गुरुवार, 7 जून 2012


सेक्स और समाज|Shortlink: 2010/05/03 6:58 pm

क्या बापू अर्ध-दमित सेक्स मैनियॉक थे ?

क्या राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी असामान्य सेक्स व्यवहार वाले अर्द्ध.दमित सेक्स मैनियॉक थे ? जी हां, महात्मा गांधी के सेक्स.जीवन को केंद्र बनाकर लिखी गई किताब “ Gandhi : Naked Ambition ” में एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री के हवाले से ऐसा ही कहा गया है । महात्मा गांधी पर लिखी यह किताब आते ही विवाद के केंद्र में आ गई है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उसकी मांग बढ़ गई है। मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जैड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद Gandhi : Naked Ambition को किताब का रूप दिया है।
वैसे तो किताब में नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता के जीवन में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी के आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डाला गया है। रिश्ते को सनसनीख़ेज़ बनाने की कोशिश की गई है। मसलन, जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में नग्न स्नान भी करते थे।
महात्मा गांधी हत्या के साठ साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे मानस.पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं। अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा.स्त्रियों को लाठी के रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता.फिरता है। आख़िरी क्षण तक गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे। मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई। ऐसे में इस किताब में लिखी बाते लोगों ख़ासकर, गांधीभक्तों को शायद ही हजम हों। दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता हैं। वह अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं। जो दुनिया को सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। कहना न होगा कि दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने.कोने में मानव अधिकार आंदोलनों को ऊर्जा दीए उन्हें प्रेरित किया।
नई किताब यह खुलासा करती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतप्त किया जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती थीं। बहरहाल, ऐडम्स का दावा है कि लंदन से क़ानून की पढ़ाई करने के बाद वकील से गुरु बने गांधी की छवि कठोर नेता की बनी जो अपने अनोखी सेक्सुअल डिमांड से अनुयायियों को वशीभूत कर लेता है। आमतौर पर लोग के लिए यह आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था। ऐडम्स ने किताब में लिखा है कि गांधी ने अपने आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन बनाया था कि उनकी छवि 20वीं सदी के धर्मवादी नेताओं जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश की तरह बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स अपील से अनुयायियों को क़रीब.क़रीब ज्यों का त्यों वश में कर लेते थे। ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता।
किताब की शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स.ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु.शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे।
किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थे। कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया। ऐडम ने गांधी और उनके क़रीबी लोगों के कथनों का हवाला देकर बापू को अत्यधिक कामुक साबित करने का पूरा प्रयास किया है। किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य का प्रयोग का भी वर्णन किया हैए जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं। किताब में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है। मसलन इस बारे में गांधी ने ख़ुद लिखा हैए नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।
किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु को बुलाया और कहा श्अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।श् ऐडम का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही। जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है।
ऐडम्स के मुताबिक गांधी अपने लिए महात्मा संबोधन पसंद नहीं करते थे और वह अपने आध्यात्मिक कार्य में मशगूल रहे। गांधी की मृत्यु के बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर लीपापोती की जाती रही। हत्या के बाद गांधी को महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजोंए तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दियाए जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे। कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स.एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं।
किताब में ऐडम्स दावा करते हैं कि सेक्स के जरिए गांधी अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे। नवविवाहित जोड़ों को अलग.अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे। ऐडम्स के अनुसार सुशीला नायरए मनु और आभा के अलावा बड़ी तादाद में महिलाएं गांधी के क़रीब आईं। कुछ उनकी बेहद ख़ास बन गईं। बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है। हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी श्आध्यात्मिक पत्नीश् हैं। गांधी जी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग को प्रेमपत्र लिखते थे। इस्टर जब आश्रम में आती तो बाकी लोगों को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे। किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया।
ऐडम्स ने कहा है कि नब्बे के दशक में उसे अपनी किताब ” द डाइनैस्टीश” लिखते समय गांधी और नेहरू के रिश्ते के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। इसके बाद लेखक की तमन्ना थी कि वह गांधी के जीवन को अन्य लोगों के नजरिए से किताब के जरिए उकेरे। यह किताब उसी कोशिश का नतीजा है। जैड दावा करते हैं कि उन्होंने ख़ुद गांधी और उन्हें बेहद क़रीब से जानने वालों की महात्मा के बारे में लिखे गए किताबों और अन्य दस्तावेजों का गहन अध्ययन और शोध किया है। उनके विचारों का जानने के लिए कई साल तक शोध किया। उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे।
इस बारे में ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब विवाद से घिरेगी। उन्होंने कहा, मैं जानता हूं कि इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की मुझे बधाई दी। 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य की यह किताब जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी। Gandhi : Naked Ambition का लंदन यूनिवर्सिटी में विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर अहम घटना को समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के महाव्यक्तित्व को महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके सेक्स.जीवन की इस तरह व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को इस पर सख़्त ऐतराज़ हो सकता है।

16 Comments

  • प्रिय त्रिपाठी जी,गाँधी क्या और नेहरू क्या यदि चाहें तो चंद्रशेखर आज़ाद तक के यौनजीवन पर किताब लिखी जा सकती है। निःसंदेह जो तथ्य आजतक कांग्रेस के उद्भव से लेकर अबतक देखे हैं वे गाँधी के बारे में विशेष राय कायम करने को बाध्य करते हैं कि उन्हें सायास महात्मा बना कर प्रस्तुत करा गया है। कुछ दिन पहले स्व.नाथूराम गोडसे जी के कोर्ट में दिये गये बयान की प्रति पढ़ने का सौभाग्य हुआ। ये निर्विवाद सत्य है कि भारत की जनता से हजारों हजार तथ्य छिपाए गए हैं और उनकी जगह मनगढंत बातें रोप दी गयी है जो कि अब झूठ के बरगद के रूप में सामने आ गयी हैं जिन्हें आज की पीढ़ी सच मान लेती है।
  • इस आलेख के साथ समलैंगिकता और homosexual जैसे टैग्स लगाने की क्या जरूरत आ पड़ी???
  • जयराम "विप्लव"
    मान्यवर , रुपेश त्रिपाठी जी , जैसा कि आपने देखा होगा जनोक्ति पर सेक्स और समाज नाम से एक कॉलम ही है जिसमें सेक्स के बारे में स्वस्थ चिंतन का प्रयास किया जाता है . आपने टैग लगाने की जरुरत की बात कही तो चुकी सेक्स से जुडे ये शब्द अधिक- से अधिक खोजे जाते हैं . जो लोग इससे जुड़ी गन्दी कहानियों में मनोरंजन ढूंढते हैं उनके स्वस्थ मानसिक विकास के लिए ऐसे टैग डाले जाते हैं ताकि उन लोगों तक ऐसे पोस्ट पहुंचे और वो भी सेक्स को लेकर अलग दृष्टिकोण बना सकें और कुछ विचार कर सकें . वरना सेक्स के नाम पर तो मस्त राम की कहानियां ही मिलती है . इसका अन्य कोई मतलब नहीं था !

  • भाई रूपेश जी
    गुजारिश है कि कृपया स्‍व श्री नाथूराम गोंडसे जी के बयान को आप अपने किसी ब्‍लाग पर प्रदर्शित करें कि दुनिया सच जान सके।।
  • समाज के तथाकथित बुद्धिजीवी लोग गांधीवाद का ‘ग’ भी नहीं जानते पर उन पर ऊँगली उठाने से बाज़ नहीं आते. एक इंसान जिसने देश ही नहीं वरन दुनिया के लिए अपनी सारी जिंदगी समर्पित कर मानवता का एक नया सन्देश हमें पढ़ाया. ऐसे बहुत सारे लोग हमारे समाज में हैं जिन्होंने गांधी पर तो कम किताबें पढ़ी हैं परन्तु गांधी की छवि को धूमिल करने वाली किताबें पढ़ कर अपनी अभिमती बना लेते हैं. के .पी. त्रिपाठी को मैं यह कहना चाहूँगा की आप चाहे जो राय गांधी के बारे में रखते हो. पर पूर्वाग्रह से ग्रसित मत होयें. साम्राज्यवादी लेखक के एक किताब ने तो आपको प्रभावित कर दिया परन्तु दुनिया भर के हजारों इतिहासकार और विद्वानों ने जो गांधी के बारे में लिखा वह आप झूठी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं. शायद गांधी के बारे में आप ही को सत्य पता है और सभी अनभिज्ञ हैं. या फिर ये गोपनीयता आपके और गांधी के बीच में ही थी. किसी भी महानायक पर लांछन लगाने से पूर्व अनुसंधान करें और फिर उनका मूल्यांकन कर अपनी अभिमती बनाये. आप पत्रकारिता से जुड़े हैं तो आपको ‘वस्तुनिष्ठता’ तो ज़रूर मालूम होगी. इसी को धयान में रखते हुए आलेख लिखे.
    डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जिन्होंने इस आलेख पर वक्तव्य दिया है, आप गोडसे से बहुत प्रभावित हैं और संभव है की गोपालकृष्ण गोडसे द्वारा लिखित ‘गांधी वध क्यों’ अवश्य पढ़ी होगी. गोडसे में ऐसा क्या दिखा आपको जिससे आप प्रभावित हो गए. सिर्फ गांधी जी की हत्या से. अगर गोडसे को देश की इतनी ही चिंता थी और वह इतना ही बड़ा देशभक्त था तो आज़ादी की लड़ाई में कहाँ था. यह भी सोचे फिर अपनी अभिमती बनाये. वैसे भी महानायकों की निजी जिंदगी देश के लिए महत्वपूर्ण नहीं है. हमें यह देखना चाहिए की उन्होंने देश के लिए क्या किया. इतिहास भी महानायकों के इसी तथ्य का अध्ययन करता है.
    कृपया करके ऐसी ओछी बातें करना बंद करें. मैं गांधीवादी नहीं हूँ. मुझे जितने गांधी अच्छे लगते हैं उतने ही सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह,चंद्रशेखर आज़ाद. जितने कार्ल मार्क्स पसंद हैं उतने ही विवेकानंद. सभी की अलग-अलग विचारधारा थी और सबका उद्देश्य समाज का कल्याण करना था. महानायको के बारे में कोई गंभीर विषय भी लिखे. महानायकों के सेक्स जीवन को ही उभारना है तो आपको अभी बहुत शोध और अनुसन्धान करने पड़ेंगे. मेरे विचार से अभी आप इस लेख के लिए परिपक्व नहीं है.
  • मुझे लगता हे की हमें मात्र गाँधी जी के सार्वजानिक जीवन से मतलब रखना चाहिए ,नाकि उनके सेक्स जीवन से,उन्होंने जो किया वो अतुलनीय हे पूरा विश्व उसने जनता और मानता हे उसके बारे में बात करने की कोई आवश्यकता नहीं हे और रही उनकी सेक्स लाइफ के बारे में,तो वो इस राष्ट्र के बापू हे और यहाँ के बच्चे अपने बाप दादाओ की सेक्स लाइफ डिस्कस नहीं करते ,मिस्टर जेड अदाम्स जी,और हा उनके सेक्स सम्बन्ध अगर ब्रिटेन की रानी से भी होते तो हम मतलब नहीं रखते ,ये उनका निजी मामला हे अगर वो जबरदस्ती करते तो ये निंदनीय होता,उनका जीवन महान हें
  • मै भी बचपन से इस तरह की बातें सुनता आ रहा हूँ, चूंकि मै इतिहास का छात्र नहीं रहा हूँ अतः मै आपकी तरह किसी निष्कर्ष पर तो नहीं पहुँच सका किन्तु गांधी जी के बारे में लोगो के मुह से जो कुछ सुना हे उसकी सत्यता जानने का प्रयास अवश्य किया हे, कुछ लोग आज भी गांधी जी के विरोधी है, तो कुछ लोग कल भी गांधी जी के विरोधी थे, ये अलग बात हे की जो कल गांधी जी के विरोधी थे उनको मजबूरीवश गांधी छपे हुए नोट हाथ में नहीं लेना पड़ते थे जबकि वो लोग उनसे बे-इंतिहा नफरत करते थे और कदाचित अगर वो लोग आज होते तो शायद इन रुपयों पर गांधी जी कभी नहीं छ्प पाते. मैंने इस नफरत का प्रत्यक्ष उदाहरण देखा है , और इसे देखने के लिए पुणे की उस जगह गया हूँ जहां पर स्व-नाथूराम गोडसे का घर हे, मै नहीं जानता की कितने लोग मेरी बात का यकीन करेंगे की अगर आप अगर उस जगह पहुँच जाओ तो उनके जन्म दिन या पुण्य तिथी पर तो कदाचित आप भी कहने लगेंगे की नाथू राम गोडसे ने अकारण ही इतना बड़ा कदम नहीं उठाया, मै नहीं जानता वह पूरी तरह सही था या गलत पर वह अत्यंत विद्वान् एवं देश-भक्त अवश्य था, निसंदेह बेहद दिलेर भी था, आज हम नहीं जानते की गांधी जी अधिक जीते तो तो हमें देश के और कितने टुकड़े देखने पड़तेलेकिन अगर आप पूना के उस स्थान पर पहुचेंगे तो आपको वहाँ पर वो सारे नुक्सान गिना दिए जायेंगे जो नाथूराम गोडसे के कारण रुक गए.
  • गुजारिश है कि कृपया स्‍व श्री नाथूराम गोंडसे जी के बयान को आप अपने किसी ब्‍लाग पर प्रदर्शित करें कि दुनिया सच जान सके।।
  • please, publish the late nathu ram godse’s address because all indian are known the incident and reasen who was neither publish nor sho to people of indian country.
  • krapya is tarah se kisi mahatma per gande vichar likhne se kya fayda
    mera kahna hai ki gandhi g sexual tipe ke insaan the kya sex karna koi buri baat
    yeh to sirf naam kamane aur paisa kamane ka business hai
    vaise to har insaan me achhai aur burai hoti.
    agar kisi ko naam kamaana hai to kisi bhi neta k upar aap sexual book likh sakte aur naam kama sakte hai
    aise logo ko to beech chourahe pe khada karke juto se pitna chahiye,
    aise log pahle apne andar jhank kar dekhe .
    mere neta ko badnam karne se pahle khud k barein me soche
  • पीके त्रिपाठी जी, आपने मेरा समीक्षात्मक लेख अपने ब्लॉग पर डाला, कोई बात नहीं, लेकिन यार मेरा नाम तो दे दिया होता। आपको पता है, पिछले साल अप्रैव के दूसरे हफ्ते में ब्रिटेन के मेरे मित्र ने किताब के बारे में बताया, इस लेख को लिखने से मैंने किताब मांगवाई। अपनी जेब से 750 रुपए इसलिए खर्च किए कि भारत में लोग जाने कि उनके राष्ट्रपिता के बारे में विदेश में एक और किताब आई है… ये लेख 26 अप्रैल 2010 को चर्चित बेवसाइट भड़ास पर पब्लिश्ड हुआ। पूरा लेख दे रहा हूं…
    Home तेरा मेरा कोना गांधीजी की सेक्स लाइफ
    गांधीजी की सेक्स लाइफ
    Monday, 26 April 2010 16:50 हरिगोविंद विश्वकर्मा कहिन – साहित्य जगत .User Rating: / 59
    PoorBest
    क्या राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी असामान्य सेक्स बीहैवियर वाले अर्द्ध-दमित सेक्स मैनियॉक थे? जी हां, महात्मा गांधी के सेक्स-जीवन को केंद्र बनाकर लिखी गई किताब “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” में एक ब्रिटिश प्रधानमंत्री के हवाले से ऐसा ही कहा गया है। महात्मा गांधी पर लिखी किताब आते ही विवाद के केंद्र में आ गई है जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उसकी मांग बढ़ गई है। मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जैड ऐडम्स ने पंद्रह साल के अध्ययन और शोध के बाद “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” को किताब का रूप दिया है।
    किताब में वैसे तो नया कुछ नहीं है। राष्ट्रपिता के जीवन में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के साथ गांधी के आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डाला गया है। रिश्ते को सनसनीख़ेज़ बनाने की कोशिश की गई है। मसलन, जैड ऐडम्स ने लिखा है कि गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते ही नहीं थे बल्कि उनके साथ बाथरूम में “नग्न स्नान” भी करते थे।
    महात्मा गांधी हत्या के साठ साल गुज़र जाने के बाद भी हमारे मानस-पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं। अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा-स्त्रियों को लाठी के रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता-फिरता है। आख़िरी क्षण तक गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे। मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई। ऐसे में इस किताब में लिखी बाते लोगों ख़ासकर, गांधीभक्तों को शायद ही हजम हों। दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता हैं। वह अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं। जो दुनिया को सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। कहना न होगा कि दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने-कोने में मानव अधिकार आंदोलनों को ऊर्जा दी, उन्हें प्रेरित किया।
    नई किताब यह खुलासा करती है कि गांधी उन युवा महिलाओं के साथ ख़ुद को संतप्त किया जो उनकी पूजा करती थीं और अकसर उनके साथ बिस्तर शेयर करती थीं। बहरहाल, ऐडम्स का दावा है कि लंदन से क़ानून की पढ़ाई करने के बाद वकील से गुरु बने गांधी की इमैज कठोर नेता की बनी जो अपने अनोखी सेक्सुअल डिमांड से अनुयायियों को वशीभूत कर लेता है। आमतौर पर लोग के लिए यह आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था। ऐडम्स ने किताब में लिखा है कि गांधी ने अपने आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन बनाया था कि उनकी छवि 20वीं सदी के धर्मवादी नेताओं जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश की तरह बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स अपील से अनुयायियों को क़रीब-क़रीब ज्यों का त्यों वश में कर लेते थे। ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक महात्मा गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। किताब के मुताबिक हालांकि अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और सेक्स से जुड़े तत्थों के बारे में आमतौर पर खुल कर लिखते थे। अपनी इच्छा को दमित करने के लिए ही उन्होंने कठोर परिश्रम का अनोखा स्वाभाव अपनाया जो कई लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता।
    किताब की शुरुआत ही गांधी की उस स्वीकारोक्ति से हुई है जिसमें गांधी ख़ुद लिखा या कहा करते थे कि उनके अंदर सेक्स-ऑब्सेशन का बीजारोपण किशोरावस्था में हुआ और वह बहुत कामुक हो गए थे। 13 साल की उम्र में 12 साल की कस्तूरबा से विवाह होने के बाद गांधी अकसर बेडरूम में होते थे। यहां तक कि उनके पिता कर्मचंद उर्फ कबा गांधी जब मृत्यु-शैया पर पड़े मौत से जूझ रहे थे उस समय किशोर मोहनदास पत्नी कस्तूरबा के साथ अपने बेडरूम में सेक्स का आनंद ले रहे थे।
    किताब में कहा गया है कि विभाजन के दौरान नेहरू गांधी को अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानने लगे थे। सीनियर लीडर जेबी कृपलानी और वल्लभभाई पटेल ने गांधी के कामुक व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली। यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी इससे ख़फ़ा थे। कई लोगों ने गांधी के प्रयोगों के चलते आश्रम छोड़ दिया। ऐडम ने गांधी और उनके क़रीबी लोगों के कथनों का हवाला देकर बापू को अत्यधिक कामुक साबित करने का पूरा प्रयास किया है। किताब में पंचगनी में ब्रह्मचर्य का प्रयोग का भी वर्णन किया है, जहां गांधी की सहयोगी सुशीला नायर गांधी के साथ निर्वस्त्र होकर सोती थीं और उनके साथ निर्वस्त्र होकर नहाती भी थीं। किताब में गांधी के ही वक्तव्य को उद्धरित किया गया है। मसलन इस बारे में गांधी ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला निर्वस्त्र मेरे सामने होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई है और कब वह सिर्फ अंतःवस्त्र पहनी होती है।”
    किताब के ही मुताबिक जब बंगाल में दंगे हो रहे थे गांधी ने 18 साल की मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।” ऐडम का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु और आभा ने गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा अस्पष्ट बात कही। जब भी पूछा गया तब केवल यही कहा कि वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग है।
    ऐडम्स के मुताबिक गांधी अपने लिए महात्मा संबोधन पसंद नहीं करते थे और वह अपने आध्यात्मिक कार्य में मशगूल रहे। गांधी की मृत्यु के बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर लीपापोती की जाती रही। हत्या के बाद गांधी को महिमामंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजों, तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी दरअसल सेक्स मैनियैक थे। कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी और उनके सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच को छुपाती रही है। गांधीजी की हत्या के बाद मनु को मुंह बंद रखने की सलाह दी गई। सुशीला भी इस मसले पर हमेशा चुप ही रहीं।
    किताब में ऐडम्स दावा करते हैं कि सेक्स के जरिए गांधी अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे। नवविवाहित जोड़ों को अलग-अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे। ऐडम्स के अनुसार सुशीला नायर, मनु और आभा के अलावा बड़ी तादाद में महिलाएं गांधी के क़रीब आईं। कुछ उनकी बेहद ख़ास बन गईं। बंगाली परिवार की विद्वान और ख़ूबसूरत महिला सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध जगज़ाहिर है। हालांकि गांधी केवल यही कहते रहे कि सरलादेवी उनकी “आध्यात्मिक पत्नी” हैं। गांधी जी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग को प्रेमपत्र लिखते थे। इस्टर जब आश्रम में आती तो बाकी लोगों को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे। किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया।
    ऐडम्स ने कहा है कि नब्बे के दशक में उसे अपनी किताब “द डाइनैस्टी” लिखते समय गांधी और नेहरू के रिश्ते के बारे में काफी कुछ जानने को मिला। इसके बाद लेखक की तमन्ना थी कि वह गांधी के जीवन को अन्य लोगों के नजरिए से किताब के जरिए उकेरे। यह किताब उसी कोशिश का नतीजा है। जैड दावा करते हैं कि उन्होंने ख़ुद गांधी और उन्हें बेहद क़रीब से जानने वालों की महात्मा के बारे में लिखे गए किताबों और अन्य दस्तावेजों का गहन अध्ययन और शोध किया है। उनके विचारों का जानने के लिए कई साल तक शोध किया। उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे।
    इस बारे में ऐडम्स ने स्वीकार किया है कि यह किताब विवाद से घिरेगी। उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं इस एक किताब को पढ़कर भारत के लोग मुझसे नाराज़ हो सकते हैं लेकिन जब मेरी किताब का लंदन विश्वविद्यालय में विमोचन हुआ तो तमाम भारतीय छात्रों ने मेरे प्रयास की सराहना की, मुझे बधाई दी।” 288 पेज की करीब आठ सौ रुपए मूल्य की यह किताब जल्द ही भारतीय बाज़ार में उपलब्ध होगी। ‘गांधीः नैक्ड ऐंबिशन’ का लंदन यूनिवर्सिटी में विमोचन हो चुका है। किताब में गांधी की जीवन की तक़रीबन हर अहम घटना को समाहित करने की कोशिश की गई है। जैड ऐडम्स ने गांधी के महाव्यक्तित्व को महिमामंडित करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि उनके सेक्स-जीवन की इस तरह व्याख्या की है कि गांधीवादियों और कांग्रेसियों को इस पर सख़्त ऐतराज़ हो सकता है।
    लेखक हरिगोविंद विश्वकर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं. इस लेख का स्रोत ब्रिटिश अख़बारों में “गांधीः नैक्ड ऐंबिशन” के छपे रिव्यू और रिपोर्ताज हैं.
  • bhaduye isme jhooth kya hai sahi toh hai……………..
  • Yes agar ye sahi bhi hai, Gandhiji ki niji jindagi ke bareme jankar ya logoko jankari dekar, unnka desh ke prati tyag aur samarpan ko nazar andaj nahi kiya jata. agar purush hai to hai, log unke purusharth ko na tatole. is lekh ke adhar par jeenhe unke sath rahana manjur huwa ve rahe, unki vo apni niji life hai. koi jabardashti to nahi huyi.
    koi desh bhakt ya samaj sudhakar napunsak nahi hota. ye sach hai kee apni patni tak maryada honi chaiye, lekin maryada ko kon samza aajtak “na Gandhiji, na vo Mahila, na is Book ko likhane wala, na hee hum padhne wale.”
    JO BHEE HO AGAR AACHA KARTA HAI TO, USKEE AACHAYEE LENA CHAHIYE. BURAIYOKO CHOD DENA CHAIYE.
    Aksar koi koi to hai jo logoke leeye karta hai. varna apne liye to sabhi karte hai. RAJU.
  • k. p.tripathi
    tu bilkul pagal ho gaye ho .so kise aache doctor se apna iraj karao…father of country ke bare me likhne se phele apne baap ke bare me jante.
    chutra .teri maa bhi aise he karte hoge.aur tere khandan me yahi hota hoga…………close the statement…..m chod
  • I WANT TO KNOW ONE THING .IF GANDI WANTED THEN HE COULD SAVE BHAGAT SING’S LIFE OR NOT…………..?????????
    COZ I HEARD MANY TIMES THAT IF GANDI DID EFFORTS THEN HE COULD SAVE BHAHT’S SINGH LIFE SO PLZ TELL ME ………..

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