार ऐसे सभी संशोधन मानने को तैयार हैं, जो स्वीकार करने योग्य हैं। कमलनाथ से जब संसद परिसर में संवाददाताओं ने लगभग 200 संशोधनों के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि ऐसी स्थिति बने कि यदि कोई स्वीकार करने योग्य संशोधन है, तो सरकार उस संशोधन को पेश कर देगी और फिर वह सरकारी संशोधन के रुप में आएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के बारे में संबद्ध मंत्रियों की बुलाई गई बैठक के बाद कमलनाथ ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार तय करेंगी कि तेलंगाना मुद्दे को लेकर तेदेपा सांसदों का चल रहा विरोध और नारेबाजी को लेकर क्या कुछ करना है। विपक्षी नेता जोर देकर कहते आये हैं कि शोरशराबे और हंगामे के बीच कोई विधेयक पारित नहीं होना चाहिए और वे खाद्य विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेना चाहते हैं।
देश की दो-तिहाई आबादी को जल्द ही हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज सस्ती दर पर मिलने लगेगा। इसमें तीन रुपये प्रति किलो चावल, दो रुपये प्रति किलो गेहूं और एक रुपये प्रति किलो ज्वार मिलेगा।
आइये आपको बताते हैं इस बिल की दस खास बातें...
1. खाद्य सुरक्षा बिल की खास बात यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बनने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा। मौजूदा वक्त में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को 7 किलो गेहूं 4.15 रुपये प्रति किलो और चावल 5.65 रुपये प्रति किलो के आधार पर हर महीने मिलता है। इस एक्ट के अमल में आने के तीन साल बाद कीमतों में फिर से संशोधन किया जाएगा।
2. इस विधेयक के कानून में बदल जाने के बाद अनाज की मांग 5.5 करोड़ मिट्रिक टन से बढ़कर 6.1 मिट्रिक टन हो जाएगी। फूड सब्सिडी लागू होने पर सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ करीब 20,000 करोड़ रुपये होगा। इसके लिए करीब 6.123 करोड़ टन फूडग्रेन्स की जरूरत होगी। फूड सब्सिडी बिल पर कुल फूड सब्सिडी कवर करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा।
3. इस बिल के तहत देश की 67 फीसदी आबादी को हर महीने 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति के हिसाब से मार्केट से कम दाम पर दिया जाएगा। बिल में कहा गया है कि 3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल और 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गेहूं और बाकी अनाजों को 1 रुपये प्रति किलो के आधार पर देश की 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को दिया जाएगा।
4. इस स्कीम को आधार स्कीम के साथ लिंक्ड किया जाएगा। इसके तहत हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान नंबर दिया जाएगा, जो कि डाटाबेस से लिंक्ड होगा। इसमें हर कार्डहोल्डर का बॉयोमीट्रिक्स डाटा होगा।
5. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत आने वाले लगभग 2.43 करोड़ निर्धनतम परिवार कानूनी रूप से प्रति परिवार के हिसाब से हर महीने 35 किलोग्राम खाद्यान्न पाने के हकदार होंगे।
6. लोकसभा में दिसंबर, 2011 में पेश मूल विधेयक में लाभार्थियों को प्राथमिक और आम परिवारों के आधार पर विभाजित किया गया था। मूल विधेयक के तहत सरकार प्राथमिकता श्रेणी वाले प्रत्येक व्यक्ति को सात किलो चावल और गेहूं देगी। चावल तीन रुपये और गेहूं दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा। जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों को कम से कम तीन किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे दाम पर दिया जाएगा।
7. फूड बिल में संशोधन संसदीय स्थाई समिति की रिपोर्ट के अनुसार किए गए हैं, जिसने लाभार्थियों को दो वर्गों में विभाजित किए जाने के प्रस्ताव को समाप्त करने की सलाह दी। पैनल ने एकसमान कीमत पर हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज दिए जाने की वकालत की। शुरू में इस योजना को देश के 150 पिछड़े जिलों में चलाया जाएगा और बाद में इस सब्सिडी को पूरे देश में लागू किया जाए।
8. संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिभाषित गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या भारत में 41 करोड़ है। यह संख्या उन लोगों की है, जिनकी एक दिन की आमदनी 1.25 डॉलर से भी कम है।
9. कुछ राज्य सरकारों ने बिल को लेकर अपनी आशंका जतायी है, जबकि कई अन्य राज्यों का कहना है कि प्रस्तावित कानून के आलोक में जो खर्चे बढ़ेगे, उसका जिम्मा केंद्र सरकार खुद उठाये, उन्हें राज्यों के ऊपर ना डाले। गैर-सरकारी संगठनों की मुख्य आलोचना यह है कि बिल में मौजूदा बाल-कुपोषण से निपटने के प्रावधानों को विधिक अधिकार में बदला जा सकता था, जबकि सरकार ने ऐसा नहीं किया है।
10. मार्च, 2013 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ बदलावों के साथ विधेयक को मंजूरी दी थी। हंगामे के बीच लोकसभा में खाद्य सुरक्षा बिल 6 मई को पेश किया गया, लेकिन सदन में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर हंगामें के चलते बिल पारित नहीं हो सका।

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