सोमवार, 1 दिसंबर 2014

ABP स्पेशल: यज़ीदी लड़कियों से रेप कर रहे हैं ISIS के लड़ाके

ABP स्पेशल: यज़ीदी लड़कियों से रेप कर रहे हैं ISIS के लड़ाके

बगदाद:  इराक में सैकड़ों साल से यज़ीदी रहते आए हैं. उन्हें वहां हंसते गाते और जश्न मनाते देखा जा सकता है. दूसरों की तरह यज़ीदी एक दूसरे की खुशी और ग़म में बराबर के शरीक होते रहे हैं. इनकी भी जिंदगी रंगों से भरी हुई रही है.
 
लेकिन अब इसी जमीन पर हर तरफ जश्न नहीं मातम की आवाजें सुनाई दे रही हैं. दिल्ली से करीब 3700 किमी दूर इराक का सुन्नी चरमपंथी आतंकी संगठन ISIS के निशाने पर ये यजीदी हैं.

आतंकी संगठन ISIS इराक के नक्शे से यजीदियों का नाम तक मिटा देना चाहता है. यज़ीदी का कहना है कि ''उनका किया गया ये 74वां नरसंहार है.'' उन्हें आशंका है कि जल्द ही यज़ीदियों का मिडिल-ईस्ट से सफाया हो जाएगा.

दुनिया भर में यजीदियों की संख्या जो कभी 2 करोड़ 30 लाख के करीब होती थी. इन जुल्मों के बाद वो घटकर महज 10 लाख के करीब रह गई है. मतलब सिर्फ पांच फीसदी.

रिपोर्ट के मुताबिक ISIS के आतंकी यजीदी समुदाय के पुरुषों की बेरहमी से हत्या कर रहे हैं.  महिलाओं को गुलाम बना रहे हैं और उनका बलात्कार कर रहे हैं. जिन महिलाओं को अगवा किया गया उनके साथ गैंगरेप हुआ. उन्हें सेक्स वर्कर के तौर पर बेचा गया. यहां तक बच्चों को बेचा गया. ISIS के खूंखार आतंकियों ने छोटी-छोटी मासूम बच्चियों को भी नहीं बख्शा है.
 
एक यजीदी का कहना है,  ''ISIS के आतंकी महिलाओं के साथ जबरदस्ती कर रहे थे. वो महिलाओं और लड़कियों को जबरदस्ती ले जा रहे थे. मैंने देखा एक 60 साल का आदमी आया और 17 साल की लड़की को ले गया. ISIS के आतंकी दिन में 3-3 बार आते थे और जबरन लड़कियों को उठाकर ले जाते थे.''

एबीपी न्यूज संवाददाता जगविंदर पटियाल इराक के कुर्दिस्तान पहुंचे तो सामने आई जुल्म की खौफनाक दास्तान. यजीदियों पर ISIS के कहर की वो कहानी जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. ये कहानी बताएगी ISIS के चंगुल से बच कर निकली 15 साल की एक मासूम की. इस मासूम के साथ भी ISIS के खुंखार आतंकियों ने बलात्कार किया. तरह तरह की यातनाएं दी.
 
हम आपको इस लड़की का नाम नहीं बता सकते इसलिए हमने इसे एक काल्पनिक नाम दिया है. इस रिपोर्ट में आप इस लड़की को कमला के नाम से जानेंगे. हमने इस पीड़ित यजीदी लड़की का नाम इसलिए भी कमला रखा है क्योंकि यजीदियों की संस्कृति काफी हद तक हिंदू धर्म से मिलती है और शायद ये भी एक वजह है कि ISIS यजीदियों को निशाना बनाते हैं.

लड़कियों के साथ बलात्कार

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''हम पूरी रात में सिर्फ 1 घंटे ही सो पा रहे थे. ISIS के आतंकी लड़कियों को ले जा रहे थे और उनके साथ बलात्कार कर रहे थे.''
 
आतंकी संगठन ISIS की हैवानियत का सबसे ज्यादा शिकार यजीदी समुदाय के लोग हो रहे हैं. लेकिन यजीदी महिलाओं का तो और भी बुरा हाल है. ISIS के आतंकी महिलाओं का अपहरण करते हैं. उन्हें बंधक बनाकर रखते हैं और उनके साथ बलात्कार किया जाता है. अपने इराक दौरे के दौरान ABP न्यूज संवाददाता जगविंदर पटियाल की मुलाकात कुछ ऐसी ही महिलाओं से हुई जो ISIS की इन घिनौनी करतूतों का गवाह बनीं लेकिन उनकी खुश किस्मती ये रही कि वो बचकर निकल गईं.

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''हमारे साथ के पुरुषों को मारने के बाद वो लोग सारी महिलाओं को मोसूल ले गए. उन्होंने हम सबको एक बड़ी सी जगह में रखा. वो जगह बेहद गंदी थी और वहां पर हमें बहुत डर लग रहा था. वो हम लोगों के साथ बहुत बुरा बर्ताव कर रहे थे. हम कई दिनों से नहा भी नहीं पाए थे.''

15 साल की इस मासूम लड़की की कहानी दर्द की ऐसी भयानक दास्तान है जिसे सुनकर किसी की भी रुह कांप उठेगी. इस लड़की की ऐसी हालत का जिम्मेदार है इराक का सुन्नी चरमपंथी संगठन ISIS. वो आतंकी संगठन जो अपने जुल्म से पूरी दुनिया में दहशत का दूसरा नाम बन गया है.
 
ISIS के जुल्मों का शिकार हुई पीड़ित यजीदी लड़की और ISIS के सताए हजारों यजीदियों से मिलने पहुंचे भारत के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर. इस इरादे के साथ कि वो ISIS के मुखिया अल बगदादी से बातचीत करके इस दहशतगर्दी को बंद करने का कोई रास्ता निकाल सके. श्री श्री रविशंकर के साथ ही एबीपी न्यूज भी इराक के कुर्दिस्तान इलाके में मौजूद था. यहां एबीपी न्यूज संवाददाता जगविंदर पटियाल की मुलाकात 15 साल की मासूम पीड़ित यजीदी लड़की से हुई जो ISIS की हैवानियत का शिकार हुई.

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''हम शिंजर नाम के शहर में थे. अचानक ISIS के कुछ लोग आए और पूरे शहर पर कब्जा कर लिया. उस वक्त करीब 8 बज रहे थे. हम तकरीबन 100 लोग थे. ISIS के आतंकियों ने हमको दो ग्रुप में बांट दिया. महिलाओं को एक ग्रुप में रखा और पुरुषों का अलग ग्रुप बना दिया. वो करीब 60 लोग थे. उन्होंने दूसरे ग्रुप के सारे पुरुषों को एक साथ मार डाला.''

जुल्म पर जुल्म

ये नन्हीं मासूम करीब 26 दिनों तक ISIS के कब्जे में रही. इस लड़की को ISIS के आतंकी कई जगह लेकर गए. 15 साल की मासूम पर जुल्म किए गए.

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''मोसूल में एक बड़ी सी जगह में रखने के बाद वो हमें मोसूल में ही किसी दूसरी जगह ले गए. वहां पहले से 5 से 7 साल उम्र की लड़कियां थी. कुछ छोटे-छोटे लड़के भी वहां थे. इस दौरान हमने देखा कि ISIS के आतंकी लोगों को मार रहे थे. वो लोगों का सिर काट रहे थे. बेहद बुरा बर्ताव कर रहे थे. इस्लाम को मानने वाला कोई भी शख्स इस तरह का बर्ताव नहीं कर सकता. उनके तौर तरीके इस्लाम के मुताबिक नहीं थे. इस्लाम इस तरह कत्लेआम की इजाजत नहीं देता.''
 
इतना ही नहीं पीड़ित यजीदी लड़की को इस्लाम कबूल न करने पर मार डालने की धमकी दी गई. कमला की उम्र भले 15 साल थी लेकिन उसका हौसला बहुत मजबूत था.

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''जब वो इस्लाम कबूल करने के लिए धमका रहे थे तो मैंने उनसे कहा मैं अपना धर्म नहीं बदलूंगी. मैंने कहा अगर आप मुझे मार भी देंगे तो भी मैं इस्लाम कबूल नहीं करूंगी. उन्होंने मेरी हत्या नहीं की लेकिन मैंने उनकी क्रूरता को देखा. मैंने देखा वो महिलाओं को मार रहे थे. मैंने महिलाओं को रोते चिल्लाते सुना. हर बार एक नया आतंकी आता और महिलाओं को मारता था. हमें बहुत डर लग रहा था. वो बहुत डरावने दिखते थे.''

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''ISIS के आतंकी महिलाओं के साथ जबरदस्ती कर रहे थे. वो महिलाओं और लड़कियों को जबरदस्ती ले जा रहे थे. मैंने देखा एक 60 साल का आदमी आया और 17 साल की लड़की को ले गया. ISIS के आतंकी दिन में 3-3 बार आते थे और जबरन लड़कियों को उठाकर ले जाते थे.''
 
पीड़ित यजीदी लड़की आगे कहती है, ''मैंने एक शख्स को देखा जो कुरान पढ़ रहा था. मैंने उसको कुरान का वास्ता देकर मुझे छोड़ने की गुहार लगाई. मैंने उससे कहा कि मैं छोटी बच्ची हूं. अभी मेरी शादी की उम्र नहीं हुई है. मैंने उससे कहा मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगी, जिंदगी भर तुम्हारी सेवा करूंगी लेकिन मेरे साथ बलात्कार मत करना. मुझे छूना भी मत. लेकिन उन लोगों ने मेरी नहीं सुनी.''

अनेक लड़कियां सताई जा रही हैं

ये अकेली ऐसी लड़की नहीं है जिसे ISIS के आतंकी सता रहे थे. ऐसी कई लड़कियां और औरतें हैं जो हर रोज इनकी हैवानियत का शिकार बन रही हैं.

पीड़ित यजीदी लड़की कहती है, ''कुछ दिन एक घर में रखने के बाद कुछ लोग फलूजा नाम के शहर से हमारे पास आए. वो भी ISIS के ही आतंकी थे और हमें फलूजा ले जाने आए थे. उन्होंने हमारे हाथ बांध दिए. वो हमें सड़क के रास्ते ले गए. मोसूल से फलूजा पहुंचने में हमें 8 घंटे लगे. इस दौरान हमें न तो खाने के लिए कुछ दिया गया और न ही पीने का पानी दिया गया. वहां ISIS के आतंकियों ने फिर से हमें इस्लाम कबूल करने की धमकी दी. वो इस्लाम कबूल न करने पर मार डालने की धमकी दे रहे थे. ISIS के आतंकियों ने कई यजीदी महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया.''

15 साल की ये लड़की तो फिर भी खुश किस्मत रही. किसी तरह IS के चंगुल से बच निकली, लेकिन इसका दर्द अभी कम नहीं हुआ है. इसके मां बाप आज भी उन्हीं खूंखार आतंकियों के कब्जे में हैं जिनके जुल्मों को ये लड़की अपनी आंखों से देख चुकी है.

एबीपी न्यूज संवाददाता जगविंदर पटियाल ने मोसुल के उत्तर पूर्व अराफात की पहाड़ियों में जाकर लालिश घाटी में इस धर्म के लोगों की उजड़ी जिंदगी को बेहद करीब से देखा. उनके दर्द को जाना, उनकी मुश्किलों को पहचाना जो हर पल दहशत के साए में मौत से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इसी दौरान उनकी मुलाकात 56 साल की एक ऐसी महिला से हुई जिसके 10 में से 7 बच्चों को ISIS ने उसकी आंखों के सामने मौत के घाट उतार डाला. किसी तरह बच गई अपनी 3 बेटियों के साथ ये महिला आज रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर है.

रवि शंकर की कोशिश

इराक के शिंजर इलाके पर ISIS ने अगस्त में हमला कर दिया. मकसद था यजीदियों के अस्तित्व को जड़ से मिटा देना. दरअसल पहाड़ों से घिरे शिंजर इलाके में यजीदी रहते हैं और यजीदियों का होना ही IS को बिल्कुल पसंद नहीं आता. लिहाजा ISIS ने इस इलाके में हमला कर भयंकर मारकाट शुरू कर दी. आज भी पांच हजार यजीदी शिंजर की पहाड़ियों में फंसे हैं. इस पहाड़ी को ISIS ने चारों तरफ से घेर रखा है. वहां खाने-पीने का सामान पहुंचाने में भी काफी दिक्कत होती है.

श्री श्री अपने संगठन आर्ट ऑफ लिविंग की ही शाखा The International Association for Human Values के जरिए यजीदियों की मदद में लगे हैं. इनका संगठन शिंजर की पहाड़ियों में फंसे यजीदियों तक खाना पहुंचा रहा है. उन्हें गर्म कपड़े मुहैया करवा रहा है और गौरी जैसी हजारों महिलाओं की लगातार मदद कर रहा है.

हालत इतनी खराब हैं कि कमला जैसी लड़कियों को अपने समाज में भी जगह नहीं मिल रही है.

श्री श्री रविशंकर कहते हैं कि ये समुदाय खात्मे की ओर जा रहा है. यजीदियों के साथ ये तीन महीने से हो रहा है.

जूली का दर्द

पेशे से शिक्षक जूली एक यजीदी हैं. जूली अपने समुदाय की मदद के लिए एक एनजीओ से जुड़ गईं. इनकी आंखों से निकल रहे आंसू बयां कर रहे हैं उस दर्द को जो इनके अपनों पर हो रहा है. वो जुल्म जो ISIS के आतंकी लगातार बेगुनाह यजीदियों पर ढा रहे हैं और शायद यही वजह है कि यजीदी धर्म को मानने वाले लोगों की तादाद लगातार कम हो रही है.
 
आखिर क्यों खात्मे की ओर बढ़ रहा है एक समुदाय. वो समुदाय जो आम इंसानों की तरह खुशी से जीना चाहता है. आम इंसानों की तरह पूजा पाठ करता है. आम इंसानों की तरह ही त्योहार मनाता है.

जूली कहती हैं, ''क्योंकि हम किताबों में पाए जाने वाले लोग नहीं हैं  और उनकी नजरों में हमें जीने का कोई हक नहीं है.  हम यहूदी नहीं हैं. हम इसाई नहीं हैं. हम मुस्लिम नहीं हैं और हमारे पास कोई ऐसी किताब नहीं हैं जो हमें हमारे धर्म के बारे में बताती है. वो सोचते हैं कि हमारा खात्मा हो जाना चाहिए या हमें धर्म परिवर्तन कर लेना चाहिए.  वो हमारे धर्म को ऐसे देखते हैं जैसे कि हमारा धर्म सच्चा धर्म नहीं है. वो हमें सच्चे धर्म यानी इस्लाम में बदल देना चाहते हैं. हमारा नुकसान पहुंचाना आसान है.''

ऐसी तस्वीरें भी मीडिया भी सामने आईं जिसमें ISIS के आतंकी महिलाओं की बोली लगाते देखे गए.

इतना ही नहीं एक आतंकी अपनी पिस्टल के बदले लड़की को खरीदने की बात करता दिखा. 

महिलाओं के बोली लगाने पर ISIS के खिलाफ लंदन में कुर्दिश समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन भी किया था.

हर बार हुआ है जुल्म

ऐसा नहीं है कि यजीदियों पर सिर्फ ISIS ने जुल्म किया. इराक में चाहे जिसकी सरकार रही यजीदियों का सबने इस्तेमाल किया.

पीड़ित जूली कहती है, ''दुर्भाग्य से हम वैसे लोग हैं जिन्हें हमेशा सताया गया, नरसंहार में मारा गया, चाहे मिडिल-ईस्ट में किसी की भी सरकार रहे… ये हमारे साथ किया गया 74वां नरसंहार है… मुझे लगता है कि जल्द ही हमारा मिडिल-ईस्ट से सफाया हो जाएगा… सद्दाम हुसैन के शासन में… सद्दाम हुसैन का एक राजनीतिक एजेंडा था कि इराक के लिए जितनी ज्यादा जमीन हो सके रखे… खासकर उस जमीन को लेकर लड़ाई थी जहां यजीदी रहते थे यानी शिंजर में… वो दुनिया को दिखाना चाहते थे कि हम अरबी हैं ताकि वो जमीन को सुरक्षित रख सकें… उन्होंने इसके लिए मुस्लिमों को दक्षिण से बुलाया और जहां यजीदी रहते थे वहां बसाया और हमारे से मिलाया… उन्होंने पहाड़ी इलाकों से यजीदियों को हटाया और कैंपों में रहने को मजबूर किया… ताकि उनका हमारे ऊपर ज्यादा जोर चल सके.''

धर्म बना जान का दुश्मन

जगविंदर पटियाल का कहना है कि यहां मंदिर है. सूर्य की पूजा होती है. शायद यही वजह है कि ISIS यजीदियों को निशाना बनाते हैं.

यजीदी हिंदू धर्म की तरह ही होते हैं. दोनों काफी शांति पसंद लोग होते हैं. आप लोगों का धर्म नहीं बदलते. आप लोगों से नहीं कहते हैं कि आओ और हिंदू धर्म स्वीकर करो. यजीदी भी कभी किसी से नहीं कहते कि आप हमारे धर्म में शामिल हो जाइए. हम दोनों भगवान की रचना का सम्मान करते हैं. हिंदू अपनी संस्कृति और पहचान किसी और पर नहीं थोपते वैसे ही हम यजीदी भी किसी पर अपनी संसकृति और पहचान नहीं थोपते.

यजीदी कहते हैं कि ये उनकी जमीन है. इराक की इस मिट्टी पर उनका भी उतना ही हक है जितना दूसरे इराकियों का. लेकिन उन्हें उनके घर से ही खदेड़ा जा रहा है.

कुर्दिस्तान के पूर्व मंत्री मामोउ एफ ओथमन कहते हैं, ''हमारे मंदिर को कई बार मस्जिद में बदला गया. हमारे धर्मगुरु के कब्र को कई बार जलाया गया. लेकिन अब भी हम यकीन करते हैं कि हम मेसोपोटामिया सभ्यता के प्रमुख अंग हैं. ये सभ्यता हमारी है. ये मिट्टी, ये धरती हमारी है.''

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