सऊदी अरब में अवैध अप्रवासी कामगारों की धरपकड़
मंगलवार, 5 नवंबर, 2013 को 05:54 IST तक के समाचार
सऊदी अरब में रोजगार के क्लिक करें
नए नियम लागू होने के बाद लागू की गई आम माफ़ी की अवधि समाप्त
हो जाने के बाद प्रशासन अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी कामगारों की धरपकड़ कर
रहा है.
पिछले तीन महीनों में करीब दस लाख बांग्लादेशी, क्लिक करें
भारतीय, नेपाली, पाकिस्तानी, यमनी और अन्य देशों से आए अप्रवासी सऊदी अरब छोड़कर जा चुके हैं.
इंडोनेशिया के अधिकारियों के मुताबिक करीब चार हज़ार इंडोनेशियाई नागरिक जेद्दा में हिरासत में रखे गए हैं. ये लोग प्रत्यर्पण का इंतज़ार कर रहे हैं.
ये लोग एक अपना सारा सामान लेकर एक फ्लाईओवर के नीचे इकट्ठा हो गए और खुद को प्रशासन के हवाले कर दिया.
आधी कामगार आबादी
एक अनुमान के मुताबिक सऊदी अरब में करीब 90 लाख अप्रवासी कामगार रहते हैं. ये सऊदी अरब में कार्यरत कुल लोगों की आधी संख्या के बराबर हैं. अप्रवासी कामगार सऊदी अरब के दफ़्तरों और उद्योगों में कार्यरत हैं तथा मज़दूरी भी करते हैं.अरब देशों में सऊदी अरब सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन सऊदी नागरिकों में बेरोजगारी की दर 12 प्रतिशत है और प्रशासन अब इसे कम करने की कोशिशें कर रहा है.
सरकार ने पहले कहा था कि यदि कोई अवैध प्रवासी पकड़ा जाता है तो उसे क़ैद, जुर्माना हो सकता है या उसे वापस भी भेजा जा सकता है.
"मुझे कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी कार और घर बेचना पड़ा. सबकुछ इतनी जल्दी हुआ है कि मैं इस बदलाव के लिए तैयार भी नहीं था, कभी-कभी मुझे आत्महत्या का भी ख्याल आता है."
सऊदी अरब से भारत लौटे स्वामीनाथन
सऊदी अरब के उपश्रम मंत्री मिफ़रिज़ अल हक़बानी ने बीबीसी अरबी रेडियो के कार्यक्रम में कहा, "श्रम मंत्रालय ने उन कंपनियों की पहचान कर ली है जो श्रम क़ानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. ये वे कंपनियां हैं जिनके कामगारों के पास कराम करने का परमिट नहीं है और वो बिना परमिट के लोगों को काम दे रही हैं. हम कंपनियों में जाकर कामगारों के दस्तावेज़ों का निरीक्षण करते हैं."
भारत पर असर
नए श्रम क़ानूनों का भारत के अप्रवासी कामगारों पर व्यापक असर पड़ रहा है. सऊदी अरब में बीस लाख से अधिक अप्रवासी भारतीय काम करते हैं. इनमें से करीब एक लाख लोग अवैध रूप से सऊदी अरब में थे.सऊदी अरब में भारत के दूतावास के मुताबिक रविवार को समयसीमा समाप्त होने से पहले अवैध रूप से रह रहे 95 प्रतिशत भारतीय प्रवासी वापस लौट चुके हैं.
सऊदी अरब से भारत लौटने वालों में एक स्वामीनाथन ने कहा, "मुझे कर्ज़ चुकाने के लिए अपनी कार और घर बेचना पड़ा. सबकुछ इतनी जल्दी हुआ है कि मैं इस बदलाव के लिए तैयार भी नहीं था, कभी-कभी मुझे आत्महत्या का भी ख्याल आता है."
अप्रवासी कामगारों की वापसी का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. विदेशों में रह रहे भारतीयों ने पिछले साल करीब 70 अरब डॉलर भारत भेजे थे.
शोषण
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब की श्रम प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा है कि यहाँ कामगारों का शोषण किया जाता है.ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, "सऊदी अरब में लागू कफ़ाला प्रणाली के तहत कामगार ज़मानत देने वाली कंपनी यानी जो उसे लेकर जाता है उसके साथ बंध जाता है. कामगार को नौकरी बदलने या देश छोड़कर जाने के लिए उसकी अनुमति की ज़रूरत होती है. जिसका स्पॉनसर ग़लत इस्तेमाल करते हैं और कामगार के पासपोर्ट और वीज़ा को अपने पास जब्त कर लेते हैं. अप्रवासियों से जबरदस्ती काम करवाया जाता है और उनकी तनख्वाह भी रोक ली जाती है."
सउदी अरब में निताकत कानून पर अमल से पहले विदेशी कामगारों में अफरातफरी का माहौल बन चुका है। सरकारी दफ्तरों में कागजात दुरूस्त कराने वालों की लंबी कतारे लगी है। हवार्इ अìाें पर भारी भीड़ जमा है। वहीं विदेशी कामगारों ने जेल जाने के डर से लाखों विदेशी मजदूर किसी भी हालत में सऊदी अरब छोड़ने की कोशिश में है। इनमें सबसे अधिक एशिया महाद्वीप से है जिसमें भारत की संख्या अधिक है। सऊदी अरब में आब्रजन विभाग के बताये अनुसार अब तक 9 लाख लोग अपने-अपने देश लौट चुके है।
देश में बढ़ते बेरोजगारी से परेशान सऊदी अरब सरकार ने अपने देश के नागरिको को नौकरियों में प्राथमिकता देने का निर्णय किया है। इसके लिए सरकार ने 2011 में निताकत कानून बनाया था। इसको लागू करने की समय सीमा 2013 तक तय की गर्इ। जिसके तहत नीजि कंपनियों में सऊदी नागरिको को वरीयता देने का प्रावधान किया गया है। इसलिए वगैर पर्याप्त कागजात के सऊदी अरब में रह रहे लाखाें विदेशी कामगारों की नौकररियों पर संकट आ गया। इसके बाद प्रभावित देशाें की सरकारें हरकत में आर्इ उन्हाेंने अपने मजदूराें को देश से बाहर निकलने के लिए सऊदी अरब से कुछ वक्त देने की अपील की है। इससे पहले भी सऊदी अरब इन विदेशी मजदूरों को बाहर निकलने के लिए दो बार समय दे चुका है। लेकिन उन देशों के सक्रिय नहीं होने के कारण लाखों मजूदर अभी वहीं लटके हुए हंै अब वह ऐसा मौका दुबारा देने के पक्ष में नहीं है।
भारत में बेरोजगारी इस कदर है कि उनके विदेशों में गुलामी करने के अलावा कुछ सोच ही नहीं है। भारत में ब्राह्राणवादी सरकार केवल वर्ग विशेष के लिए योजना बनती है। और उनके ही सुधार का प्रयास करती है। भारत में मूलनिवासियाें को भारत में ही गुलामी का जीवन जीना पड़ रहा है। इससे तंग आकर और अच्छी पगार के चलते भारत को छोड़ने वाले ज्यादातर मुसिलम समुदाय के हंै। जिनको भारत में हाशिये पर रखा गया है। ऐसी ब्राह्राणवादी सरकारें क्या इनके लिए ठोस सार्थक कदम उठायेगी? दूसरा महत्वपूर्ण समस्या है कि भारत के बाहर गुलामी करने वाले यह भारत के मूलनिवासी बहुजन बड़ी संख्या में इस सरकार को विदेशी आप को इन कम कराते थे जिससे ब्राह्राणवादियों को भारतीय प्राकृतिक संसाधनों को लूट करने में मदद मिलती थी अब वह बन्द हो जायेगी अब सरकार ने इन गुलामाें के लिए थोड़ा समय मांगने का प्रयास किया है। क्योंकि अन्य देश अपने नागरिको के लिए आगे बढ़े है। इसलिए अगर भारत सरकार जिस पर ब्राह्राणवादियों का कब्जा है अगर इस तरह की मांग नहीं करती है। तो वह और भी शक घेरे में आ जाती इसलिए अब केवल दिखावे का नाटक कर रही है। दरअसल भारत को अपने नागरिको की चिन्ता होती तो वह भी नागरिको को बेरोजगारी दूर करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बन्द नहीं करती और करती भी तो निजी क्षेत्रों में भी उसी तरह का प्रावधान करती जैसा की सऊदी अरब अपने नागरिको के लिए कर रहा है। गौरतलब यही है कि भारत में नीजिकरण कर लोगों को बेरोगार बनाने और सार्वजनिक क्षेत्र को बन्द कर लोगों को बेरोजगार बनाने का कार्यक्रम चल रहा है ऐसे में एक बड़े गुलामी में जीने वाले भारतीय नागरिको की मुशिकले बढ़ गर्इ है। उनके ऊपर दया अगर सऊदी अरब दिखाता है तो उन्हें वापस अपने सरजमी पर आने का समय और देगा। अगर नहीं देता है तो वहीें उनके परिवार बेमौत मारे जायेगे जो अबतक विदेशी गुलामी के सहारे जी रहे थे।
भारत के मूलनिवासी बहुजन इस समस्या के दल-दल में है। जिनके लिए मूलनिवासी बहुजनों को आगे आना होगा और अपने विदेश गये भार्इयाें की सुरक्षा सहित वापस लाने के लिए भारत की सŸाा पर काबिज ब्राह्राणवादी सरकारों को घेरना होगा। ताकि वह भारत में लौट ने वाले नागरिको को पुन: रोजगार की व्यवस्था करें नहीं तो सŸाा खाली कर देश को मूलनिवासी बहुजनाें को दे दें अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो जन-आन्दोलन के लिए भारत मुकित मोर्चा का सहयोग दे।
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