शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

भारतीय विद्यार्थी मोर्चा उत्तर प्रदेश

भारतीय विधार्थी मोर्चा का दूसरा उŸार प्रदेश राज्य अधिवेशन, लखनऊ के गंगा मेमोरियल प्रसाद वर्मा मेमोरियल सभागार, अमीनाबाद, लखनऊ 12 सितम्बर 2013 को सम्पन्न हुआ।










 
भारतीय विधार्थी मोर्चा का राज्य अधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ!
भारतीय विधार्थी मोर्चा का दूसरा उŸार प्रदेश राज्य अधिवेशन, लखनऊ के गंगा प्रसाद वर्मा मेमोरियल सभागार, अमीनाबाद, लखनऊ में 12 सितम्बर 2013 को सुबह 11 बजे से शुरू हुआ। भारतीय विधार्थी मोर्चा के इस राज्य अधिवेशन में उŸार प्रदेश के सभी जिलाें सेे विधार्थी भारी से भारी संख्या में आये। और इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत मुकित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा.वामन मेश्राम साहब ने की। भारतीय विधार्थी मोर्चा का दूसरा राज्य अधिवेशन बहुत ही सफल रहा है। और इसमें आने वक्ताआें ने अपने विचार रखें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मा.मेश्राम साहब ने कहा कि आज भारत का मूलनिवासी विधार्थी अपनी समस्याआें से जूझ रहा है। और यह समस्या पैदा करने वाले मनुवादी लोग मौज कर रहे है।  वे तो भारत के मूलनिवासी छात्राें को अधिकार देना ही नहीं चाहते है मगर क्या करें वे संविधान से बाध्य है। और जो संविधान ने अधिकार दिये है उनको षडयंत्र कर खत्म कर रहे है। इसलिए वे सभी सरकारी स्कूलों बन्द कर प्रार्इवेट शिक्षा को तेजी से ला रहे है। जिससें हमारे समाज का विधार्थी वर्ग उस जगह पहुँच ही नहीं पायेगा और पीछे हो जायेगा। इसलिए को ध्यान में रखकर मैनें सोचा कि विधार्थियों की समस्याओं के निदान के लिए भी एक संगठन होना चाहिए इसलिए भारतीय विधार्थी मोर्चा नाम का संगठन बनाया।










इसमें सुचित्रा जी ने भी अपने विचार रखे। भारतीय विधार्थी मोर्चा के दूसरे राज्य अधिवेशन में उŸार प्रदेश के 75 जिलों से आये आप सभी छात्र-छात्राआें का स्वावगत करती हूँ। आज इस अधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे मा. वामन मेश्राम साहब व हाल में उपसिथत सभी साथियाें को जय मूलनिवासी।
साथियाें आज शासक वर्ग यूरेशियार्इ ब्राह्राणों की वजह से इस देश के मूलनिवासी  (एससीएसटीओबीसी एवं माइनोरटी) विधार्थियों के लिए शिक्षा में कोर्इ भी व्यवस्था नहीं की गर्इ है। और जो अधिकार उन्हें संविधान से मिले थे वह भी शासक वर्ग छीन रहा है। भारत के शासक वर्ग को अपने पड़ोसी देश चीन से सीखने की जरूरत है। जो भारत से लगभग 10 साल बाद आजाद हुआ फिर भी वहां की सरकार ने अपने देश के विधार्थियों के लिए शिक्षा के द्वार खोले है।  जिसमें 1990 से 2010 के बीच उच्च शिक्षा में रजिस्ट्रेशन की संख्या 3.4 से बढ़कर 30 प्रतिशत पहुँच गर्इ है।
चीन की सरकार ने 2300 से ज्यादा केन्द्रीय विश्वविधालयों की संख्या बढ़ा ली है। जबकि भारत में मात्र 600 यूनिवर्सिटी है। और पिछले साल 3 सालों में भारत ने एक भी विश्वविधालय नहीं खोला है। और निजी कालेजो और विश्वविधालयों को बढ़ावा दिया है।
चीन ने 2010 में अपने (जीडीपी) सकल घरेलू उत्पाद का (1.5 प्रतिढत) उच्च शिक्षा पर खर्च किया था। यानि की पड़ोसी देश अपने हर स्तर पर विकास कर रहे है शिक्षा के प्रवीण हो रहे है मगर भारत में ब्राह्राणी व्यवस्था में हर व्यवस्था को ध्यवस्थ किया जा रहा है। जो बहुजनों के सत्यानाश करने का काम है।
भारत सरकार में बैठे ब्राह्राणों ने 2010 में अपनी जीडीपी का मा. 0.5प्रतिशत से भी कम उच्च शिक्षा पर खर्च किया। और भारत में सरकारी यूनिवर्सिटी की कमी की वजह से देश भर के ढेरो छात्र-छात्राये पिछले 5 साल में 60 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए बाध्य हुए है। जहां पर बहुत अधिक फीस होने के कारण उनके माता-पिता अधिक फीस जमा नहीं कर पा ते है इसलिए मूलनिवासी छात्र-छात्रायें उन स्कूल में नहीं पहुँच पाते है। और इस वजह से उनको उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती है।
साथियाें पिछले 1 साल पहले हमारे देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी इस को स्वीकार किया कि दुनिया के 200 विश्वविधालयाें में भारत का एक भी विश्वविधालय नहीं है। जब भारत ब्राह्राणी व्यवस्था गुलामी से पहले विश्व गुरू हुआ करता है। और यहां हजारों की संख्या में पूरे देश से छात्र-छात्रायें आया करती थी। तब भारत में नालन्द, तक्षशिक्षा, विक्रमशिला आदि महत्वपूर्ण विश्वविधालय थे। इससे साबित होता है कि जब से इस देश पर शासक वर्ग की नालयकी से इस की एक भी यूनिवर्सिटी दुनिया के 200 विश्वविधालयों में शामिल नहीं है। आज आजादी के 66 वर्ष समाप्त हो चुके है। जिसमेें  सबसे ज्यादा शासन लगभग 55 साल कांग्रेस ने व 10 साल बीजेपी ने किया है। और भारत को इस गर्त में पहुँचाने का काम किया है। अत: मै आप सभी से बस इतना कहना चाहती हूँ कि इस देश में छात्र-छात्राओं के साथ हो रहे अन्याय के लिए अब भारतीय विधार्थी मोर्चा नाम का संगठन बन चुका है और यह पूरे भारत में जोरों पर चल रहा है और विधार्थीयों की समस्याआें को पूरे देश में उठा रहा है। इसलिए आप सभी अपने गांव-ब्लाक-जिला में जाकर अपने मूलनिवासी छात्र-छात्राआें को अधिक से अधिक जानकारी दे और उनको बताये। और भारतीय विधार्थी मोर्चा में तन-मन-धन से सहयोग करने को कहे। क्याेंकि इतिहास गवाह है। कि जिधर युवा पीढ़ी चलती है उधर ही पूरा देश चलता है। -सुचित्रा

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