रविवार, 23 सितंबर 2012

करेंसी का राेचक सफर
आज सारे विश्व में मुद्रा के रूप में कागज के नोटों का प्रचलन है। वैसे धातु के सिक्कों के रूप में भी मुद्रा प्रचलित हैं पर हमेशा से ऐसा नहीं था कि सिर्फ कागज के नोट ही चलते रहे हों। समय-समय पर विभिन्न प्रकार की मुद्राएं प्रचलन में रही हैं। इनमें से कई करेंसियां तो बड़ी ही विचित्र रही हैं। ऐसी ही कुछ अजीबोगरीब करेंसियों की जानकारी- इतिहास से पता चलता है कि विश्व में सर्व प्रथम जो नोट जारी किए गए थे, वे चमड़े के थे। इन प्रारंभिक चमड़े के नोटों को जारी करने वाला था, ईसा से 100 वर्ष पूर्व का चीन का बादशाह बूती। इसके बाद, 13वीं शताब्दी में ब्रिटेन के बादशाह एडर्वड प्रथम ने अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए चमड़े के नोट जारी किये थे। बाद में शासकों में टय़ूडर्स ने भी ऐसे ही चमड़े के नोटों की परंपरा को अपनाया था। सर विलियम रेवनत्स के नाटक ‘द कॉमेडी ऑफ बिट्स’ में चमड़े के नोटों का विवरण मिलता है। इससे इस प्रकार के चमड़े की करेंसी की प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके बाद आती है कागज की करेंसी की बात। अब तक ज्ञात प्रथम कागज का नोट ब्रिटेन में जारी किया गया था। ऐसा नोट 1635 में कार्नवाल की सैनिक छावनी में जारी हुआ था। यह वेतन का कागजी सर्टिफिकेट था। जब प्रथम इंग्लिश बैंक अस्तित्व में आया, तो इस बैंक ने भी कागज के नोट करेंसी के रूप में प्रसारित किये थे। इस इंग्लिश बैंक द्वारा प्रचलित ये कागजी नोट किसी भी तत्कालीन पुस्तक विक्रेता से खरीदे जा सकते थे। बाद में पुस्तक विक्रेताओं ने एकाएक इसमें हेराफेरी का धंधा शुरू कर दिया, इसलिए बैंक ने अपनी उक्त कागजी करेंसी को वापस ले लिया। कनाडा में प्रथम फ्रेंच कॉलोनी के संस्थापक जेकस दी मिमूल्हस ने उन्हीं दिनों एकाएक कागज की कमी हो जाने पर ताश के पत्तों पर नोटों को छापने का चलन शुरू कर दिया। यह ताश करेंसी काफी सफल रही और लोगों ने भी इसे आसानी से अपना लिया। शीघ्र ही यह सभी लोगों की पसंदीदा हो गई। स्थिति यहां तक पहुंची कि पहली बार सफलतापूर्वक प्रचलन के बाद इसे सात बार और जारी किया गया। इस प्रकार ताश के पत्तों पर जारी करेंसी काफी लंबे समय तक चलन में रही। अब्राहम लिंकन के अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यकाल में सरकार का अमेरिकियों पर से विश्वास उठ चुका था, इसलिए एक नई करेंसी की आवश्यकता महसूस हुई। लोगों ने इस पर विचार किया और आपस में तय करने के बाद डाक टिकटों के विनिमय के लिए इसका प्रयोग करना शुरू कर दिया। सरकार ने इसे देखा तो उसने इसी तर्ज पर पोस्ट करेंसी जारी कर दी। यह पोस्ट करेंसी एक प्रकार के कागजी नोट थे, जिन पर एक कोने पर डाक टिकट छपा रहता था। इन करेंसियों का मूल्य अलग-अलग सेटों में था। लोगों ने इस पोस्ट करेंसी को सुगमता से अपना लिया और यह सहज ही प्रचलन में आ गई। इस प्रकार लोगों का मुद्रा पर विश्वास कायम हुआ। इस आधार पर कह सकते हैं कि यह पोस्ट करेंसी काफी सफल रही। लोगों द्वारा समय-समय पर अपनी सुविधा के अनुरूप करेंसी जारी करने की बात पता चलती है। साथ ही, विभिन्न विद्रोही ग्रुपों ने भी अपनी अलग करेंसियां जारी कीं। स्लोवाक का समर्थन करने वाले ऐसे ही एक ग्रुप ने अपने नोटों पर लिखा-‘तानाशाही की मौत’। यह अपने आपमें एक नई बात थी। एक समय ऐसा आया कि तत्कालीन युगोस्लाविया मोन्टेनेग्रो के गुरिल्लों ने अपनी मुद्रा को विश्वसनीय बनाए रखने के लिए उनकी कीमत प्रतिमाह एक निर्धारित दर तक घटानी शुरू कर दी। दूसरी ओर, युगोस्लाविया में जर्मन इतने अधिक आतंकित थे कि उन्हें 100 दीनार के नोट फिर से जारी करने पड़े, ताकि उनके बदले सौ विद्रोहियों को एक साथ माफी दी जा सके। करेंसी जारी करने के क्षेत्र में यह अपनी तरह का नया प्रयोग था। दरअसल, यूगोस्लाविया से डरे जर्मनी द्वारा जारी 100 दीनार के नोट का असल में मतलब यह था कि जर्मन सेनाओं के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा। जर्मनी द्वारा जारी किए गए इस 100 दीनार के नोट और उसके पीछे की मंशा का कई जगह प्रभाव भी हुआ। कई विद्रोहियों ने जर्मनी की इस पेशकश को स्वीकार किया और जर्मन सेनाओं के पास स्वयं पहुंच गये। माफी करेंसी जारी करने का यह विचार चाहे जिसका रहा हो, पर अपने आपमें यह विचित्र, किंतु कामयाब विचार साबित हुआ। जर्मनी के लोगों द्वारा स्थापित परंपरा पर अमल करते हुए बाद में अमेरिकी सेना ने भी इसी प्रकार के क्षमा नोट जारी किए। ऐसा अमेरिकी सेना ने कोरिया युद्ध के दौरान किया। इन क्षमा नोटों का भी असर हुआ। अमेरिकी सेना को इसमें भरपूर सफलता मिली और काफी संख्या में शत्रु सैनिक उसकी ओर आकर्षित हुए। उन्होंने अमेरिकियों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया। जब अमेरिकी सेनाएं वियतनाम में युद्धरत थीं, तो वहां भी क्षमा नोट जारी करने पर विचार हुआ। अमेरिकी सेनाओं ने कोरिया वाली तरकीब वियतनाम में भी अपनायी। वहां भी बैंक ने नोटों को क्षमा नोटों के रूप में प्रचलित किया गया। इस बार अमेरिकी सेना को अपने उद्देश्य में भरपूर कामयाबी मिली। समय-समय पर ऐसे करेंसी नोट जारी किये जाते रहे हैं, जो आगे चलकर इतिहास में दर्ज हो गये। इनकी विशेषता रही है कि ये सामान्य विनिमय वाले आम प्रचलित नोटों से हटकर थे। इन्हें सफलता भी मिली। अपनी इसी विशिष्टता के कारण आज इस प्रकार के नोट विचित्र करेंसी की श्रेणी में आते हैं ।

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