एक मच्छर ऐसा जो नहीं चूसता खून
Published by: Sonika Srivastava
Published: Fri, 22 Jun 2012 at 12:32 IST
आस्ट्रेलिया के
वैज्ञानिकों ने मच्छर की एक ऐसी प्रजाति खोजी है जिसे पहली बार अंडे देने
के लिए अन्य प्रजातियों के विपरीत खून चूसने की जरूरत नहीं पड़ती है।
वैज्ञानिकों ने इसका नाम क्यूलेक्स मोलेस्टस रखा है। इस प्रजाति की मादाएं अपने शरीर के पोषक तत्वों का प्रयोग अंडे देने के लिए करती हैं। यह क्षमता ऑटोजेनी कहलाती है। अन्य प्रजातियों के मच्छरों को अंडे देने से पहले खून की आवश्यकता होती है।
नई खोजी गई इस प्रजाति के मच्छर मुख्यत: भूमिगत जल निकासी टैंकों और पाइपों को अपना घर बनाते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस प्रजाति के मच्छर तालाबों, जलाशयों या आर्द्र भूमि के बजाय भूमिगत जीवन के प्रति अनुकूलित होते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी मेडिकल स्कूल के कीट विज्ञानी एवं शोध दल के प्रमुख कैमरन वेब के अनुसार क्यूलेक्स मोलेस्टस में कई चौंकाने वाली बातें हैं। उन्होंने बताया, "यदि इस प्रजाति की मादा को खून का आहार दिया जाए तो यह तब तक नहीं काटती जब तक कि अंडे न दे दे।"
कैमरन के अनुसार इस खोज का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि हम भूमिगत जल संग्रहण व्यवस्था की डिजायनिंग करते समय मच्छरों के खतरों को ध्यान में रखें।
वेब ने बताया कि इस प्रजाति की खोज में उन्होंने दो साल बिताए हैं। यह खोज जर्नल ऑफ वेक्टर इकोलोजी में प्रकाशित हुई है।
ऐसा माना जा रहा है कि क्यूलेक्स मोलेस्टस 1940 के दशक में अमेरिकी सैनिकों के साथ यहां आया।
वैज्ञानिकों ने इसका नाम क्यूलेक्स मोलेस्टस रखा है। इस प्रजाति की मादाएं अपने शरीर के पोषक तत्वों का प्रयोग अंडे देने के लिए करती हैं। यह क्षमता ऑटोजेनी कहलाती है। अन्य प्रजातियों के मच्छरों को अंडे देने से पहले खून की आवश्यकता होती है।
नई खोजी गई इस प्रजाति के मच्छर मुख्यत: भूमिगत जल निकासी टैंकों और पाइपों को अपना घर बनाते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस प्रजाति के मच्छर तालाबों, जलाशयों या आर्द्र भूमि के बजाय भूमिगत जीवन के प्रति अनुकूलित होते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी मेडिकल स्कूल के कीट विज्ञानी एवं शोध दल के प्रमुख कैमरन वेब के अनुसार क्यूलेक्स मोलेस्टस में कई चौंकाने वाली बातें हैं। उन्होंने बताया, "यदि इस प्रजाति की मादा को खून का आहार दिया जाए तो यह तब तक नहीं काटती जब तक कि अंडे न दे दे।"
कैमरन के अनुसार इस खोज का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि हम भूमिगत जल संग्रहण व्यवस्था की डिजायनिंग करते समय मच्छरों के खतरों को ध्यान में रखें।
वेब ने बताया कि इस प्रजाति की खोज में उन्होंने दो साल बिताए हैं। यह खोज जर्नल ऑफ वेक्टर इकोलोजी में प्रकाशित हुई है।
ऐसा माना जा रहा है कि क्यूलेक्स मोलेस्टस 1940 के दशक में अमेरिकी सैनिकों के साथ यहां आया।
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