ओरंगजेब की डायरी से ब्राह्मणों सती प्रथा का भीभत्स रूप
****************** सती प्रथा का भीभत्स रूप *********
मैंने कुछ ऐसी स्त्रियों को देखा है जो चिता और अग्नि को देखते ही भयभीत हो जाती हैं और कदाचित अवसर पाकर भाग भी जाती हैं. वे ब्रह्मण जो उस समय बड़े बड़े लट्ठ लिए हुए उनके पास खड़े होते हैं, केवल उन्हें उत्तेजित ही नहीं करते वरन कभी कभी चिता में धकेल भी देते हैं.

मैंने स्वयं देखा है कि एक बार ब्राह्मणों ने एक स्त्री को जो चिता से पांच छह कदम दूर ही से हिचकने लगी थी, धकेल दिया और एक बार जब एक स्त्री के कपडे तक आग लगी और उसने भागना चाहा तो ब्राह्मणों ने लम्बे लम्बे बांसों कि सहायता से उसे चिता में फिर धकेल दिया. मैंने प्राय: ऐसी सुन्दर स्त्रियों को देखा है जो ब्राह्मणों के हाथ से बच कर निकल जाती हैं और उन नीच जाति के लोगों में मिल जाती हैं जो यह जानकर कि सती होने वाली युवती सुन्दर है और उसके साथ अधिक संबंधी नहीं होंगे तो उस स्थान पर अधिकता से एकत्र हो जाते हैं . जो स्त्रियां चिता देखकर डर्टी और इस प्रकार भाग जाती हैं वे अपनी जाती वालों से मिलने या उनके साथ रहने की आशा कभी नहीं कर सकतीं क्योंकि वे लोग उसे बहुत बदनाम कर देते हैं और उसके इस अनुचित कार्य से अपने धर्म की अप्रतिष्ठा समझते हैं. जिन लोगों के साथ ये स्त्रियां अपना बचा हुआ जीवन व्यतीत करती हैं, भारत में उनकी गणना बहुत ही नीची जातियों में की जाती है. विपत्ति में पड़ने के भय से कोई मुग़ल ऐसी स्त्री की रक्षा नहीं करता .

(सन्दर्भ: बर्नियर की भारत यात्रा) साभार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें