शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

भारतीय विद्यार्थी मोर्चा











                                                        राम सुरेश वर्मा

लखनऊदै.मू.समाचार
6 अगस्त 2013 मंगलवार को भारतीय विधार्थी मोर्चा का एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन देख कर हर कोर्इ स्तम्बध था। प्रदेश सरकार द्वारा 2011 की पी.सी.एस परीक्षा के परिणाम को गैर संवैधानिक बनाने के लिए आरक्षण विरोधियों का समर्थन किया गया, जो अगड़ी जातियों के सपा नेता रेवती रमण सिंह और रंजना बाजपेर्इ के दबाव के आगे सपा सरकार झुकते हुए शायद उन्हे लगा होगा कि सपा के साथ अगड़ी जातियों का बहुमत छिटकने के डर से उनकी नाराजगी मोल ना लेने के लिए, जो इलाहाबाद में अगड़ी जाति के 2011 के परीक्षा में पिछड़े छात्रों ने धरना  प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार पर चौतरफा दबाव के चलते अखिलेश ने  आरक्षण विरोधियों को समर्थन दिया ,वही दुसरी ओर कुछ विधार्थीयों के द्वारा आरक्षण समर्थन पर धरना प्रदर्शन होने पर उन्हे अपने मुख्यमंत्री आवास पर बुलाकर कहा कि आरक्षण में 50 फीसदी के अलावा गैर आरक्षण में पिछड़े वर्गो को फायदा नहीं दिया जायेगा। चाहे वे अपनी काबिलियत के माध्यम से जाते है। फिर भी लोक सेवा आयोग की नर्इ संवैधानिक पहल को लागू न करना मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने मजबूरी बताया वही आरक्षण विरोधियों को मजबूती देने के पीछे गैर संवैधानिक कार्य कर स्वयं पिछड़ा वर्ग का होते हुए वही 15 फीसदी अगड़ी जातियों के विरोध के सामने 85 फीसदी को कमजोर करने का गैर जिम्मेदाराना फैसला लेकर 85 फीसदी का विरोध मोल लिया मगर उन्हे आभास नहीं था कि इतनी बड़ी भीड़ आरक्षण के समर्थन में जुटेगी। जो प्रदेश के 75 जिलों से भारतीय विधार्थी मोर्चा के हजारों छात्र-छात्राओं की उपसिथति ने यह दिखा दिया की अब पिछड़ों की अनदेखी नहीं चलेगी जो आज तक संविधान में मूल अधिकारों को बहाल न करने पर पिछड़ापन बना हुआ है।
 वही शासक वर्ग की बेरूखी और ब्राह्राणवादियों के विरोध के चलते असमानता बरकरार है। लखनऊ में विधान सभा भवन के सामने धरना स्थल एवं रोड़ पर खचाखच विधार्थीयों की उपसिथति में संचालन कर्ता मा. विजय प्रताप भारती (प्रदेश प्रभारी भारतीय विधार्थी मोर्चा) ने शुरूआत करते हुए नारा लगाया ''प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसा हो, तो हजारों छात्र-छात्राओं ने जबाब में आवाज बुलन्द करते हुए कहा डा. अनिल कुमार यादव जैसा हो, दूसरा स्लोगन था पिछड़ो को आरक्षण बहाल करो तो एक ही शुरू में आवाज गूंजी, नहीं तो अखिलेश जी कुर्सी खाली करो, ऐसे गगन चुभी नारों के साथ धरना सभा शुरू हुर्इ विजय प्रताप भारती ने पी.सी.एस.पर उठा आरक्षण मामला बताते हुए प्रदेश सरकार की नाकामी को उजागर किया कि  किस प्रकार गैर संवैधानिक कार्य कर पिछड़ो को पिछड़ा बनाये रखने का काम किया है। इस धरना स्थल पर कर्इ सामाजिक संगठनों और पार्टीयों ने भारतीय विधार्थी मोर्चा का आरक्षण समर्थन को लिए  सहयोग देने का ऐलान किया।
 छात्र वक्ताओं में मा. ज्ञानेन्द्र राव (प्रतापगढ़) प्रेम प्रकाश बौद्ध (गाजियाबाद) प्रदीप कुमार (इलाहाबाद) आयु. निशा आदिवासी (इलाहाबाद) धमेन्द्र कुमार मौर्य (जौनपुर) ओमप्रकाश सिंह(हापुड़) प्रशान्त कान्त लाल (लखनऊ) अशिवनी कुमार बौद्ध (कौशाम्बी) आदि छात्रों ने उपसिथत भीड़ में अपनी बात रखते हुए कहा कि तथाकथित आजादी के 66 वर्षो से हम व्यवस्था से पिछड़े हुए मूलनिवासी लोग असमानता का दश झेल रहे है। हमे हमारा मौलिक संवैधानिक अधिकार नहीं मिलने के कारण शासन-प्रशासन में प्रतिनिधित्वहीन है। जहाँ आज लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डा. अनिक कुमार यादव ने संवैधानिक प्रक्रिया को वहाल करते हुए सीमित आरक्षण लाभ के बाद गैर आरक्षण की 50 फीसदी में सबको योग्यता के आधार पर भर्ती प्रक्रिया से पद भरने की प्रक्रिया बहाल की तो अगड़ी जाति के मेरिट से पिछड़े लोगों ने हंगामा कर पिछड़ो को पिछड़ापन में रखने के साथ गैर आरक्षण वाली 50 फीसदी सीटों पर 15 फीसदी को आरक्षित करने के लिए अखिलेश सरकार पर दबाव बनाकर पिछड़े वर्ग पर पिछड़े वर्ग के मुख्यमंत्री से गैर संवैधानिक कार्य को अंजाम दिया गया। इसे हम बर्दास्त नहीं करेगे। अब बहुत हो गया शासक वर्ग का नाटक अब वही राज करेगा। जो 85 फीसदी और 15 फीसदी के बीव की खार्इ को खत्म करके समानता का हक और अधिकार देना होगा। वही इस देश में राज करेगा उसी का साथ 85 फीसदी के युवा वर्ग के भारतीय विधार्थी मोर्चा साथ देगा।
इस धरना प्रदर्शन में आय हुए मा. प्रदीप अम्बेडकर (प्रदेश प्रभारी भारत मुकित मोर्चा) ने भारतीय विधार्थी मोर्चा को भारत मुकित मोर्चा का समर्थन देते हुए मंच से ऐलान किया की आज असमानता की खार्इ बनार्इ है। जो इनसान-इनसान में झगड़ा लगाने वाले शासक वर्ग द्वारा बोया गया बीज मानवीय जीवन में फर्क कर रहा है। जिसे खत्म  करने के लिए और समानता स्थापित करने के लिए आज आरक्षण की विशेष रूप से जरूरत है। क्योंकि अगर पिछले 66 सालों में संवैधानिक प्रक्रिया को लागू किया गया होता तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता आरक्षण के विरोध और समर्थन की बात नहीं होती मगर शासक वर्ग ने पिछड़ो को अधिकार वंचित रखकर मनुस्मृति को लाना चाहते थे।
 जो नहीं हुआ लेकिन संविधान में अमल न कर पिछड़ापन को खत्म नहीं होने दिया वही लोगों के जागृति होने की वजह से जहाँ पिछड़े वर्ग के कुछ स्वार्थी और पिछड़ों के दुश्मन बनकर मौलिक अधिकारों को खत्म करवा रहे है। ऐसी दशा में भारत मुकित मोर्चा जहाँ सामाजिक जागृति का काम कर व्यवस्था परिवर्तन की लड़ार्इ लड़ रहा है। वही आज भारतीय विधार्थी मोर्चा के संवैधानिक अधिकारों की माँग का सर्मथन करता है। जरूरत पड़ी तो संविधान के दायरे में रहकर जन आन्दोलन का साथ देगा और मुख्यमंत्री को अपने फैसले को वापस लेकर आरक्षण का समर्थन करने पर मजबूत करेगे। 50 फीसदी गैर आरक्षण की सीटों पर मेरिट मे आये लोगों को ही बाहल किया जायेगा। ऐसा ही आगे भी करना होगा।
भारतीय अधिवक्ता संघ के मा. वी.एम.सिंह कहा कि आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है। यह किसी के द्वारा दी गर्इ खैरात नहीं है। जो हमें बार-बार शासक वर्ग और ब्राह्राणवादियों द्वारा देने का बहाना करना फिर अगड़ों के दबाव में हटाना असंवैधानिक है। क्याेंकि भारत में तथाकथित आजादी के 66 साल गुजर जाने के बाद असमानता खत्म न होने का मूल कारण आरक्षण पर पूर्ण अमल न होना है।
 जबकि पिछड़ो को समानता पर लाने और उचित प्रतिनिधित्व देकर गैर बराबरी को खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) में मौलिक अधिकार दिये गये है। वही लोक सेवा आयोग को संवैधानिक अधिकार है कि वह सरकार से हटकर संवैधानिक दायरे में संविधान के मौलिक अधिकारों को बहाल करने का अनुच्छेद 315 में अधिकार दे रखा है। मगर उŸार प्रदेश सरकार ने जो ब्राह्राणवादियों और शासक वर्ग के दबाव में आकर मा. अनिल कुमार यादव (अध्यक्ष लोक सेवा आयोग) से मजबूर कर गैर संवैधानिक कार्य करवाये जा रहे है। जिन्हे बचाने का आरक्षण समर्थकों के साथ भारतीय अधिवक्ता ऐसोशियन संविधान प्रक्रिया को बहाल करवाने के लिए तत्पर है। साथ सहयोग कर, सरकार के ना वकित मानने पर, जन आन्दोलन में संवैधानिक बात रखने में आगे आयेगा। क्योंकि यह लड़ार्इ किसी विशेष के साथ नहीं है। बलिक अपने
अधिकारों को हासिल कर गैर बराबरी को खत्म करने की पहल है। मगर सपा-बसपा का शासक वर्ग के साथ प्रेम और बहुजनों के विरोध में गलत निर्णयों ने 85 फीसदी को मुसीबत में डाल दिया है। वर्ष गैर संवैधानिक कार्यो पर मोहर लगा रहे है।
एड.जे.एस. कश्यप (कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बहुजन मुकित पार्टी) ने अपनी बात रखते हुए गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज बड़े शर्म की बात है कि प्रदेश में पिछड़ों की सरकार और विपक्ष में पिछड़ो की पार्टी होते हुए भी पिछड़ो के साथ अन्याय हो रहा है। वो भी इन्ही के हाथों में जो 15 फीसदी लोगों को गैर संवैधानिक आरक्षण दिया जा रहा है। वही 85 फीसदी पिछड़ो को 50 फीसदी आरक्षण में समेटकर रख दिया है। जबकि 50 फीसदी आरक्षण के बाद बचे 50 फीसदी पदो पर मेरिट के आधार पर चुने जाने वाले अभ्याथियों को प्राथमिकता दी जाती है। मगर अखिलेश सरकार मनुवादियों के चन्द लोगों के दबाव में आकर बहुजनों के साथ असंवैधानिक व्यवहार कर असमानता को बरकरार रखने में मनुवादियों के दबाव में उनसे एक कदम आगे बढ़ गया है। इसका जहाँ बहुजन मुकित पार्टी विरोध करती है। वही भारतीय विधार्थी मोर्चा के आरक्षण समर्थन में संविधान के दायरे में साथ सहयोग करती है। 
आरक्षण के संवैधानिक अधिकारों को समय रहते राज्य सरकार लागू नहीं करवाती है। तो जन आन्दोलन करने पर हमें मजबूर होना पड़ेगा।
जिसका जिम्मेदार सपा सरकार होगी जो सदियों से गुलाम पिछड़े लोग अब जुल्म नहीं सहेगे। अब आँधी नहीं, तुफान नहीं बड़े पैमाने पर ब्राह्राणवादियों को सही रास्ते पर चलने के लिए सुनामी लायेगे। और जरूरत पड़ी तो पूरे भारत में आवाज उठायेगे। आयु. किरन चौधरी ने अपनी बात रखते हुए कहा यह लड़ार्इ सिर्फ पिछड़े वर्ग के पुरूषों की नहीं है। इसमें महिलाए भी आन्दोलन में संवैधानिक अधिकार बहाल नहीं किये जाने तक भारतीय विधार्थी मोर्चा को महिला मोर्चा का साथ रहेगा। क्याेंकि बहुत सारी महिलाओं को आज की व्यवस्था में अधिकार वंचित किया गया है। आज वर्तमान व्यवस्था में अगर किसी के साथ ज्यादा अन्यथा हो रहा है। तो महिलाओं के साथ हो रहा है। इसलिए महिलाओं की भागीदारी सुनिशिचत करने की जिम्मेदारी लेते हुए सरकार पर दबाव डालने का काम किया जायेगा। प्रवेन्द्र प्रताप सिंह (प्रदेश अध्यक्ष बहुजन मुकित पार्टी) ने एड.जे.एस.कश्यप की बात दोहराते हुए समर्थन् का पक्ष रखते हुए कहा कि आज असमानता, लाचारी, भुखमरी और तमाम तरह की समस्याओं को मनुवादियों ने उत्पन्न किया है। वही आज बहुजनों को अधिकार वंचित करने के लिए षड़यंत्र रच रहा है। जो हर व्यवस्था पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिए स्वयं मनुवादी सहयोगियों को अपने प्रभाव में लेकर गैर संवैधानिक कार्यो को अंजाम देकर प्रदेश में अमीरी-गरीबी की खार्इ बनार्इ जा रही है।
 वही मनुवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे कार्यो को अब बहुजन मुकित पार्टी नहीं होने देगी प्रदेश में किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी जिसकी जितनी संख्या है। उसे उस अनुपात में व्यवस्था में बने रहने का अधिकार देने का पक्षधर है। मगर वर्तमान अखिलेश सरकार 85 फीसदी लोगों को 50 फीसदी आरक्षण में समेटकर 15 फीसदी को 50 फीसदी गैर संवैधानिक आरक्षण बहाल करने का गैर कानूनी कार्य कर रही है। जो बहुजन मुकित पार्टी को मंजूर नहीं है। वहीं विरोध करने के साथ भारतीय विधाथी मोर्चा का अपना समर्थन देती है। जो संविधान के दायरे में रहकर विरोध एवं जरूरत पड़ने पर जनआन्दोलनका समर्थन करेगी।
डा. एस.के संखवार (प्रदेश अध्यक्ष भारत मुकित मोर्चा) ने अपनी बात रखते हुए कहा की प्रदेश स्तर की सभी भारत मुकित मोर्चा का यूनिटे (जिला,तहसील, ब्लाक, गांव, आदि) भारतीय विधार्थी मोर्चा के धरना प्रदर्शन का समर्थन करते हैं। वही अखिलेश सरकार को संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिए संवैधानिक दायरे में रहकर जो पिछड़ों के फैली असमानता को खत्म करने के लिए आरक्षण समर्थको के साथ सहयोग करेगें। जो अनितम लड़ार्इ तक जारी रहेगी। और आगे कहा यह लड़ार्इ सिर्फ विधार्थियाें की लड़ार्इ नहीं है।यह 85 फीसदी बहुजनों के अधिकारों की लड़ार्इ है। असमानता को खत्म करने की लड़ार्इ है।
जो समता, स्वतंत्रता, बन्धुता पर आधारित न्याय की सीख देती है। जिसमें सभी वर्ग मान, सम्मान और स्वाभिमान से रहने का वचन देती है। मगर कुछ ब्राह्राणवादी बनकर अपने स्वार्थ में अगर कोर्इ गलत निर्णय लेता है। तो उसे सुधरने का मौका देने के बाद भी वह नहीं सुधरता है। तो उसे सुधारने के लिए लोकतंत्र के माध्यम के बजाय राष्ट्रव्यापी जनआन्दोलन ही एक मात्र रास्ता है। क्योंकि लोकतंत्र में जिन्हें ताकत दी उन्ही के विरोध में षड़यत्र कर रहे है। तो आखरी हथियार राष्ट्रव्यापी जनआन्दोलन करना होगा नहीं तो आज 50 फीसदी में बाँधने की पहल हो रही है। कल को सम्पूर्ण आरक्षण खत्म कर देगें इस धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता डा. योगेश राव (प्रदेश अध्यक्ष भारतीय विधार्थी मोर्चा) ने करते हुए कहा कि तथाकथित आजादी में जहाँ बहुजनों के अधिकारों को 66 साल गुजर जाने के बाद भी मानवीय समानता लाने के लिए संविधान में दिये गये मौलिक अधिकारों को अमल में लाने हेतु शासक वर्ग ने अडं़गा लगाया, पिछड़ों को अधिकार वंचित रखा, शिक्षा को समाप्त करने के लिए शिक्षा का निजीकरण किया यहाँ तक प्राथतिक शिक्षा में 8वी तक फेल न करने का शासक वर्ग का आदेश है। जो पिछड़ों के व्यवस्था में आने से पहले अभावों में है।
 उपर से नीव खराब करने का षड़यंत्र चल रहा है। वही बच्चे को शिक्षित बनाने के जगह भिखारी बनाने का काम चल रहा है। वही व्यवस्था में कुछ विधार्थी किसी न किसी रूप से पढ़ार्इ पूरी कर रहे है। तो उन्हे प्रतिनिधित्व देने से रोकने के लिए कालेज एवं विश्वविधालय स्तर पर फीसें में बड़े पैमाने पर बढ़ार्इ गर्इ फिर भी पिछड़ों से कोर्इ विधार्थी अपने अधिकारों को पाने में कामयाब हो रहा है। तो वहा ब्राह्राणवादियों के सवार्थ के आगे गैर संवैधानिक प्रयासों को अंजाम दिया जा रहा है। जो इस वक्त उŸार प्रदेश सरकार मनुवादियों के दबाव में आकर 2011 में पी.सी.एस. परीक्षा के रिजल्ट में 50 फीसदी आरक्षण के अलावा 50 फीसदी गैर आरक्षण पदो पर मैरिट में स्थान पाये पिछड़े वर्गो के छात्रों को अधिकार वंचित करने के लिए तत्सम वर्ग के 15 फीसदी लोगों को 50 फीसदी गैर संवैधानिक आरक्षण लागू करने का राज्य की सपा सरकार ने रंजना बाजपेर्इ के माध्यम से सपा पर दबाव बनाकर गैर आरक्षित और दोषपूर्ण तरीके से आरक्षण लागू करने का रास्ता बना दिया है।
 जिसके कारण पिछड़ा वर्गो को पहले से व्यवस्था में बेदखल कर रखा है। वही अपनी काविलियत से आगे बढ़ने वालों को रोककर वंचित करने का षड़यंत्र कर अखिलेश सिंह यादव दोषी बन गया है। वही मनुवादियों के छात्रो के धरना प्रदर्शन होने के बाद शासक वर्ग के दबाव में पिछड़ो के मुख्य मंत्री पिछड़ो के अधिकारों पर तलवार लटकाकर जहाँ अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मार रहा है। वही पिछड़ों का सत्यानाश करने का दूसरा अध्याय जोड़ दिया है। इसलिए अब सिर्फ लोकतंत्र में पार्टी बदलाव से कुछ नहीं होने वाला है। इसलिए समय पर मांगे नहीं मानी जाती है। तो हमे सभी पिछड़ो का सहयोग लेकर जनआन्दोलन कर अपने अधिकारों को बचाने के साथ व्यवस्था परिवर्तन कर समानता लाने में विधार्थी युवा शकित को आगें आना होगा अन्यथा षड़यंत्र पर षड़यंत्र होते रहेगे। वही हमारे अधिकार छीनने के साथ शासक वर्ग का वर्चस्व मजबूत होने पर मनुवादी ताकते हावी हो जायेगी जहाँ अपने को अभी दगा दे रहे है।
 जबकि मनुवादियों की पूर्ण ताकत होने पर हमारी कौन सुनेगा। इसलिए साथियों हमें समय रहते सम्भलने की जरूरत है।
इसलिए विधार्थी मोर्चा को अपने अधिकारों की लड़ार्इ के लिए मरते दम तक कमर कसनी होगी। और अपनी बात को जय मूलनिवासी कहते हुए खत्म किया इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सूरज गौतम, बसन्त कुमार, कनौजिया, प्रेम कुमार, प्रभात कुमार पाल, उŸाम सिंह, साधना सिंह, अमरीश कुमार यादव, जय प्रकाश, धर्मेन्द्र कुमार, अजात शत्रुु, अंकित कुरील, दीपक कुमार पटेल, राकेश कुमार पासवान, राहुल वर्मा, अरविन्द्र यादव, का योगदान सराहनीय रहा वही हजारों विधार्थी भारतीय विधार्थी मोर्चा से जुड़कर आन्दोलन को तेज करने का संकल्प लिया जो अखिलेश सरकार के लिए मुसिबत लेकर आया है। जो अब चंद लोगों को व्यवस्था में स्थापित करके अपनी गर्दन बचाते हैं। या पिछड़ो के विशाल समूह के अधिकार छीनकर अपनी कुर्सी गवाते है। यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन जिस प्रकार हजारों की संख्या में विधार्थी मोर्चा के विधार्थीयों ने जो लखनऊ में उपसिथति दर्ज करवाकर बिगुल बजाया है। इसमें अखिलेश सरकार की बेर्इमानी उन्ही के गले की घंटी बन गर्इ है। अब उनके लिए न अगलते बन रहा है। और न निगलते बन रहा है। वही भारीय  विधार्थी मोर्चा ने आगे की रणनीति जल्दी ही बनाने की घोषण की है। अगर संवैधानिक अधिकार बहाल नहीं होते है तो जल्दी ही बड़ा आंदोलन करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

डोंबारी बुरु

 झारखंड का जालियांवाला बाग है खूंटी जिले का डोंबारी बुरु आज से 122 साल पहले नौ जनवरी 1899 को अंग्रेजों ने डोंबारी बुरु में निर्दोष लोगों को ...