मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

विधायक जी, पहले बीए थे, अब 5वीं पास हैं

विधायक जी, पहले बीए थे, अब 5वीं पास हैं

  • 2 फरवरी 2015
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान एक पोलिंग बूथ पर मतदाता.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान एक पोलिंग बूथ पर मतदाता.
महाराष्ट्र में इन दिनों वाक़ई चमत्कार हो रहा है. यहां के विधायकों की पढ़ाई-लिखाई का ब्यौरा हर अगले हलफ़नामे में बदल रहा है.
कुछ की शैक्षणिक योग्यता दिनों-दिन नीचे की ओर जा रही है तो कुछ ने चमत्कारिक तौर पर नई और भारी भरकम डिग्रियां भी हासिल कर ली हैं.
ख़ास बात यह है कि विधायकों की तालीम में हो रहा ये बदलाव खुद उनके ही हलफ़नामे का हिस्सा है.

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भाजपा समर्थक
परतुर से भाजपा विधायक बबनराव दत्तात्रेय यादव (लोणीकर) ने 2004 और 2009 में चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे में बताया था कि उन्होंने बीए (फ़र्स्ट ईयर) किया है जबकि 2014 के हलफ़नामे में उन्होंने खुद को पांचवीं पास बताया है.
मलाड (पश्चिम) से कांग्रेस विधायक असलम शेख़ ने 2009 में चुनाव आयोग को दिए अपने हलफ़नामे में खुद को 12वीं पास बताया था. लेकिन 2014 में हलफ़नामे में बताया है कि वो सिर्फ 8वीं पास ही हैं.
इसी तरह शिरूर से भाजपा विधायक बाबूराव काशीनाथ पाचर्णे 2004 और 2009 में बीए (फ़र्स्ट ईयर) पास थे, लेकिन 2014 में अपने हलफ़नामे में उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास बताई है.

शैक्षणिक योग्यता

विधानसभा चुनाव (फाइल फोटो)
नवापुर से कांग्रेस विधायक नाइक सुरूप सिंह हिन्या ने साल 2004 में निर्वाचन आयोग के सामने जो शपथपत्र दायर किया था उसके उनकी पढ़ाई-लिखाई दसवीं तक हुई थी.
लेकिन इस तथ्य से किसी को भी हैरत हो सकती है कि साल 2014 के हलफ़नामे में उन्होंने खुद को दसवीं फेल बताया है.
वहीं हलफ़नामे में कुछ विधायकों की ऐसी कहानियां भी सामने आई हैं कि उनकी शैक्षणिक योग्यता चमत्कारिक तौर पर बढ़ रही है.

पीएचडी एमएलए

विधानसभा चुनाव (फाइल फोटो)
मिरज से भाजपा विधायक सुरेश दगडू खाड़े की शैक्षणिक योग्यता पिछले हलफनामों के मुताबिक एसएससी पास है, लेकिन 2014 के शपथ पत्र में उन्होंने बताया है कि उनके पास सोशल वर्क में 'दि ओपन नेशनल यूनिवर्सिटी, कोलंबो (श्रीलंका)' की डॉक्टरेट ऑफ़ ऑनर्स की डिग्री है.
यही कहानी उदगीर से भाजपा विधायक सुधाकर संग्राम भालेराव की भी है. उन्होंने 2009 के हलफ़नामे में बताया है कि वे 1988 में बीए (फ़र्स्ट ईयर) तक पढ़े थे. लेकिन 2014 के हलफ़नामे के अनुसार उनसे पास पीएचडी की डिग्री है.
यह डिग्री उन्होंने 2012 में कोलंबिया विद्यापीठ (श्रीलंका) से हासिल की है.

दो साल में बीए

भारत, शिक्षा
औसा से कांग्रेस विधायक बसवराज माधवराज पाटिल ने साल 2004 में ओमरगा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते वक्त अपने हलफ़नामे में बताया था कि उनकी शैक्षणिक योग्यता एसएससी है.
लेकिन 2014 में जब वे चुनाव लड़े तो उन्होंने बताया कि वो वर्ष 2010 में यशवंतराव चौहान महाराष्ट्र मुक्त विद्यापीठ, नासिक से प्रथम श्रेणी में बीए पास हैं.
वैजापुर से एनसीपी विधायक पाटिल भाऊसाहेब रामराव की शैक्षणिक योग्यता 2009 में सिर्फ नौवीं पास थी. लेकिन उन्होंने सिर्फ दो साल के भीतर ही यानी साल 2011 में ही बीए की डिग्री हासिल कर ली.

डिग्री या चमत्कार

भारत, शिक्षा, स्टूडेंट्स, विद्यार्थी (फाइल फोटो)
श्रीरामपुर से कांग्रेस विधायक काम्बले भाउसाहब मल्हारी का किस्सा तो और भी दिलचस्प है. मल्हारी साल 2009 में सिर्फ दूसरी क्लास पास थे, लेकिन 2014 में उन्होंने बीए फ़र्स्ट ईयर की परीक्षा दे दी.
काम्बले भाउसाहब मल्हारी ने अपने हलफ़नामे में लिखा है कि उन्होंने दिसम्बर 2013 में यशवंतराव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ में दाखिला लिया और साल 2014 की बीए फ़र्स्ट ईयर की परीक्षा में शामिल हुए.
अब चुनाव आयोग को ये देखना चाहिए कि डिग्रियों का ये चमत्कार कैसे मुमकिन हुआ और इस चमत्कार के पीछे का आधार क्या है.

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