राजमाता जिजाबाई का स्मृति दिवस!
राजमाता जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी महाराष्ट्र के जिला बुलढाना में लकखोजीराव के घर में हुआ था। इनका विवाह कर्नाटक के बीजापुर के मूलनिवासी शाहजी भांेसले के साथ हुआ था। जीजाबाई के आठ बच्चें थे जिनमंे छ बेटियाँ और दो बेटे थे लेकिन बेटियों की अल्प आयु मंे ही मृत्यु हो गयी। और उनके दोनों बेटे संभाजी और शिवाजी ही बचे। उनके बड़े बेटे संभाजी अपने पिता के साथ रहते थे और शिवाजी महाराज माता जीजाबाई के साथ रहते थे। माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज को बहुत कम उम्र से देश मंे ब्राह्मणांे द्वारा यहां के मूलनिवासियांे पर हो रहे अन्याय और अत्याचार के बारे में बताया करती थी।
माता जीजाबाई का शिवाजी महाराज के जीवन में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्हांेने शिवाजी महाराज को शासन-सŸाा मंे काम आने वाले हर प्रकार की कूटनीति आदि का बहुत ही बारीकी से बताया है। ऐसा कहा जाता है कि माता जीजाबाई शिवाजी महाराज की गुरू थी। शिवाजी का जब राजतिलक के समय उन्हें ब्राह्मणांे ने शूद्र कहकर राजतिलक करने से मना कर दिया। अन्त मंे एक लालची ब्राह्मण गंगाभट्ट ने शिवाजी महाराज का अपने बाँये पाॅव के अंगुली से उनका राजतिलक किया था। जिससे माता जीजाबाई को बहुत ही दुःख पहुँचा और 21 जून 1974 को उनकी मृत्यु हो गई। माता जीजाबाई ने जिस प्रकार से मूलनिवासियांे की आजादी के लिए अपने पुत्र को ब्राह्मणांे के खिलाफ मैदान में उतसरा। उसी प्रकार से आज की महिलाओं को भी माता जीजाबाई से सीख लेना चाहिए और अपने बच्चों को ब्राह्मणों के अत्याचार और अन्याय को बताकर शिवाजी महाराज की तरह बनाना चाहिए। जिससे मूलनिवासी लोग ब्राह्मणांे की हजारांे साल से चली आ रही गुलामी से आजाद हो सके। आज माता जीजाबाई के स्मृति दिन पर सभी मूलनिवासियों को यही संकल्प लेना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी। राष्ट्र माता जीजाबाई के स्मृति दिवस पर दैनिक मूलनिवासी नायक हिन्दी पेपर की ओर से सच्ची श्रद्धांजली।-संपादक
राजमाता जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी महाराष्ट्र के जिला बुलढाना में लकखोजीराव के घर में हुआ था। इनका विवाह कर्नाटक के बीजापुर के मूलनिवासी शाहजी भांेसले के साथ हुआ था। जीजाबाई के आठ बच्चें थे जिनमंे छ बेटियाँ और दो बेटे थे लेकिन बेटियों की अल्प आयु मंे ही मृत्यु हो गयी। और उनके दोनों बेटे संभाजी और शिवाजी ही बचे। उनके बड़े बेटे संभाजी अपने पिता के साथ रहते थे और शिवाजी महाराज माता जीजाबाई के साथ रहते थे। माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज को बहुत कम उम्र से देश मंे ब्राह्मणांे द्वारा यहां के मूलनिवासियांे पर हो रहे अन्याय और अत्याचार के बारे में बताया करती थी।
माता जीजाबाई का शिवाजी महाराज के जीवन में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्हांेने शिवाजी महाराज को शासन-सŸाा मंे काम आने वाले हर प्रकार की कूटनीति आदि का बहुत ही बारीकी से बताया है। ऐसा कहा जाता है कि माता जीजाबाई शिवाजी महाराज की गुरू थी। शिवाजी का जब राजतिलक के समय उन्हें ब्राह्मणांे ने शूद्र कहकर राजतिलक करने से मना कर दिया। अन्त मंे एक लालची ब्राह्मण गंगाभट्ट ने शिवाजी महाराज का अपने बाँये पाॅव के अंगुली से उनका राजतिलक किया था। जिससे माता जीजाबाई को बहुत ही दुःख पहुँचा और 21 जून 1974 को उनकी मृत्यु हो गई। माता जीजाबाई ने जिस प्रकार से मूलनिवासियांे की आजादी के लिए अपने पुत्र को ब्राह्मणांे के खिलाफ मैदान में उतसरा। उसी प्रकार से आज की महिलाओं को भी माता जीजाबाई से सीख लेना चाहिए और अपने बच्चों को ब्राह्मणों के अत्याचार और अन्याय को बताकर शिवाजी महाराज की तरह बनाना चाहिए। जिससे मूलनिवासी लोग ब्राह्मणांे की हजारांे साल से चली आ रही गुलामी से आजाद हो सके। आज माता जीजाबाई के स्मृति दिन पर सभी मूलनिवासियों को यही संकल्प लेना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी। राष्ट्र माता जीजाबाई के स्मृति दिवस पर दैनिक मूलनिवासी नायक हिन्दी पेपर की ओर से सच्ची श्रद्धांजली।-संपादक
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