भारत में सबसे बदहाल हैं महिलाएं
दुनिया के कुछ संपन्न देशों में महिलाओं की स्थिति के बारे में हुए एक
शोध में भारत आखिरी नंबर पर आया है. थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन के इस
सर्वेक्षण में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और हिंसा जैसे कई विषयों पर
महिलाओं की स्थिति की तुलना की गयी. स्थिति जानने के लिए इन देशों में
महिलाओं की स्थितियों का अध्ययन करनेवाले 370 विशेषज्ञों की राय ली गयी.
सर्वेक्षण 19 विकिसत और उभरते हुए देशों में किया गया जिनमें भारत, मेक्सिको, इंडोनेशिया, ब्राजील सउदी अरब जैसे देश शामिल हैं. हालांकि, भारत के पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश सर्वेक्षण में शामिल नहीं किये गये. सर्वेक्षण में कनाडा को महिलाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ देश बताया गया.
सर्वेक्षण के अनुसार वहां महिलाओं को समानता हासिल है, उन्हें हिंसा और शोषण से बचाने के प्रबंध हैं, और उनके स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल होती है. पहले पांच देशों में जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देश रहे. अमेरिका छठे नंबर पर रहा. सर्वेक्षण कहता है कि भारत में महिलाओं का दरजा दौलत और उनकी सामाजिक स्थिति पर निर्भर करता है.
19 देशों की सूची में भारत के सबसे अंतिम पायदान पर रहने के लिए कम उम्र में विवाह, दहेज, घरेलू हिंसा, यौन हिंसा और कन्या भ्रूण हत्या जैसे कारणों को गिनाया गया है. सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत में सात वर्ष पहले बना घरेलू हिंसा क़ानून एक प्रगतिशील कदम है मगर लिंग के आधार पर भारत में हिंसा अभी भी हो रही है. इसके अनुसार विशेष रूप से अल्प आय वाले परिवारों में ऐसी हिंसा अधिक होती है.
सर्वेक्षण 19 विकिसत और उभरते हुए देशों में किया गया जिनमें भारत, मेक्सिको, इंडोनेशिया, ब्राजील सउदी अरब जैसे देश शामिल हैं. हालांकि, भारत के पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश सर्वेक्षण में शामिल नहीं किये गये. सर्वेक्षण में कनाडा को महिलाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ देश बताया गया.
सर्वेक्षण के अनुसार वहां महिलाओं को समानता हासिल है, उन्हें हिंसा और शोषण से बचाने के प्रबंध हैं, और उनके स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल होती है. पहले पांच देशों में जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देश रहे. अमेरिका छठे नंबर पर रहा. सर्वेक्षण कहता है कि भारत में महिलाओं का दरजा दौलत और उनकी सामाजिक स्थिति पर निर्भर करता है.
19 देशों की सूची में भारत के सबसे अंतिम पायदान पर रहने के लिए कम उम्र में विवाह, दहेज, घरेलू हिंसा, यौन हिंसा और कन्या भ्रूण हत्या जैसे कारणों को गिनाया गया है. सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत में सात वर्ष पहले बना घरेलू हिंसा क़ानून एक प्रगतिशील कदम है मगर लिंग के आधार पर भारत में हिंसा अभी भी हो रही है. इसके अनुसार विशेष रूप से अल्प आय वाले परिवारों में ऐसी हिंसा अधिक होती है.
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