गुरुवार, 11 जून 2015

महाराष्ट्र में इस साल 1088 किसानों ने की खुदकुशी

महाराष्ट्र में इस साल 1088 किसानों ने की खुदकुशी


प्रियंका काकोडकर, मुंबई 


महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी के मामलों में हाल के महीनों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस साल मई के अंत तक राज्य में 1088 किसान खुदकुशी कर चुके हैं।  जनवरी से मार्च, 2015 तक राज्य सरकार के आंकड़े के मुताबिक 601 किसानों ने आत्महत्या की थी और पिछले दो महीने में इस आंकड़े में 487 मौतें और जुड़ गईं। पिछले साल सूखे के बाद बड़े पैमाने पर फसलें बर्बाद होने से राज्य में किसानों की खुदकुशी के मामले बढ़े हैं। इसके बाद रही सही कसर इस साल बेमौसम की बारिश ने पूरी कर दी, जिसकी वजह से संकट और गहरा गया है। 

गौर करने वाली बात यह है कि खुदकुशी करने वाले किसानों में से आधे से कम लोगों के परिवार को ही मुआवजा मिल पाएगा। 1088 मामलों में से केवल 545 मामले ही सरकारी मानकों पर मुआवजे के लिए फिट पाए गए हैं। मुआवजे का पात्र होने के लिए जमीन पीड़ित के नाम से होनी चाहिए और कर्ज लेने के बारे में कोई सबूत होना चाहिए। इन दोनों मानकों को पूरा होने के बाद ही सरकार किसी आत्महत्या को कृषि कारणों से जुड़ा हुआ मानती है। मार्च से मई के दौरान मुआवजे के लिए पात्र मृतक परिवारों की संख्या 241 से 545 यानी दोगुनी हो गई है, लेकिन विरोधियों का कहना है कि यह मानक संख्या को घटाने के लिए अपनाया जाता है। 

ये आंकड़े राज्य के राजस्व विभाग के डिविजन हेडक्वॉर्टर से लिए गए हैं और राज्य सरकार द्वारा अभी इसे संकलित नहीं किया गया है। सरकार के आलोचकों का कहना है कि यह आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े से काफी कम है। 

कपास उत्पादक क्षेत्र विदर्भ, जहां से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद हैं, में राज्य में आत्महत्या के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इस साल के पांच महीने में विदर्भ में 564 किसानों ने आत्महत्या की है, जो कुल आंकड़े (1088 आत्महत्या) के आधे से भी अधिक है। मार्च तक विदर्भ में 376 मौतें हुई थीं और दो महीने में यह 76% बढ़ चुका है। विदर्भ के बाद मराठवाड़ा का नंबर आता है, जहां 367 किसानों ने दुर्दशा से तंग आकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। यहां भी पिछले दो महीने में मौतों का आंकड़ा 70 % बढ़ा है, जो मार्च तक 215 था। 

राजस्व मंत्री एकनाथ खड्से ने कहा, 'हम स्थिति को सुधारने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं। यह स्थिति सालों से बरकरार है और इसे एक दिन में ठीक करना संभव नहीं है।

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