गुरुवार, 7 जून 2012

गड़ेरिया की पहाड़ी यानि गोलकोण्डा

इस चिट्ठी में गोलकोण्डा किले के इतिहास की चर्चा हैं।
 गोकोण्डा का किला
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गोलकोण्डा का किला एक छोटी पहाड़ी पर बनाया गया है। यह पहाड़ी, वरंगल के काकतीय राजाओं के कब्जे में थी। काकतीय राजवंश ने १०८३ ई. से १३२३ तक भारत के पूरब दक्षिण हिस्से पर राज्य किया। इसका  अधिकतर भाग आजकल आंध्र प्रदेश में है। यह तेलगू इतिहास का, स्वर्णिम  युग कहा जाता है।

प्रताप रूद्रदेव, इस राजवंश के राजा थे। उनके राज्यकाल के समय, सन् ११४३ ई. में,  एक गड़ेरिया ने इस पहाड़ी पर किला बनाने सुझाव दिया। उसके सुझाव पर, यह किला  पहाड़ी पर बनाया गया।  गोल्ला का अर्थ गड़ेरिया और   पहाडी को कोण्डा कहते है। इसी लिये इसका नाम 'गोल्लकोण्डा' रखा गया।

सन् १६६३ में, इसी वंश के राजा कृष्णदेवराय ने, एक संधि के अनुसार 'गोलकोण्डा' किले को बहमनी वंश के राजा मोहम्मद शाह को दे दिया।

बहमनी राजाओं की राजधानी गुलबर्गा तथा बीदर में थी। राज्य में, उनकी पकड़ भी अच्छी न थी। उनके पांच सूबेदार (Governor) थे। ये पांच सुबेदार बहमनी राज्य की अस्थिरता के कारण, मौके का लाभ उठा कर, स्वतंत्र हो गये। इसके एक सूबेदार, कुलि कुतुबशाह नें, १५१८ में गोलकोण्डा में, मे अपनी सलतनत, कुतुबशाही  स्थापित की।

१५१८ से १६१७ तक, कुतुबशाही वंश के सात राजाओं ने गोलकोण्डा पर राज किया।  पहले तीन राजाओं ने गोलकोंडा किला का पुन: निर्माण, राजमहल, और  पक्की इमारतें बनावायी। १५८७ में, चौथे राजा मोहम्मद कुली कुतुबशाह ने, अपनी प्रिय पत्नी भागमती के नाम से भाग्यनगर नामक शहर बसाया। इसे अब हैदाराबाद कहा जाता है। १६८७ तक,  हैदाराबाद, इन राजाओं की राजधानी थी।

१६५६ में औरंगजेब ने गोलकोण्डा और हैदराबाद पर हमला किया। सुलतान अब्दुल्ला शाह की हार हुई सुलतान अब्दुल्ला की ओर से गुजारिश करने पर दोनों में संधि हुई। जिसकी एक शर्त पूरी करने के लिए, सुलतान की बेटी की शादी औरंगजेब के बेटे मोहम्मद सुलतान से की गयी।


किले का नक्शा
१६८७ में  कुतुबशाही की अब्दुल हसन तानाशाह सातवां राजा था। उस समय औरंगजेब ने दूसरी बार गोलकोण्डा पर हमला किया। आठ महिनों तक औरंगजेब गोलकोंडा जीतने में सफलता नहीं मिली। लेकिन कुतुबशाही सेना का नायक अब्दुल्ला खान पन्नी बागी हो गया।  उसने रात के समय, का दरवाजा खोल दिया। अब्दुल हसन तानाशाह बंदी बनाया गया। चौदह साल बाद जेल में उसका देहांत हुआ। इस प्रकार कुतुबशाही का अंत हुआ और गोलकोण्डा पर मुगलों का शासन आरंभ हुआ।

कुतुबशाही समाप्त होने के उपरांत मुगल साम्राज्य की ओर से कई सूबेदार (Governor) हैदराबाद में रखे गये। लेकिन १७३७ ईस्वी में मोहम्मद शाह के समय, मुगलों की राजनीतिक स्थिति  गिर गई। इसका फायदा उठाते हुए, निज़ाम -उल-मुल्क आसिफ जाह-१ स्वतंत्र बन गया और स्वयं को बादशाह घोषित कर दिया। इस वंश के सात राजाओं में, आखरी राजा ने नवाब मीस उस्मान अली खान ने, १९४७ तक हैदराबाद पर राज्य किया।

इस किले की सुरक्षा के लिये, उसके चारो तरफ, पांच मील परिक्रमा की, पत्थर की चारदिवारी है। चारदीवारी के बाहर खाई है। इसमें ९ दरवाजे, ४३ खिड़कियां तथा ५८ भूमिगत रास्ते हैं। 


किले में शाम को,  ध्वनि और प्रकाश का प्रोग्राम होता है। इसमें कई फिल्मी सितारों ने अपनी आवाज दी है। यह देखने लायक प्रोग्राम है। इसके बारे में मैंने यहां चर्चा की है। 

अगली बार हम लोग, गोलकोण्डा की खदानो से मिले, विश्वप्रसिद्ध कोहिनूर हीरे के बारे में बात करेंगे।

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