सोमवार, 3 सितंबर 2012

बाेस्नियन पिरामिड का रहस्य
सराजेवो शहर के उत्तर-पश्चिम में ये स्थित है। बोस्नियन पिरामिड नाम की ये संरचनाएं, जिन्हें कुछ लोग प्राकृतिक मानते हैं पर कुछ के अनुसार इन्हें किसी प्राचीन सभ्यता ने बनवाया है। इन्हें फ्लैटीरॉन्स भी कह जाता है। अक्टूबर, 2005 में पूरी दुनिया उस समय चौंक पड़ी, जब इस पिरामिड को मानव निर्मित तो कहा ही गया, यह भी बताया गया कि यह दुनिया का प्राचीनतम पिरामिड है। उधर, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पिरामिड प्राकृतिक संरचना है और मानव का इससे कोई लेना-देना नहीं है। 213 मीटर ऊंचे विसोसीका पर्वत के ऊपर कभी विसोकी नाम का प्राचीन शहर था, जो पिरामिड के आकार का है। बोस्निया में रहने वाले लेखक सेमीर ओसमैनेजिक ने ही सबसे पहले यहां पर खुदाई की। उन्हें यहां पर सुरंगें तो दिखीं ही, पटरियां व सड़कें भी नजर आयीं। पत्थर के चौकोर तराशे टुकड़े और प्राचीन गारा भी यहां पर दिखा। सेमीर का कहना है कि खुदाई टीम में आस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और स्कॉटलैंड के पुरातत्वविद् भी थे। लेकिन जिनका नाम लिया गया, उनमें से कई ने कहा कि वे कभी उस जगह गये ही नहीं। सेमीर ने ही विस्कोसीका पहाड़ी को ‘पिरामिड ऑफ द सन’ नाम दिया, पास स्थित दो पहाड़ियों को ‘पिरामिड ऑफ द मून’ व ‘पिरामिड ऑफ द ड्रेगन’ कहा। उनका कहना है कि इन पिरामिडों का निर्माण 12,000 ई.पू. के आस-पास इनिरियन सभ्यता के लोगों ने किया। सेमीर का कहना है कि उनकी खोज ने प्राचीन सभ्यताओं के बारे में पुनर्विचार करने का मौका दिया है। मैक्सिको व मिस्र में मिले पिरामिडों से तुलना करने के बाद सेमीर ने कहा कि बोस्निया के पिरामिडों को भी इन्हीं लोगों ने बनाया था। उनका कहना है कि हो सकता है कि बोस्निया के पिरामिड देखकर ही अन्य सभ्यताओं में पिरामिड बनाये गये हों। उनका कहना है कि सन (सूर्य) पिरामिड 722 फुट ऊंचा है। इसकी ऊंचाई गीजा में बने पिरामिड से भी काफी ज्यादा है। सेमीर के दावों को विशेषज्ञों से जमकर चुनौती मिली है। विशेषज्ञों का कहना है कि सेमीर ने पुरातात्विक महत्व की चीजों को खोदकर उन्हें नष्ट कर दिया है। बोस्निया व हरजेगोविना के संग्रहालय के क्यूरेटर अमार कारापुस का कहना है कि उन्होंने इससे बड़ा मजाक आज तक नहीं सुना। एक अन्य विशेषज्ञ गारेट फागान ने कहा कि इस तरह से किसी को भी पुरातात्विक महत्व की चीजें नष्ट करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। बोस्टन यूनिवर्सिटी के कर्टिस रनल्स ने कहा कि 27,000-12,000 साल पहले तक बाल्कन का यह इलाका वर्फ से ढका था, केवल कुछ शिकारी ही यहां पर रहते थे। ये लोग या तो चमड़े से बने कैम्प में रहते थे या फिर गुफाओं में। इनके पास पत्थर के बने औजार होते थे। किसी भी विशाल पिरामिड को बनाने के लिए न इनके पास तकनीक थी, न ही औजार। सराजेवो यूनिवर्सिटी के एनवर इमाओविक ने साफतौर पर कहा कि बिना किसी पुरातात्विक जानकारी के खुदाई करने से इस पिरामिडनुमा पहाड़ी पर दबे पुराने स्थलों को नुकसान पहुंचेगा। यहां पर मध्यकाल की शाही राजधानी विसोकी भी थी, जो नष्ट हो सकती है। 2008 में जब यहां सरकार द्वारा खुदाई की गई तो मध्यकाल से जुड़ी कई चीजें भी मिली थीं। 25 अप्रैल, 2006 को यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ आर्कियोलॉजिस्ट के एंथनी हार्डिग ने ‘द टाइम्स’ के संपादक को पत्र लिखकर कहा कि सेमीर ने जो दावे किये हैं, वे पूरी तरह से बकवास और बेतुके हैं। एंथनी हार्डिग स्वयं भी इस पिरामिड तक जाकर पता लगाया कि पूरा स्थल प्राकृतिक है, न कि मानव निर्मित। 8 मई, 2006 को भूगर्भ वैज्ञानिकों के एक दल ने भी शोध के नतीजे सामने रखे। टीम के सदस्य प्रो. डॉ. सेजुफुदीन वराबेक ने निष्कर्ष निकाला कि पूरी पहाड़ी भले ही पिरामिड का रूप लिये हो पर यह है कुदरती, जिस पर एक के बाद एक परतें चढ़ती गई। उन्होंने कहा कि इस तरह की चट्टानें आसपास अन्य जगहों पर भी हैं। जून, 2006 में मिस्र में प्राचीन वस्तुओं के लिए बनाई गई समिति के मुखिया जाही ह्वास ने विशेषज्ञ अली अब्दुल्ला बराकत को इन पहाड़ियों की जांच के लिए भेजा। हालांकि बाद में भी ह्वास ने साफ कहा कि उन्होंने किसी भी व्यक्ति को वहां नहीं भेजा। उधर, सेमीर की संस्था ने फिर कहा कि बराकत ने पूरे पिरामिड का अध्ययन कर कहा कि यह निश्चित रूप से प्राचीन पिरामिड है। सेमीर ने अन्य विशेषज्ञों के अलावा पुरातत्वविद रॉबर्ट शॉक को भी आने का निमंतण्रभेजा। रॉबर्ट ने अपनी वेबसाइट पर साफतौर पर लिखा कि पिरामिड प्राकृतिक है और सेमीर का कथन झूठा है। इस कथन के बाद भी सेमीर अपने दावों पर कायम हैं। यही वजह है कि बोस्निया के इन पिरामिडों का रहस्य भी कायम है।
इंदिरा

कोई टिप्पणी नहीं:

 रानी फाॅल / रानी जलप्रपात यह झारखण्ड राज्य के प्रमुख मनमोहन जलप्रपात में से एक है यहाँ पर आप अपनी फैमली के साथ आ सकते है आपको यहां पर हर प्...