हमारा दुश्मन हमारे समाज में हर समय फैलाता है, जिसकी वजह से अभी तक महिलाओं का पृथक चुनाव क्षेत्र निर्माण नहीं हुआ।—आयु.सावित्री बौद्ध (कानपुर, उत्तर प्रदेश)
महिलाआंे के तीसरे राष्ट्रीय अधिवेशन मंे सभी महापुरूषांे को नमन करते हुए और यहाँ पर उपस्थित सभी लोगांे का स्वागत करते हुए, राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला अधिवेशन के प्रबोधन सत्र मंे जो विषय है कि महिलाआंे के लिए पृथक चुनाव क्षेत्र निर्माण किये बगैर महिलाआंे का सशक्तीकरण संभव नहीं है इस विषय पर बोलते हुए मैडम ने कहा कि ये विषय पूना पैक्ट से जुड़ा हुआ है। जो इसी पूना मंे बाबा साहब अम्बेडकर और गांधी के बीच मंे हुआ था। दूसरी एक बात है कि महिलाआंे का सशक्तीकरण मतलब हमारी महिला पहले सशक्त नहीं थी ऐसा नहीं है। इन 3 प्रतिशत ब्राह्मणांे को कमजोर बनाया लेकिन सावित्रीबाई फुले के शिक्षा ने हम महिलाआंे को फिर से सशक्त बनाया क्यांेकि शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा।
लेकिन ये ब्राह्मणवादी शिक्षा नहीं तो इस राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम जी की शिक्षा को ग्रहण करना पड़ेगा। विषय के संबंध मंे मेरा कहना ये है कि हमारे लोगांे को वोट डालने का अधिकार नहीं था अनपढ़ो की तो छोड़ो हमारे पढ़े-लिखे लोगांे को भी ये वोट डालने का अधिकार नहीं था। हमको तो ये भी मालूम नहीं के वोट का अधिकार कैसे कब और क्यांे मिला है। ब्राह्मणांे ने जब अपनी आजादी के लिए आंदोलन चलाया अंग्रेजांे के विरोध मंे तो भारत छोड़ने से पहले अंग्रेजो ने यहाँ के विधिमण्डल का जिक्र किया। इस काम के लिए डा.बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर जी को अमेरिका कही बार जाना पड़ा तो देखा की वहाँ भी लोगांे को वोट डालने का अधिकार सिर्फ पढ़े-लिखे लोगांे को ही है। वहाँ वोट डालने के लिए पढ़ा-लिखा होने का
ब्मतजपपिबंजम लगता है। तो बाबासाहब ने सोचा अगर हमारे यहाँ ऐसा होगा तो हमारे लोगांे को वोट डालने का अधिकार ही नहीं मिलेगा क्यांेकि जिन लोगांे को धन रखने का अधिकार नहीं है। शस्त्र रखने का अधिकार नहीं है, बोलने का अधिकार नहीं है तो उनको शिक्षा का अधिकार कैसे मिलेगा। तो इस हिसाब से हमारे लोग वोट नहीं कर पायेंगे तो उन्हांेने अंग्रेजांे को बताया त्मुनमेज किया की यदि हम लोगांे को मताधिकार देना है तो प्रौढ़ मताधिकार देना होगा क्यांेकि हमारे लोगांे के पास कोई पढ़े-लिखे होने का प्रमाण पत्र नहीं है। अगर ऐसा है, तो बाबा साहब तो बहुत पढ़े-लिखे थे और चैथी पास आदमी को याने का जोड़कर को बाबासाहब के विरोध मंे चुनवाकर लाया गया था। तो इसी कारणवश महिलाआंे को भी पृथक चुनाव क्षेत्र निर्माण करना होगा तभी जा करके महिलाआंे का सशक्तीकरण होगा। इसीलिए हम लोगांे को घर-घर मंे जाकर लोगांे को पूना पैक्ट समझना होगा इसी पूना शहर मंे पूना पैक्ट ने और गांधी जी ने हमारे हक्क अधिकार छीने। क्यांेकि इन 3 प्रतिशत ब्राह्मणांे की ग्रामपंचायत सदस्य बनने के भी औकात नहीं है। लेकिन उनकी नेशनल लेवल की तीन-तीन पार्टियाँ है इस देश मंे, तो बहनांे हमंे जागृत रहना होगा हमारा राष्ट्रव्यापी संगठन बनाना पड़ेगा राष्ट्रव्यापी संगठन से औरमहिलाआंे के पृथक चुनाव क्षेत्र से हमे हमारे हक्क अधिकार मिल जायेंगे और हमारे से दलाल भडवे पैदा ना होेगे. जैसे कि सुशील कुमार शिंदे यहाँ के है तो जब प्रभु चावला ने उनसे पूछा था कि ज्ञानी जलसिंग राष्ट्रपति बने थे तो सुना था कि आप गांधी परिवार की चमचे गिरी ज्यादा करते हो तो कहाँ था हाँ और आपका क्या कहना है तो कहने लगा वो तो ठंबाूंतक है वो गांधी परिवार मंे झाडू लगा सकते है तो मैं तो एससी का हूँ मैं क्या नहीं कर सकता तो ऐस दलाल भड़वे पूना पैक्ट से निर्माण हुए ये सारी बाते हमंे घर-घर जाके महिलाआंे को बतानी चाहिए। तो ही हम महिलाआंे के लिए पृथक चुनाव क्षेत्र निर्माण कर सकते है। इसके लिए हमंे बहुत बड़ा काम करना होगा इसी विश्वास के साथ मैं अपनी बात समाप्त करती हूँ धन्यवाद!
!! जय मूलनिवासी !!
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