सारनाथ बौद्ध प्रचार स्थली
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बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण स्थल है सारनाथ।
मुहम्मद गोरी ने हमला करके इनको कई तरह से क्षति पहुंचाई। इतिहास के
विद्वानों और बौद्ध धर्म को मानने वाले सारनाथ पर गंभीर अध्ययन करते रहे
हैं। इसका फायदा भी हुआ है। उम्मीद है कि इसको दोबारा अपना खोया अतीत मिले।
जैन ग्रंथों में सारनाथ को सिंहपुर कहा गया है। यहां के जैन मंदिरों में
श्रेयांसनाथ की प्रतिमा है। इस मंदिर के सामने ही अशोक स्तंभ है
सारनाथ का नाम याद आते ही बौद्ध दर्शन का समूचा परिदृश्य ही आंखों के
सामने घूम जाता है। अब यह तीर्थस्थल बन चुका है। बनारस के पास सारनाथ बौद्ध
धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया
था। बुद्ध ने सारनाथ के उस स्थल पर अपना पहला उपदेश दिया था जहां आज डीयर
पार्क है। यहीं से उन्होंने धर्मचक्र-प्रवर्तन प्रारंभ किया था।
महापरिनिर्वाण के ठीक पहले महात्मा बुद्ध ने अनुयायियों के भीतर इस भावना
का संचार किया कि लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर के साथ सारनाथ भी अत्यंत
पवित्र स्थल है। बाद में सम्राट अशोक सारनाथ आए और उन्होंने यहां एक स्तूप
बनवाया। बौद्ध धर्म को स्वीकार करने के बाद सम्राट अशोक ने देश-विदेश में
प्रेम और सद्भाव पर आधारित बौद्ध धर्म का प्रचार किया। अप्रैल और मई के
दौरान यहां बुद्ध पूर्णिमा पर्व पर अच्छी-खासी रौनक देखने को मिलती है। कभी
सारनाथ बौद्ध धर्म का अहम स्थल माना जाता था। पर मुहम्मद गोरी ने हमला
करके इस जगह को कई तरह से क्षति पहुंचाई। इतिहास के विद्वानों और बौद्ध
धर्म के अनुयायियों ने इस स्थल पर विशेष ध्यान दिया।
इससे सारनाथ को
फिर से उसका अतीत वापस मिल रहा है। जैन ग्रंथ में इसे सिंहपुर कहा गया है।
यहां के जैन मंदिरों में श्रेयांसनाथ की प्रतिमा है। इस मंदिर के सामने ही
अशोक स्तंभ है। सारनाथ मंदिर संसार में सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है।
यहां दर्शन के लिए हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के श्रद्धालु विशेष रूप से आते
हैं। यह बौद्धों के साथ-साथ हिंदुओं का भी प्राचीन तीर्थ स्थल है। यहां
भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। सारनाथ मंदिर के पास ही सारंगनाथ
महादेव का भी मंदिर है। महादेव के मंदिर में प्रत्येक वर्ष सावन माह में
मेले का आयोजन किया जाता है। यहां पर दर्शनों के लिए आने वाले अशोक चक्र,
भगवान बुद्ध और अन्य धार्मिक स्थल देखते है। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य
आने वाले पर्यटकों को अपनी ओ र आकषिर्त करता है। भारत की करेंसी पर अंकित
राजचिन्ह सारनाथ के अशोक स्तंभ से ही लिया गया है। इस मंदिर को अनेक बार
आक्रमणकारियों का सामना करना पड़ा है। अनिता घोष
देखने लायक
सारनाथ में अशोक का चतु भरुज सिंह स्तंभ, भगवान बुद्ध का मंदिर,
धम्रेकस्तूप, चौखंडी स्तूप, सारनाथ वस्तु संग्रहालय, मूलागं धकुटी आदि
दर्शनीय स्थल हैं चौखंडी स्तूप- सारनाथ जाते ही सबसे पहले विशाल चौखंडी
स्तूप दिखाई देता है। यह स्तूप अपने चारों तरफ से अष्टभुजी मीनारों से घिरा
हुआ है। यह स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। धम्रेक स्तूप- यह
स्तूप सिलेंडर के आकार का है जो देखने में काफी आकषर्क लगता है। स्तूप के
निचले तल में शानदार फूलों की नक्काशी की गई है। मूलागं ध कुटी विहार- यह
आधुनिक मंदिर महाबोधि सोसाइटी द्वारा बनवाया गया है। इस मंदिर के भीतर
जितनी सारी नक्काशियां हैं, वे सभी जापानी चित्रकार द्वारा बनाई गई हैं।
मूलागंध कुटी मंदिर सारनाथ के प्राचीन अवशेषों में एक हैं। कहते हैं,
मूलागंध कुटी विहार में महात्मा बुद्ध ने अपना पहला बरसाती मौसम बिताया था।
सारनाथ वस्तु संग्रहालय- सारनाथ में बौद्ध मूर्तियों का व्यापक संग्रह है।
बौद्ध कला वाली इन मूर्तियों को यहां के संग्रहालय में रखा गया है। भारत
के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ इस संग्रहालय में संरक्षित है। चार शेर
वाला अशोक स्तंभ करीब 250 ईसा-पूर्व के अशोक स्तंभ के शीर्ष पर स्थापित है।
यह संग्रहालय रोजाना 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। केवल शुक्रवार
को यह बंद रहता है।
कैसे जाएं हवाई जहाज से- सारनाथ का
नजदीकी एयरपोर्ट कसिया है जो सारनाथ से 5 किमी की दूरी है। रेलगाड़ी से-
देवरिया यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 35 किमी. दूर है। 53 किमी.
दूर स्थित गोरखपुर यहां का लोकप्रिय और प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो देश में
बहुत से बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। |
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