तेजी से बढ़ता भारत कुपोषण के आगे बेबस
मंगलवार, 8 मई, 2012 को 21:00 IST तक के समाचार
दुनिया भर के लगभग 10 करोड़
कुपोषित बच्चों में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे एशिया और खासकर भारत में
हैं. हालांकि अफ्रीका इस मामले में एशिया से भी बुरी स्थिति में पहुंच सकता
है.
‘सेव द चिल्ड्रन’ संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक
शारीरिक अल्प विकास के मामले में अफगानिस्तान इकलौता एशियाई देश है जो वर्ष
1990 से 2010 के दौरान 14 सर्वाधिक चिंताजनक देशों की श्रेणी में है.कहां है सबसे बुरी हालत
- नाइजर
- अफगानिस्तान
- यमन
- गिनी बिसाऊ
- माली
ये प्रगति बांग्लादेश, कंबोडिया और नेपाल जैसे देशों में भी दर्ज हुई है. इससे साबित होता है कि कम आय या छोटी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में भी विकास संभव है.
कुपोषण से कैसे बचें
रिपोर्ट कहती है कि अगर गर्भवती होने के बाद अगले 1000 दिनों तक गर्भवती मां और उसके शिशु पर विशेष ध्यान दिया जाए तो उन्हें कुपोषण की मुश्किल स्थिति से बचाया जा सकता है.भारत जैसे विकासशील देशों में मां का दूध पी रहे बच्चों के बचने की संभावना स्तनपान से वंचित बच्चों की तुलना में छह गुना ज्यादा होती है. हालांकि केवल 40 प्रतिशत बच्चों को ही स्तनपान का पूरा फायदा मिलता है.
कहां हैं सबसे अच्छी हालत
- नॉर्वे
- आइसलैंड
- स्वीडन
- न्यूजीलैंड
- डेनमार्क
भारत से बेहतर श्रीलंका
यह रिपोर्ट मां और शिशु के स्वास्थ्य की ताजा स्थिति के आधार पर विभिन्न देशों का मूल्यांकन करती है. इसके मुताबिक जहां एक ओर कुछ एशियाई देशों में पिछले एक वर्ष के दौरान मातृ स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, वहीं भारत की स्थिति जस की तस बनी हुई है.वर्ष 2011 में भारत 80 अल्प विकसित देशों की सूची में 75वें स्थान पर था जो इस बार एक स्थान नीचे खिसक कर 76वें स्थान पर आ गया है.
दक्षिण एशिया में श्रीलंका में अब भी मां और बच्चे की सेहत के नजरिए से बाकी देशों से बेहतर स्थिति है. अल्प विकसित देशों के बीच श्रीलंका की स्थिति 42वीं है.
सेव द चिल्ड्रन में निदेशक शिरीन मिलर का कहना है, “भारत को श्रीलंका जैसे देशों से भी सीख लेनी चाहिए जिन्होंने जन स्वास्थ्य व्यवस्था पर समुचित निवेश किया है. भारत का आर्थिक प्रतिद्वंद्वी माना जाने वाला चीन इस मामले में उससे कहीं आगे हैं. भारत के 76वें स्थान के मुकाबले इस वर्ष चीन 14वें स्थान पर है. पिछले वर्ष चीन 18वें स्थान पर था.”
महिला शिक्षा पर भारत का खराब प्रदर्शन भी उसे अल्प विकसित देशों में अंतिम 10 देशों के बीच ला खड़ा करता है.
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