भ्रष्टाचार मंे लिप्त नेता भ्रष्टाचार खत्म करने का करते है झूठा दावा!
आज वहीं लोग भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा कर रहे है जो स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। जिनके इंसाफ चरित्र को अगर देखा जाय और निष्पक्ष ही कर तो पूरा कि चरित्र ही अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बरर्बरता साम्प्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद से भरा पड़ा है। जिस व्यक्ति का राजनीतिक सफर की शुरू आत ही अत्याचार, भ्रष्टाचार से भरा है वह अत्याचार, भ्रष्टाचार कैसे खत्म कर सकता है। क्यांेकि उसकी बुनियाद ही गलत है। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि कोई भी महल बुनियाद पर ही टिकी होती है। अब अगर उसकी बुनियाद ही कमजोर होकर नष्ट हो जाती है। तो वह महल स्वाभाविक है कि बुनियाद के कमजोर होते ही धराशायी हो जायेगी। यह बात दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति जानता है। इसलिए वह उस बुनियाद को कमी स्वयं कमजोर नहीं सकता पर वह महल जिस बुनियाद पर टिकी ही। यह बात समझ में आती है कि भ्रष्टाचार खत्म करने का महज एक दिखावा कर सकता है। अब मोदी की इस दावे को कैसे मान लिया जाये कि मोदी भारत से अत्याचार, भ्रष्टाचार खत्म कर देगा। क्यांेकि मोदी की राजनीतिक महल अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता कामय है। यह भला किसे नहीं मालूम है कि मोदी आरएसएस का सदस्य है। और लोगों को यह भी है कि आरएसएस का काम ही अत्याचार भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता सामाजिक भेदभाव सासम्प्रदायकिता पैदा करके ब्राह्मणी व्यवस्था को मजबूत करके भारत की सŸाा पर कन्ट्रोल बनाये रखना उसकी प्राथमिकता होती है।
अब नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर कैसे यकीन किया जा सकता है कि भाजपा गर्वमेन्ट जो दावा करती है वह उस पर अमल करेगी क्यांेकि सच्चाई यह है कि भाजपा पर तरह से आरएसएस का कब्जा है सभी जानते है कि चुनाव मंे भाजपा की कमान मोहन भागवता के पास पूरी रही है। जिसने भाजपा को यहां केन्द्र तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी यहाँ तक की केन्द्र की बागडोर के लिए अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता का सहारा लिया और एससी, एसटी, ओबीसी को मुसलमानांे के विरोध मंे भड़का कर वोट बैंक के लिए प्रेरित किये। अब भाजपा यह बताये कि आरएसएस को कैसे भूल सकती है। और अगर मोदी और भाजपा पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा आरएसएस पर प्रतिबंदी लगायेगी जो एक अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता फैलाने वाला संगठन है। यहाँ तक कि आंतकवाद देशद्रोह मंे लिप्त पाया गया। प्रमाण भी मौजूद है कि असीमानन्द 21 बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी अदालत में स्वयं स्वीकार किया। और प्रज्ञा ठाकुर नाम की लड़की कर्नल पुरोहित जैसे लोग आतंवकाद मंे लिप्त पाये गये है। ये सभी आरएसएस के सदस्य है। क्या भाजपा इस संगठन पर प्रतिबंध लगायेगी। ऐसा भरोसा नहीं होता है। क्योंकि इन्हीं संगठनांे के आसामाजिक और अमानवीय कारनामे के कारण आज भाजपा केन्द्र मे विराजमान है। कहने का अर्थ है कि जिसकी बुनियाद पर भाजपा की महल खड़ी है। उस बुनियाद की ईट मोदी या भाजप कैस निकलेगी किस पर यकीन नहीं किया जा सकता है। मोदी को गुजरात काण्ड से पहले गुजरात के अलावा कौन पहचानता था। अगर यह बात पूछी जाय तो उतर यही मिलेगा कि कोई नहीं। विकास की दलील देने वालांे से पूछा जाय कि गुजरात झगड़े से पहले मोदी को क्यांे नहीं पहचानते थे। अगर विकास से सच में मोदी की पहचान बनी तो गुजरात झगड़े से पहले क्यांे नहीं पहचान बनी, सच तो यह है कि मोदी ने गुजरात में विकास किया ही नहीं तो विकास के नाम पर पहचान कैसे बनती। एक बात साफ है कि मोदी ने विकास के नाम गरीब किसानों की खेती योग्य जमीन पर कब्जा करके टाटा, अंबानी, जैसे पूंजीपतियों को मौजूदा रेट से कम कीमत पर बचे दिया। यहाँ तक की लखपत तालूका दीपक सीमंेन्ट को मात्र 5 रूपये वर्ग मीटर और एबीजी सीमंेट को तीन सौ हेक्टेयर जमीन मात्र 11 रूपये वर्ग मीटर मंे बेच दिया। इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है कि इतने कम कीमत में जमीन मिल सकती है। आज भारत में किसी भी राज्य मंे इतनी कम कीमत में जमीन नहीं मिल सकती है। क्या मोदी किसानों को और मजदूर को भी इस कीमत मंे जमीन दे सकते है? सवाल है कि इतनी कम कीमत में जमीन गरीब, मजदूर, किसान को न देकर पूंजीपतियो को क्यों दिया गया? अब इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है? भारत के लोगांे को मालूम होना चाहिए कि मोदी की पहचान गुजरात मंे विकास से नहीं बल्कि गुजरात में दंगे फसाद से साम्प्रदायिक लीडर के रूप मंे हुई। गुजरात दंगे ने पूरी तरह से मोदी और गुजरात गर्वमेन्ट को अयोग्य, अकुशल साबित किया और कांग्रेस की गलत नीतियांे का यह परिणाम था कि जो मोदी को एक साम्प्रदायिक लीडर बनने का मौका मिला। क्यांेकि केन्द्र की गर्वमेन्ट को यह अधिकार होता है कि किसी भी राज्य की गर्वमेन्ट राज्य मंे अमन शान्ति बनाये रखने मंे अयोग्य और नकाम है तो केन्द्र की गर्वमेन्ट प्रदेश गर्वमेन्ट को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है। लेकिन कई महीनों तक दंगा हुआ। इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है? मोदी और गुजरात गर्वमेंन्ट आयोग्य, अक्षम होने का प्रमाण मौजूद था। फिर भी कांग्रेस सरकार ने मोदी को साम्प्रदायिक लीडर बनने का पूरा-पूरा अवसर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि मोदी ने साम्प्रदायिक लीडर के रूप में पहचान बनायी और कोई रूकावट न होने के कारण मोदी ने आरएसएस का सहारा लिया। गुजरात और गुजरात जैसा माहौल पूरे भारत मंे आरएसएस के लोगांे द्वारा बनाने में सहयोग किया। कहने का अर्थ यह हुआ कि पूरे भारत में आरएसएस अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बारता फैलाने का काम कर रही है। लेकिन आज तक कांग्रेस की गर्वमेन्ट ने आरएसएस पर कभी नहीं प्रतिबंध लगाया। तो फिर भाजपा और मोदी गर्वमेन्ट को कैसे रोक लगा सकती है। क्योंकि इनकी राजनैतिक इमारत ही आरएसएस के अत्याचार, भ्रष्टाचार, बर्बरता, पर खड़ी है। इसलिए यह गर्वमेन्ट ऐसा कभी नहीं कर सकती। यह केवल भ्रष्टाचार और बर्बरता खत्म करने का दिखावा कर सकती है, अगर मोदी सरकार विकास के लम्बे चैड़े दावे कर रही है तो हम चुनौती देते है कि मोदी बैकवर्ड के लीडर है इसलिए मोदी को पिछड़े वर्ग की आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक विकास के लिए जाति आधारित गिनती कराना चाहिए, और मोदी को जाति आधारित गिनती का मुद्दा उठाकर समझ लेना चाहिए कि भाजपा गर्वमेन्ट में उसकी क्या औकात है?
इरशाद (प्रदेश सचिव, बीएमपी)
मो.7388008549
आज वहीं लोग भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा कर रहे है जो स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। जिनके इंसाफ चरित्र को अगर देखा जाय और निष्पक्ष ही कर तो पूरा कि चरित्र ही अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बरर्बरता साम्प्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद से भरा पड़ा है। जिस व्यक्ति का राजनीतिक सफर की शुरू आत ही अत्याचार, भ्रष्टाचार से भरा है वह अत्याचार, भ्रष्टाचार कैसे खत्म कर सकता है। क्यांेकि उसकी बुनियाद ही गलत है। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि कोई भी महल बुनियाद पर ही टिकी होती है। अब अगर उसकी बुनियाद ही कमजोर होकर नष्ट हो जाती है। तो वह महल स्वाभाविक है कि बुनियाद के कमजोर होते ही धराशायी हो जायेगी। यह बात दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति जानता है। इसलिए वह उस बुनियाद को कमी स्वयं कमजोर नहीं सकता पर वह महल जिस बुनियाद पर टिकी ही। यह बात समझ में आती है कि भ्रष्टाचार खत्म करने का महज एक दिखावा कर सकता है। अब मोदी की इस दावे को कैसे मान लिया जाये कि मोदी भारत से अत्याचार, भ्रष्टाचार खत्म कर देगा। क्यांेकि मोदी की राजनीतिक महल अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता कामय है। यह भला किसे नहीं मालूम है कि मोदी आरएसएस का सदस्य है। और लोगों को यह भी है कि आरएसएस का काम ही अत्याचार भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता सामाजिक भेदभाव सासम्प्रदायकिता पैदा करके ब्राह्मणी व्यवस्था को मजबूत करके भारत की सŸाा पर कन्ट्रोल बनाये रखना उसकी प्राथमिकता होती है।
अब नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर कैसे यकीन किया जा सकता है कि भाजपा गर्वमेन्ट जो दावा करती है वह उस पर अमल करेगी क्यांेकि सच्चाई यह है कि भाजपा पर तरह से आरएसएस का कब्जा है सभी जानते है कि चुनाव मंे भाजपा की कमान मोहन भागवता के पास पूरी रही है। जिसने भाजपा को यहां केन्द्र तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी यहाँ तक की केन्द्र की बागडोर के लिए अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता का सहारा लिया और एससी, एसटी, ओबीसी को मुसलमानांे के विरोध मंे भड़का कर वोट बैंक के लिए प्रेरित किये। अब भाजपा यह बताये कि आरएसएस को कैसे भूल सकती है। और अगर मोदी और भाजपा पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा आरएसएस पर प्रतिबंदी लगायेगी जो एक अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बरता फैलाने वाला संगठन है। यहाँ तक कि आंतकवाद देशद्रोह मंे लिप्त पाया गया। प्रमाण भी मौजूद है कि असीमानन्द 21 बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी अदालत में स्वयं स्वीकार किया। और प्रज्ञा ठाकुर नाम की लड़की कर्नल पुरोहित जैसे लोग आतंवकाद मंे लिप्त पाये गये है। ये सभी आरएसएस के सदस्य है। क्या भाजपा इस संगठन पर प्रतिबंध लगायेगी। ऐसा भरोसा नहीं होता है। क्योंकि इन्हीं संगठनांे के आसामाजिक और अमानवीय कारनामे के कारण आज भाजपा केन्द्र मे विराजमान है। कहने का अर्थ है कि जिसकी बुनियाद पर भाजपा की महल खड़ी है। उस बुनियाद की ईट मोदी या भाजप कैस निकलेगी किस पर यकीन नहीं किया जा सकता है। मोदी को गुजरात काण्ड से पहले गुजरात के अलावा कौन पहचानता था। अगर यह बात पूछी जाय तो उतर यही मिलेगा कि कोई नहीं। विकास की दलील देने वालांे से पूछा जाय कि गुजरात झगड़े से पहले मोदी को क्यांे नहीं पहचानते थे। अगर विकास से सच में मोदी की पहचान बनी तो गुजरात झगड़े से पहले क्यांे नहीं पहचान बनी, सच तो यह है कि मोदी ने गुजरात में विकास किया ही नहीं तो विकास के नाम पर पहचान कैसे बनती। एक बात साफ है कि मोदी ने विकास के नाम गरीब किसानों की खेती योग्य जमीन पर कब्जा करके टाटा, अंबानी, जैसे पूंजीपतियों को मौजूदा रेट से कम कीमत पर बचे दिया। यहाँ तक की लखपत तालूका दीपक सीमंेन्ट को मात्र 5 रूपये वर्ग मीटर और एबीजी सीमंेट को तीन सौ हेक्टेयर जमीन मात्र 11 रूपये वर्ग मीटर मंे बेच दिया। इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है कि इतने कम कीमत में जमीन मिल सकती है। आज भारत में किसी भी राज्य मंे इतनी कम कीमत में जमीन नहीं मिल सकती है। क्या मोदी किसानों को और मजदूर को भी इस कीमत मंे जमीन दे सकते है? सवाल है कि इतनी कम कीमत में जमीन गरीब, मजदूर, किसान को न देकर पूंजीपतियो को क्यों दिया गया? अब इससे बड़ा भ्रष्टाचार और क्या हो सकता है? भारत के लोगांे को मालूम होना चाहिए कि मोदी की पहचान गुजरात मंे विकास से नहीं बल्कि गुजरात में दंगे फसाद से साम्प्रदायिक लीडर के रूप मंे हुई। गुजरात दंगे ने पूरी तरह से मोदी और गुजरात गर्वमेन्ट को अयोग्य, अकुशल साबित किया और कांग्रेस की गलत नीतियांे का यह परिणाम था कि जो मोदी को एक साम्प्रदायिक लीडर बनने का मौका मिला। क्यांेकि केन्द्र की गर्वमेन्ट को यह अधिकार होता है कि किसी भी राज्य की गर्वमेन्ट राज्य मंे अमन शान्ति बनाये रखने मंे अयोग्य और नकाम है तो केन्द्र की गर्वमेन्ट प्रदेश गर्वमेन्ट को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है। लेकिन कई महीनों तक दंगा हुआ। इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है? मोदी और गुजरात गर्वमेंन्ट आयोग्य, अक्षम होने का प्रमाण मौजूद था। फिर भी कांग्रेस सरकार ने मोदी को साम्प्रदायिक लीडर बनने का पूरा-पूरा अवसर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि मोदी ने साम्प्रदायिक लीडर के रूप में पहचान बनायी और कोई रूकावट न होने के कारण मोदी ने आरएसएस का सहारा लिया। गुजरात और गुजरात जैसा माहौल पूरे भारत मंे आरएसएस के लोगांे द्वारा बनाने में सहयोग किया। कहने का अर्थ यह हुआ कि पूरे भारत में आरएसएस अत्याचार, भ्रष्टाचार, अन्याय, बर्बारता फैलाने का काम कर रही है। लेकिन आज तक कांग्रेस की गर्वमेन्ट ने आरएसएस पर कभी नहीं प्रतिबंध लगाया। तो फिर भाजपा और मोदी गर्वमेन्ट को कैसे रोक लगा सकती है। क्योंकि इनकी राजनैतिक इमारत ही आरएसएस के अत्याचार, भ्रष्टाचार, बर्बरता, पर खड़ी है। इसलिए यह गर्वमेन्ट ऐसा कभी नहीं कर सकती। यह केवल भ्रष्टाचार और बर्बरता खत्म करने का दिखावा कर सकती है, अगर मोदी सरकार विकास के लम्बे चैड़े दावे कर रही है तो हम चुनौती देते है कि मोदी बैकवर्ड के लीडर है इसलिए मोदी को पिछड़े वर्ग की आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक विकास के लिए जाति आधारित गिनती कराना चाहिए, और मोदी को जाति आधारित गिनती का मुद्दा उठाकर समझ लेना चाहिए कि भाजपा गर्वमेन्ट में उसकी क्या औकात है?
इरशाद (प्रदेश सचिव, बीएमपी)
मो.7388008549
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