गांव वालों के अच्छा खाने से बढ़ी महंगाई: आरबीआई गवर्नर सुब्बाराव
बेंगलुरु।।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर डी. सुब्बाराव के उस बयान पर बवाल
खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने महंगाई बढ़ने के लिए गांव में रहने वाले
लोगों को जिम्मेदार बताया है। सुब्बाराव का मानना है कि गांव में रहने वाले
लोगों की आमदनी बढ़ने से अब वे अच्छा खाना खाने लगे हैं, जिस वजह से देश
को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार को एक इवेंट में सुब्बाराव ने
कहा कि देश के गरीब तबके की आमदनी बढ़ रही है, जिस वजह से अब वह अच्छा खाना
खाने लगा है। नतीजा यह रहा कि खाने-पीने की चीज़ें महंगी हो गईं।
शनिवार को बेंगलुरु में एक प्रोग्राम में बोलते हुए सुब्बाराव ने कहा, 'गांवों में पिछले पांच सालों में साल दर साल लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। उनकी आय हर साल करीब 20 पर्सेंट की दर से बढ़ी है। इससे उनके खाने-पीने की आदतें भी बदली हैं। वे अब हाई प्रोटीन खाना खाने लगे हैं। उनके खाने में दूध, अंडे और फल की मात्रा बढ़ी है। नतीजा यह रहा है कि बाजार में दूध, मीट, दाल, फल और सब्जियों की कीमतों में भी इजाफा हुआ।'
यह पहला मौका नहीं है, जब देश के किसी महत्वपूर्ण पद पर बैठे शख्स ने इस तरह का बयान दिया हो। बीते साल जुलाई में तत्कालीन होम मिनिस्टर और मौजूदा फाइनैंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने मिडल क्लास पर उंगली उठाई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार हर चीज को मिडल क्लास के नजरिए से नहीं देख सकती। यही नहीं, उन्होंने कहा था कि लोग 1 किलो चावल पर 1 रुपया ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, लेकिन आइसक्रीम के लिए 20 रुपये आसानी से खर्च कर लेंगे। इस बयान पर काफी विवाद हुआ था।
यही नहीं, देश के योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने यह बयान दिया था कि शहरों में रोजाना 32 रुपये खर्च करने वाला शख्स गरीब नहीं है (पढ़ें: रोज 28.65 रुपये खर्च करने वाला गरीब नहीं!)। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी कहा था कि एक परिवार के महीने के राशन के लिए 600 रुपये काफी हैं (पढ़ें: 600 में आ जाएगा पूरे परिवार का राशनः शीला)।
आरबीआई गवर्नर सुब्बाराव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई हैं। कांग्रेस और बीजेपी ने इस बयान को बेतुका करार दिया है। बीजेपी नेता बलवीर पुंज ने इस बयान को गरीबों का मजाक बताते हुए कड़ी निंदा की है।
शनिवार को बेंगलुरु में एक प्रोग्राम में बोलते हुए सुब्बाराव ने कहा, 'गांवों में पिछले पांच सालों में साल दर साल लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। उनकी आय हर साल करीब 20 पर्सेंट की दर से बढ़ी है। इससे उनके खाने-पीने की आदतें भी बदली हैं। वे अब हाई प्रोटीन खाना खाने लगे हैं। उनके खाने में दूध, अंडे और फल की मात्रा बढ़ी है। नतीजा यह रहा है कि बाजार में दूध, मीट, दाल, फल और सब्जियों की कीमतों में भी इजाफा हुआ।'
यह पहला मौका नहीं है, जब देश के किसी महत्वपूर्ण पद पर बैठे शख्स ने इस तरह का बयान दिया हो। बीते साल जुलाई में तत्कालीन होम मिनिस्टर और मौजूदा फाइनैंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने मिडल क्लास पर उंगली उठाई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार हर चीज को मिडल क्लास के नजरिए से नहीं देख सकती। यही नहीं, उन्होंने कहा था कि लोग 1 किलो चावल पर 1 रुपया ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, लेकिन आइसक्रीम के लिए 20 रुपये आसानी से खर्च कर लेंगे। इस बयान पर काफी विवाद हुआ था।
यही नहीं, देश के योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने यह बयान दिया था कि शहरों में रोजाना 32 रुपये खर्च करने वाला शख्स गरीब नहीं है (पढ़ें: रोज 28.65 रुपये खर्च करने वाला गरीब नहीं!)। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी कहा था कि एक परिवार के महीने के राशन के लिए 600 रुपये काफी हैं (पढ़ें: 600 में आ जाएगा पूरे परिवार का राशनः शीला)।
आरबीआई गवर्नर सुब्बाराव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई हैं। कांग्रेस और बीजेपी ने इस बयान को बेतुका करार दिया है। बीजेपी नेता बलवीर पुंज ने इस बयान को गरीबों का मजाक बताते हुए कड़ी निंदा की है।
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