शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

महिला हिंसा का बड़ा सेंटर सहारनपुर

महिला हिंसा का बड़ा सेंटर सहारनपुर

मजबूत विरोध की एक पहल
हमलावरों ने पाशविकता की सारी सीमाएं पार करते हुए सहारनपुर के स्थानीय वैदिक इंटर कालेज की छात्राओं को स्कूल के अंदर ही जिस तरह से कपडे-फाड़े व बेइज्जत किया, यह शायद सहारनपुर के इतिहास में आज तक नहीं हुआ. स्कूल के अंदर ही अगर हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, तो उनके लिए तो शिक्षा के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो जायेंगे...
लोग औरत को फ़कत जिस्म समझ लेते हैं, रूह भी होती है ये बात कहां सोचते हैं -‘‘साहिर’’ लुधियानवी की ये बात सहारनपुर के सम्बन्ध में बिल्कुल सही लग रही है.
women-harassment
पिछले कुछ महीनों में महिलाओं के साथ खास तौर पर निचले वर्ग की लड़कियों, स्कूल, कालेज में पढ़ने वाली किशोरियों व बच्चियों के साथ होने वाली यौन हिंसा, बलात्कार व हत्या आदि की जघन्य घटनाएं जिस तरह से सामने आ रही हैं, उसने सहारनपुर की छवि को दागदार कर दिया है. इन तमाम घटनाओं के कारण सहारनपुर महिलाओं और छात्राओं के लिए असुरक्षित जिला घोषित हो चुका है. मगर इसको लेकर न सरकार, न प्रशासन और न ही जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. इन घटनाओं की शिकार लड़कियां व बच्चियां एक विशेष वर्ग से होने के कारण आम नागरिक समाज में भी इनके लिए कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई दे रही है.
गौरतलब है कि सहारनपुर ही नहीं पिछले कुछ माह में पूरे उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं की संख्या में भी बेहिसाब बढ़ोतरी हुई है. इन्हीं सब कारणों को देखते हुए और घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए कुछ ही दिन पूर्व उच्च न्यायालय द्वारा भी हर जि़ले में महिलाओं पर हो रही हिंसाओं की रोक थाम के लिए जिलाधिकारियों को निगरानी समिति का गठन करने के आदेश दिए गए हैं. विडंबना है कि इन निर्देशों पर भी कोई अमल नहीं हो रहा है.
चन्देना नागल में जातिगत झगड़े में हमलावरों ने पाशविकता की सारी सीमाएं पार करते हुए यहां के स्थानीय वैदिक इंटर कालेज की छात्राओं को स्कूल के अंदर ही जिस तरह से कपडे-फाडे़ व बेइज्जत किया, यह शायद सहारनपुर के इतिहास में आज तक नहीं हुआ. स्कूल के अंदर ही अगर हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं है, तो उनके लिए तो शिक्षा के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे. इन हमलों को लेकर सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आकर सख्ती से इन घटनाओं को रोकने का प्रयास करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. महिलाओं के ऊपर हो रही हिंसात्मक घटनाओं का असर पूरे समाज पर काफी नकारात्मक रूप से पड़ रहा है.
पिछले दिनों स्कूल की छात्राओं के ऊपर सामूहिक बलात्कार की जो घटनाएं सामने आई हैं, उसने आम जनमानस को झंझोड़ के रख दिया है, वे बेहद शर्मनाक व घृणित हैं. यह हमला ज्यादातर ग़रीब तबके की लड़कियों पर ही हो रहा है, या तो वे दलित हैं या फिर ग़रीब मुस्लिम परिवारों से हैं. बलात्कारी व हमलावर कमउम्र की लड़िकयों व स्कूल जाने वाली छात्राओं को अपने हमले का निशाना बना रहे हैं. जिसमें 3 से 18 वर्ष तक की लड़कियों और महिलाओं के साथ भी इस तरह के अत्याचार हो रहे हैं. जिस क्षेत्र या गाँवों में ऐसी घटनाएँ घटी हैं वहां और उसके आसपास के क्षेत्र के लोग खौफ़ के कारण अपनी बच्चियों को स्कूल भेजना बन्द कर रहे हैं.
अलग-अलग तबकों द्वारा महिलाओं के लिए अकेले बाहर न निकलने के फरमान तक जारी किए जा रहे हैं. स्पष्ट रूप से यह बात सामने आ रही है, कि आम नागरिक समाज का शासन व प्रशासन के ऊपर से विश्वास पूरी तरह से उठ रहा है. इनमें सबसे ज्यादा घटनाएँ उत्तर प्रदेश में नई सरकार के सत्तासीन होने के बाद की हैं. गुंडागर्दी को तो जैसे सरकारी लाइसेंस प्राप्त हो गया हो. एक तरफ सरकार, मीडिया आदि लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए जागरूक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके खिलाफ हो रहे इस तरह के भयावह यौन उत्पीड़न के मामले में बिल्कुल खामोश बैठे हैं.
सहारनपुर में लड़कियों के ऊपर संकट काफी गहरा रहा है. समय रहते अगर इस मामले में सरकारी व प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है. इन हमलों को रोकने के लिए आम जनता खास तौर पर महिलाओं को ही सामने आना होगा. महिलाओं पर हो रहे इन संगठित हमलों के खिलाफ लड़कियों व छात्राओं को भी अपने संगठन तैयार करने होंगे व अपनी अस्मत को बचाने के लिए शासन और प्रशासन को चेताना होगा, ताकि वे अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन करें.
महिलाओं के साथ हो रही इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सामाजिक संगठनों द्वारा प्रशासनिक स्तर पर दबाव बनाया जाएगा, तो इस तरह की घटनाओं में कमी आएगी. आम नागरिक समाज को भी इसके लिए अहम भूमिका निभानी होगी. अपने विरोध को ताकत के साथ दर्ज कराना होगा. सभी स्कूल-कालेजों में लड़कियों को जागरूक करने के लिए शिक्षकों, अभिभावकों व सामाजिक संगठनों की संयुक्त समिति बनाई जानी चाहिए और महिलाओं से जुड़े तमाम कानून की जानकारी देनी चाहिए.
लड़कियों के साथ हो रहे अन्याय के मामले में स्कूलों को भी सामने आना होगा और इस हिंसा के खिलाफ प्रतिरोधी शक्ति को तैयार करना होगा. महिला हिंसा को रोकने के लिए मीडिया एक प्रमुख माध्यम हो सकता है, लेकिन देखने में यह आ रहा है कि छोटे शहरों व कस्बों में महिला पत्रकार हैं ही नहीं. ऐसे में बहुत सारे मामले आम तौर पर संज्ञान में आ ही नहीं पाते. स्कूल-कालेजों में लड़कियों को मीडिया के प्रति रूझान के विषय में भी प्रेरित करना होगा, जिसके लिए सामाजिक संगठनों द्वारा भी सहयोग किया जा सकता है.
इस सम्बन्ध में इस महीने की 28 अक्टूबर 2012 को विकल्प सामाजिक संगठन, दिशा सामाजिक संगठन व ज्ञान गंगा शिक्षा समिति द्वारा सहारनपुर में एक विशाल सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें इन घटनाओं में उत्पीड़न का शिकार हुए परिवार,गांव क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों को लेकर संघर्षरत जनसंगठनों के लोग व कई महिला एवं सामाजिक आंदोलनों के नेतृत्वकारी लोग शामिल होंगे.
बलात्कारियों और हत्यारों को इन राजनीतिक दलों का संरक्षण प्राप्त होता है. ये केवल वे घटनाए हैं, जो अखबारों में प्रकाशित हुईं हैं. इनके अलावा ऐसी कई घटनाएं हैं, खासतौर पर दहेज हत्या या उत्पीड़न की जो सामने आ नहीं पातीं. ऐसा नहीं कि ये घटनाए अकारण हो रही हैं, बल्कि इनके पीछे महिलाओं के खिलाफ एक संगठित साजिश नज़र आती है, ताकि वे शिक्षा ग्रहण कर स्वतंत्र न हो सकें. ये प्रतिक्रिया उनके स्वतंत्र रूप से सोचने, उनकी चेतना के विकास के खिलाफ भी है.
महिला हिंसा के कुछ मामले और नतीजे
1) लक्ष्मी
मानसिक उत्पीड़न
कांड - 27 जुलाई 2010 - दलित छात्रा - ग्राम भलस्वा, सहारनपुर- स्कूल में पढने वाली कक्षा 3 की छात्रा लक्ष्मी को स्कूल प्रबन्धक व कक्षा के सहपाठियों ने मानसिक आघात पंहुचाया था, यह मानसिक उत्पीड़न लक्ष्मी बरदाश्त नहीं कर सकी, और गले में टुपट्टा बांधकर छत के पंखे में लटक कर आत्महत्या कर ली. जिला सहारनपुर के शासन व प्रशासन ने आरोपी को कानूनी दांव पेंचों के द्वारा बचा लिया गया.
2) चांदनी
बलात्कार
कांड - 3 दिसम्बर 2010 - 6 वर्षीय दलित छात्रा - गांव कल्लरपुर गुर्जर रामपुर मनिहारन, सहारनपुर- 3 दिसम्बर 2010 को अपने घर की सहेलियों के साथ खेल रही चांदनी को 45 वर्ष के अधेड़ नशेड़ी ने जिसका जेल में (अपराधिक रिकार्ड है) चांदनी को जबरन उठाकर बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी. सामाजिक संस्थाओं और गांवों की महिला संगठन द्वारा किये गये प्रयासों से आरोपी जेल में है.
3) रानी
बलात्कार
कांड - 14 फरवरी, 2012 - 13 वर्षीय दलित लडकी - गांव नकुड, कस्बा रेतगढ, जिला सहारनपुर - रानी शाम को बुखार की दवा लेने पास के गांव में जा रही थी कि पास के गांव के राजपूत जाति के छोटू पुत्र राजेश ने बालिका को गन्ने के खेत में घसीटकर बलात्कार किया. दबंगों ने अस्पताल में मेडिकल बदलवा दिया. विरोध के बाद पुनः मेडिकल करवाया उसे भी बदलवा दिया गया. महिला संगठन और सामाजिक संस्थाओं के किये गये प्रयासों से आरोपी जेल में है.
4) हिना
बलात्कार
काण्ड - 10 जुलाई 2012 -13 वर्षीय मुस्लिम लडकी. कस्बा देवबन्द, सहारनपुर - सातवीं कक्षा में पढने वाली हिना को सुबह अपने स्कूल को अकेली जाते समय नौशाद नाम का युवक पीछे से मुंह दबाकर पास की बिल्डि़ग में खींचकर ले गया, कमरे में बन्द कर अपने चार साथियों के साथ मिलकर सामूहिक बलात्कार किया और उसकी मोबाईल से अश्लील फिल्म भी बनाई. आरोपी को बहुत कठिनाई से गिरफ्तार करवा कर जेल भेजा गया.
5) पिछड़ी जाति की छात्रा
दुष्कर्म
कांड- 15 जुलाई 2012 - पिछड़ी जाति की कक्षा 9 की छात्रा, कुतुबपुर ढिक्का सरसावा, सहारनपुर -स्कूल जाते समय आरोपियों ने छात्रा का मोटरसाईकिल से पीछा कर गन्ने के खेत में दुष्कर्म किया. जिसकी मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि हुई. बहुत कठिनाई से रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी जेल में हैं.
6) भूमिका
हत्या
कांड- 15 जुलाई 2012 - सिक्ख समुदाय की 28 वर्षीय महिला भूमिका- देवबन्द, सहारनपुर - पंचायत चुनाव लड़ चुकी भूमिका की मकबरा पुलिस चौकी के पास गला दबाकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है.
7) 3 वर्षीय बच्ची
अपहरण
कांड- 17 जुलाई 2012 - मुस्लिम जाति की 3 वर्षीय बच्ची -हुसैन बस्ती, सहारनपुर -अपने भाई के साथ रह रही 3 वर्षीय बच्ची को दूध देने वाला नशेड़ी फैजान उठाकर जंगल में ले गया. बच्ची के शोर मचाने पर खेत में काम करने वाले लोगों ने बच्ची को बचाया. बहुत कठिनाई से रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी जेल में है.
8) मीता
बलात्कार
काण्ड - 6 अगस्त 2012 - 27 वर्षीय दलित महिला मीता- चिलकाना, सहारनपुर -सुचैला गांव में रहने वाली तेजपाल की पत्नी मीता दोपहर में शौंच के लिये खेत में गई थी. पहले से ही घात लगाये मधु ने पीडिता के साथ बलात्कार किया. मीता के शोर मचाने पर लोगों ने मधु को भागते देखा. बहुत कठिनाई से रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी जेल में है.
9) शगुफ्ता
बलात्कार
कांड - 9 अगस्त 2012- मुस्लिम जातिकी 14 वर्षीय बालिका शगुफ्ता- देवबन्द सहारनपुर -घर में अकेली देख शगुफ्ता का उसके चाचा व भतीजे ने जबरदस्ती घसीटकर बारी-बारी से बलात्कार किया. शगुफ्ता ने जब आरोपियों से कहा कि वो यह बात अपनी मां को बता देगी, तो उस पर मिट्टी का तेल छिडककर आग लगा दी गयी. 90 प्रतिशत जल चुकी शगुप्ता ने दम तोड दिया. कठिनाई से रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी जेल में हैं.
10) 15 वर्षीय दलित बालिका
बलात्कार
कांड -11 अगस्त 2012 - 15 वर्षीय दलित बालिका -गंगोह, सहारनपुर -शाम को दुकान पर सामान लेने के लिये जा रही चौदह वर्षीय बालिका का फाईनेन्स आफिस में बैठे दो युवाओं ने अपने आफिस में खींचकर बारी-बारी से बलात्कार किया. बलात्कार करने के बाद वे बालिका को आफिस में ही बन्द कर चले गये. पीड़िता के शोर मचाने पर उसको बाहर निकलागया. अभी तक उसे न्याय नहीं मिल पाया है.
11) मोनिका
बलात्कार
कांड - 3 सितम्बर 2012 -11 वर्षीय दलित बालिका- चकसराय, सहारनपुर- रात्रि में घर से उठाकर दो युवकों ने बेहोश कर मोनिका के साथ बलात्कार किया. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी जेल में है.
12) मुस्लिम महिला
सामूहिक दुष्कर्म
कांड - 25 सितम्बर 2012 - 28 वर्षीय मुस्लिम महिला -बेहट सहारनपुर - गांव करौदी की एक मुस्लिम महिला को कुछ लोगों ने अगवा कर उसे जबरदस्ती शराब पिलायी और उसके बाद उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. आरोपी बेहोशी की हालत में महिला को जंगल में में फेंक गये.अभी तक आरोपी पकड़ से बाहर हैं.
13) मीनू
बलात्कार
कांड - 24 सितम्बर 2012 -14 वर्षीय दलित बालिका -सडक दुधली. सहारनपुर- जमालपुर गांव में रहने वाली विकलांग मीनू पुत्री श्यामसिंह खेत में चारा लेते समय गायब हो गई. अगले दिन ईख के खेतों में उसकी गर्दन कटी लाश मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामूहिक बलात्कार की पुष्टि हुई. आरोपी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज हो गया है. आरोपी दबंग हैं और खुद को बचाने के प्रयास में हैं.
14) टीना
दुष्कर्म
कांड- 3 अक्टूबर 2012 - पांच वर्षीय दलित बच्ची- हकीमपुरा, सहारनपुर -पड़ोस में टीवी देखते समय एक पड़ोसी युवक टीना को घसीटकर बाथरूम में ले गया. बाथरूम में उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया. मुश्किल से रिपोर्ट दर्ज होने के बाद आरोपी जेल में है.

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