प्रथम समाज सुधारक महामानव तथागत गौतम बुद्ध
भारत के इतिहास मंे अगर सबसे पहले किसी ने ब्राह्मणों की सत्ता को चुनौती दिया है तो वह 85 प्रतिशत मूलनिवासी
बहुजन समाज के क्रान्तिकारी महामानव तथागत गौतम बुद्ध थे। महामानव तथागत गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य वंश मंे उत्तर भारत मंे नेपाल की सीमा के पास कपिलवस्तु नगर मंे ईसा पूर्व 563 मंे हुआ था। उनका कुलनाम गौतम था। वह एक राजकुमार थे। उनका विवाह हुआ और उनके एक पुत्र भी था। आर्यों के समाज मंे बुराइयांे और दुखों से पीडि़त लोगों को देखकर उन्होंने सच्चाई और मुक्ति की खोज के लिए उनतीस वर्ष की उम्र मंे सांसारिक जीवन त्याग दिया था। उन्हांेने भिक्षुआंे का संघ बनाया और उसे चलाया।
उन्होंने समाज में ब्राह्मणवाद की धज्जियां उड़ाते हुए मूलनिवासी बहुजन समाज को यह बताया कि स्वर्ग-नरक, ऊंच-नीच, पुण्य-पाप, वर्णव्यवस्था विदेशी ब्राह्मणों ने अपने निजी स्वार्थ पूरा करने के लिए व मूलनिवासियों को गुलाम बनाने के लिए बनाया है।
महामानव तथागत गौतम बुद्ध ने जाति के विरोध के मामले मंे जो शिक्षा दी, उसी को व्यवहार मंे भी लाए। उन्हांेने वही किया, जिसे विदेशी ब्राह्मणा के समाज ने करने से इंकार कर दिया था। विदेशी ब्राह्मणांे के समाज मंे शूद्र अथाव नीच जाति का मनुष्य कभी ब्राह्मण नहीं बन सकता था। किंतु तथागत गौतम बुद्ध ने जातिप्रथा के विरूद्ध केवल प्रचार ही नहीं किया, अपितु शूद्र तथा नीच जाति के लोगों को भिक्षु का दर्जा दिलाया, जिनका बौद्धमत मंे वहीं दर्जा है, जो ब्राह्मणवाद मंे ब्राह्मण का है।
तथागत बुद्ध अपने जीवन के 45 वर्ष घूम-घूमकर मूलनिवासी बहुजन समाज को जागृत करते रहे। तथागत बुद्ध ने अपने नारों से यह पहले ही बता दिया था कि हमारे धम्म का उद्देश्य बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय है।
बुद्ध का विद्रोह ब्राह्मणों की एक-एक व्यवस्था को चकनाचूर कर दिया। और अपने तर्क की तलवार से ब्राह्मणवाद की बूटी-बूटी कर दिया। जिसके बल पर उन्होंने इस देश के मूलनिवासियों को गुलाम बनाकर रखा था। तथागत बुद्ध ने मूलनिवासियों की आजादी के लिए अपनी सारी जिंदगी न्योछावर कर दी। ऐसे महामानव समाज सुधारक गौतम बुद्ध की जयंती के उपलक्ष्य पर सभी मूलनिवासी बहुजनों को हार्दिक बधाई!
-जय मूलनिवासी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें