
कर्नाटक में गत एक वर्ष में चावल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। चावल की पैदावार के मामले में देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक आंध्र प्रदेश में भी ऐसी ही स्थिति है। कुछ समय पहले १२ रूपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाला चावल आज २८ से ३२ रूपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। आंध्र प्रदेश से कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों को चावल भेजा जाता है। लेकिन बंगलौर के एपीएम्सी यार्ड में मौजूद विश्वस्त सूत्रों के अनुसार आंध्र प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में चावल का बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। खबर है कि प्रदेश से चावल बड़ी मात्रा में अनुचित रूप से सिंगापूर, मालदीव,

गुजरात व उत्तर प्रदेश में चीनी को गोदामों में भरकर रखने के कई मामले प्रकाश में आये हैं। जाहिर है कि ऐसे में दाम बढ़ेंगे और इस दौरान असामाजिक तत्व इसे ऊँचे दामों में बेचकर भारी मुनाफा कमाएंगे। सलाद तो जैसे थाली से गायब ही हो गया है। हरा धनिया की कीमत करीब ३०० गुना बढ़ गयी है। टमाटर पहुँच से बाहर है। दाल और तेल भी आम आदमी की पहुँच से बाहर जाता

इन्हें क्या? सरकारी खर्चे पर फाईव स्टार होटलों में जाकर रहते हैं। मुफ्त की रोटी तोड़ते हैं। विमानों में उड़ते हैं। और घोटाले करके पैसा बनाते हैं। पर उस आम जनता का क्या, जो एक वक़्त के खाने के लिए भी तरस कर रह जाती है। राशन की दुकानों में घंटों लाइन में लगी रहती है। इस पर भी उसे कई दिनों तक राशन के लिए दौड़ाया जाता है। पानी के लिए वे रात के दो-तीन बजे तक जागते हैं, और रोड पर लाइन लगाते हैं। रौशनी नहीं रहती है तो मोमबत्ती जलाकर काम करते हैं। जब विरोध प्रदर्शन करते हैं तब भी लाठी और गोली बरसाकर शांत कर दिए जाते हैं। कभी-कभी तो म

मत भूलिए की आम आदमी कोई कागज़ का टुकड़ा नहीं जिसे जब चाहे फूंक मारकर गायब कर दिया जाये और
जब चाहे मसल दिया जाये। बल्कि आम आदमी वह ताकत है जो एक बार संगठित होकर
खड़ा हो जाये तो बड़े से बड़े पहाड़ भी उनके चरणों में नतमस्तक हो जाये। तो
फिर ये जनता के नौकर क्या चीज़ हैं?
तुम हमारी चोटियों की बर्फ को यों मत कुरेदो
दहकता लावा ह्रदय में है, जलाकर ख़ाक कर देंगे॥
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