शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

डीजल 5 रुपए महंगा, गैस सबसिडी 6 सिलेंडर तक PDF Print E-mail

Friday, 14 September 2012 09:14
नई दिल्ली, 14 सितंबर (एजेंसी)। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दृष्टि से एक साहसिक फैसला करते हुए सरकार ने गुरुवार को डीजल के दामों में पांच रुपए प्रति लीटर की बड़ी वृद्धि की। साथ ही रसोई गैस सिलेंडर पर सबसिडी को प्रति परिवार सालाना छह सिलेंडर तक सीमित कर दिया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) की बैठक में पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क में 5.50 रुपए की कमी करने का भी फैसला किया गया। पेट्रोल और केरोसीन के दाम फिलहाल नहीं बढ़ाए गए हैं। पेट्रोलियम उत्पादों की नई दरें गुरुवार आधी रात से प्रभावी हो गर्इं। इन फैसलों को राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है। लेकिन इनसे पेट्रोलियम कंपनियों को बड़ी राहत मिलने का अनुमान है। साथ ही केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी।
बैठक के बाद जारी एक सरकारी विज्ञापन के मुताबिक, सीसीपीए ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम और अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में तेज गिरावट के कारण तेल का खुदरा कारोबार करने वाली सरकारी कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में होने वाली संभावित राजस्व हानि पर गौर किया और इसे चिंताजनक स्थिति माना।

मौजूदा दशा में भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन आॅयल की राजस्व हानि चालू वित्त वर्ष में 1.87 लाख करोड़ से अधिक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। सीसीपीए ने कहा कि तेल विपणन कंपनियों के राजस्व हानि की भरपाई पूरी तरह न होने के कारण उन्हें नुकसान होता है। सरकार के फैसले से तेल विपणन कंपनियों को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के कारण होने वाले राजस्व हानि में करीब 20,300 करोड़ रुपए की राहत मिलने की उम्मीद है। बावजूद इसके चालू वित्त वर्ष में इन कंपनियों की कमाई का नुकसान 1.67 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में आयातित उत्पाद की तुलना में घरेलू बाजार में कीमतें कम रखने के कारण इन कंपनियों को सरकारी कंपनियों को करीब 1.39 लाख करोड़ रुपए की संभावित कमाई का नुकसान हुआ था। सरकार ने कहा है कि डीजल
के दामों में प्रति लीटरपांच रुपए लीटर की वृद्धि में वैट शामिल नहीं है। इस बढ़ोतरी में 1.5 रुपए की वृद्धि उत्पाद शुल्क में वृद्धि के कारण हुई है। बाकी 3.50 रुपए प्रति लीटर तेल कंपनियों के खाते में जाएगा। इससे उन्हें चालू वित्त वर्ष में की शेष अवधि में 15 हजार करोड़ रुपए का फायदा होने की उम्मीद है। इस वृद्धि के बाद भी डीजल पर उनकी संभावित राजस्व हानि 1.03 लाख करोड़ रुपए रह जाएगी। दिल्ली में डीजल का संशोधित मूल्य करीब 47 रुपए प्रति लीटर हो जाएगा। इसमें 12.5 फीसद वैट (मूल्य वर्द्धित कर) शामिल हैं। सरकार ने ब्रांडेड डीजल को बाजार दर पर बेचने की इजाजत देने का फैसला किया है। दिल्ली में सबसिडीशुदा रसोई गैस सिलेंडर का दाम 399 रुपए बना रहेगा। लेकिन सरकार का अनुमान है कि पूरे देश में एलपीजी सिलेंडर पर सबसिडी सीमित करने के फैसले से तेल कंपनियों को 5033 करोड़ रुपए का फायदा होगा।
सरकारी तेल कंपनियों को नियंत्रित दर पर डीजल और रसोई गैस और अन्य र्इंधन की बिक्री से रोजाना 560 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था। पेट्रोल पर 16 करोड़ रुपए रोजाना का नुकसान हो रहा था। सबसिडी बोझ बढ़ने और आर्थिक नरमी के कारण सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है। 2011-12 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 फीसद था जो चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 5.9 फीसद हो जाने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा बढ़ने से ब्याज दर और महंगाई पर असर पड़ता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव नीतिगत ब्याज दरों की कटौती न किए जाने पर केंद्रीय बैंक की आलोचना के जवाब में कई बार कह चुके हैं कि उन्हें राजकोषीय नीति की कमजोरी को संभालने का काम न दिया जाए।
डीजल के महंगा होने से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है। गुरुवार के फैसले का रिजर्व बैंक की 17 तारीख को होने वाली मध्य तिमाही की मौद्रिक नीति की समीक्षा पर भी प्रभाव देखने को मिल सकता है। जुलाई में औद्योगिक वृद्धि दर में मात्र 0.1 फीसद की वृद्धि से मायूस उद्योग जगत ने नीतिगत ब्याज दरों में कम-से-कम आधा फीसद कमी किए जाने की मांग की है।

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