एडवेंचर
ईश्वरान में 1977 में जन्मी लालेह सेदिघ को एक मुस्लिम देश का नागरिक समझकर आप उन्हें दकियानूस और तंग ख्यालों वाली समझ सकते हैं। लेकिन इस लड़की ने ईश्वरानी कार रेसर प्रतियोगिता में बाजी मार कर सभी को चौंका दिया। सबसे तेज कार चलाने की इस प्रतियोगिता को ईश्वरान के ऑटोमोबाइल फेडरेशन ने आयोजित किया था। जब उस प्रतियोगिता में लालेह ने हिस्सा लिया तो ज्यादातर ईश्वरानी यकीन कर रहे थे कि लालेह इस खेल में एक न एक दिन पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ देंगी। खैर, लालेह जीतीं। जब वे सिर पर नीला दुपट्टा ओढ़े मंच पर आयीं, तो लोगों ने उन्हें आश्र्चयजनक ढंग से निहारते हुए तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। वहां मौजूद लोगों ने लालेह को नायाब ड्राइविंग स्किल वाली लड़की बताया। पीएचडी लालेह राजधानी तेहरान से पीएचडी छात्रा लालेह सेदिघ जर्मन फामरूला वन चैम्पियन रेस भी जीत चुकी हैं। इस उपलब्धि के बाद आम ईश्वरानी उन्हें ’ए लिटिल शूमाकर‘ उपनाम से संबोधित करने लगे। उन्हें ईश्वरान की सवरेत्तम महिला रेसिंग ड्राइवर का टाइटल दिया गया, हालांकि कई दूसरे लोग मानते हैं कि यह टाइटल देना उनके साथ न्याय करना नहीं है क्योंकि लालेह उससे आगे की कूव्वत रखती हैं। साहसी लड़की पिछले दो वर्षो से लालेह सेदिघ सैलून कार चला रही हैं। इस तरह के कार की ड्राइविंग में वे अपने देश में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं क्योंकि लालेह ईश्वरान के उम्दा ड्राइवरों को भी कार रेसिंग की कई प्रतियोगिताओं में पछाड़कर बाजी मारती रही हैं। उनका मानना है कि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि मैं ईष्र्यालु हूं हालांकि मैं इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देती। लालेह सेदिघ का ध्यान भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं पर है। उन्हें उम्मीद है कि अगले साल वे दोबारा से यही प्रतियोगिता जीतकर चैम्पियन बनी रहेंगी। वे मानती हैं कि ईश्वरान में पुरुषों से मुकाबला करना आसान नहीं है लेकिन उन्हें अपने जज्बे पर भरोसा है। वे उम्मीद करती हैं कि उनके इस तरह की प्रतियोगिताएं जीतने से दूसरी महिलाओं को बल मिलेगा। रेस में तीस महिलाएं लालेह के बाद ईश्वरानी महिलाओं में कार रेसिंग प्रतियोगिता के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इस साल संपन्न प्रतियोगिता में 30 महिलाएं पदक की रेस में थीं लेकिन लालेह को कार रेसिंग की अनुमति नहीं दी गयी क्योंकि वह खास श्रेणी की प्रतियोगिता थी और इसमें सिर्फ पुरुषों के ही आवेदन मंजूर किये गये थे। अब तक की अपनी जबरदस्त कामयाबी के बावजूद लालेह सेदिघ मानती हैं कि वह अपनी हिम्मत और जज्बे को साबित कर दिखाएंगी। भविष्य में ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार रेसिंग प्रतियोगिता होनी तय है फिर भी लालेह सेदिघ दृढ़-संकल्प हैं, हालांकि वह अभी से पुरुषों की आगामी कार रैली में हिस्सा लेने के लिए अनुमति पाने का इंतजार कर रही हैं दरअसल, लालेह अब तक सर्किट और रैलियों में कार चलाने में हिस्सा लेती रही हैं। सईद अरेबियन हैं गुरु राजधानी तेहरान निवासी लालेह सेदिघ को ईश्वरान में ज्यादातर लोग ‘बेस्ट फीमेल कार रेसर’ के रूप में पहचाते हैं। उन्हें पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन सईद अरेबियन ने प्रशिक्षण दिया है। लालेह को कार चलाने की शुरुआती ट्रेनिंग अपनी पिता से मिली है। 18 साल की उम्र में लालेह ने ड्राइविंग टेस्ट पास किया था। उन्हें पुरुषों के मुकाबले कार रेसिंग में हिस्सा लेने के लिए स्थानीय अयातुल्लाह से खासतौर पर अनुमति लेनी पड़ी। वे अब 28 साल हैं और उम्दा ड्राइविंग कला के साथ ही खूबसूरत भी हैं। जर्मन फामरूला वन चैम्पियन के बाद लालेह को ’लिटिल शूमाकर‘
उपनाम कहा जाने लगा। बीबीसी ने लालेह पर ’गर्ल रेसर‘ नाम से टीवी डॉक्यूमेंट्री बनायी जिसका प्रसारण 2008 में किया गया था।
लालेह की उपलब्धियां रैली में हिस्सा लेने का सिलसिला 2000 में शुरू किया, वुमेन चैम्पियन- 2003, कैप्टन ऑफ प्रोटोन रैली टीम-2004, 28 रैलियों में हिस्सा ले चुकी हैं- 7 पोडियम्स (तीन बार प्रथम)। 2004 में पांच कार रेसिंग में हिस्सा लिया (पेयुगोओट 206, 1600 सीसी और प्रोटोन 1500 सीसी), 7 पोडियम फिनिश, पांच बार पहले पायदान पर- नेशनल चैम्पियन पेयुगोओट 206- 1600 सीसी वे इस समय प्रोटो स्पीड टीम की कैप्टन हैं।
कमलेश त्रिपाठी
ईश्वरान में 1977 में जन्मी लालेह सेदिघ को एक मुस्लिम देश का नागरिक समझकर आप उन्हें दकियानूस और तंग ख्यालों वाली समझ सकते हैं। लेकिन इस लड़की ने ईश्वरानी कार रेसर प्रतियोगिता में बाजी मार कर सभी को चौंका दिया। सबसे तेज कार चलाने की इस प्रतियोगिता को ईश्वरान के ऑटोमोबाइल फेडरेशन ने आयोजित किया था। जब उस प्रतियोगिता में लालेह ने हिस्सा लिया तो ज्यादातर ईश्वरानी यकीन कर रहे थे कि लालेह इस खेल में एक न एक दिन पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ देंगी। खैर, लालेह जीतीं। जब वे सिर पर नीला दुपट्टा ओढ़े मंच पर आयीं, तो लोगों ने उन्हें आश्र्चयजनक ढंग से निहारते हुए तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। वहां मौजूद लोगों ने लालेह को नायाब ड्राइविंग स्किल वाली लड़की बताया। पीएचडी लालेह राजधानी तेहरान से पीएचडी छात्रा लालेह सेदिघ जर्मन फामरूला वन चैम्पियन रेस भी जीत चुकी हैं। इस उपलब्धि के बाद आम ईश्वरानी उन्हें ’ए लिटिल शूमाकर‘ उपनाम से संबोधित करने लगे। उन्हें ईश्वरान की सवरेत्तम महिला रेसिंग ड्राइवर का टाइटल दिया गया, हालांकि कई दूसरे लोग मानते हैं कि यह टाइटल देना उनके साथ न्याय करना नहीं है क्योंकि लालेह उससे आगे की कूव्वत रखती हैं। साहसी लड़की पिछले दो वर्षो से लालेह सेदिघ सैलून कार चला रही हैं। इस तरह के कार की ड्राइविंग में वे अपने देश में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं क्योंकि लालेह ईश्वरान के उम्दा ड्राइवरों को भी कार रेसिंग की कई प्रतियोगिताओं में पछाड़कर बाजी मारती रही हैं। उनका मानना है कि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि मैं ईष्र्यालु हूं हालांकि मैं इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देती। लालेह सेदिघ का ध्यान भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं पर है। उन्हें उम्मीद है कि अगले साल वे दोबारा से यही प्रतियोगिता जीतकर चैम्पियन बनी रहेंगी। वे मानती हैं कि ईश्वरान में पुरुषों से मुकाबला करना आसान नहीं है लेकिन उन्हें अपने जज्बे पर भरोसा है। वे उम्मीद करती हैं कि उनके इस तरह की प्रतियोगिताएं जीतने से दूसरी महिलाओं को बल मिलेगा। रेस में तीस महिलाएं लालेह के बाद ईश्वरानी महिलाओं में कार रेसिंग प्रतियोगिता के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इस साल संपन्न प्रतियोगिता में 30 महिलाएं पदक की रेस में थीं लेकिन लालेह को कार रेसिंग की अनुमति नहीं दी गयी क्योंकि वह खास श्रेणी की प्रतियोगिता थी और इसमें सिर्फ पुरुषों के ही आवेदन मंजूर किये गये थे। अब तक की अपनी जबरदस्त कामयाबी के बावजूद लालेह सेदिघ मानती हैं कि वह अपनी हिम्मत और जज्बे को साबित कर दिखाएंगी। भविष्य में ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार रेसिंग प्रतियोगिता होनी तय है फिर भी लालेह सेदिघ दृढ़-संकल्प हैं, हालांकि वह अभी से पुरुषों की आगामी कार रैली में हिस्सा लेने के लिए अनुमति पाने का इंतजार कर रही हैं दरअसल, लालेह अब तक सर्किट और रैलियों में कार चलाने में हिस्सा लेती रही हैं। सईद अरेबियन हैं गुरु राजधानी तेहरान निवासी लालेह सेदिघ को ईश्वरान में ज्यादातर लोग ‘बेस्ट फीमेल कार रेसर’ के रूप में पहचाते हैं। उन्हें पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन सईद अरेबियन ने प्रशिक्षण दिया है। लालेह को कार चलाने की शुरुआती ट्रेनिंग अपनी पिता से मिली है। 18 साल की उम्र में लालेह ने ड्राइविंग टेस्ट पास किया था। उन्हें पुरुषों के मुकाबले कार रेसिंग में हिस्सा लेने के लिए स्थानीय अयातुल्लाह से खासतौर पर अनुमति लेनी पड़ी। वे अब 28 साल हैं और उम्दा ड्राइविंग कला के साथ ही खूबसूरत भी हैं। जर्मन फामरूला वन चैम्पियन के बाद लालेह को ’लिटिल शूमाकर‘
उपनाम कहा जाने लगा। बीबीसी ने लालेह पर ’गर्ल रेसर‘ नाम से टीवी डॉक्यूमेंट्री बनायी जिसका प्रसारण 2008 में किया गया था।
लालेह की उपलब्धियां रैली में हिस्सा लेने का सिलसिला 2000 में शुरू किया, वुमेन चैम्पियन- 2003, कैप्टन ऑफ प्रोटोन रैली टीम-2004, 28 रैलियों में हिस्सा ले चुकी हैं- 7 पोडियम्स (तीन बार प्रथम)। 2004 में पांच कार रेसिंग में हिस्सा लिया (पेयुगोओट 206, 1600 सीसी और प्रोटोन 1500 सीसी), 7 पोडियम फिनिश, पांच बार पहले पायदान पर- नेशनल चैम्पियन पेयुगोओट 206- 1600 सीसी वे इस समय प्रोटो स्पीड टीम की कैप्टन हैं।
कमलेश त्रिपाठी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें