ऑपरेशन ब्लूस्टार के ज़ख़्म अब भी क्यों हरे?
रविवार, 4 अगस्त, 2013 को 08:18 IST तक के समाचार
लंदन में सिख समुदाय से ताल्लुक
रखने वाले चार लोगों को भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त लेफ़्टिनेंट जनरल पर
हमला करने के आरोपों में दोषी क़रार दिया गया.
रिटायर हो चुके लेफ़्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार ने ही वर्ष क्लिक करें
1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार का नेतृत्व किया था.
क्लिक करें ऑपरेशन ब्लू स्टार के ज़रिये स्वर्ण मंदिर में छिपे क्लिक करें चरमपंथियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी जो क्लिक करें सिख अलगावादियों को प्रोत्साहन दे रहे थे.
सिख अलगाववादी अपने लिए पंजाब में एक स्वतंत्र राज्य क्लिक करें खालिस्तान की मांग कर रहे थे.
स्वर्ण मंदिर के पवित्र परिसर में हुई इस सैन्य कार्रवाई से दुनिया भर में रहने वाले सिख समुदाय के लोग भड़क उठे और उन्होंने इस परिसर को अपवित्र करने का आरोप सेना पर लगाया.
भारत सरकार के मुताबिक इस घटना में क़रीब 400 लोग मारे गए जिनमें 87 सैनिक थे.
कई बार हत्या की कोशिश
इस कार्रवाई में मंदिर के काफ़ी हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए और सिखों ने इस घटना को अपने धर्म पर हमला समझ लिया.
ऑपरेशन ब्लू स्टार की परिणति तत्कालीन क्लिक करें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के तौर पर हुई. उन्हें उनके एक क्लिक करें सिख बॉडीगार्ड ने इस सैन्य कार्रवाई के लिए ज़िम्मेदार समझते हुए प्रतिशोध में मौत के घाट उतार दिया.
इस घटना के तीन दशक बाद सिखों के एक समूह ने क्लिक करें लेफ़्टिनेंट जनरल बरार से बदला लेने का मौका ढूंढ लिया जो छुट्टियां बिताने के लिए अपनी पत्नी मीना के साथ लंदन में थे.
हैरानी की बात थी कि लंदन में लेफ़्टिनेंट जनरल बरार अपनी पत्नी के साथ बिना किसी सुरक्षा इंतज़ामात के घूम रहे थे जब उन पर हमला कर दिया गया.
लेफ़्टिनेंट जनरल बरार ने भारत से वीडियो लिंक के जरिये अदालत को कहा कि साल 1984 से ही उनकी हत्या करने की कई दफ़ा कोशिश की गई और कई चरमपंथी सिख वेबसाइटों की सूची में भी उन्हें निशाने पर लेने के लिए सबसे ऊपर रखा गया है.
चरमपंथियों के विरोध
उन्होंने कहा कि उन्होंने चरमपंथियों को कई दफ़ा चेतावनी भी दी थी लेकिन जब उन्हें उनसे कोई जवाब नहीं मिला तब उनके पास मंदिर में जाने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा.
उन्होंने कहा, “मैंने सैनिकों से कम से कम बलप्रयोग करने और मंदिर को क्षतिग्रस्त नहीं करने के लिए कहा था लेकिन जब सैनिकों पर चारों तरफ़ से हमले किए जाने लगे तब उन्होंने अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी.”
लेफ़्टिनेंट जनरल बरार ने कहा, “आप बैठकर अपनी मौत का इंतजार नहीं कर सकते हैं. हमें अपनी सुरक्षा की वजह से कार्रवाई करनी पड़ी.”
उन पर हमला करने वाले 34 साल के मनदीप सिंह संधू, 36 वर्षीय दिलबाग सिंह जो लंदन में रहते हैं वे ऑपरेशन ब्लू स्टार के वक्त बेहद कम उम्र के थे लेकिन उनके मन में प्रतिशोध की भावना बनी हुई थी.
बदले की भावना
जब सिंह संधू और दिलबाग सिंह को मालूम चला कि लेफ़्टिनेंट जनरल बरार और उनकी पत्नी लंदन में मौजूद हैं तो उन्होंने एक अभियान शुरू कर दिया जिसके तहत उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
पश्चिमी लंदन के 38 वर्षीय उनके एक दोस्त हरजित कौर ने तो लेफ़्टिनेंट जनरल बरार और उनकी पत्नी का पीछा एक कैसिनो, रेस्त्रां और एक बस तक किया.
30 सितंबर की रात को उन्हें होटल से कुछ ही दूरी पर मौजूद एक शांत सड़क पर उन दोनों पर हमला हुआ.
अदालत की सुनवाई में यह कहा गया कि क्लिक करें हमलावरों ने उनकी पत्नी को एक दीवार की तरफ़ ढकेल दिया और उनकी तीन लोगों ने उनके पति को घेर लिया.
लेफ़्टिनेंट जनरल बरार ने अदालत को कहा, “मैं जोर से चिल्लाया, तुम लोग कौन हो? जाओ यहां से! मैंने उनसे लड़ने लगा.”
उन्होंने कहा, “मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मैं अपनी पत्नी और बच्चों को फ़िर से देख पाऊंगा.”
विरोध जताने की कार्रवाई
हालांकि रात के अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए हमलावर भाग निकले और पास के एक पब में आए लोगों ने लेफ़्टिनेंट जनरल बरार की मदद की जो ख़ून से लथपथ हो चुके थे.उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनका एक ऑपरेशन हुआ. उनके चेहरे और गले पर धारदार हथियार से हमला किया गया था.
दिलबाग सिंह ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने लेफ़्टिनेंट जनरल बरार का पीछा किया था लेकिन उनका मकसद लंदन में उनकी मौजूदगी के प्रति विरोध जताना था.
मनदीप सिंह संधू ने कोई प्रमाण देने से इनकार कर दिया. कौर ने भी इन आरोपों को ख़ारिज़ किया.
लेकिन इन तीनों लोगों को गंभीर रूप से शारीरिक क्षति पहुंचाने का दोषी माना गया है. चौथे हमलावर बरजिंदर सिंह संघा भी इसके लिए पहले दोषी ठहराए गए हैं.
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