चोर की दाढ़ी में तिनका – वोटिंग मशीनों पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों को भारत में घुसने नहीं दिया… EVM Hacker Scientist Denied Entry in India
हालांकि खबर पुरानी है (13 दिसम्बर की), फ़िर भी अधिकाधिक लोगों तक पहुँचे इसलिये इसे यहाँ भी प्रकाशित किया जा रहा है…। पाठकों ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों की सम्भावित धांधली एवं उससे सम्बन्धित समस्त विस्तृत जानकारियों को मेरे ब्लॉग पर काफ़ी पहले पढ़ा है, दो अमेरिकी, एक डच वैज्ञानिक एवं भारत के श्री हरिप्रसाद ने इन मशीनों को सबके सामने “हैक” करके दिखाया था, वहीं दूसरी तरफ़ डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी पुस्तक में कानूनों की व्याख्या से यह साबित किया है कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल असंवैधानिक है…
13 दिसम्बर 2010 को इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिका से आये हुए कम्प्यूटर विज्ञानी एलेक्स हेल्डरमैन को अधिकारियों ने भारत में प्रवेश देने से इंकार कर दिया और उन्हें वापस लौटती फ़्लाइट से जबरन अमेरिका भेज दिया गया, और कोई कारण भी नहीं बताया। प्रोफ़ेसर हेल्डरमैन वही व्यक्ति हैं जिन्होंने एक डच एवं भारतीय हरिप्रसाद के साथ मिलकर वोटिंग मशीनों के फ़र्जीवाड़े को उजागर किया था। एयरपोर्ट से हेल्डरमैन ने अखबारों को फ़ोन लगाया एवं उन्हें इस बात की जानकारी दी। उनके पास वैध वीज़ा एवं सारे वैधानिक कागजात होने के बावजूद अधिकारियों ने उन्हें वहाँ रोके रखा, भारत में घुसने नहीं दिया।
इस सम्बन्ध में अधिकारियों ने उन्हें कोई कारण भी नहीं बताया, सिर्फ़ कहा कि “ऐसे निर्देश”(?) हैं कि आपको भारत में प्रवेश न दिया जाये…। हेल्डरमैन गुजरात मे आयोजित होने वाली एक तकनीकी कान्फ़्रेंस में हिस्सा लेने आये थे…
हेल्डरमैन ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि – चुनाव आयोग को कई बार इन मशीनों की गड़बड़ियों के बारे में बताने और चेताने के बावजूद, आयोग ने कभी भी उनका पक्ष सुनना मंजूर नहीं किया, श्री हरिप्रसाद के साथ सभी लोग चुनाव आयोग से पूर्ण सहयोग करने एवं किसी उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के समक्ष अपने प्रयोग करके दिखाना चाहते थे, लेकिन उसकी भी अनुमति नहीं दी गई, ऐसा क्यों?
सवाल उठता है कि चुनाव आयोग एवं सरकार को जब पूरा भरोसा(?) है कि वोटिंग मशीनें एकदम सुरक्षित हैं तब हरिप्रसाद को गिरफ़्तार करके मुम्बई ले जाने, प्रोफ़ेसर को जबरन वापस भेजने जैसी, “आपातकालीन” गिरी हुई हरकतें क्यों की जा रही हैं? यदि सरकार पाक-साफ़ है तो वह क्यों नहीं एक स्वतन्त्र पैनल का गठन करके दूध का दूध और पानी का पानी कर देती? इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के मतदान का “कागज़ी रिकॉर्ड भी” होना चाहिये – जैसी मामूली माँग भी सरकार क्यों नहीं मान रही?
कल चिदम्बरम साहब कह रहे थे कि कांग्रेस अगले दस साल और शासन करेगी, इस "विश्वास" के पीछे कहीं यही कारण तो नहीं? यही चिदम्बरम साहब बड़ी ही संदेहास्पद परिस्थियों में (यहाँ देखें…) अपनी लोकसभा सीट जीत पाये थे…। आप तैयार रहिये, 2G स्पेक्ट्रम घोटाले से भी बड़ा (अर्थात वोटिंग मशीनों के फ़र्जीवाड़े द्वारा समूची सरकार हथियाने जैसा) घोटाला कभी न कभी सामने आ सकता है… एक ईमानदार वैज्ञानिक वैधानिक तरीके से इस देश में नहीं घुस सकता, लेकिन डेविड हेडली जब चाहे तब यहाँ के "बिकाऊ" अधिकारियों को बोटियाँ चटाकर पूरे भारत में घूम-फ़िर सकता है… वामपंथियों की मेहरबानी से "बांग्लादेशी मासूम", दिल्ली समेत पूरे देश में दनदना सकते हैं…। हे भारतवासियों तुम धन्य हो, धन्य हो…
इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिये इस मुद्दे से जुड़े मेरे पुराने लेख अवश्य पढ़ें…
1) वोटिंग मशीनों का “चावलाई”करण (मई 2009)
2) वोटिंग मशीनों का फ़र्जीवाड़ा (जून 2009)
3) हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी (अगस्त 2010)
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13 दिसम्बर 2010 को इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिका से आये हुए कम्प्यूटर विज्ञानी एलेक्स हेल्डरमैन को अधिकारियों ने भारत में प्रवेश देने से इंकार कर दिया और उन्हें वापस लौटती फ़्लाइट से जबरन अमेरिका भेज दिया गया, और कोई कारण भी नहीं बताया। प्रोफ़ेसर हेल्डरमैन वही व्यक्ति हैं जिन्होंने एक डच एवं भारतीय हरिप्रसाद के साथ मिलकर वोटिंग मशीनों के फ़र्जीवाड़े को उजागर किया था। एयरपोर्ट से हेल्डरमैन ने अखबारों को फ़ोन लगाया एवं उन्हें इस बात की जानकारी दी। उनके पास वैध वीज़ा एवं सारे वैधानिक कागजात होने के बावजूद अधिकारियों ने उन्हें वहाँ रोके रखा, भारत में घुसने नहीं दिया।
इस सम्बन्ध में अधिकारियों ने उन्हें कोई कारण भी नहीं बताया, सिर्फ़ कहा कि “ऐसे निर्देश”(?) हैं कि आपको भारत में प्रवेश न दिया जाये…। हेल्डरमैन गुजरात मे आयोजित होने वाली एक तकनीकी कान्फ़्रेंस में हिस्सा लेने आये थे…
हेल्डरमैन ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि – चुनाव आयोग को कई बार इन मशीनों की गड़बड़ियों के बारे में बताने और चेताने के बावजूद, आयोग ने कभी भी उनका पक्ष सुनना मंजूर नहीं किया, श्री हरिप्रसाद के साथ सभी लोग चुनाव आयोग से पूर्ण सहयोग करने एवं किसी उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के समक्ष अपने प्रयोग करके दिखाना चाहते थे, लेकिन उसकी भी अनुमति नहीं दी गई, ऐसा क्यों?
सवाल उठता है कि चुनाव आयोग एवं सरकार को जब पूरा भरोसा(?) है कि वोटिंग मशीनें एकदम सुरक्षित हैं तब हरिप्रसाद को गिरफ़्तार करके मुम्बई ले जाने, प्रोफ़ेसर को जबरन वापस भेजने जैसी, “आपातकालीन” गिरी हुई हरकतें क्यों की जा रही हैं? यदि सरकार पाक-साफ़ है तो वह क्यों नहीं एक स्वतन्त्र पैनल का गठन करके दूध का दूध और पानी का पानी कर देती? इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के मतदान का “कागज़ी रिकॉर्ड भी” होना चाहिये – जैसी मामूली माँग भी सरकार क्यों नहीं मान रही?
कल चिदम्बरम साहब कह रहे थे कि कांग्रेस अगले दस साल और शासन करेगी, इस "विश्वास" के पीछे कहीं यही कारण तो नहीं? यही चिदम्बरम साहब बड़ी ही संदेहास्पद परिस्थियों में (यहाँ देखें…) अपनी लोकसभा सीट जीत पाये थे…। आप तैयार रहिये, 2G स्पेक्ट्रम घोटाले से भी बड़ा (अर्थात वोटिंग मशीनों के फ़र्जीवाड़े द्वारा समूची सरकार हथियाने जैसा) घोटाला कभी न कभी सामने आ सकता है… एक ईमानदार वैज्ञानिक वैधानिक तरीके से इस देश में नहीं घुस सकता, लेकिन डेविड हेडली जब चाहे तब यहाँ के "बिकाऊ" अधिकारियों को बोटियाँ चटाकर पूरे भारत में घूम-फ़िर सकता है… वामपंथियों की मेहरबानी से "बांग्लादेशी मासूम", दिल्ली समेत पूरे देश में दनदना सकते हैं…। हे भारतवासियों तुम धन्य हो, धन्य हो…
इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिये इस मुद्दे से जुड़े मेरे पुराने लेख अवश्य पढ़ें…
1) वोटिंग मशीनों का “चावलाई”करण (मई 2009)
2) वोटिंग मशीनों का फ़र्जीवाड़ा (जून 2009)
3) हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी (अगस्त 2010)
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