जन गण मन की अदभुद कहानी ........... अंग्रेजो तुम्हारी जय हो ! .........
सन 1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुवा करता था |
सन 1911 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ बंग-भंग आन्दोलन के
विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुवे तो अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के
लिए बंगाल से राजधानी को दिल्ली ले गए और दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया |
पूरे भारत में उस समय लोग विद्रोह से भरे हुवे थे तो अंग्रेजो ने अपने
इंग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंत्रित किया ताकि लोग शांत हो जाये | इंग्लैंड का राजा जोर्ज पंचम 1911 में भारत में आया |
रविंद्रनाथ टेगोर पर दबाव बनाया कि तुम्हे एक गीत
जोर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा | मजबूरी में रविंद्रनाथ टेगोर ने
बेमन से वो गीत लिखा जिसके बोल है - जन गण मन अधिनायक जय हो भारत भाग्य विधाता .... |
जिसका अर्थ समजने पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंग्रेजो कि खुसामद
में लिखा गया था | इस राष्ट्र गान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है -
भारत के
नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है और
मानती है | हे अधिनायक (तानाशाह) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो |
तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब
सिंध गुजरात महारास्त्र, बंगाल आदि और जितनी भी नदिया जैसे यमुना गंगा ये
सभी हर्षित है खुश है प्रसन्न है ............. तुम्हारा नाम लेकर ही हम
जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है | तुम्हारी ही हम गाथा गाते
है | हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो जय हो जय हो |
रविन्द्र नाथ टेगोर के बहनोई, सुरेन्द्र
नाथ बनर्जी लन्दन में रहते थे और IPS ऑफिसर थे | अपने बहनोई को उन्होंने एक
लैटर लिखा | इसमें उन्होंने लिखा है कि ये गीत जन
गण मन अंग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है | इसके
शब्दों का अर्थ अच्छा नहीं है | इसको न गाया जाये तो अच्छा है | लेकिन अंत में उन्होंने लिख दिया कि इस चिठ्ठी को किसी को नहीं बताया जाये | लेकिन कभी मेरी म्रत्यु हो जाये तो सबको बता दे |
जोर्ज पंचम भारत आया 1911 में और
उसके स्वागत में ये गीत गया गया | जब वो इंग्लैंड चला गया तो उसने उस जन
गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया | क्योंकि जब स्वागत हुवा तब उसके समज
में नहीं आया कि ये गीत क्यों गया गया | जब अंग्रेजी अनुवाद उसने सुना तो
वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इंग्लॅण्ड में भी
किसी ने नहीं की | वह बहुत खुस हुवा | उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत
उसके लिए लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाये | रविन्द्र नाथ टैगोरे इंग्लैंड
गए | जोर्ज पंचम उस समय नोबल पुरुष्कार समिति का अध्यक्ष भी था | उसने
रविन्द्र नाथ टैगोरे को नोबल पुरुष्कार से सम्मानित करने का फैसला किया |
तो रविन्द्र नाथ टैगोरे ने इस नोबल पुरुष्कार को लेने से मन कर दिया |
क्यों कि गाँधी जी ने बहुत बुरी तरह से रविन्द्रनाथ टेगोर को उनके इस गीत
के लिए खूब सुनाया | टेगोर ने कहा की आप मुझे नोबल पुरुष्कार देना ही चाहते
हो तो मेने एक गीतांजलि नामक रचना लिखी है उस पर मुझे दे दो | जोर्ज पंचम
मान गया और रविन्द्र नाथ टेगोर को सन 1913 में नोबल पुरुष्कार दिया
गया | उस समय रविन्द्र नाथ टेगोर का परिवार अंग्रेजो के बहुत नजदीक थे |
जब 1919 में जलियावाला बाग़ का कांड हुवा, जिसमे निहत्ते लोगों
पर अंग्रेजो ने गोलिया बरसाई तो गाँधी जी ने एक लैटर रविन्द्र नाथ टेगोर को
लिखी जिसमे शब्द शब्द में गलियां थी | फिर गाँधी जी स्वयं रविन्द्र नाथ
टेगोर से मिलने गए और बहुत जोर से डाटा कि अभी तक अंग्रेजो की अंध भक्ति
में डूबे हुवे हो ? रविंद्रनाथ टेगोर की नीद खुली | इस काण्ड के बाद टेगोर
ने विरोध किया और नोबल पुरुष्कार अंग्रेजी हुकूमत को लौटा दिया | सन 1919
से पहले जितना कुछ भी रविन्द्र नाथ तेगोरे ने लिखा वो अंग्रेजी सरकार के
पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजो के खिलाफ होने लगे थे | 7 अगस्त 1941 को उनकी म्रत्यु हो गई | और उनकी म्रत्यु के बाद उनके बहनोई ने वो लैटर सार्वजनिक कर दिया |
1941 तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी | लेकिन वह दो खेमो
में बट गई | जिसमे एक खेमे के समर्थक बाल गंगाधर तिलक थे और दुसरे खेमे में
मोती लाल नेहरु थे | मतभेद था सरकार बनाने का | मोती लाल नेहरु चाहते थे
कि स्वतंत्र भारत कि सरकार अंग्रेजो के साथ कोई संयोजक सरकार बने | जबकि
गंगाधर तिलक कहते थे कि अंग्रेजो के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के
लोगों को धोखा देना है | इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक कांग्रेस से निकल
गए और गरम दल इन्होने बनाया | कोंग्रेस के दो हिस्से हो गए| एक नरम दल और
एक गरम दल | गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक , लाला लाजपत राय | ये हर
जगह वन्दे मातरम गया करते थे | और गरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरु |
लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेजो के साथ रहते थे | उनके साथ रहना, उनको
सुनना , उनकी मीटिंगों में शामिल होना | हर समय अंग्रेजो से समझोते में
रहते थे | वन्देमातरम से अंग्रेजो को बहुत चिढ होती थी | नरम दल वाले गरम
दल को चिढाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत जन गण मन गाया करते थे |
नरम दल ने उस समय एक वायरस छोड़ दिया कि मुसलमानों को वन्दे मातरम नहीं गया चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ती पूजा) है | और
आप जानते है कि मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है | उस समय मुस्लिम
लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे | उन्होंने भी इसका
विरोध करना शुरू कर दिया और मुसलमानों को वन्दे मातरम गाने से मना कर दिया
| इसी झगडे के चलते सन 1947 को भारत आजाद हुआ |
जब भारत सन 1947 में आजाद हो गया तो जवाहर
लाल नेहरु ने इसमें राजनीति कर डाली | संविधान सभा कि बहस चली | जितने भी
319 में से 318 सांसद थे उन्होंने बंकिम दास चटर्जी द्वारा
लिखित वन्देमातरम को राष्ट्र गान स्वीकार करने पर सहमती जताई| बस एक सांसद ने इस प्रस्ताव को नहीं माना | और उस एक सांसद का नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरु | वो
कहने लगे कि क्यों कि वन्दे मातरम से मुसलमानों के दिल को चोट पहुचती है
इसलिए इसे नहीं गाना चाहिए | (यानी हिन्दुओ को चोट पहुचे तो ठीक है मगर
मुसलमानों को चोट नहीं पहचानी चाहिए) |
अब इस झगडे का फैसला कोन करे | तो वे पहुचे गाँधी जी के
पास | गाँधी जी ने कहा कि जन गन मन के पक्ष में तो में भी नहीं हु और तुम
(नेहरु ) वन्देमातरम के पक्ष में नहीं हो तो कोई तीसरा गीत निकालो | तो
महात्मा गाँधी ने तीसरा विकल्प झंडा गान के रूप में दिया - विजयी विश्व
तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा | लेकिन नेहरु जी उस पर भी तैयार नहीं
हुवे | नेहरु जी बोले कि झंडा गान ओर्केस्ट्रा पर नहीं बज सकता | और जन गन
मन ओर्केस्ट्रा पर बज सकता है |
और उस दौर में नेहरु मतलब वीटो हुवा करता था | यानी नेहरु भारत
है, भारत नेहरु है बहुत प्रचलित हो गया था | नेहरु जी ने जो कह दिया वो
पत्थर कि लकीर हो जाता था | नेहरु जी के शब्द कानून बन जाते थे | नेहरु ने
गन गण मन को राष्ट्र गान घोषित कर दिया और जबरदस्ती भरतीयों पर इसे थोप
दिया गया जबकि इसके जो बोल है उनका अर्थ कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते है
-
भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने
मन से आपको भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है | हे अधिनायक
(तानाशाह) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो | तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय
हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब सिंध गुजरात महारास्त्र,
बंगाल आदि और जितनी भी नदिया जैसे यमुना गंगा ये सभी हर्षित है खुश है
प्रसन्न है ............. तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे
नाम का आशीर्वाद चाहते है | तुम्हारी ही हम गाथा गाते है | हे भारत के
भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो जय हो जय हो |
हाल ही में भारत सरकार का एक सर्वे हुवा जो अर्जुन सिंह की
मिनिस्टरी में था | इसमें लोगों से पुछा गाया था कि आपको जन गण मन और
वन्देमातरम में से कोनसा गीत ज्यादा अच्छा लगता है तो 98 .8 % लोगो ने कहा
है वन्देमातरम | उसके बाद बीबीसी ने एक सर्वे किया | उसने पूरे संसार में
जितने भी भारत के लोग रहते थे उनसे पुछा गया कि आपको दोनों में से कौनसा
ज्यादा पसंद है तो 99 % लोगों ने कहा वन्देमातरम | बीबीसी के इस सर्वे से
एक बात और साफ़ हुई कि दुनिया में दुसरे नंबर पर वन्देमातरम लोकप्रिय है |
कई देश है जिनको ये समझ में नहीं आता है लेकिन वो कहते है कि इसमें जो लय
है उससे एक जज्बा पैदा होता है |
............... तो ये इतिहास है वन्दे मातरम का और जन गण मन का | अब आप तय करे क्या गाना है ?
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