रविवार, 23 सितंबर 2012

अल्फ्रेड नोबल
अल्फ्रेड नोबल का जन्म स्वीडन के स्टॉकहोम में 21 अक्टूबर, 1833 में हुआ था। वह इम्युनल नोबल के चौथे बेटे थे। उनके पिता भी आविष्कारक और इंजीनियर थे। वह रसायनविद, इंजीनियर, इनोवेटर और आग्नेयास्त्र निर्माता थे। 1837 में नोबल के पिता सेंट पीट्सबर्ग आ गए और वहां मशीन के औजार और विस्फोटक बनाने का काम करने लगे। उन्होंने ही आधुनिक प्लाईवुड की खोज की और ‘तारपीडो’ पर काम करना शुरू किया। शुरुआती दौर में नोबल ने प्राइवेट टय़ूटर के पास पढ़ाई शुरू की। बचपन से ही नोबल ने रसायन विज्ञान और भाषाओं खासकर अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन और रूसी भाषाओं में महारत हासिल कर ली। नोबल ने रसायनविद निकलोलई जिनिन से रसायन पढ़ा और 1850 में उच्च अध्ययन के लिए पेरिस आ गए। महज 18 साल की उम्र में रसायन विज्ञान का अध्ययन करने के लिए वे अमेरिका चले गए। 1857 में नोबल ने गैस मीटर के लिए पहला पेटेंट प्राप्त किया। 1863 में उन्होंने डेटोनेटर का आविष्कार किया और 1865 में ब्लॉ स्टिं ग कैप को डिजाइन किया। नोबल ने 1867 में डायनामाइट का आविष्कार किया। उसे अमेरिका और ब्रिटेन में पेटेंट कराया गया जिसका प्रयोग माइनिंग और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बनाने में किया जाने लगा। 1875 में उन्होंने जेनिग्नाइट की खोज की जो डायनामाइट से अधिक शक्तिशाली था। 1887 में उन्होंने बैलेस्टाइट का पेटेंट कराया। ‘नोबेलियम’ नामक तत्व का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया। 1884 में उन्हें रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस का सदस्य चुना गया। 1893 में उपास्ला यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद डॉक्टोरेट की डिग्री प्रदान की। नोबल ने किसी भी तरह की पारंपरिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। वे अंग्रेजी में कविता लिखा करते थे। अपनी जिंदगी में उन्होंने कुल 350 पेटेंट कराये और हथियार बनाने वाली 90 फैक्टरियों को स्थापित किया। उन्होंने अपनी व्यापारिक जिंदगी में दुनिया का खूब भ्रमण किया और विभिन्न देशों में अपनी कंपनी स्थापित की, हालांकि 1873 से लेकर 1891 तक वे पेरिस में ही रहे। वह अकेले रहना पसंद करते थे जिस कारण वे अवसाद में रहने के लिए मजबूर थे। हालांकि वे अविवाहित रहे लेकिन उनकी तीन प्रेमकथाओं के बारे में बातें सामने आयी हैं। उनके जीवित रहते ही कहा जाने लगा था कि नोबल ने डायनामाइट के तौर पर ऐसी चीज की खोज की जो लोगों को मार सकता है। मृत्यु के बाद वे ट्रस्ट को असीम धन छोड़ गए। 27 नवम्बर, 1895 को उन्होंने पेरिस के स्वीडिश नाव्रेजियन क्लब में अपनी वसीयत लिखी और अपनी संपत्ति का अधिकतर भाग पुरस्कार के लिए जमा कर दिया। टैक्स और दूसरे तमाम खर्चो को हटाकर उन्होंने अपनी संपत्ति का 94 फीसद हिस्सा नोबल पुरस्कार के लिए दे दिया, जिसके तहत पांच क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्रदान किया जाना था। तीन पुरस्कार फिजिकल साइंस, केमेस्ट्री और मेडिकल के क्षेत्र में दिये जाने थे। चौथा साहित्य और पांचवां समाज में शांति व सद्भाव को लेकर काम करने वाले के लिए था। गणित के लिए किसी भी तरह के पुरस्कार की घोषणा उन्होंने नहीं की। 2001 में अल्फ्रेड नोबल के पड़पोते पीटर नोबल ने स्वीडन के बैंक से अर्थशास्त्र में भी पुरस्कार देने पर विचार करने के लिए कहा। 1891 में मां की मृत्यु के बाद नोबल पेरिस से सन रेमो (इटली) चले गए। उस वक्त वे एक्जीमा से जूझ रहे थे। उनका निधन 10 दिसम्बर, 1896 को हुआ।
प्र. विनीत

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