सोमवार, 16 मार्च 2015

भूमिहीन बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की 80 प्रतिशत सहमति खत्म - मा. वामन मेश्राम


 दिल्ली के रामलीला मैदान में लहराया भारत मुक्ति मोर्चा का विजय पताका मोदी सरकार द्वारा किसानों को भूमिहीन बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की 80 प्रतिशत सहमति खत्म - मा. वामन मेश्राम
















नई दिल्ली/दै.मू.समाचार

मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के विरोध में दिल्ली के रामलीला मदै ान मंे भारत मुिक्त मोर्चा ने अपना विजय पताका लहराते  हुए ब्रह्मणवादी सरकार को चुनोती दे दिया है। रामलीला मैदान में अब तक की सबसे बड़ी ऐतिहासिक महारैली ब्राह्मणवाद के लिए चलै जंे बन गयी ह।ै वरिष्ठ द.ै म.ू सत्रू ांे ने बताया की दिल्ली के रामलीला मैदान में भारत मुक्ति मोर्चा की यह ऐतिहासिक महारैली अब तक  की सबसे बड़ी महारैली साबित हुई है। भारत मुक्ति मोर्चा की इस महारैली में देश के कोने-कोने से आये जन सैलाब से दिल्ली में
गली, मुहल्ले और सड़क से संसद तक केवल एक ही आवाज गूंज रही थी। भारत मुक्ति मोर्चा जिंदाबाद-जिंदाबाद, इस जिंदाबाद से जहाँ दिल्ली शहर गजंू उठा वहीं बा्र ह्मणवादी मादे ी सरकार की किरकिरी
होती नजर आई। बता दें कि 08 मार्च 2015 को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारत मुक्ति मोर्चा ने ब्राह्मणवादी सरकार की जन विरोधी नीतियों के विरोध में भव्य महारैली का आयोजन किया। इस कार्यक्रम
के उद्घाटक मा. शरद यादव 1⁄4सांसद राज्य सभा तथा रा.अ. जेडीयू1⁄2
ने किया तथा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मा. देवेन्द्र गौड 1⁄4सांसद
राज्य सभा, तले गु दश्े ाम1⁄2 एवं विशष्े ा अतिथि मा.ै अब्दलु हमीद अजहरी
1⁄4चेयर मैन कुल जमाते तेजिम, मालेगाँव1⁄2 एवं मा. सुखलाल कुशवाहा
1⁄4पूर्व सांसद म.प्र.1⁄2 थे। कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं में मा. वी.एल.
मातंग 1⁄4राष्टंीय अध्यक्ष बहुजन मुक्ति पार्टी1⁄2, मा. राजरत्न अम्बेडकर
1⁄4डा. बाबा साहब के प्रपौत्र1⁄2 एवं मा. महेन्द्र सिंह 1⁄4एडिशनल जज,
उ.प्र.1⁄2 ने अपने वकतव्य दिये। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता
मा. वामन मेश्राम साहब 1⁄4राष्टंीय अध्यक्ष, भारत मुक्ति मोर्चा1⁄2 ने
किया।
इस कार्यक्रम का संबोधित करते हुए मा. वामन मेश्राम साहब ने
बताया की इस ब्राह्मणवादी मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में
85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज का सबसे ज्यादा सत्यानाश हुआ है।
इस कार्यक्रम में रखे गये 09 विषयों पर क्रमानुसार चर्चा करते हुए
कहा कि जाति आधारित गिनती और ओबीसी की जाति आधारित
गिनती ना कराना, फिर गिनती कराना और आँकड़े जाहिर ना करना
ब्राह्मणवादी सरकार की ओबीसी के साथ सबसे धोखेबाजी है। राष्टंीय
अध्यक्ष जी ने बताया की 06 और 07 मई 2010 को केन्द्र सरकार
द्वारा लोकसभा में आश्वासन दिया गया था फिर 09 फरवरी 2011
को होने वाली गिनती में जाति को शामिल करने में सभी पार्टियों की
आम सहमती से निश्चित हुआ लेकिन 09 फरवरी 2011 को जब
केन्द्र सरकार ने गिनती शुरू की तो ओबीसी की जातिगत गिनती
करने से इंकार कर दिया। ऐसा कर के ओबीसी से अब तक केन्द्र
सरकार ने सबसे बड़ी धोखेबाजी की है।
आगे उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वर्तमान मोदी ईमानदारी से
प्रधान मंत्री नहीं बना है, बल्कि ईवीएम में घोटालेबाजी करके बना
है। मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए चुनाव आयोग के आदेशानुसार
जिस प्रकार वर्ष 2009 में कांग्रेस को ईवीएम में घपलेबाजी कर कांग्रेस
सरकार बनी थी ठीक उसी प्रकार 2014 में भाजपा की सरकार बने,
इस लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच एग्रीमेन्ट हुआ। चुनाव आयोग
द्वारा एग्रीमेन्ट में यह बात निश्चित हुआ कि जैसे वर्ष 2009 के
चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम में छेड़छाड़ कर सरकार बनाई तो उस
समय भाजपा चुप रही, ठीक उसी प्रकार 2014 में भाजपा सरकार
बनायेगी और कांग्रेस चुप रहेगी। इस तरह का षड्यन्त्र कर भाजपा
ने अपनी सरकार बनाई है। सरकार बनाने से पहले बाबा रामदेव,
अन्ना हजारे, आडवाणी और कम्यूनिष्ट ने उछल उछल कर कहा कि
मोदी विदेशों में छिपा काला धन लायेंगे और देश के प्रत्येक नागरिक
के खाते में 15-15 लाख रूपया जमा करेंगे। अभी तक न काला धन
आया और न ही लोगों के खाते में जमा हुआ।
राष्टंीय अध्यक्ष महोदय ने आगे निजीकरण में आरक्षण के संदर्भ
में बताया कि 1991 में निजीकरण लागू किया उस समय कांग्रेस की
सरकार थी। 85 प्रतिशत मूलनिवासी समाज को किसी भी क्षेत्र में
आरक्षण ना मिले इसके लिए निजीकरण लागू किया गया। निजीकरण
में संविधानिक आरक्षण ना होने की वजह से एससी/एसटी/ओबीसी
को आरक्षण का संविधानिक आरक्षण खत्म किया और बाद में 16
नवम्बर 1992 को सुप्रीम कोर्ट के 09 जजों की बेंच ने फैसला दिया
कि आरक्षण मौलिक अधिकार है। ऐसा क्यों किया? ऐसा इसलिए
किया ताकि नीजिकरण का विरोध ना हो औेर आरक्षण शून्य बरकरार
रहे। आज भारत में सरकारी और अर्ध सरकारी क्षेत्र में 02 करोड़
नौकरियाँ है, अगर 50 प्रतिशत आरक्षण लागू होता है तो
एससी/एसटी/ओबीसी को संविधानिक आरक्षण के तहत 01 करोड़
नौकरियाँ मिलनी चाहिए थी मगर आज केवल 50 लाख नौकरियाँ ही
मिली हैं।

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